चप्पलें घिस गई मेरी,
चलते चलते इस क़दर,
फिर भी मंजिल तक
पहुंची नहीं हूं आज तक
बैठ गयी हूं थक हार के
अब एक तरफ़ को मै
ख़ुद ही आएगी चलके
मंजिल अब मेरी तरफ़।
स्वरचित रचना
सय्यदा----✒️
---------🌻🌻--------
7 दिसम्बर 2021
चप्पलें घिस गई मेरी,
चलते चलते इस क़दर,
फिर भी मंजिल तक
पहुंची नहीं हूं आज तक
बैठ गयी हूं थक हार के
अब एक तरफ़ को मै
ख़ुद ही आएगी चलके
मंजिल अब मेरी तरफ़।
स्वरचित रचना
सय्यदा----✒️
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हृदय अंकुरित भावों का शब्द रूप है काव्य, लेखक होना भाग्य है कवि होना सौभाग्य.........जी हां मुझे गर्व का अनुभव होता है जब मैं कोशिश करती हूं एक लेखक और कवि बनने की.... मेरे प्रयास की झलक आपको मेरे धारावाहिक लेख और कविताओं में देखने को मिलेगी,,,, मेरे द्वारा लिखी रेसिपी में एक गृहिणी और मेरे आर्टिकल में आप एक अध्यापिका के रूप में मुझे समझ पाएंगे। आप लोगों का प्रोत्साहन मेरे लेखन को निखारने में मदद करेगा और निरंतर प्रयास करते रहने के लिए आपकी समीक्षाएं मुझे प्रोत्साहित करती रहेंगी । 🌹🌹🌹 D
जोश हो तो ऐसा 👌👌👌
19 दिसम्बर 2021
Zaberdast
7 दिसम्बर 2021
बेहतरीन 👌
7 दिसम्बर 2021