shabd-logo

पैसा

2 जुलाई 2023

2 बार देखा गया 2
रतनलाल जी ने कितना पैसा कमाया ? रात -दिन एक कर दिया। शानदार कोठी भी बनाई ,बच्चों को महंगे से महंगे स्कूल में पढ़ाया। सबकुछ तो उनके पास है ,किसी चीज की भी कमी नहीं ,पत्नी के पास भी जेवरों की कोई कमी नहीं ,बच्चों पर बड़ी -बड़ी गाड़ियां हैं ,ऐसी ज़िंदगी की हर कोई इच्छा रखता है। उनका तो अपना व्यापार है ,सेवामुक्ति की कोई परेशानी नहीं किन्तु अब वो चाहते हैं कि मेरा व्यापार मेरे बेटों में से ही कोई संभाल ले। उन्होंने भी कहा - अभी हमारे पापा ,हमसे भी जवान लगते हैं ,आप ही सम्भालिये !वे भी खुश हो गए। 

पापा की हर जगह पूछ होती ,बहुएँ अपनी कोई भी परेशानी ,अपने पापा से ही कहतीं क्योंकि उनके पति सुनते ही नहीं ,सभी समस्याएं पापा हल कर देते ,बहुओं को त्यौहार में खरीददारी करनी है ,कपड़े ,हार इत्यादि सामान लाने हैं ,पापा जी हैं ,न...... 



अब तो पोते -पोती भी हो गए ,अब शरीर कुछ ज्यादा ही थकने लगा ,यही कार्य तीस -पेंतीस साल पहले करते थे किन्तु बेटों ने इतना चढ़ाया ,अब भी काम में लगे रहते हैं किन्तु अब शरीर बढ़ती उम्र का एहसास कराने लगा। बच्चों से कह दिया अब अपनी जिम्मेदारियां स्वयं सम्भालो ! अब कोई भी परेशानी होती तो बेटों से ही करने के लिए कह दिया। शुगर ,ब्लडप्रेशर ने घेर लिया। बहुएं जो पापाजी के आस -पास मंडराती रहती थीं ,उन्होंने भी आना कम कर दिया। समय पर खाना पहुंचा दें ,यही बहुत था किन्तु बिमार होने पर कोई दिखाई नहीं देता। पत्नी ही उठकर जाती ,दवाई देती तो पानी के लिए कहना पड़ता। अब बहुएं चुपचाप अपने -अपने कमरों में पड़ी रहतीँ। बेटे भी आते और अपने -अपने कमरों में चले जाते। 

कभी -कभी छुट्टी वाले दिन भी ,रतनलाल जी किसी काम के लिए कह देते , तब बेटे कहते आपको तो कोई काम है नहीं ,एक दिन छुट्टी का मिलता है ,उसमें भी आराम नहीं। दोनों पति -पत्नी को खिचड़ी बनाकर अपने -अपने परिवार को लेकर बाहर घूमने चले जाते। दुनिया देखती तो कहती -कितने अच्छे बच्चे हैं ?माता -पिता को अपने पास ही रखा ,वृधाश्रम नहीं भेजा वरना आजकल की औलाद सुनती ही कहाँ है ? किन्तु किसी को ये नहीं मालूम उन्हें साग -सब्ज़ी ,एक गिलास पानी के लिए भी अपनी औलाद ने तरसा दिया। जब तक उनके हाथ -पांव चलते रहे ,सबके मम्मीजी -पापाजी ,आज बहुएँ मुँह फेरकर निकल जाती हैं। जैसे उन्हें जानती ही नहीं। 

डॉक्टर ने कहा -कमजोरी आ गयी है ,फ़ल -सब्जियां खाओ ! परहेज का खाओ ! कहाँ से खाएं ,कैसे खायें कोई लाये ,तभी तो खाएं। -कभी कभी उस कोठी को देखते ,कितने मन से बनाई थी किन्तु आज इतने लोगों के बीच भी अकेला ही हूँ। कभी -कभी तो बेटा, इतने कठोर शब्द कह देता जो तीर से चुभते। जब मैंने कहा -अब पापा ,पापा नहीं रहे ,पैसा तो चाहिए ,पापा नहीं। 

तुम्हें ऐसा लगता है ,तो मर क्यों नहीं जाते ? हमारी जान को आ रहे हैं ,बहुएं खड़ी तमाशा देखतीं किस तरह हमारी पाली औलाद आज उनके कहे पर ,हमें आँखें दिखा रही है। लगता ,बहुओं की गलती नहीं ,जब हमारी परवरिश ही गलत हो गयी ,दूसरे घर से आई इन लड़कियों के सामने ,अपने ही बेटे ,अपने माता -पिता का मान न रख सके। जैसा भी खाने को दें ,वो अब हमारी विवशता बन गयी है। जिस डॉक्टर ने फल -सब्जियां खाने की सलाह दी थी। उसका आना ही बंद हो गया। जो दवाई थीं , वे भी समाप्त हो गयीं। जब शरीर चलता था ,तो लगता था ,जैसे दुनिया को मैं ही जीत लूंगा किन्तु आज लगता है ,ये तन भी व्यर्थ है ,हम जी ही क्यों रहे हैं ?

विवशता की हालत में बिस्तर में पड़े थे ,एक दिन उनका दोस्त आ गया।

 अरे रामलाल ! क्या हालत बना रखी है ?उसे सभी बातों से अवगत कराया। पैसा भी है ,किन्तु हमें पूछने वाला कोई नहीं। 

तू इस पैसे को क्या अपने साथ ले जायेगा ? 

नहीं ,ये लोग ही बरतेंगे। 

और ये लोग तुझे खाने को भी नहीं पूछते ,डॉक्टर को भी नहीं दिखाते। तू क्यों ?इनकी फिक्र कर रहा है ?

अब पैसे से रिश्ते तो नहीं खरीद सकता न.... रामलाल जी ,दुखभरे स्वर में बोले। 

रिश्ते नहीं खरीद सकता तो, इंसान ही खरीद ले। 

मैं कुछ समझा नहीं ,

इसमें समझना क्या है ?फोन तेरे पास है ,तू व्यापारी था ,कुछ लोगों के नंबर भी तेरे पास होंगे ,फोन निकालकर उनमे से किसी को फोन कर लेता और नहीं तो मुझे ही फोन कर लेता। मैं ही कुछ करता। 

तू क्या कर लेता ?

मैं पहले तेरे लिए एक नर्स बुलवाता ,जो तेरी सेवा करे ,एक नौकर रख ले जो तेरी जरूरत का सामान लाये।अरे पैसा है तो उसका उपयोग कर....... 

किसी भी बाहरवाले पर कैसे विश्वास कर लूँ ?जब अपने ही अपने न हुए। 

घरवालों पर विश्वास करके देख लिया ,देख !तेरी कैसी हालत हो गयी है ?माना कि तुझे बिमारी है किन्तु तू और भाभीजी तो इन लोगों के मोहताज़ हो गए हैं। समय पर दवाई मिलती ,समय पर सही से खाने को मिलता ,अपनों का प्यार दिखता ,तू दौड़ता नजर आता। ऐसे पैसे का क्या लाभ ?जो अपने ही काम न आ सके। तू जानता है ,आज हमने अपने दोस्त सुंदर को खो दिया। 

क्यों उसे क्या हुआ ?

साला ! करोड़ों की सम्पत्ति छोड़कर मरा है किन्तु अपना ही इलाज न करा सका ,उसका एक ही बेटा है। पत्नी बहुत पहले छोड़कर चली गयी थी। बिमार था ,अकेला था ,उसकी सेवा करना तो दूर ,बहु -बेटा ने उसे डॉक्टर को भी नहीं दिखाया। बुढ़ापा इंसान की सबसे बड़ी लाचारी है ,बेबस हो जाता है ,इंसान !ऐसे में जिन अपनों को पालता है ,वे ही 'मुँह दिखाने लगते हैं ',उन पर बोझ बन जाता है। उसी की खबर सुन ,मुझे तेरी याद आई और तुझसे मिलने चला आया ,अपने भी तो तभी तक अपने हैं ,जब अपने काम आ रहे हैं। जो पैसा कमाया है ,उसे खर्च भी कर ले ,जीते जी दुर्गति तो न हो। अच्छा, अब चलता हूँ ,कोई जरूरत हो ,कुछ भी काम हो, मुझे फोन कर लेना ,कल एक नर्स और एक लड़का तेरे घर पहुंच ,जायेंगे। मिलता हूँ ऐसे ही किसी दोस्त से जिसे मेरे हौसले की आवश्यकता हो।   
50
रचनाएँ
प्रेरक कहानियाँ
0.0
ज़िंदगी में अनेक घटनाएँ -दुर्घटनाइयें,होती हैं,ज़िंदगी जाने -अंजाने अनेक परेशानियों से गुजरती है,इस ज़िंदगी में अनेक रिश्ते भी होते हैं जिनसे हमें कुछ न कुछ सीख मिलती है,सीखने की कोई उम्र नहीं होती चाहे कोई छोटा हो या बड़ा। जीवन में हर पल कुछ न कुछ सीख या प्रेरणा मिल ही जाती है कई बार कुछ सोचने को मजबूर जाती हैं ये कहानियाँ,कई बार आईना दिखा जाती हैं,ये कहानियाँ । इन कहानियों में जीवन के अनेक रंग देखने को मिलेंगे,सही या गलत सोचने पर मजबूर हैं ये कहानियाँ!
1

जड़ें

7 नवम्बर 2022
7
0
1

सुरेश को पढ़ाया -लिखाया ,किसी क़ाबिल बनाने का प्रयत्न किया। वो बाहर गया तो उसे सब बहुत ही अच्छा लगा, बाहर की दुनिया इतनी खूबसूरत है, सब कुछ अच्छा लगता है। उसने अपनी पढ़ाई पूरी की और बाहर ही रहने का फैसला

2

बड़ी बहु

8 नवम्बर 2022
1
-1
1

शर्मा जी के बड़े बेटे का विवाह बड़ी धूमधाम से हुआ ,बेटा -बहु दोनों पढ़े -लिखे।लड़की का घर -, परिवार के लोग भी बहुत ही अच्छे हैं। सुंदर होने के साथ -साथ , संस्कारी बहु मिली है ,शर्मा जी के तो जैसे भा

3

अनदेखा, अनसुना

9 नवम्बर 2022
1
0
0

प्रातः काल का समय था ,हल्की ठंड भी पड़ रही थी। एक महिला ,अपनी बेटी के संग ,मेरे घर के दरवाज़े पर खड़ी थी। सुबह -सुबह कौन आ गया ?मैंने थोड़ा परेशान होते हुए ,निर्मला को देखने के लिए भेजा। अब मैं

4

वो रात......

10 नवम्बर 2022
0
0
0

वो रात.... वो रात्रि मेरे लिए ही थी ,मेरे लिए ही तो... सभी कार्य हो रहे थे ,सभी मेरे आगे -पीछे घूम रहे थे। उस रात्रि की'' मल्लिका'' मैं ही थी ,कुछ वर्ष पहले ही तो ,मैं अपने' पापा

5

दुःस्वपन

11 नवम्बर 2022
0
0
0

दीप्ती अति शीघ्रता से अपनी बिल्डिंग से नीचे आती है ,और गाड़ी में बैठकर चल देती है। आज वो देर से उठी, जिस कारण उसे देरी हो रही थी। वो अपनी गाड़ी को ,अपने दफ़्तर की ओर ,तेज़ गति से दौड़ा रही थी। आज &nbs

6

शापित जीवन

12 नवम्बर 2022
1
0
0

शापित कोई स्थान ,व्यक्ति अथवा कोई वस्तु नहीं होती ,वरन शापित उसका अपना जीवन ही हो जाता है। जिस जीवन को, वो जी रहा है ,उस जीवन को जीते -जी ठीक से नहीं जी पाता। लोग कहते हैं -''ये जीवन अमूल्य है ''&nbsp

7

हद- बेहद

14 नवम्बर 2022
2
0
0

गोलियों की बौछार का सामना करते हुए, वो आगे बढ़ रहे थे। दुश्मन भी कम नहीं था ,हम उनके लोगों को मारते ,फिर भी न जाने कहाँ से और बढ़ जाते। क्या हमसे कोई खेल खेल रहे थे ?निश्चित स्थान से ,हम आगे

8

मेरे साथ ही क्यों?

15 नवम्बर 2022
1
0
0

बहु.......... जी माँजी ,कहते हुए ,पारुल तेज गति से उनके समीप आई। तुझसे कितनी बार कहा है ?उस बड़े कमरे की सफाई कर देना ,जब

9

देर रात

17 नवम्बर 2022
0
0
0

तृप्ति ,डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही थी ,मम्मी -पापा की लाड़ली ,मम्मी का सपना था कि बड़ी होकर ,तृप्ति डॉक्टर बने। वो ''दिल ''की डॉक्टर बनना ,चाह रही थी किन्तु एक समय परिस्थिति ऐसी बनी कि वो जच्चा -बच्चा

10

लौटा दो!

19 नवम्बर 2022
1
0
0

मानिनी'' का जब भी देखो , किसी न किसी बात पर'' मेहुल'' से झगड़ा हो ही जाता है।आज भी मेहुल बिना खाना खाये घर से निकल गया। उसने कहा भी ,कि खाना खाकर जाओ !लेकिन मेहुल ने गुस्से में उसकी किसी भी बात पर

11

नई उड़ान

22 नवम्बर 2022
1
0
0

रमा बड़ी बेचैनी से बार -बार मंच की तरफ देख रही थी ,फिर उठकर अंदर की तरफ चली गयी। वहाँ जाकर देखा- सब ठीक है या नहीं, तभी दीपा के कपड़ों की एक डोर खुली नज़र आई ,उसने दीपा को टोका और अपनी स

12

जसोदा

24 नवम्बर 2022
0
0
0

जसोदा पढ़ी -लिखी नौकरी पेशा महिला है ,माँ -बाप ने खूब चाहा कि ये पढ़े न ,और विवाह करके अपना घर बसा ले, किन्तु उसके तो सपने ही अलग थे और वो इस तरह माता -पिता के दबाव में आने वाली भी नहीं थी। उसने तो पहले

13

एकांत

24 नवम्बर 2022
0
0
0

सुबह के पाँच बज चुके थे ,अलार्म बजे जा रहा था। वो अभी और सोना चाहती थी ,लेकिन क्या करे ? मजबूरी है उठना तो है ही ,फिर लेट हो जाउंगी। ये विचार आते ही उसने फुर्ती से अलार्म बंद किया और एकदम

14

एक मुलाकात

22 मई 2023
0
0
0

आज भी वही हुआ ,जिसका डर था , वो लोग चुपचाप चले गए। नंदिनी तो चाहती थी ,कि अभी जबाब मिल जाये ,किन्तु पति ने समझाया , उन्हें अपने घर जाकर सलाह -मशवरा तो करने दो ,एक -दो दिन में जबाब दे देंगे। सुरेश जी

15

वो भयानक रात

23 मई 2023
0
0
0

बड़ी भयावह वो काली अंधियारी रात्रि थी। मैं उस ठंडी सुनसान काली रात्रि को चीरता चला जा रहा था। ठंड भी अपने पूरे जोरों पर थी। दोस्त ने कहा भी था, आज यहीं आराम कर ले। जब इतनी दूर से आया है तो बेटी को विदा

16

मुक्ति

30 मई 2023
2
0
0

मौली अपने दोस्तों संग मस्त थी ,वो अपने दोस्तों के साथ गोवा घूमने जा रही है ,इसीलिये तैयारी में लगी है ,तभी उसके फोन की घंटी बजी। मौली ने नाम देखा और मुँह बनाते हुए ,फ़ोन पर बातें करने लगी -क्या मम्मी ,

17

कड़वाहट

31 मई 2023
0
0
0

चित्रा, कोई भी त्यौहार हो बड़े जोर -शोर से तैयारी करती है ,अब तो उसके सुहाग का त्यौहार ''करवा चौथ ''आ रहा है। आज बाजार गयी और नये कपडे ,शृंगार का सामान ,साथ ही बच्चों के कपड़े भी ले आई .बड़े उत्साह से

18

असीमित आकाश

1 जून 2023
0
0
0

काम तो प्रतिदिन का है, किन्तु आज रीमा के हाथों में जैसे बिजली लगी है ,वो प्रतिदिन से अधिक फुर्ती से कार्य कर रही है ,वह शीघ्र अति शीघ्र अपना कार्य निपटाने का प्रयत्न कर रही है। हो भी क्यों न ?क्य

19

तूफान

2 जून 2023
1
0
1

नवलकिशोर जी के मन में ,आज 'तूफान 'मचा है ,बाहरी वातावरण भी उसके सामने कोई मायने नहीं रखता। वो बस यूँ ही चले जा रहे हैं। कुछ समझ नहीं आता ,कहाँ जाएँ ,क्या करें ? दुनिया में देखा जाये ,तो आज के समय में

20

हिजाब

3 जून 2023
0
0
0

मानिनी कॉलिज में आती है ,आज तरन्नुम ने आने में देर कर दी। मानिनी और तरन्नुम दोनों अच्छी दोस्त हैं। दोनों ही साथ रहती हैं , एक ही कक्षा में ,साथ ही बैठती हैं। जिस दिन एक भ नहीं आती ,दूसरी का मन नही

21

गुल्लक

4 जून 2023
2
0
0

रेवती अपनी सास की, बड़े मन से सेवा करती थी ,उनकी हर चीज का ध्यान रखती थी ताकि किसी भी प्रकार की उन्हें परेशानी न हो। जब उनकी स्वयं की बहु आ आयीं ,तब भी उनके सम्पूर्ण कार्य स्वयं ही करतीं। उनकी सास यान

22

फर्क

7 जून 2023
1
0
0

इस माह नौचंदी का मेला लगने वाला है, किन्तु किसी को क्या फ़र्क पड़ता है ? जाना तो है नहीं ,जाकर भी क्या करना ,मेले में जाने के लिए भी तो, पैसा ही चाहिए। मेला तो पैसे से है ,पैसे वाल

23

घर की याद

8 जून 2023
0
0
0

पुलकित आँखें खोलकर देखता है ,वो बगीचे की बेंच पर लेटा था। अब उसे सब स्मरण हो जाता है। किस तरह वो अपने मम्मी -पापा से नाराज होकर ,घर से भाग आया ? पुलकित ऐसे ही किसी छोटे -मोटे परिवार से नहीं है। उसके

24

मेरे साथ ही क्यों?

10 जून 2023
0
0
0

बहु.......... जी माँजी ,कहते हुए ,पारुल तेज गति से उनके समीप आई। तुझसे कितनी बार कहा है ?उस बड़े कमरे की सफाई कर देना ,जब

25

टास्क

12 जून 2023
0
0
0

शादी के बाद उसने ससुराल में कदम रखा ही था ,कि सास के तीखे तेवर और गर्म मिज़ाज उसे कुछ ही दिनों में पता चल गए। उसने देखा कि जिस व्यक्ति से उसका विवाह हुआ है ,वो तो कुछ बोलता ही नहीं। जो चाहता है ,बस

26

अधूरापन

14 जून 2023
0
0
0

सुगंधा पिता के घर में रही ,अरमान तो बहुत थे ,किन्तु पिता के सख़्त कानून के कारण ,न कहीं आना , न कहीं जाना ,इच्छाएँ ,आकाश की अनंत ,ऊंचाइयों को छूना चाहती किन्तु उसका आसमान सीमित था। कुछ तो घर का अनुशा

27

मिट्टी के खिलौने

15 जून 2023
1
1
0

रामदीन कुम्हार ,प्रतिदिन जोहड़ से चिकनी मिटटी लाता और उसे पैरों से रोंद्ता ,जब वो मिटटी बर्तन बनाने लायक हो जाती तो उसे चाक पर रखकर ,बड़े क़रीने से ,सुंदर -सुंदर मिटटी के बर्तन बनाता। ये उसकी कला ही नह

28

भाग्य का खेल

16 जून 2023
0
0
0

आज मैं अपनी डायरी को ज़िंदगी के एक पहलू कहूँ या कुछ और, किन्तु इतना मैं अवश्य जानती हूँ ,उसे हम भाग्य अथवा क़िस्मत कहते है -इनके इशारों पर ही तो ,हमारी ज़िंदगी चलती है। हम सोचते हैं -जो भी कार्य हम कर रह

29

माँ

17 जून 2023
1
0
1

चम्पाकली 'ताई आज बहुत प्रसन्न है क्योकि उनके दो बेटे ,दो ही बहुएं हैं किन्तु ये उनकी प्रसन्नता का कारण नहीं ,उनकी प्रसन्नता का कारण ,उनका दादी बनना है। दोनों बहुएं ही गर्भवती थीं और अब दोनों ही माँ ब

30

संगीत प्रेम

20 जून 2023
0
0
0

काव्या बहुत ही प्यारी बच्ची है ,मन उसका बहुत ही कोमल है ,सबसे प्रेमपूर्ण व्यवहार करती। दुश्मनी ,लड़ाई क्या होती है ?जैसे वो जानती ही नहीं ,उसे तो सभी अपने ही नजर आते ,छल -कपट से तो उसका दूर -दूर तक वास

31

समुद्र तट

22 जून 2023
0
0
0

कार्तिक और मोना प्रतिदिन , अपने दफ्तर से आते समय कुछ देर ,समुन्द्र के तट पर बैठकर अपनी दिनभर की थकान मिटाते। मोना जब पहली बार अपने दफ्तर में आई ,तब उसकी सबसे पहले मुलाक़ात कार्तिक से ही हुई। कार्तिक न

32

दरार

23 जून 2023
0
0
0

पार्वती जी ,दुखी परेशान ,अपने कमरे में आती हैं और अपने पलंग पर बैठकर ,गहरी स्वांस भरती हैं और अपनी आँखें बंद कर लेती हैं। मैं कितना भी अच्छा सोच लूँ या कर लूँ ?किन्तु इसे अपना नहीं बना सकती ,ये 'दरा

33

पहाड़ी प्रेम

29 जून 2023
0
0
0

ज्योति...... ओ ज्योति....... ! दूर से आती, मौसी की आवाज सुनाई दी। आई मौसी ! कहकर मैं बंसी से बोली -कल आउंगी तब खेलेंगे ,अब मौसी बुला रही है। बंसी ने हाँ में गर्दन हिलाई और मैं ,दौड़ते हुए मौसी के

34

भूतों से बातचीत

1 जुलाई 2023
0
0
0

नंदिनी जैसे ही , अपनी कक्षा में पहुंची -उसने देखा ,सभी बच्चे ,तुषार की सीट के पास खड़े हैं। ये सब क्या हो रहा है ?सभी बच्चे वहाँ क्या कर रहे हैं ? नंदिनी को देखते ही ,सभी बच्चे दौड़कर अपनी -अपनी सीट पर

35

पैसा

2 जुलाई 2023
0
0
0

रतनलाल जी ने कितना पैसा कमाया ? रात -दिन एक कर दिया। शानदार कोठी भी बनाई ,बच्चों को महंगे से महंगे स्कूल में पढ़ाया। सबकुछ तो उनके पास है ,किसी चीज की भी कमी नहीं ,पत्नी के पास भी जेवरों की कोई कमी नह

36

गड़बड़ घोटाला

3 जुलाई 2023
0
0
0

मैं प्रतिदिन की तरह ,जब परिवार के सभी सदस्य अपने -अपने काम पर चले जाते ,तब घर की साफ -सफाई और बाहर बगीचे में पानी देना जैसे कार्य करती। एक दिन जब मैं अपने पौधों को पानी दे रही थी ,तभी मैंने देखा ,स्क

37

रिश्तेदार जलते हैं!

4 जुलाई 2023
1
0
0

कितनी ख़ुशी की बात है ?कीर्ति तुमने पढ़ाई पूरी करने के साथ -साथ ,तुम्हारी नौकरी भी लग गयी। एक पार्टी तो अवश्य बनती है। क्या ख़ाक पार्टी बनती है ?तुम सभी दोस्तों को ही पार्टी दूंगी ,मम्मी -पापा के लि

38

कीमत, समय की

7 जुलाई 2023
0
0
0

अतुल बहुत ही बिगड़ैल और अड़ियल है ,देखने में तो वो बहुत जचँता है ,उसे देखेंगे तो कह उठेंगे कि किसी बड़े घर का बेटा हो लेकिन उसका स्वभाव उसकी शक़्ल और व्यक्तित्व से बिल्कुल विपरीत है। वो न ही किसी की बात

39

कीमती

9 जुलाई 2023
1
0
1

राधा जब ,मोहन से मिली ,उसे देखते ही , अपना दिल दे बैठी ,मोहन की हालत भी कुछ ऐसी ही थी। पहली बार दोनों ,राधा की सहेली के घर पर,उसकी जन्मदिन की पार्टी में ,उससे मिली। जितनी खूबसूरत राधा लग रही थी, उतना

40

मृत्यु पर विजय

10 जुलाई 2023
0
0
0

पल -पल मरता है ,इंसान ! जीने की तमन्ना में ! टूटता है ,बिखरता है, जिन्दा रहने की चाह में !खो देता है ,अपनों का साथ ,जीता है स्वांसों में !स्वांसों का ही खेल है , जिन्दा रहने की आस में !कुछ लोग जी

41

भूतिया हवेली

12 जुलाई 2023
0
0
0

श.... श.... श.... श.... आज आपको एक''अज़ीबो ग़रीब प्रेम की '' कहानी सुनाती हूँ। जानते हैं ,ये जो हवेली है ,ठाकुरों की है ,बहुत ही रुआब था। ठाकुर ''बलदेव सिंह '' अपने नाम की तरह ही बलवान ,बुद्धिमान और रौब

42

सुरक्षा कवच

14 जुलाई 2023
0
0
0

माँ 'तुम अब यहाँ ,अकेली क्या करोगी ? अब तुम भी हमारे संग चलकर रहो !अनंत अपनी माँ से बोला। बेटा ! सम्पूर्ण ज़िंदगी इस शहर में बिता दी ,अब इधर -उधर जाकर क्या करूंगी ? जब तू छोटा था ,तब सोचा करती थी

43

बदलते रंग

16 जुलाई 2023
0
0
0

आज घर में खीर -पूरी ,मालपुए दो सब्ज़ियाँ और बूँदी का रायता बना है क्योंकि आज बहुओं का व्रत है ,आज के दिन सुहागन महिलायें अपने पति की लम्बी उम्र ,और अच्छे स्वास्थ के लिए पूजा करती हैं और अपने घर की बड़ी

44

वो सुबह!

17 जुलाई 2023
1
0
0

कितना सुहावना मौसम है ?रंजन अपने बच्चों से कहता है -चलो !आज कहीं घूमने चलते हैं। बाहर हल्की - हल्की बूंदा -बांदी हो रही थी। बच्चे खुश हो जाते हैं और दौड़कर अपनी मम्मी के पास जाते हैं। मम्मी ! पापा कह

45

लडाई

19 जुलाई 2023
0
0
0

श्रेया ,अपने आप से ही , कितना लड़ रही थी ? ये तो वो ही जानती है।अब तो जीवनभर संघर्ष ही करना है। पहले पढ़ाई में संघर्ष किया क्या विषय लेने हैं ,कौन सा स्कूल चुनना है ? स्कूल में भी ,प्रतिशत में नंबर लाने

46

सूर्यास्त और हम

20 जुलाई 2023
0
0
0

रामलाल जी के घर में ,फोन की घंटी बज रही थी ,उनके बेटे की बहु फोन उठाती है और रामलाल जी से कहती है -पापा जी !आपका फोन है। किसका है ? पूछो कौन है ?और क्या कहना चाहता है ?शिरोमणि अंकल हैं ,और आपसे

47

धड़कन

21 जुलाई 2023
0
0
0

पंकज हमेशा अपनी ही चलाता है , किसी की भी नहीं सुनता ,सुमित्रा जी हमेशा ,एक उम्मीद के सहारे आगे बढ़ उसका समर्थन करतीं और कहतीं -पंकज ,अभी बच्चा है ,समझदार हो जायेगा ,तब सब समझने लगेगा ,कहना भी मानेगा कि

48

मेन्ढकी

22 जुलाई 2023
0
0
0

गर्मी से बुरी हालत थी ,नहाते -नहाते भी पसीने आ जाते। खेती पर काम करने वाले भी खेतों से ,वापस आ गए। सभी को ,बरसात की इच्छा हो चली थी। आपस में कहते -न जाने बरसात कब होगी ?यदि शीघ्र ही बरसात नहीं हुई तो

49

बरसात

23 जुलाई 2023
0
0
0

बरसात का मौसम ''आते ही मन झूमने लगता है ,बारिश की ठंडी -ठंडी फुहार तन को ही नहीं ,मन को भी भिगो जाती हैं। चारों तरफ धुली -धुलि सी ,हरियाली ,लगता है जैसे ,प्रकृति ने धानी चुनर ओढ़ ली हो। बच्चों की तो बर

50

एक ही गलती

25 जुलाई 2023
1
0
0

सुधा खिड़की के पास बैठी ,चाय पी रही थी ,तभी उसकी बेटी ने उसे पुकारा ,मम्मी ,मैंने अपना गृहकार्य कर लिया। ठीक है ,जाओ !अब जाकर बाहर बच्चों के साथ खेल लो !ठीक है ,कहकर वो बाहर की तरफ दौड़ी ,तभी सुधा ने उस

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए