अमावस्या 2023
नमस्कार मित्रों ! वर्ष 2022 को विदा करके वर्ष 2023 आने वाला है... सर्वप्रथम सभी को इस नववर्ष की अनेकशः हार्दिक शुभकामनाएँ... हर वर्ष की भाँति इस वर्ष भी नूतन वर्ष के आरम्भ से पूर्व प्रस्तुत है वर्ष 2023 में आने वाली सभी अमावस्याओं की एक तालिका...
एकादशी और प्रदोष व्रत के बाद पूर्णिमा और अमावस्या आती हैं | वैदिक पञ्चांग के अनुसार मास के तीस दिनों को चन्द्रमा की कलाओं के आधार पर पन्द्रह-पन्द्रह दिनों के दो पक्षों में विभाजित किया गया है – जिनमें शुक्ल प्रतिपदा से लेकर पूर्णिमा तक के पन्द्रह दिन शुक्ल पक्ष कहलाते हैं तथा कृष्ण प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक के पन्द्रह दिन कृष्ण पक्ष के अन्तर्गत आते हैं | इस प्रकार प्रत्येक वर्ष में बारह अमावस्या और बारह ही पूर्णिमा तिथि उदय होती हैं | जो लोग मास को अमान्त मानते हैं उनके अनुसार अमावस्या को मास की समाप्ति होकर उसके दूसरे दिन यानी शुक्ल प्रतिपदा से दूसरे मास का आरम्भ होता है, और जो लोग मास को पूर्णिमान्त मानते हैं उनके अनुसार पूर्णिमा को एक मास पूरा होकर कृष्ण प्रतिपदा से दूसरा मास आरम्भ होता है | इस प्रकार वर्ष भर में बारह पूर्णिमा और बारह ही अमावस्या आती हैं और अमावस्या का स्वामी पितृगणों को माना गया है |
कुछ अमावस्याओं को उनके मास के नाम से ही जाना जाता है, किन्तु कुछ अमावस्याएँ दर्श अमावस्या कहलाती हैं | ऐसा इसलिए कि यों तो हर अमावस्या को पितृगणों के लिए तर्पण किया जाता है, किन्तु कुछ अमावस्याओं को पितृगणों का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है अतः उस अमावस्या को पितरों का तर्पण अत्यन्त शुभ माना जाता है और
उसे दर्श अमावस्या कहा जाता है |
इस दिन अन्वाधान की प्रक्रिया भी होती है, जब वैष्णव समाज के लोग उपवास रखकर भगवान विष्णु के सभी रूपों की तथा पितृगणों की पूजा अर्चना करते हैं और एक दूसरे को शान्ति और सुख की प्राप्ति के लिए शुभकामनाएँ देते हैं | माना जाता है कि अन्वाधान और इशिता अथवा इष्टि का उपवास रखने से सुख शान्ति की प्राप्ति तथा सभी
इच्छाओं की पूर्ति होती है |
साथ ही प्रत्येक अमावस्या तिथि माता लक्ष्मी के लिए भी समर्पित होती है अतः इस दिन लक्ष्मी का भी विशेष महत्त्व माना गया है | इसके अतिरिक्त ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चन्द्रमा मन का कारक होता है और अमावस्या के दिन चन्द्रमा के दर्शन नहीं होते | साथ ही धर्मग्रन्थों में चन्द्रमा को सोलहवीं कला को “अमा” कहा गया है | इस दिन चन्द्रमा और सूर्य दोनों प्रायः एक ही राशि में होते हैं | इन्हीं सब कारणों से इस दिन सूर्यदेव तथा चन्द्र दोनों की ही उपासना को विशेष महत्त्व दिया गया है | सूर्य ग्रहण की आकर्षक खगोलीय घटना भी जब घटती है तो उस दिन अमावस्या तिथि ही होती है - जब चन्द्रमा के विपरीत दिशा में सूर्य होने के कारण पृथिवी पर चन्द्रमा की छाया पड़ती है और सूर्य हमें दिखाई नहीं पड़ता – अर्थात सूर्य तथा पृथिवी के मध्य में चन्द्रमा आ जाता है |
यों तो धार्मिक दृष्टि से प्रत्येक अमावस्या का ही महत्त्व है, किन्तु उनमें से भी कुछ अमावस्याओं का अधिक महत्त्व माना गया ही – जो हैं - सोमवती अर्थात सोमवार को आने वाली अमावस्या, भौमवती अर्थात मंगलवार को आने वाली अमावस्या, शनि अमावस्या, मौनी अमावस्या, दीपावली अमावस्या तथा पितृविसर्जनी अमावस्या का भी बहुत महत्त्व
शास्त्रों में माना गया है |
अस्तु, प्रस्तुत है वर्ष 2023 में आने वाली सभी अमावस्याओं की एक तालिका...
· शनिवार 21 जनवरी - माघ अमावस्या – शनि अमावस्या - दर्श अमावस्या / मौनी अमावस्या / सूर्योदय से पूर्व 6:18 से अर्द्धरात्र्योत्तर 2:22 तक
· सोमवार 20 फरवरी - फाल्गुन अमावस्या – सोमवती अमावस्या – इष्टि / 19 फरवरी को सायं 4:18 से 20 फरवरी
को दिन में 12:35 तक
· मंगलवार 21 मार्च - चैत्र अमावस्या – अन्वाधान / दर्श अमावस्या / 20 मार्च को अर्द्धरात्र्योत्तर 1:47 से 21 को प्रातः 10:52 तक
· बुधवार 19 अप्रैल – वैशाख अमावस्या – अन्वाधान / दर्श अमावस्या / प्रातः 11:23 से 20 अप्रैल को प्रातः 9:41 तक / सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल को – जो भारत में नहीं दिखाई देगा
· शुक्रवार 19 मई – ज्येष्ठ अमावस्या – अन्वाधान / दर्श अमावस्या / 18 मई को रात्रि 9:42 से 19 मई को रात्रि 9:22 तक / वट सावित्री अमावस्या व्रत 19 मई को / शनि जयन्ती /
· रविवार 18 जून - आषाढ़ अमावस्या – इष्टि / 17 जून को प्रातः 9:13 से 18 जून को प्रातः 10:06 तक
· सोमवार 17 जुलाई – श्रावण अमावस्या – सोमवती अमावस्या – अन्वाधान / दर्श अमावस्या / 16 जुलाई को रात्रि 10:08 से 17 जुलाई को अर्द्धरात्रि में 12:01 तक
· बुधवार 16 अगस्त – अधिक श्रावण अमावस्या – अन्वाधान / 15 अगस्त को दिन में 12:43 से 16 अगस्त को अपराह्न 3:07 तक
· गुरूवार 14 सितम्बर - भाद्रपद अमावस्या – अन्वाधान / दर्श अमावस्या / पिठौरी अमावस्या / सूर्योदय से पूर्व 4:49 से 15 सितम्बर को प्रातः 7:09 तक
· शनिवार 14 अक्तूबर – आश्विन अमावस्या – शनि अमावस्या – अन्वाधान / दर्श अमावस्या / 13 अक्तूबर को रात्रि 9:51 से 14 अक्तूबर को रात्रि 11:24 तक / पितृ विसर्जिनी अमावस्या / वलयाकार सूर्यग्रहण - जो भारत में नहीं दिखाई देगा
· सोमवार 13 नवम्बर – कार्तिक अमावस्या – सोमवती अमावस्या – अन्वाधान / दर्श अमावस्या / 12 नवम्बर को
दिन में 2:46 से 13 नवम्बर को दिन में 2:57 तक
· मंगलवार 12 दिसम्बर – मार्गशीर्ष अमावस्या – अन्वाधान / दर्श अमावस्या / 12 दिसम्बर को सूर्योदय से पूर्व 6:25 से 13 दिसम्बर को सूर्योदय से पूर्व 5:01 तक
चन्द्रमा प्रतीक है सुख, शान्ति और प्रेम का... छिपा होने पर भी चन्द्रमा की धवल चन्द्रिका सूर्य किरणों के साथ मिलकर सभी के जीवन में सुख, शान्ति और प्रेम का धवल प्रकाश प्रसारित करे इसी कामना के साथ सभी को वर्ष 2023 के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ...