रात भर छाए रहे हैं, मेघ बौराए रहे हैं
देख बिजली का तड़पना, मेघ इतराए रहे हैं |
बाँध कर बूँदों की पायल, है धरा भी तो मचलती
रस कलश को कर समर्पित, माघ हर्षाए रहे हैं ||
पहन कर परिधान सतरंगी, धरा भी है ठुमकती
रास धरती का निरख कर, माघ ललचाए रहे हैं |
तन मुदित, हर मन मुदित, और मस्त सारी चेतना है
थाप देकर धिनक धिन धिन, मेघ लहराए रहे हैं ||
सुर से वर्षा के उमंगती रागिनी मल्हार की है
और पवन की बाँसुरी सुन, मेघ पगलाए रहे हैं |
मस्त नभ निज बाँह भरकर चूमता है इस धरा को
करके जल थल एक देखो, मेघ इठलाए रहे हैं ||
• कवियित्री, लेख िका, ज्योतिषी | ज्योतिष और योग से सम्बन्धित अनेक पुस्तकों का अंग्रेज़ी से हिन्दी में अनुवाद | कुछ प्रसिद्ध मीडिया कम्पनीज़ के लिये भी लेखन | प्रकाशित उपन्यासों में अरावली प्रकाशन दिल्ली से देवदासियों के जीवन संघर्षों पर आधारित उपन्यास “नूपरपाश”, भारत के मध्यमवर्गीय परिवारों में नारियों के संघर्षमय जीवन की झलक प्रस्तुत करता भारतीय पुस्तक परिषद् दिल्ली से प्रकाशित उपन्यास “सौभाग्यवती भव” और एशिया प्रकाशन दिल्ली से स्त्री पुरुष सम्बन्धों पर आधारित उपन्यास का प्रथम भाग “बयार” विशेष रूप से जाने जाते हैं | साथ ही हिन्दी अकादमी दिल्ली के सौजन्य से अनमोल प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित “मेरी बातें” नामक काव्य संग्रह भी पाठकों द्वारा काफी पसन्द किया गया | • WOW (Well-Being of Women) India नामक रास्ट्रीय स्तर की संस्था की महासचिव के रूप में क्षेत्र की एक प्रमुख समाज सेविका | • सम्पर्क सूत्र: E-mail: katyayanpurnima@gmail.com
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