🌹अजीब शैय है ये ज़िन्दगी
खुशियां मिलती हैं हज़ार यहां,
तो ग़म भी हैं साथ ही..!
अजीब शैय है ये जिंदगी,
अजीब शैय है........!
🌹सबको सब कुछ मिल जाए,
मुमकिन नहीं है यहां,
कुछ ना कुछ ख़लिश तो,
हर किसी को देती है जिंदगी
हर किसी को देती है जिंदगी
अजीब शैय है.............!
🌹सब कुछ दे दिया है जिसको
वह भी उदास है यहां , और
कुछ ना पाकर भी कोई
खुश होके जी रहा यहां
अपनी जिंदगी, अपनी ज़िंदगी
अजीब शैय है............!
🌹समझ सका है ना कोई
जिंदगी का फसाना
कहीं खिली धूप तो
कहीं छांव का ठिकाना
कहीं छांव का ठिकाना
अजीब शैय है ये....!
🌹कोई जिंदगी को कोस रहा है
तो कोई जिंदगी के लिए
मौत से लड रहा है ,
धूप छांव का ही खेल
खेलती है जिंदगी
अजीब शैय.............!
स्वरचित रचना सय्यदा----✒
-----------🌹🌹🌹-----------