मौसम ने अपनी ही एक पुरानी रचना याद दिला दी:-
मेघों ने बाँसुरी बजाई, झूम उठी पुरवाई रे |
बरखा जब गा उठी, प्रकृति भी दुलहिन बन शरमाई रे ||
उमड़ा स्नेह गगन के मन में, बादल बन कर बरस गया
प्रेमाकुल धरती ने नदियों की बाँहों से परस दिया |
लहरों ने एकतारा छेड़ा, कोयलिया इतराई रे
बरखा जब गा उठी, प्रकृति भी दुलहिन बन शरमाई रे ||
बूँदों के दर्पण में कली कली निज रूप निहार रही
धरती हरा घाघरा पहने नित नव कर श्रृंगार रही |
सजी लताएँ, हौले हौले डोल उठी अमराई रे
बरखा जब गा उठी, प्रकृति भी दुलहिन बन शरमाई रे ||
अँबुवा की डाली पे सावन के झूले मन को भाते
हर इक राधा पेंग बढ़ाए, और हर कान्हा दे झोंटे |
हर क्षण, प्रतिपल, दसों दिशाएँ लगती हैं मदिराई रे
बरखा जब गा उठी, प्रकृति भी दुलहिन बन शरमाई रे ||
• कवियित्री, लेख िका, ज्योतिषी | ज्योतिष और योग से सम्बन्धित अनेक पुस्तकों का अंग्रेज़ी से हिन्दी में अनुवाद | कुछ प्रसिद्ध मीडिया कम्पनीज़ के लिये भी लेखन | प्रकाशित उपन्यासों में अरावली प्रकाशन दिल्ली से देवदासियों के जीवन संघर्षों पर आधारित उपन्यास “नूपरपाश”, भारत के मध्यमवर्गीय परिवारों में नारियों के संघर्षमय जीवन की झलक प्रस्तुत करता भारतीय पुस्तक परिषद् दिल्ली से प्रकाशित उपन्यास “सौभाग्यवती भव” और एशिया प्रकाशन दिल्ली से स्त्री पुरुष सम्बन्धों पर आधारित उपन्यास का प्रथम भाग “बयार” विशेष रूप से जाने जाते हैं | साथ ही हिन्दी अकादमी दिल्ली के सौजन्य से अनमोल प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित “मेरी बातें” नामक काव्य संग्रह भी पाठकों द्वारा काफी पसन्द किया गया | • WOW (Well-Being of Women) India नामक रास्ट्रीय स्तर की संस्था की महासचिव के रूप में क्षेत्र की एक प्रमुख समाज सेविका | • सम्पर्क सूत्र: E-mail: katyayanpurnima@gmail.com
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