चितिरूपेण या कृत्स्नमेतद्व्याप्य स्थिता जगत् ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥
कल विजयादशमी का पर्व मनाया जाएगा | कल सभी के लिए बहुत व्यस्तताओं भरा दिन होगा – किसी के घर अपराजिता देवी की पूजा अर्चना की जाएगी, तो किसी के घर भाइयों के कानों में नौरते रखकर उनके सफल और सुखी जीवन की कामना की जाएगी, कहीं रामलीला की समाप्ति और भगवान राम की विजय के उपलक्ष्य में रावणदहन की लीला सम्पन्न की जाएगी तो कहीं देवी की प्रतिमा विसर्जन का कार्यक्रम होगा | इसलिए सोचा क्यों न आज ही सभी मित्रों को विजयादशमी का शुभकामना सन्देश प्रेषित किया जाए | तो मित्रों एक दिन पूर्व ही से सभी को इस पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ |
सामान्य रूप से इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए मनाया जाता है | आज ही के दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था और इसी जीत के उपलक्ष्य में विजयादशमी का पर्व मनाया जाता है | लेकिन इस पर्व का एक महत्त्व और भी है – आज ही अपराजिता देवी की पूजा अर्चना भी की जाती है | जैसा कि नाम से ही स्पष्ट होता है – यह रूप देवी का ऐसा रूप है जो अपराजिता है – अर्थात् जिसकी कभी पराजय न हो सके – जो सदा विजयी रहे – जिसे कभी जीता न जा सके | इसीलिए नौ दिनों तक देवी के विविध रूपों की पूजा अर्चना करने के बाद विजयादशमी यानी दशम् नवरात्र को अपराजिता देवी की पूजा अर्चना के साथ नवरात्रों का पारायण होता है | जीवन में सब प्रकार के संघर्षों पर विजय प्राप्त करने हेतु देवी अपराजिता की पूजा की जाती है | मान्यता है कि देवी अपराजिता अधर्म का आचरण करने वालों का विनाश करके धर्म की रक्षा करती हैं | यही कारण है कि इस दिन शस्त्र पूजा का भी विधान है |
देवी अपराजिता सिंह पर सवार मानी जाती हैं और इनके अनेक हाथों में अनेक प्रकार के अस्त्र होते हैं जो इस तथ्य का अनुमोदन करते हैं कि किसी प्रकार की भी बुरी शक्तियाँ, किसी प्रकार का भी अनाचार, किसी प्रकार का भी अ ज्ञान का माँ अपराजिता नाश करने में सक्षम हैं | यद्यपि अपराजिता देवी की अर्चना से सम्बन्धित विधि विधान विस्तार में तो तन्त्र ग्रन्थों में उपलब्ध होते है – जो निश्चित रूप से देवी के उग्र भाव की उपासना की विधि है | लेकिन देवी के स्नेहशील रूप की उपासना के मन्त्र देवी पुराण और दुर्गा सप्तशती में उपलब्ध होते हैं जिनमें अपराजिता देवी के स्नेहशील मातृ रूप को भली भाँति दर्शाया गया है |
ऐसा भी माना जाता ही कि देवी अपराजिता शमी वृक्ष में निवास करती हैं और इसीलिए कुछ स्थानों पर लोग विजयादशमी के दिन शमी वृक्ष की भी पूजा का भी विधान है |
अपने इस रूप में देवी समस्त प्रकार की नकारात्मकता और कठिनाइयों का विनाश करती हैं क्योंकि यही मनुष्य के सबसे बड़े शत्रु हैं |
व्यावहारिक दृष्टि से देखा जाए तो यह पर्व शक्ति और शक्ति के समन्वय का पर्व । नवरात्रि के नौ दिन जगदम्बा की उपासना करके शक्तिशाली बना हुआ मनुष्य प्रत्येक क्षेत्र में विजय प्राप्ति के लिए तत्पर रहता है | नवदुर्गा के सम्मिलित स्वरूप अपराजिता देवी की कृपा से उसके मार्ग के समस्त कंटक दूर हो जाते हैं और उसके प्रत्येक प्रयास में उसे सफलता प्राप्त होती है । इसीलिए क्षत्रिय अपने अस्त्रों की पूजा करते हैं, अध्ययन अध्यापन में लगे लोग अपनी शास्त्रों की पूजा करते हैं, कलाकार अपने वाद्ययन्त्रों की पूजा करते हैं – यानी हर कोई अपने अपने क्षेत्र में सफलताप्राप्ति की कामना से माँ अपराजिता देवी की पूजा अर्चना करने के साथ ही अपने उपयोग में आने वाली वस्तुओं की भी पूजा अर्चना करते हैं |
आश्विनस्य सिते पक्षे दशम्यां तारकोदये ।
स कालो विजयो ज्ञेयः सर्वकार्यार्थसिद्धये ||
मम क्षेमारोग्यादिसिद्ध्यर्थं यात्रा यां विजयसिद्ध्यर्थं |
गणपतिमातृकामार्गदेवतापराजिताशमीपूजनानि करिष्ये ।|
अपराजिता देवी हम सबको जीवन के हर क्षेत्र में विजय दिलाती हुई समस्त प्रकार की नकारात्मकता और अज्ञान रूपी शत्रुओं का नाश करें इसी भावना के साथ सभी को विजया दशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ…