भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली डॉ राधाकृष्णन के जन्म दिवस “शिक्षक दिवस”की सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ |
हम कोई भी कार्य करते हैं तो हमसे यही कहा जाता है कि परिश्रम करोगे तो फल अच्छा मिलेगा और कार्य में सफलता भी प्राप्त होगी | सही बात है | बिना परिश्रम के कुछ भी प्राप्त नहीं होता | सामने भोजन की थाली रखी है, लेकिन जब तक हम हाथ बढ़ाकर भोजन थाल में से उठाकर मुँह तक ले जाने का श्रम नहीं करेंगे तब तक हमें भूखा ही रहना पड़ेगा | इसलिए परिश्रम की तो नितान्त आवश्यकता है | किन्तु परिश्रम किस प्रकार का हो |
हर व्यक्ति जीवन में सफल होना चाहता है और उसके लिए प्रयास भी करता है | लेकिन जब यह प्रयास – यह परिश्रम उचित दिशा में नहीं किया जाएगा तब तक सफलता प्राप्त होने में सन्देह ही रहेगा | और यह उचित दिशा दिखाते हैं हमारे शिक्षक – हमारे गुरुजन | सबसे पहली गुरु होती है हमारी माता | उसके बाद पिता | और फिर हमारे शिक्षक | इन समस्त गुरुओं का स्थान तो ईश्वर से भी ऊँचा बताया गया है | तभी तो कबीर ने कहा है: गुरु गोबिन्द दौऊ खड़े, काके लागूँ पानी, बलिहारी गुरु आपने जिन गोबिन्द दियो मिलाए |
तो, हमारे शिक्षक – हमारे गुरुजन – मानसिक, सामाजिक, आध्यात्मिक हर दिशा में हमारा मार्गदर्शन करते हैं और उसी मागदर्शन से हमारी इच्छाशक्ति दृढ़ होती है, तथा किसी भी स्वप्न को साकार करने के लिए – किसी भी कार्य में सफलता के लिए “योग्य गुरु” द्वारा प्रदत्त मार्गदर्शन की ही आवश्यकता होती है |
ऐसे सदगुरुओं को नमन के साथ एक बार पुनः सभी को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ |