आषाढ़ मास के प्रमुख व्रतोत्सव
आषाढ़ मास – 5 जून से 3 जुलाई – के व्रतोत्सव
नारद जयन्ती, गंगा दशहरा, निर्जला एकादशी और वट सावित्री के पर्व मनाते हुए ज्येष्ठ पूर्णिमा के साथ रविवार 4 जून को ज्येष्ठ मास समाप्त होकर सोमवार 5 जून से आषाढ़ मास आरम्भ हो जाएगा | प्रतिपदा तिथि का आगमन चार जून को प्रातः नौ बजकर बारह मिनट के लगभग कर्क लग्न, बालव करण और सिद्ध योग में होगा जो पाँच जून को प्रातः 6:39 तक रहेगी | पाँच जून को 5:23 पर सूर्योदय है अतः इसी समय मासारम्भ का पुण्यकाल माना जाएगा |
आषाढ़ माह का वैदिक नाम शुचि है तथा इसमें दोनों आषाढ़ – यानी पूर्वाषाढ़ और उत्तराषाढ़ आते हैं | शुचि मास में शुक्ल चतुर्दशी-पूर्णिमा को पूर्वाषाढ़ नक्षत्र का उदय होता है और उसके बाद आता है उत्तराषाढ़ नक्षत्र | यही कारण है कि इस माह का हिन्दी नाम आषाढ़ है | इस मास में भगवान विष्णु चार मास के लिए शयन के लिए चले जाते हैं – इसीलिए इस मास से ही चातुर्मास – जिसे लोक भाषा में चौमासा कहा जाता है और जो आषाढ़ शुक्ल एकादशी यानी देवशयनी एकादशी से आरम्भ होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी
यानी देवोत्थान एकादशी तक चलता है – आरम्भ हो जाता है | अर्थात अर्द्ध आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद,
आश्विन तथा अर्द्ध कार्तिक माह चातुर्मास के अन्तर्गत आते हैं | इस अवधि में पारम्परिक रूप से ब्याह शादी अथवा नूतन गृह प्रवेश जैसे कार्यों की मनाही होती है | इस वर्ष दस जुलाई से लेकर चार नवम्बर तक चातुर्मास की अवधि है |
हमारा मानना है कि वर्षा के ये चार महीने कृषि के लिए बहुत उत्तम माने गए हैं – इसलिए इस मास को कृषकों का मास भी कहा जाता है | किसान विवाह आदि समस्त सामाजिक उत्तरदायित्वों से मुक्त रहकर इस अवधि में पूर्ण मनोयोग से कृषि कार्य कर सकता था | आवागमन के साधन भी उन दिनों इतने अच्छे नहीं थे | चौमासे के कारण सूर्य चन्द्र से प्राप्त होने वाली ऊर्जा भी मन्द हो जाने से जीवों की पाचक अग्नि भी मन्द पड़ जाती है | साथ ही वर्षा के कारण जो स्वच्छ और ताज़ा हवा प्राप्त होती है वह समस्त प्रकृति को एक अनोखे आनन्द से भर देती है | ऐसे सुहावने मौसम में भला किसका मन होगा जो सामाजिक उत्तरदायित्वों के विषय में सोच विचार करे | अस्तु, इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए जो व्यक्ति इन चार महीनों में जहाँ होता था वहीं आनन्द पूर्वक निवास करते हुए अध्ययन अध्यापन करते हुए आध्यात्मिक उन्नति का प्रयास करता था तथा खान पान पर नियन्त्रण रखता था ताकि पाचन तन्त्र उचित रूप से कार्य कर सके | इस मास में ऊर्जा के स्तर को नियन्त्रित रखने के लिए जल तथा सूर्य की उपासना को महत्त्व दिया जाता है | स्वास्थ्य की दृष्टि से देखें तो इसी महीने में वर्षाकाल आरम्भ हो जाता है जिसके कारण रोगों के संक्रमण में भी वृद्धि हो जाती है – क्योंकि यह ऋतुओं का सन्धि काल होता है | अतः इस महीने में खान पान पर नियन्त्रण रखने का तथा स्वच्छता की ओर विशेष रूप से ध्यान देने का सुझाव दिया जाता है – और सम्भवतः इसी कारण से इस मास का वैदिक नाम शुचि है |
अस्तु, इस मास में आने वाले सभी पर्वों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ प्रस्तुत है मास के प्रमुख व्रतोत्सवों की सूची...
सोमवार 5 जून – आषाढ़ कृष्ण प्रतिपदा / आषाढ़ मास का आरम्भ
शुक्रवार 9 जून – आषाढ़ कृष्ण षष्ठी / पंचक आरम्भ प्रातः 6:02 पर / चोर पंचक
मंगलवार 13 जून – आषाढ़ कृष्ण दशमी / पंचक समाप्त अपराह्न 1:32 पर
बुधवार 14 जून – आषाढ़ कृष्ण एकादशी / योगिनी एकादशी गुरुवार 15 जून – आषाढ़ कृष्ण द्वादशी
/ प्रदोष व्रत / मिथुन संक्रान्ति / सूर्य का मिथुन में गोचर
शनिवार 17 जून – आषाढ़ कृष्ण चतुर्दशी / अन्वाधान / दर्श अमावस्या
रविवार 18 जून – आषाढ़ अमावस्या / इष्टि
सोमवार 19 जून – आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा / आषाढ़ गुप्त नवरात्र आरम्भ
मंगलवार 20 जून – आषाढ़ शुक्ल द्वितीया / जगन्नाथ रथयात्रा
गुरुवार 29 जून – आषाढ़ शुक्ल एकादशी / देवशयनी एकादशी / चातुर्मास आरम्भ / वर्षाकाल
आरम्भ
शनिवार 1 जुलाई – आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी / प्रदोष व्रत / जया पार्वती व्रतारम्भ
रविवार 2 जुलाई – आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी / कोकिला व्रत
सोमवार 3 जुलाई - आषाढ़ पूर्णिमा / व्यास पूजा / गुरु पूर्णिमा / आषाढ़ मास समाप्त हम सभी
अपने गुरुजनों का सम्मान करें इसी कामना के साथ आषाढ़ मास में आने वाले सभी पर्व सभी के लिए मंगलमय हों...