शून्य का एक बड़ा सा घेरा है ये जीवन / एक चक्र
जो घूमता रहता है निरन्तर / अथक
और उस चक्र को भी चारों ओर से घेरे रहती हैं
नित नवीन घटनाएँ / पल पल घटती
कभी इसके पंखों को मिल जाता है इतना बल
कि माप आते हैं आकाश की भी ऊंचाइयाँ
तो कभी लौट आना होता है वापस इसी धरा पर
किसी इस या उस कारण से / किसी इस या उस लक्ष्य की ओर
क्योंकि नहीं है हमारा अस्तित्व अकारण ही
उतारा है उस महाशक्ति ने जीवन के प्रांगण में
देने को आकार अपनी किसी योजना को
साथ ही दिया है अवसर हमें / कि रचें अपना ही संसार
जिसमें यदि है सौन्दर्य / तो साथ ही है उस सौन्दर्य की प्रशंसा
जिसमें यदि है स्वप्न / तो साथ ही है उसे साकार करने की सामर्थ्य
यदि हैं संघर्ष / तो है उनके लिए सहनशीलता भी
यदि हैं कर्तव्य / तो हैं कुछ अधिकार भी
अनुपात में हो सकता है कुछ कम / तो कुछ ज़्यादा
जीवन है एक संकल्प / जिसे करना है पूर्ण निरन्तर प्रयास से
जीवन है एक गीत / गुनगुनाना है जिसकी मधुर धुन को बार बार
जीवन है अनमोल / नष्ट नहीं किया जा सकता व्यर्थ में
अमृत घट की खोज है व्यर्थ / इस खोज में न रह जाए कहीं ये प्यासा
देखना है इसे / अनुभव करना है इसके हर पल को
स्पर्श करना है इसके हर रूप को
ताकि हर सुबह हम बोल सकें / आज का दिन अच्छा होगा
ताकि हर दिन हम बोल सकें / आज का दिन अच्छा है
ताकि हर रात हम बोल सकें / आज का दिन अच्छा था
और अन्त में जब पीछे मुड़कर देखें तो बोल सकें
समूचा जीवन ही कितना अच्छा था
जी लें इसे पूर्ण रूप में / आशा और उत्साह के साथ
ताकि प्राप्त कर सकें चरम लक्ष्य को
जिसे ज्ञान ी कहते हैं मोक्ष – यानी अपनी ही आत्मा से एकाकार…