🌷रास्ते कितने भी अंधेरे क्यों नहों
अच्छा हमसफ़र हो साथ तो
मंजिल मिल ही जाती है।
🌷 सड़कें कितनी ही ऊबड़-खाबड़
क्यों न हो , चलें लेकर हाथों में हाथ
जिंदगी खुशनुमा हो ही जाती है।
स्वरचित रचना सय्यदा----✒️
--------🌷🌷🌷-----------
7 दिसम्बर 2021
🌷रास्ते कितने भी अंधेरे क्यों नहों
अच्छा हमसफ़र हो साथ तो
मंजिल मिल ही जाती है।
🌷 सड़कें कितनी ही ऊबड़-खाबड़
क्यों न हो , चलें लेकर हाथों में हाथ
जिंदगी खुशनुमा हो ही जाती है।
स्वरचित रचना सय्यदा----✒️
--------🌷🌷🌷-----------
134 फ़ॉलोअर्स
हृदय अंकुरित भावों का शब्द रूप है काव्य, लेखक होना भाग्य है कवि होना सौभाग्य.........जी हां मुझे गर्व का अनुभव होता है जब मैं कोशिश करती हूं एक लेखक और कवि बनने की.... मेरे प्रयास की झलक आपको मेरे धारावाहिक लेख और कविताओं में देखने को मिलेगी,,,, मेरे द्वारा लिखी रेसिपी में एक गृहिणी और मेरे आर्टिकल में आप एक अध्यापिका के रूप में मुझे समझ पाएंगे। आप लोगों का प्रोत्साहन मेरे लेखन को निखारने में मदद करेगा और निरंतर प्रयास करते रहने के लिए आपकी समीक्षाएं मुझे प्रोत्साहित करती रहेंगी । 🌹🌹🌹 D
सही बात है 😊 😊
19 दिसम्बर 2021
Very nice 👌🏻
7 दिसम्बर 2021