🌹 हमने दुनिया को हर एहसासे
रंगों बू में बखूबी जीते हुए देखा।
कभी प्यार के सागर में नहाते पाया
कभी आँखों से समंदर बहते देखा ।
कभी ख़ामोश लबो को झगड़ते पाया
कभी मौजो से कशती को खेलते देखा ।
कभी ग़म में भी दुनिया को को हंसते पाया
कभी खुशियों में हमने उसको रोते देखा।
फिर भी हर रंग में इसको को संभलते पाया
हर घड़ी हर लम्हा दुनिया को ये कहते देखा।
दोस्तों दुनिया है ये बहुत से रंगों से भरी
समेट लो तुम इसको इसमें खुशियाँ भी बड़ी
मौलिक रचना सय्यदा खा़तून,,✍️
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