🌹झमझम झमाझम बारिश ,
हो रही थी कल रात से ।
🌹नहा धो कर सारे पौधें ,
खिल उठे थे गुलाब से ।
🌹रिमझिम बारिश की बूंदें,
गिर रही थीं मेरे भी अंगना।
🌹भीग के इसमें मैं भी आऊं
देख रही थी ऐसा सपना।
स्वरचित रचना सय्यदा----✒️
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