शब्दों का अस्तित्व यही, पल भर में व्यर्थ वो हो जाते हैं
किन्तु मौन की भाषा को सब युगों युगों तक दोहराते हैं |
पल भर को एक कथा सुनाकर शब्द राह अपनी चल देते
किन्तु मौन में जड़े शब्द निज छाप अमिट पड़वा जाते हैं ||
शब्दों से कोलाहल बढ़ता, नित नवीन कोई घटना घटती
और विचित्र कोई अर्थ बताकर इतिहासों में गुम हो रहती |
किन्तु मौन के अर्थ अनेकों, शान्त हृदय से समझे जाते
और नया एक काव्य रचाकर अजर अमर वो हो जाते हैं ||
शब्दों का क्या, होठों पर आते ही बासी हो जाते हैं
और पकड़ ले अगर लेख नी, मूक चित्र तब बन जाते हैं |
किन्तु मौन की अथक साधना में है देखो कितनी क्षमता
भाव होठ तक आते आते अमृत ही बरसा जाते हैं ||
बिना मौन का साधन करके शब्द अगर होठों पर आते
अर्थहीन, बलहीन बने वे भाव नहीं पूरे कह पाते |
पलें मौन के गर्भ तो उनमें अनगिन भाव तरंगित होते
अमिट छाप तब छोड़ें मन पर, सार्थकता वे पा जाते हैं ||
इसीलिये अर्थों को खोजो मौन की गहराई में जाकर
मत उलझाओ शब्दों में उनकी उस अनुपम सुंदरता को |
शब्दों का अस्तित्व शून्य है, पल भर में ही खो जाएगा
मौन की भाषा में सजकर ही शब्द अमरता पा जाते हैं ||
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शब्दों का अस्तित्व यही, पल भर में व्यर्थ वो हो जाते हैं
किन्तु मौन की भाषा को सब युगों युगों तक दोहराते हैं |
पल भर को एक कथा सुनाकर शब्द राह अपनी चल देते
किन्तु मौन में जड़े शब्द निज छाप अमिट पड़वा जाते हैं ||
शब्दों से कोलाहल बढ़ता, नित नवीन कोई घटना घटती
और विचित्र कोई अर्थ बताकर इतिहासों में गुम हो रहती |
किन्तु मौन के अर्थ अनेकों, शान्त हृदय से समझे जाते
और नया एक काव्य रचाकर अजर अमर वो हो जाते हैं ||
शब्दों का क्या, होठों पर आते ही बासी हो जाते हैं
और पकड़ ले अगर लेखनी, मूक चित्र तब बन जाते हैं |
किन्तु मौन की अथक साधना में है देखो कितनी क्षमता
भाव होठ तक आते आते अमृत ही बरसा जाते हैं ||
बिना मौन का साधन करके शब्द अगर होठों पर आते
अर्थहीन, बलहीन बने वे भाव नहीं पूरे कह पाते |
पलें मौन के गर्भ तो उनमें अनगिन भाव तरंगित होते
अमिट छाप तब छोड़ें मन पर, सार्थकता वे पा जाते हैं ||
इसीलिये अर्थों को खोजो मौन की गहराई में जाकर
मत उलझाओ शब्दों में उनकी उस अनुपम सुंदरता को |
शब्दों का अस्तित्व शून्य है, पल भर में ही खो जाएगा
मौन की भाषा में सजकर ही शब्द अमरता पा जाते हैं ||