मैंने देखा, और मैं देखती रही
मैंने सुना, और मैं सुनती रही
मैंने सोचा, और मैं सोचती रही
द्वार खोलूँ या ना खोलूँ |
प्रेम खटखटाता रहा मेरा द्वार
और भ्रमित मैं बनी रही जड़
खोई रही अपने ऊहापोह में |
तभी कहा किसी ने, सम्भवतः मेरी अन्तरात्मा ने
तुम द्वार खोलो या ना खोलो
द्वार टूटेगा, और प्रेम आएगा भीतर
कब, इसका भान भी नहीं हो पाएगा तुम्हें |
हाँ, यदि करती रही प्रयास इसे पाने का
गणनाएँ और मोल भाव
तो लौटना होगा रिक्त हस्त
क्योंकि रह जाएगा वह बाहर ही द्वार के |
क्या होगा, इसका प्रश्न क्यों ?
कैसे होगा, इसका चिन्तन क्यों ?
कितना होगा, इसका मनन क्यों ?
छोड़ दो ये सारे प्रश्न, विचार, चिन्तन और मनन
प्रेम के प्रकाश को करने दो पार सीमाएँ अपने समस्त तर्कों की
और तब, प्रेम बन जाएगा ध्यान |
ध्यान, जो तुम स्वयं हो
ध्यान, जो होगा तुममें
ध्यान, जो होगा तुम्हारे लिये
ध्यान, जो होगी तुम स्वयम् ||
• कवियित्री, लेख िका, ज्योतिषी | ज्योतिष और योग से सम्बन्धित अनेक पुस्तकों का अंग्रेज़ी से हिन्दी में अनुवाद | कुछ प्रसिद्ध मीडिया कम्पनीज़ के लिये भी लेखन | प्रकाशित उपन्यासों में अरावली प्रकाशन दिल्ली से देवदासियों के जीवन संघर्षों पर आधारित उपन्यास “नूपरपाश”, भारत के मध्यमवर्गीय परिवारों में नारियों के संघर्षमय जीवन की झलक प्रस्तुत करता भारतीय पुस्तक परिषद् दिल्ली से प्रकाशित उपन्यास “सौभाग्यवती भव” और एशिया प्रकाशन दिल्ली से स्त्री पुरुष सम्बन्धों पर आधारित उपन्यास का प्रथम भाग “बयार” विशेष रूप से जाने जाते हैं | साथ ही हिन्दी अकादमी दिल्ली के सौजन्य से अनमोल प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित “मेरी बातें” नामक काव्य संग्रह भी पाठकों द्वारा काफी पसन्द किया गया |
• WOW (Well-Being of Women) India नामक रास्ट्रीय स्तर की संस्था की महासचिव के रूप में क्षेत्र की एक प्रमुख समाज सेविका |
• सम्पर्क सूत्र: E-mail: katyayanpurnima@gmail.com
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