🌹 बहुत विचित्र और अनोखा
रंग मंच है जिन्दगी,
दुःखो से अपने-अपनो के
जूझ रहा है कोई यहाँ,
🌹तो खुशियों से, झूम रही है
यहां किसी की जिंदगी।
रोज़ नए खेल खेलती, और
खिलाती है जिन्दगी,
🌹बड़े खिलाड़ी हैं, सबके सब यहाँ
जो खेलते है हर घड़ी,
मूक दर्शक हैं यहाँ सभी कर सकता
कोई कुछ भी नहीं ।
🌹 इसके लिए हम,कभी उसके लिए
रोज़ जीते हैं यहाँ ,
क्षण भर खुद के लिए भी जिओ
सिखाती है जिन्दगी ।
🌹तुम करते रहो लाखो जतन,सभी
तो है ईश्वर की माया,
तेरे मेरे बस में कुछ भी नहीं,हाँ
कुछ भी नहीं ऐ जिंदगी।
स्वरचित रचना सय्यदा-----✍️
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