कुछ है रीता, कुछ है बीता, कुछ है खोया, कुछ है पाया |
बीते कल में जाने हमने क्या कुछ खोया क्या कुछ पाया ||
क्या खोया ये ग़म ही क्यों हो, क्या पाया ये भ्रम ही क्यों हो |
खोना पाना रीत जगत की, इसका भला वहम ही क्यों हो ||
आशाओं से भरी सुबह का करना है अब स्वागत दिल से |
इसीलिये मस्ती में भरकर करें विदा अब बीते कल को ||
आओ छेड़ें मधुर रागिनी, मन के तारों को सहलाकर |
प्यार और उल्लास में भरकर बीते कल को करे विदा जो ||
गत वर्ष को आदरपूर्वक विदा करते हुए कल से आरम्भ होने वाले नव वर्ष की
सभी को हार्दिक एवं मांगलिक शुभकामनाएँ
कुछ है रीता, कुछ है बीता, कुछ है खोया, कुछ है पाया |
बीते कल में जाने हमने क्या कुछ खोया क्या कुछ पाया ||
क्या खोया ये ग़म ही क्यों हो, क्या पाया ये भ्रम ही क्यों हो |
खोना पाना रीत जगत की, इसका भला वहम ही क्यों हो ||
आशाओं से भरी सुबह का करना है अब स्वागत दिल से |
इसीलिये मस्ती में भरकर करें विदा अब बीते कल को ||
आओ छेड़ें मधुर रागिनी, मन के तारों को सहलाकर |
प्यार और उल्लास में भरकर बीते कल को करे विदा जो ||
गत वर्ष को आदरपूर्वक विदा करते हुए कल से आरम्भ होने वाले नव वर्ष की
सभी को हार्दिक एवं मांगलिक शुभकामनाएँ