सरल और सुखी जीवन के लिए आवश्यक है हम अकारण ही प्रसन्न रहना सीख जाएँ, सदा व्यस्त रहने का प्रयास करें, भयहीन रहें, स्वयं पर और स्वयं की योग्यताओं पर विश्वास रखते हुए बड़े स्वप्न देखें और अपनी कल्पनाओं को – अपने स्वप्नों को – सत्य करने के लिए प्रयासरत रहें, अपनी भावनाओं को खुलकर अभिव्यक्त करना सीखें, हर जड़ चेतन के साथ निस्वार्थ भाव से प्रेम का व्यवहार करें, सहृदय और क्षमाशील बनें, और इन सबसे भी बढ़कर वर्तमान में जीना सीखें | और ये सब हमें सिखा सकता है एक छोटा बच्चा |
कहने का तात्पर्य यह है कि यदि हम शान्त और प्रसन्न भाव से अपने ही भीतर के बच्चे के साथ क्रीड़ा आरम्भ कर दें तो न केवल शान्ति और प्रसन्नता के साथ सरलता से जीवनयापन कर सकते हैं अपितु जीवन में बहुत महान कार्य भी कर सकते हैं | क्योंकि हम अपने भीतर के बच्चे को भूल जाते हैं इसीलिए दुखी और अशान्त रहते हैं | तो आइये अपने भीतर के इस सोए हुए बालक को जगाएँ और उससे शिक्षा लेकर आगे बढें… जीवन सरल हो जाएगा…
• कवियित्री, लेख िका, ज्योतिषी | ज्योतिष और योग से सम्बन्धित अनेक पुस्तकों का अंग्रेज़ी से हिन्दी में अनुवाद | कुछ प्रसिद्ध मीडिया कम्पनीज़ के लिये भी लेखन | प्रकाशित उपन्यासों में अरावली प्रकाशन दिल्ली से देवदासियों के जीवन संघर्षों पर आधारित उपन्यास “नूपरपाश”, भारत के मध्यमवर्गीय परिवारों में नारियों के संघर्षमय जीवन की झलक प्रस्तुत करता भारतीय पुस्तक परिषद् दिल्ली से प्रकाशित उपन्यास “सौभाग्यवती भव” और एशिया प्रकाशन दिल्ली से स्त्री पुरुष सम्बन्धों पर आधारित उपन्यास का प्रथम भाग “बयार” विशेष रूप से जाने जाते हैं | साथ ही हिन्दी अकादमी दिल्ली के सौजन्य से अनमोल प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित “मेरी बातें” नामक काव्य संग्रह भी पाठकों द्वारा काफी पसन्द किया गया | • WOW (Well-Being of Women) India नामक रास्ट्रीय स्तर की संस्था की महासचिव के रूप में क्षेत्र की एक प्रमुख समाज सेविका | • सम्पर्क सूत्र: E-mail: katyayanpurnima@gmail.com
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