जग को देनी है शीतलता, रे चन्दा तू छिप ना जाना |
गल जाएगा तन भी तेरा, पर फिर भी तू किरण लुटाना ||
मुझे पता है दिन में सूरज की ज्वाला में तू तपता है
और रात में ओस की ठण्डी बूँदों में भीगा करता है |
पर इसकी चिंता मत करना, और रात भर बढ़ते जाना ||
रात रात भर शुभ्र ज्योत्स्ना तुझे जगा निज मन बहलाती
प्रात उषा की चंचल किरणों के आँचल में तुझे छिपाती
पर सन्ध्या के नेह निमन्त्रण को ठुकरा कर चल मत देना ||
रात अमावस की आएगी अन्धकार में तुझे छिपाने
या फिर कोई काली बदली आ जाएगी तुझे मिटाने
पर फिर भी पूनम की सतत प्रतीक्षा में तू जागते रहना ||
जग ये जीवन और प्रकाश है सदा सदा ही तुझसे पाता
लेकिन फिर भी समझ न पाता क्या है तेरा उसका नाता
पर रिश्तों की भूल भुलैया में पड़कर तू खो मत जाना ||
• कवियित्री, लेख िका, ज्योतिषी | ज्योतिष और योग से सम्बन्धित अनेक पुस्तकों का अंग्रेज़ी से हिन्दी में अनुवाद | कुछ प्रसिद्ध मीडिया कम्पनीज़ के लिये भी लेखन | प्रकाशित उपन्यासों में अरावली प्रकाशन दिल्ली से देवदासियों के जीवन संघर्षों पर आधारित उपन्यास “नूपरपाश”, भारत के मध्यमवर्गीय परिवारों में नारियों के संघर्षमय जीवन की झलक प्रस्तुत करता भारतीय पुस्तक परिषद् दिल्ली से प्रकाशित उपन्यास “सौभाग्यवती भव” और एशिया प्रकाशन दिल्ली से स्त्री पुरुष सम्बन्धों पर आधारित उपन्यास का प्रथम भाग “बयार” विशेष रूप से जाने जाते हैं | साथ ही हिन्दी अकादमी दिल्ली के सौजन्य से अनमोल प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित “मेरी बातें” नामक काव्य संग्रह भी पाठकों द्वारा काफी पसन्द किया गया |
• WOW (Well-Being of Women) India नामक रास्ट्रीय स्तर की संस्था की महासचिव के रूप में क्षेत्र की एक प्रमुख समाज सेविका |
• सम्पर्क सूत्र: E-mail: katyayanpurnima@gmail.com
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