या रब तेरे जहान में सब ठीक नहीं है,
आंधी है तूफां है कहीं कुछ भी नही है।
बिलख रहा है कोई तो अपने दर्द में यहाँ,
और कोई है बेसुद जश्न में डूबा हुआ वहाँ।
रंग रेलियां मना रहा है कोई इस क़दर ,
कोई है कि मातम में है सोगवार उस तरफ।
बेरोजगार होके घूम रहा है कोई इंसान
तो भुखमरी से परेशां है कोई शख्स यहाँ
बिखरी पड़ी हैं यूँ तो खुशियाँ भी हर तरफ
मगर दिल है कि उसे देख ग़मगीन बहुत है।
तू हिन्दू है वो मुसलमान पर खून एक है,
रूप एक है ,रंग एक है ,स्वभाव भी एक है।
आपा धापी मची हर तरफ कुछ इस तरहाँ
जी चाहता है पल में मैं बदलदूं तेरा जहाँ।
⚘स्वरचित सय्यदा-----✍️
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