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लौटा दो!

19 नवम्बर 2022

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मानिनी'' का जब भी देखो , किसी न किसी बात पर'' मेहुल'' से झगड़ा हो ही जाता है।आज भी मेहुल बिना खाना खाये घर से निकल गया। उसने कहा भी ,कि खाना खाकर जाओ !लेकिन मेहुल ने गुस्से में उसकी किसी भी बात पर ध्यान नहीं दिया। जब नई -नई शादी हुई थी तो मेहुल के इस तरह खाली पेट घर से जाने पर वो बहुत ही दुःखी और परेशान हो जाती थी क्योंकि उसकी मम्मी कहा करती थी -घर से आदमी को ख़ाली पेट बाहर नहीं जाना चाहिए ,मम्मी किसी को भी भूखे पेट बाहर नहीं जाने देतीं थीं। यही बात मानिनी ने भी गाँठ बांध ली थी।  वह ज्यादा से ज्यादा कोशिश करती कि मेहुल  को समय पर खाना दे लेकिन जब से उनके झगड़े बढ़े हैं, वो भूखा ही घर से निकल जाता। वो अपना गुस्सा खाने पर ही निकालता जिस कारण, बाद में मानिनी परेशान रहती लेकिन अब वो उसको  चलते समय खाने को कहती ,मेहुल के न खाने पर कहती -न खाएं ,इनका रोज -रोज का ही ड्रामा हो गया, कहकर स्वयं ही खाने बैठ गयी लेकिन गुस्से और दुःख के कारण मन ही नहीं किया और स्वयं भी जाकर अपने बिस्तर पर लेट गयी और सोचने लगी -अभी दो ही साल तो हुए हैं हमारी शादी को वो भी नौकरी और बाहर के सारे काम ख़ुशी -ख़ुशी संभाल लेती लेकिन जैसे -जैसे समय बीता उसे भी काम के लिए मदद की आवश्यकता होती तो उसने महसूस किया कि मेहुल तो मदद के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं होता और बैठे -बैठे उससे ही काम करवाता रहता। 
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              उसकी अपनी कोई परेशानी होती तो सहयोग तो दूर, उसे झिड़क देता ,वो तो किसी भी तरह की जिम्मेदारी या सिरदर्दी लेना ही नहीं चाहता था। काम पर जाता और आराम करता। जैसे सभी कामों का ठेका मैंने ही लिया हो। किसी बात को लेकर उसे समझाती तो झुंझलाने लगता। कुछ समझना ही नहीं चाहता। सामने शर्माजी को देखो पत्नी के हर काम में सहयोग  करते हैं । मेहुल की ये बातें मुझे कतई अच्छी नहीं लगतीं, मैं उसके आलस को देर से समझी। कल को अगर बच्चे होंगे, तो मैं क्या -क्या करूंगी? धीरे -धीरे झगड़े इतने बढ़े  कि मानिनी अपने मायके आ गयी। उसने अपनी समस्या अपने घरवालों को बताई तो मम्मी को बहुत ही गुस्सा आया और उन्होंने उसकी सास के साथ ही झगड़ा कर लिया बोलीं -तुम्हारा बेटा ही नहीं कमाता, मेरी बेटी भी कमाती है ,वो हमारी बेटी है कोई नौकरानी नहीं।  वे भी कोई कम न थीं बोलीं -तुम्हारी बेटी कौन से'' तीर मार रही '' है कौन से बड़े परिवार का काम कर रही है। पति -पत्नी दोनों ही तो हैं उसमें भी मेरे बेटे से काम करवाने का प्रयत्न करती है ,अपने ही काम नहीं होते। घर आने का कोई फायदा नहीं हुआ और बात बढ़  ही गयी  
          किसी ने भी बात को बैठकर सुलझाने का प्रयत्न नहीं किया। दूर रहने से दूरियां और बढ़ गयीं। न ही मेहुल ने फोन किया न ही मानिनी ने। दोनों के ही घरवालों ने एक -दूसरे की कमी बताकर'' आग में घी'' का काम किया। मानिनी सोचती ,-क्या मेहुल को मेरी बिल्कुल चिंता नही? एक बार भी फोन करके पूछा नहीं कि तुम कैसी हो या अपने घर आ जाओ। उधर  मेहुल सोचता -उसका अपना घर था, कभी उसे किसी बात के लिए रोका नहीं, अपने आप गयी है ,आने के लिए एक फोन तो कर सकती ही है कि मेहुल मुझे आकर ले जाओ। एक बार मेहुल ने फोन किया भी , वो फोन उठाने भागी भी उससे पहले ही उसकी मम्मी ने दो -चार बातें सुनाकर रख दिया। मुझे अपने घर रहते आठ माह हो गए ,इस बीच मैंने देखा -भाभी घर का सारा काम संभालती ,मेरे यहाँ से तो ज्यादा ही काम था ऊपर से मैं भी आ  गयी। एक दिन भाभी से पूछा -आप तो सारा दिन थक जाती होंगी। वो बोलीं -दीदी ,अपना और अपनों का ही तो काम है। आपके भइया भी यही सोचें कि मैं ही कर रहा हूँ तो काम कैसे चलेंगे ?समय आने पर सहयोग भी तो ये ही करेंगे। परिवार में हर व्यक्ति का कुछ न कुछ सहयोग होता ही है। अब आप पापाजी को ही देख लीजिये वो कुछ काम नहीं करते लेकिन घर की देखभाल ही हो जाती है उनकी जिम्मेदारी पर  हम घर से बाहर चले जाते हैं। 
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            यहाँ तो घरवालों ने हमसे पूछा ही नहीं और तलाक़ का नोटिस भी भिजवा दिया। ऐसा लगता कि झगड़ा मेरे और मेहुल के बीच नहीं दो परिवार वालों के बीच है। जब किसी में हम बुराई देखते हैं तो बुराइयाँ ही दिखतीं हैं। मैं अपने माता -पिता का सहयोग समझ अपने को ही सही ठहरा रही थी। मायके में पड़े अब एक वर्ष बीत गया। सुबह मन करता मेहुल मेरे सामने आ जाये ,अपने घर की याद सताती। भाई -भाभी को देखा, उनमें भी झगड़े होते फिर कुछ समय बाद ही हँसने -बोलने लगते। अब मुझे अपनी गलती नजर आ रही थी ,मैंने ही झगड़े को ज्यादा बढ़ा दिया ,झगड़े किस पति -पत्नी में नहीं होते ?घर छोड़कर थोड़े ही आ जाते हैं। मेरी जिंदगी किस तरह की हो गयी है ?एक दिन  बाज़ार में श्रीमती शर्मा मिलीं ,मुझे देखते ही बोलीं -बहुत दिनों से आप दिखीं नहीं।  हाँ यहाँ मम्मी के यहाँ आई हुयी हूँ मानिनी बोली। कहीं कुछ परेशानी तो नहीं उन्होंने नजरों से परखते हुए कहा। नहीं ,नहीं मानिनी बोली। तभी बोलीं -मेरा भी शर्माजी से झगड़ा हो गया।  क्यों, कैसे वो तो बहुत अच्छे हैं मैंने एकाएक पूछा। अच्छा हैं वे मुँह बनाकर बोलीं ,वे बहुत ही शक्की हैं। काम में मेरी इसीलिए सहायता भी करते थे बाहर जाऊँगी तो न जाने किससे मिलूँ ? इसी कारण मेरी नौकरी भी छुड़वा  दी। एकदम बंधन कर दिया उन्होंने ,भला ऐसे भी कोई जी सकता है। आज भी मैं अपने मायके के बहाने कुछ काम से बाज़ार आई। तुमसे कभी मिलें तो इस बात का ज़िक्र मत करना कि मैं तुम्हें यहां मिली थी और वो तेजी से चली गयीं लेकिन मेरी आँखे खोल गयीं। दूर से ही किसी की सच्चाई का पता नहीं चलता। अब तो मुझे अपने फैसले पर दुःख हो रहा था। 
            एक दिन मैं अपने दफ्तर से पैदल ही लौट रही थी तभी एक गाड़ी मेरे पास आकर रुकी मैंने देखा वो तो मेहुल की गाड़ी है उसने मुझे गाड़ी के शीशे में से देख लिया था। मेहुल को इतने दिनों बाद अपने सामने खड़ा देखकर मेरा दिल जोर -जोर से धड़कने लगा ,मेरी तो जैसे बोलती ही बंद हो गयी। वो बोले -तुम यहाँ पैदल कहाँ घूम रही हो?  एकदम से उसकी बातें सुन गुस्सा भी आया -तुम्हें क्या ?चलो गाड़ी में बैठो !वो बोला। नहीं ,कहकर मानिनी चलने लगी लेकिन मेहुल ने उसे खींचकर अंदर बिठाया बोला -अभी भी मैं तुम्हारा पति हूँ। इतने दिनों बाद अपना अधिकार याद आया ,आँखों के कोरों में आये आँसू को छिपाते हुए बोली। अच्छा तुम ये बताओ पैदल कहाँ घूम रहीं थीं ?मेहुल ने बात आगे बढ़ाते हुए कहा। मानिनी गुस्सा होते हुए बोली -जिसका अपने पति से झगड़ा हो ,तलाक़ का केस चल रहा हो ऐसी औरतें तो धक्के ही खाती हैं। मेहुल बोला -ताने मारने से बाज नहीं आओगी और मुस्कुरा दिया। एक क्षण उसने मेहुल को नज़र भर देखा। हल्की दाढ़ी बढ़ी है उसके चेहरे से थकावट साफ झलक रही थी आँखें भी ऐसी लग रहीं थीं जैसे नींद भी पूरी न हुई हो।पहले तो कैसे चेहरे पर चमक रहती थी? अब देखो। फिर उससे अपने को रोका ही नहीं गया बोली - ये क्या हाल बना रखा है ?क्यों? ठीक तो है, फिर उसकी तरफ देखते हुए बोला -तुम भी तो देखो कैसी हो गयी हो ?न  ही कोई साज -शृंगार ,अभी तो मैं हूँ। बस चुप रहो! इससे पहले वो  कुछ और कहता ,मानिनी बीच में ही बोल उठी। 
           गाड़ी अपनी रफ़्तार से बढ़ी जा रही थी ,थोड़ी देर में गाड़ी जहाँ रुकी उस जगह को देखकर बोली -ये तुम मुझे कहाँ ले आये ?जहाँ तुम्हें होना चाहिए ,घर का दरवाजा खोलते हुए मेहुल बोला -ये ही तुम्हारी असली जगह है। अंदर आकर मानिनी ने देखा ,सारा घर अस्त -व्यस्त था। मेहुल ने उसकी प्यार से लायी सभी चीजें ढ़ककर रख रखी थीं। ये सब चीजें ढ़की क्यों है मानिनी बोली। ताकि कल को तुम ये न कहो कि मेरा सारा सामान गंदा या पुराना कर दिया। तुम्हारा जो सामान जैसा था ,वैसा ही है। मैंने तुम्हारी हर चीज को संभालकर रखा है। अब तुम भी मेरे वो बीते दिन लौटा दो 'जब हम एक -दूसरे के साथ प्यार से रहते थे वो ख़ुशनुमा रातें मैं तुम्हारा आलिंगन कर चैन से सोता था। मेरी जिंदगी की वो बेफ़िक्री ,जो तुम्हारे साथ रहने पर थी। मेरा वो प्यार , वो चेहरा जिसे देखकर मेरी सुबह और रात
article-imageहोती थी। मैं मानता हूँ ,मेरी कुछ गलतियाँ होंगी फिर भी तुम मुझे माफ़ कर ,मेरी जिंदगी का सुकून लौटा दो। मैं भी अपना कुछ सामान मांगती हूँ। मेरा सामान ये सब नहीं जो तुमने ढ़ककर रखा है मेरे लिए तो तुम्हारा खिला चेहरा ही मेरा अरमान है, मैंने तो तुम्हें गाड़ी में ही क्षमा कर दिया था। मैं भी अपनी जिंदगी के वो ही ख़ुशनुमा पल माँगती हूँ ,मेरी जिंदगी की वो हँसी ,तुम्हारे साथ बिताये वो सुनहरे पल मुझे लौटा दो। मैं फिर से वो पल जीना चाहती हूँ। मेहुल बोला -फिर वो तलाक़ ?वो तो तुम्हारी तरफ से आया था ,मेरी तो कोई इच्छा नहीं थी। मैं तो चाहती थी कि तुम मुझे लेने आओ लेकिन तुमने नोटिस भेज दिया। मैं भी नहीं चाहता था ,ये हमारे घरवाले ही हमारे 'गर्म तवे पर अपने अहं की रोटियां सेक रहे थे'। अब तुम यहीं रहो। नहीं ,कल मुझे मेरे घर से लेकर आना वरना घरवाले सोचेंगें कि किसके साथ भाग गयी ?कहकर दोनों हँस पड़े। 
              अगले दिन मेहुल ,मानिनी को लेने उसके घर पहुंचा। घरवाले अचम्भित थे, उधर मानिनी भी तैयार थी। मम्मी ने पूछा भी- ये क्या हो रहा है ?मानिनी बोली -कुछ नहीं ,मैं अपने घर जा रही हूँ ,उसी की तैयारी हो रही है, फिर दोनों ने खाना खाया। माँ बोली -वो जो केस चल रहा है ,उसका क्या ?मैंने तो नहीं माँगा था तलाक ,अब आप लोग लड़ते रहें अपने अहम की लड़ाई। मुझे इनका कुछ सामान लौटाना है और इन्हें मेरा मुस्कुराकर बोली। दोनों अपने घर को फिर से बसाने चल पड़े ।
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रचनाएँ
प्रेरक कहानियाँ
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ज़िंदगी में अनेक घटनाएँ -दुर्घटनाइयें,होती हैं,ज़िंदगी जाने -अंजाने अनेक परेशानियों से गुजरती है,इस ज़िंदगी में अनेक रिश्ते भी होते हैं जिनसे हमें कुछ न कुछ सीख मिलती है,सीखने की कोई उम्र नहीं होती चाहे कोई छोटा हो या बड़ा। जीवन में हर पल कुछ न कुछ सीख या प्रेरणा मिल ही जाती है कई बार कुछ सोचने को मजबूर जाती हैं ये कहानियाँ,कई बार आईना दिखा जाती हैं,ये कहानियाँ । इन कहानियों में जीवन के अनेक रंग देखने को मिलेंगे,सही या गलत सोचने पर मजबूर हैं ये कहानियाँ!
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जड़ें

7 नवम्बर 2022
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सुरेश को पढ़ाया -लिखाया ,किसी क़ाबिल बनाने का प्रयत्न किया। वो बाहर गया तो उसे सब बहुत ही अच्छा लगा, बाहर की दुनिया इतनी खूबसूरत है, सब कुछ अच्छा लगता है। उसने अपनी पढ़ाई पूरी की और बाहर ही रहने का फैसला

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बड़ी बहु

8 नवम्बर 2022
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शर्मा जी के बड़े बेटे का विवाह बड़ी धूमधाम से हुआ ,बेटा -बहु दोनों पढ़े -लिखे।लड़की का घर -, परिवार के लोग भी बहुत ही अच्छे हैं। सुंदर होने के साथ -साथ , संस्कारी बहु मिली है ,शर्मा जी के तो जैसे भा

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अनदेखा, अनसुना

9 नवम्बर 2022
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प्रातः काल का समय था ,हल्की ठंड भी पड़ रही थी। एक महिला ,अपनी बेटी के संग ,मेरे घर के दरवाज़े पर खड़ी थी। सुबह -सुबह कौन आ गया ?मैंने थोड़ा परेशान होते हुए ,निर्मला को देखने के लिए भेजा। अब मैं

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वो रात......

10 नवम्बर 2022
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वो रात.... वो रात्रि मेरे लिए ही थी ,मेरे लिए ही तो... सभी कार्य हो रहे थे ,सभी मेरे आगे -पीछे घूम रहे थे। उस रात्रि की'' मल्लिका'' मैं ही थी ,कुछ वर्ष पहले ही तो ,मैं अपने' पापा

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दुःस्वपन

11 नवम्बर 2022
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दीप्ती अति शीघ्रता से अपनी बिल्डिंग से नीचे आती है ,और गाड़ी में बैठकर चल देती है। आज वो देर से उठी, जिस कारण उसे देरी हो रही थी। वो अपनी गाड़ी को ,अपने दफ़्तर की ओर ,तेज़ गति से दौड़ा रही थी। आज &nbs

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शापित जीवन

12 नवम्बर 2022
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शापित कोई स्थान ,व्यक्ति अथवा कोई वस्तु नहीं होती ,वरन शापित उसका अपना जीवन ही हो जाता है। जिस जीवन को, वो जी रहा है ,उस जीवन को जीते -जी ठीक से नहीं जी पाता। लोग कहते हैं -''ये जीवन अमूल्य है ''&nbsp

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हद- बेहद

14 नवम्बर 2022
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गोलियों की बौछार का सामना करते हुए, वो आगे बढ़ रहे थे। दुश्मन भी कम नहीं था ,हम उनके लोगों को मारते ,फिर भी न जाने कहाँ से और बढ़ जाते। क्या हमसे कोई खेल खेल रहे थे ?निश्चित स्थान से ,हम आगे

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मेरे साथ ही क्यों?

15 नवम्बर 2022
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बहु.......... जी माँजी ,कहते हुए ,पारुल तेज गति से उनके समीप आई। तुझसे कितनी बार कहा है ?उस बड़े कमरे की सफाई कर देना ,जब

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देर रात

17 नवम्बर 2022
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तृप्ति ,डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही थी ,मम्मी -पापा की लाड़ली ,मम्मी का सपना था कि बड़ी होकर ,तृप्ति डॉक्टर बने। वो ''दिल ''की डॉक्टर बनना ,चाह रही थी किन्तु एक समय परिस्थिति ऐसी बनी कि वो जच्चा -बच्चा

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लौटा दो!

19 नवम्बर 2022
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मानिनी'' का जब भी देखो , किसी न किसी बात पर'' मेहुल'' से झगड़ा हो ही जाता है।आज भी मेहुल बिना खाना खाये घर से निकल गया। उसने कहा भी ,कि खाना खाकर जाओ !लेकिन मेहुल ने गुस्से में उसकी किसी भी बात पर

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नई उड़ान

22 नवम्बर 2022
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रमा बड़ी बेचैनी से बार -बार मंच की तरफ देख रही थी ,फिर उठकर अंदर की तरफ चली गयी। वहाँ जाकर देखा- सब ठीक है या नहीं, तभी दीपा के कपड़ों की एक डोर खुली नज़र आई ,उसने दीपा को टोका और अपनी स

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जसोदा

24 नवम्बर 2022
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जसोदा पढ़ी -लिखी नौकरी पेशा महिला है ,माँ -बाप ने खूब चाहा कि ये पढ़े न ,और विवाह करके अपना घर बसा ले, किन्तु उसके तो सपने ही अलग थे और वो इस तरह माता -पिता के दबाव में आने वाली भी नहीं थी। उसने तो पहले

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एकांत

24 नवम्बर 2022
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सुबह के पाँच बज चुके थे ,अलार्म बजे जा रहा था। वो अभी और सोना चाहती थी ,लेकिन क्या करे ? मजबूरी है उठना तो है ही ,फिर लेट हो जाउंगी। ये विचार आते ही उसने फुर्ती से अलार्म बंद किया और एकदम

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एक मुलाकात

22 मई 2023
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आज भी वही हुआ ,जिसका डर था , वो लोग चुपचाप चले गए। नंदिनी तो चाहती थी ,कि अभी जबाब मिल जाये ,किन्तु पति ने समझाया , उन्हें अपने घर जाकर सलाह -मशवरा तो करने दो ,एक -दो दिन में जबाब दे देंगे। सुरेश जी

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वो भयानक रात

23 मई 2023
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बड़ी भयावह वो काली अंधियारी रात्रि थी। मैं उस ठंडी सुनसान काली रात्रि को चीरता चला जा रहा था। ठंड भी अपने पूरे जोरों पर थी। दोस्त ने कहा भी था, आज यहीं आराम कर ले। जब इतनी दूर से आया है तो बेटी को विदा

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मुक्ति

30 मई 2023
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मौली अपने दोस्तों संग मस्त थी ,वो अपने दोस्तों के साथ गोवा घूमने जा रही है ,इसीलिये तैयारी में लगी है ,तभी उसके फोन की घंटी बजी। मौली ने नाम देखा और मुँह बनाते हुए ,फ़ोन पर बातें करने लगी -क्या मम्मी ,

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कड़वाहट

31 मई 2023
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चित्रा, कोई भी त्यौहार हो बड़े जोर -शोर से तैयारी करती है ,अब तो उसके सुहाग का त्यौहार ''करवा चौथ ''आ रहा है। आज बाजार गयी और नये कपडे ,शृंगार का सामान ,साथ ही बच्चों के कपड़े भी ले आई .बड़े उत्साह से

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असीमित आकाश

1 जून 2023
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काम तो प्रतिदिन का है, किन्तु आज रीमा के हाथों में जैसे बिजली लगी है ,वो प्रतिदिन से अधिक फुर्ती से कार्य कर रही है ,वह शीघ्र अति शीघ्र अपना कार्य निपटाने का प्रयत्न कर रही है। हो भी क्यों न ?क्य

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तूफान

2 जून 2023
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नवलकिशोर जी के मन में ,आज 'तूफान 'मचा है ,बाहरी वातावरण भी उसके सामने कोई मायने नहीं रखता। वो बस यूँ ही चले जा रहे हैं। कुछ समझ नहीं आता ,कहाँ जाएँ ,क्या करें ? दुनिया में देखा जाये ,तो आज के समय में

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हिजाब

3 जून 2023
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मानिनी कॉलिज में आती है ,आज तरन्नुम ने आने में देर कर दी। मानिनी और तरन्नुम दोनों अच्छी दोस्त हैं। दोनों ही साथ रहती हैं , एक ही कक्षा में ,साथ ही बैठती हैं। जिस दिन एक भ नहीं आती ,दूसरी का मन नही

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गुल्लक

4 जून 2023
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रेवती अपनी सास की, बड़े मन से सेवा करती थी ,उनकी हर चीज का ध्यान रखती थी ताकि किसी भी प्रकार की उन्हें परेशानी न हो। जब उनकी स्वयं की बहु आ आयीं ,तब भी उनके सम्पूर्ण कार्य स्वयं ही करतीं। उनकी सास यान

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फर्क

7 जून 2023
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इस माह नौचंदी का मेला लगने वाला है, किन्तु किसी को क्या फ़र्क पड़ता है ? जाना तो है नहीं ,जाकर भी क्या करना ,मेले में जाने के लिए भी तो, पैसा ही चाहिए। मेला तो पैसे से है ,पैसे वाल

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घर की याद

8 जून 2023
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पुलकित आँखें खोलकर देखता है ,वो बगीचे की बेंच पर लेटा था। अब उसे सब स्मरण हो जाता है। किस तरह वो अपने मम्मी -पापा से नाराज होकर ,घर से भाग आया ? पुलकित ऐसे ही किसी छोटे -मोटे परिवार से नहीं है। उसके

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मेरे साथ ही क्यों?

10 जून 2023
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बहु.......... जी माँजी ,कहते हुए ,पारुल तेज गति से उनके समीप आई। तुझसे कितनी बार कहा है ?उस बड़े कमरे की सफाई कर देना ,जब

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टास्क

12 जून 2023
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शादी के बाद उसने ससुराल में कदम रखा ही था ,कि सास के तीखे तेवर और गर्म मिज़ाज उसे कुछ ही दिनों में पता चल गए। उसने देखा कि जिस व्यक्ति से उसका विवाह हुआ है ,वो तो कुछ बोलता ही नहीं। जो चाहता है ,बस

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अधूरापन

14 जून 2023
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सुगंधा पिता के घर में रही ,अरमान तो बहुत थे ,किन्तु पिता के सख़्त कानून के कारण ,न कहीं आना , न कहीं जाना ,इच्छाएँ ,आकाश की अनंत ,ऊंचाइयों को छूना चाहती किन्तु उसका आसमान सीमित था। कुछ तो घर का अनुशा

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मिट्टी के खिलौने

15 जून 2023
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रामदीन कुम्हार ,प्रतिदिन जोहड़ से चिकनी मिटटी लाता और उसे पैरों से रोंद्ता ,जब वो मिटटी बर्तन बनाने लायक हो जाती तो उसे चाक पर रखकर ,बड़े क़रीने से ,सुंदर -सुंदर मिटटी के बर्तन बनाता। ये उसकी कला ही नह

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भाग्य का खेल

16 जून 2023
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आज मैं अपनी डायरी को ज़िंदगी के एक पहलू कहूँ या कुछ और, किन्तु इतना मैं अवश्य जानती हूँ ,उसे हम भाग्य अथवा क़िस्मत कहते है -इनके इशारों पर ही तो ,हमारी ज़िंदगी चलती है। हम सोचते हैं -जो भी कार्य हम कर रह

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माँ

17 जून 2023
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चम्पाकली 'ताई आज बहुत प्रसन्न है क्योकि उनके दो बेटे ,दो ही बहुएं हैं किन्तु ये उनकी प्रसन्नता का कारण नहीं ,उनकी प्रसन्नता का कारण ,उनका दादी बनना है। दोनों बहुएं ही गर्भवती थीं और अब दोनों ही माँ ब

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संगीत प्रेम

20 जून 2023
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काव्या बहुत ही प्यारी बच्ची है ,मन उसका बहुत ही कोमल है ,सबसे प्रेमपूर्ण व्यवहार करती। दुश्मनी ,लड़ाई क्या होती है ?जैसे वो जानती ही नहीं ,उसे तो सभी अपने ही नजर आते ,छल -कपट से तो उसका दूर -दूर तक वास

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समुद्र तट

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कार्तिक और मोना प्रतिदिन , अपने दफ्तर से आते समय कुछ देर ,समुन्द्र के तट पर बैठकर अपनी दिनभर की थकान मिटाते। मोना जब पहली बार अपने दफ्तर में आई ,तब उसकी सबसे पहले मुलाक़ात कार्तिक से ही हुई। कार्तिक न

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दरार

23 जून 2023
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पार्वती जी ,दुखी परेशान ,अपने कमरे में आती हैं और अपने पलंग पर बैठकर ,गहरी स्वांस भरती हैं और अपनी आँखें बंद कर लेती हैं। मैं कितना भी अच्छा सोच लूँ या कर लूँ ?किन्तु इसे अपना नहीं बना सकती ,ये 'दरा

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पहाड़ी प्रेम

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ज्योति...... ओ ज्योति....... ! दूर से आती, मौसी की आवाज सुनाई दी। आई मौसी ! कहकर मैं बंसी से बोली -कल आउंगी तब खेलेंगे ,अब मौसी बुला रही है। बंसी ने हाँ में गर्दन हिलाई और मैं ,दौड़ते हुए मौसी के

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भूतों से बातचीत

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नंदिनी जैसे ही , अपनी कक्षा में पहुंची -उसने देखा ,सभी बच्चे ,तुषार की सीट के पास खड़े हैं। ये सब क्या हो रहा है ?सभी बच्चे वहाँ क्या कर रहे हैं ? नंदिनी को देखते ही ,सभी बच्चे दौड़कर अपनी -अपनी सीट पर

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पैसा

2 जुलाई 2023
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रतनलाल जी ने कितना पैसा कमाया ? रात -दिन एक कर दिया। शानदार कोठी भी बनाई ,बच्चों को महंगे से महंगे स्कूल में पढ़ाया। सबकुछ तो उनके पास है ,किसी चीज की भी कमी नहीं ,पत्नी के पास भी जेवरों की कोई कमी नह

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गड़बड़ घोटाला

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मैं प्रतिदिन की तरह ,जब परिवार के सभी सदस्य अपने -अपने काम पर चले जाते ,तब घर की साफ -सफाई और बाहर बगीचे में पानी देना जैसे कार्य करती। एक दिन जब मैं अपने पौधों को पानी दे रही थी ,तभी मैंने देखा ,स्क

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रिश्तेदार जलते हैं!

4 जुलाई 2023
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कितनी ख़ुशी की बात है ?कीर्ति तुमने पढ़ाई पूरी करने के साथ -साथ ,तुम्हारी नौकरी भी लग गयी। एक पार्टी तो अवश्य बनती है। क्या ख़ाक पार्टी बनती है ?तुम सभी दोस्तों को ही पार्टी दूंगी ,मम्मी -पापा के लि

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कीमत, समय की

7 जुलाई 2023
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अतुल बहुत ही बिगड़ैल और अड़ियल है ,देखने में तो वो बहुत जचँता है ,उसे देखेंगे तो कह उठेंगे कि किसी बड़े घर का बेटा हो लेकिन उसका स्वभाव उसकी शक़्ल और व्यक्तित्व से बिल्कुल विपरीत है। वो न ही किसी की बात

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कीमती

9 जुलाई 2023
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राधा जब ,मोहन से मिली ,उसे देखते ही , अपना दिल दे बैठी ,मोहन की हालत भी कुछ ऐसी ही थी। पहली बार दोनों ,राधा की सहेली के घर पर,उसकी जन्मदिन की पार्टी में ,उससे मिली। जितनी खूबसूरत राधा लग रही थी, उतना

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मृत्यु पर विजय

10 जुलाई 2023
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पल -पल मरता है ,इंसान ! जीने की तमन्ना में ! टूटता है ,बिखरता है, जिन्दा रहने की चाह में !खो देता है ,अपनों का साथ ,जीता है स्वांसों में !स्वांसों का ही खेल है , जिन्दा रहने की आस में !कुछ लोग जी

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भूतिया हवेली

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श.... श.... श.... श.... आज आपको एक''अज़ीबो ग़रीब प्रेम की '' कहानी सुनाती हूँ। जानते हैं ,ये जो हवेली है ,ठाकुरों की है ,बहुत ही रुआब था। ठाकुर ''बलदेव सिंह '' अपने नाम की तरह ही बलवान ,बुद्धिमान और रौब

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सुरक्षा कवच

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माँ 'तुम अब यहाँ ,अकेली क्या करोगी ? अब तुम भी हमारे संग चलकर रहो !अनंत अपनी माँ से बोला। बेटा ! सम्पूर्ण ज़िंदगी इस शहर में बिता दी ,अब इधर -उधर जाकर क्या करूंगी ? जब तू छोटा था ,तब सोचा करती थी

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बदलते रंग

16 जुलाई 2023
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आज घर में खीर -पूरी ,मालपुए दो सब्ज़ियाँ और बूँदी का रायता बना है क्योंकि आज बहुओं का व्रत है ,आज के दिन सुहागन महिलायें अपने पति की लम्बी उम्र ,और अच्छे स्वास्थ के लिए पूजा करती हैं और अपने घर की बड़ी

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वो सुबह!

17 जुलाई 2023
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कितना सुहावना मौसम है ?रंजन अपने बच्चों से कहता है -चलो !आज कहीं घूमने चलते हैं। बाहर हल्की - हल्की बूंदा -बांदी हो रही थी। बच्चे खुश हो जाते हैं और दौड़कर अपनी मम्मी के पास जाते हैं। मम्मी ! पापा कह

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लडाई

19 जुलाई 2023
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श्रेया ,अपने आप से ही , कितना लड़ रही थी ? ये तो वो ही जानती है।अब तो जीवनभर संघर्ष ही करना है। पहले पढ़ाई में संघर्ष किया क्या विषय लेने हैं ,कौन सा स्कूल चुनना है ? स्कूल में भी ,प्रतिशत में नंबर लाने

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सूर्यास्त और हम

20 जुलाई 2023
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रामलाल जी के घर में ,फोन की घंटी बज रही थी ,उनके बेटे की बहु फोन उठाती है और रामलाल जी से कहती है -पापा जी !आपका फोन है। किसका है ? पूछो कौन है ?और क्या कहना चाहता है ?शिरोमणि अंकल हैं ,और आपसे

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धड़कन

21 जुलाई 2023
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पंकज हमेशा अपनी ही चलाता है , किसी की भी नहीं सुनता ,सुमित्रा जी हमेशा ,एक उम्मीद के सहारे आगे बढ़ उसका समर्थन करतीं और कहतीं -पंकज ,अभी बच्चा है ,समझदार हो जायेगा ,तब सब समझने लगेगा ,कहना भी मानेगा कि

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मेन्ढकी

22 जुलाई 2023
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गर्मी से बुरी हालत थी ,नहाते -नहाते भी पसीने आ जाते। खेती पर काम करने वाले भी खेतों से ,वापस आ गए। सभी को ,बरसात की इच्छा हो चली थी। आपस में कहते -न जाने बरसात कब होगी ?यदि शीघ्र ही बरसात नहीं हुई तो

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बरसात

23 जुलाई 2023
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बरसात का मौसम ''आते ही मन झूमने लगता है ,बारिश की ठंडी -ठंडी फुहार तन को ही नहीं ,मन को भी भिगो जाती हैं। चारों तरफ धुली -धुलि सी ,हरियाली ,लगता है जैसे ,प्रकृति ने धानी चुनर ओढ़ ली हो। बच्चों की तो बर

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एक ही गलती

25 जुलाई 2023
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सुधा खिड़की के पास बैठी ,चाय पी रही थी ,तभी उसकी बेटी ने उसे पुकारा ,मम्मी ,मैंने अपना गृहकार्य कर लिया। ठीक है ,जाओ !अब जाकर बाहर बच्चों के साथ खेल लो !ठीक है ,कहकर वो बाहर की तरफ दौड़ी ,तभी सुधा ने उस

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