🌹रात आकर सपने से
उसने जगाया मुझको...!
🌹कब तक सोएगी तू...।
कहकर उठाया मुझको
🌹सपने तो सपने हैं रंगीन
इंद्रधनुष की तरह.....।
🌹हक़ीक़त की कठोर सतह
पर चल के दिखा......।
🌹कुछ नहीं होता है तुझसे तो
अपना क़लम ही उठा......।
🌹 लेखनी का अपनी असर ,
कुछ तो दिखा..........।
🌹राइटर समझती है ख़ुद को
तो लिख तो सही........।
🌹जो नहीं होना चाहिए वह
रुक जाए अभी.....।
🌹मजबूर हैं बेबस हैं जो......!
उनकी आवाज़ बनकर उभर
🌹मैं नारी हूं आज की सपने से
खा़तून तुझे उठाती रहूंगी....!
🌹तू सोएगी जब भी मैं तुझे,
आके जगाती रहूंगी........!
स्वरचित रचना सय्यदा----✍️
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