पहले बेटी की शादी, फिर उसकी पहली करवाचौथ और उसके बाद पहली दिवाली – सबसे फ्री होते होते आज भाई दूज का दिन आ गया | सभी “बहनों-भाइयों” को भाई दूज की हार्दिक शुभकामनाएँ |
इस दीपावली पर हम कसौली चले गए थे | वैसे हर दीपावली से दो दिन पहले दिल्ली से बाहर जाना ही अच्छा समझते हैं | दिल्ली में तो वायु और ध्वनि प्रदूषण का जो हाल हर दीपावली पर होता है वो बर्दाश्त का बाहर होता है | इस बार तो न केवल हमने, बल्कि बहुत लोगों ने निवेदन भी किया था कि कृपा करके प्रदूषण फैलाने वाली और आपके स्वास्थ्य को हानि पहुँचाने वाली इस तरह की आतिशबाज़ी न करें, फिर भी पता नहीं क्यों लोग इस ओर जागरूक नहीं होते | ज़रा सोचिये जिन घरों में कोई अस्थमा के मरीज़ होंगे या किसी अन्य प्रकार की साँस की बीमारी किसी व्यक्ति को होगी वो बेचारे कहाँ जाएँगे ? उनकी हालत क्या और अधिक ख़राब नहीं हो जाएगी ? दीपावली प्रदूषण का पर्व तो नहीं है ? माँ लक्ष्मी और गणेश इस प्रदूषण से प्रसन्न होने के बजाए क्रोधित अवश्य हो जाते होंगे | अरे भाई, शान्ति के साथ लक्ष्मी-गणेश का आह्वाहन किया जाए, परिचितों को शुभकामनाएँ दी जाएँ, सबके मुँह मीठे कराए जाएँ, दीपों की माला बनाकर ऐसा प्रकाश प्रसारित किया जाए कि न केवल अमावस की रात – जो ऐसी कालरात्रि भी मानी जाती है कि इस दिन किया गया हर अनुष्ठान सिद्ध होता है – पूर्णिमा की रात सी उजली हो जाए, बल्कि ऐसी स्वर्णिम आभा कण कण में प्रसारित की जाए कि अ ज्ञान , भय, निराशा, क्रोध, घृणा जैसे समस्त अन्धकार तिरोहित हो जाएँ और हम सबके मन ज्ञान, उत्साह, आशा, करुणा और स्नेह जैसे मधुर भावों के प्रकाश से प्रकाशित हो जाएँ |
बहरहाल, भाई दूज की ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएँ सभी को – भाई बहन के प्रेम को और अधिक घनिष्ठ बनाते भाई दूज और रक्षा बन्धन जैसे मधुर पर्व पूर्ण उत्साह के साथ केवल भारत में ही मनाए जाते हैं | क्यों न इस वर्ष सभी बहनें अपने भाइयों का टीका करके उनके साथ ये वचन लें कि अगले वर्ष से मिल जुल कर दीपावली के अवसर पर देश में प्रदूषण के स्थान पर परस्पर भाईचारे-स्नेह-सद्भाव का प्रकाश प्रसारित करेंगे…
इसी के साथ, ३० अक्टूबर २०१६ यानी दीपावली के दिन कसौली में होटल के कमरे की बालकनी से सूर्योदय से पूर्व के कुछ दृश्य…
और अब, पर्वत श्रृंखलाओं की ओट से धीरे धीरे उदित होते भगवानभास्कर…