समानी व आकृति: समाना हृदयानि व:, समानमस्तु वो मनो यथा व: सुसहासति – ऋग्वेद
हम सबके सामान आदर्श हों, हम सबके ह्रदय एक जैसे हों, हम सबके मनों में एक जैसे कल्याणकारी विचार उत्पन्न हों, ताकि सामाजिक समन्वय तथा समरसता बनी रहे |
समानो मन्त्र: समिति: समानी, समानं मन: सहचित्तमेषाम् ।
समानं मन्त्रमभिमन्त्रयेव:, समानेन वो हविषा जुहोमि ॥ – ऋग्वेद
हम सब साथ मिलकर कार्य करें, हम सबके विचार एक समान हों, हम सबके मन और चित्त एक समान हों, किसी भी विषय में कोई भी निर्णय लेने से पूर्व हम परस्पर मन्त्रणा करें और एक समान निष्कर्ष पर पहुँचने का प्रयास करें, हम सब एक साथ मिलकर यज्ञों का पालन करें |
मा भ्राता भ्रातरं द्विक्षन्, मा स्वसारमुत स्वसा
सम्यञ्च: सव्रता भूत्वा वाचं वदत भद्रया । – अथर्ववेद
भाई भाई में परस्पर किसी प्रकार का द्वेष न हो | दो बहनों में परस्पर किसी प्रकार का क्लेश न हो | और हम सब मिलकर लोक कल्याणार्थ संकल्प लें और सदैव कल्याणमयी वाणी बोलें |
जनं बिभ्रती बहुधा विवाचसं, नाना धर्माणां पृथिवी यथौकसम् |
सहस्रं धारा द्रविणस्य मे दुहां, ध्रुवेव धेनु: अनपस्फुरन्ती || – अथर्ववेद
विविध धर्मं बहु भाषाओं का देश हमारा, सबही का हो एक सरिस सुन्दर घर न्यारा ||
राष्ट्रभूमि पर सभी स्नेह से हिल मिल खेल ें, एक दिशा में बहे सभी की जीवनधारा ||
निश्चय जननी जन्मभूमि यह कामधेनु सम,
सबको देगी सबको देगी सम्पति, दूध, पूत धन प्यारा ||
हमारे वैदिक ऋषियों ने किस प्रकार के परिवार, समाज और राष्ट्र की कल्पना की थी – एक राष्ट्र एक परिवार की कल्पना – ये कुछ मन्त्र इसी कामना का एक छोटा सा उदाहरण हैं | वैदिक ऋषियों की इस उदात्त कल्पना को हम अपने जीवन का लक्ष्य बनाने का संकल्प लें और सब साथ मिलकर स्वतन्त्रता दिवस का उत्सव मनाएँ |
विविध धर्म और भाषाओं के इस आँगन में
सरस नेह में पगी हुई हम ज्योति जला लें |
मातृभूमि के हरे भरे सुन्दर उपवन में
आओ मिलकर सद्भावों के पुष्प खिला लें ||
सभी को स्वतन्त्रता दिवस के इस महान पर्व की हार्दिक बधाई… जयहिन्द… वन्देमातरम्…