🌹इतनी मिठास भर ली है,
लोगों ने अपनी ज़बान में,
दुनिया को दिखाने के लिए।
🌹 के अब चीनी कम पड़ गई है
मेरी दुकान में लोगों को
बेचने के लिए-----!
🌹इतने चेहरे लगा रखे हैं अपने
चेहरों पर पहचान ख़ुद की,
छुपाने के लिए ।
🌹क्या करें कोई किसी की ,
असलियत को अब,
जानने के लिए ।
🌹दोस्त बन कर, गले मिल रहे हैं,
कुछ लोग, पीठ में.........,
खंजर घोंपने के लिए ।
🌹इतनी बढ़ गई है झूठी मिठास,
चीनी कम करनी पड़ी है ,
शुगर घटाने के लिए।
🌹खा़तून शेयर करो तुम भी
ऐसी रेसिपी चीनी कम लगे,
जिसमें चाशनी के लिए....!
स्वरचित रचना सय्यदा----✒
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