🌹मिला था एक दिन
वह मुझको ख़्वाब में
कुछ खट्टी कुछ मीठी
यादें हैं उसकी मेरे पास में
🌹कह रहा था रोज़
यूं ही मिला करो
कुछ अपने दिल की
कभी मेरी सुना करो
🌹किसी अपने को ढूंढता
पहुंचा हूं तुम्हारे पास मैं
ख़ुदा के लिए तुम
ना मुझको छोड़ना
🌹खट्टी मीठी बातों से
दिल मेरा जितना
कैसा अजीब यह
ज़िंदगी का मोड़ है
🌹कुछ दिन से वह
ख़्वाबों से मेरी गोल है
खफ़ा है क्यों मुझसे
कुछ भी पता नहीं
🌹सपने में ही सही
मिलता तो रोज़ था
अब खट्टी मीठी यादों
का उसकी दिल पर बोझ है
🌹एक बार तो हक़ीकत में
हमसे मिलने आइए,
फिर यादों का अपनी
टोकरा वापस ले जाइए।
😁😁
😔😔🤔🤔
मौलिक रचना
सय्यदा ख़ातून,,,, ✍️
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