shabd-logo

असीमित आकाश

1 जून 2023

7 बार देखा गया 7
काम तो प्रतिदिन का है, किन्तु आज रीमा के हाथों में जैसे बिजली लगी है ,वो प्रतिदिन से अधिक फुर्ती से कार्य कर रही है ,वह शीघ्र अति शीघ्र अपना कार्य निपटाने का प्रयत्न कर रही है। हो भी क्यों न ?क्योंकि बहुत दिनों बाद वो खुला आसमान देखेगी। उसके मन में अज़ीब सी प्रसन्नता और बेचैनी है।ख़ुशी मिश्रित बेचैनी , उसके काम में झलक रही है। एक -एक काम बड़े ही ध्यान से निपटा रही है ताकि मेरे पीछे किसी भी तरह की परेशानी किसी को न उठानी पड़े। उसकी बेटी मणि बोली -मम्मी आपके मन में ये विचार कैसे आया ?हम तो प्रसन्न हैं कि आप भी घूमने जा रही हो। रीमा बोली -घूमना कहाँ ?ज्यादा दूर नहीं ,मैं तो


मौहल्ले के ही किसी घर में जा रही हूँ ,वहीं हमारी किट्टी है ,वो तो करुणा की मम्मी ने मुझे सुझाया कि तुम भी किट्टी में आया करो ,चार लोगों से जान -पहचान होगी और सारा दिन घर में रहती हो तो मन भी बदल जाया करेगा। मुझे उनकी बात सही लगी कहकर वो फिर से अपने काम में जुट गयी। काम तो वो कर रही थी किन्तु मन तो बीस वर्ष पहले की यादों में खो गया ,जब वो विवाह करके इस घर में आयी थी। सिर पर जिम्मेदारियों का बोझ आते ही पड़ गया या यूँ समझो, जिम्मेदारियां मेरी ही प्रतीक्षा देख रही थीं। कहने को घर की बहु ,लेकिन उससे भी बड़े मेरे कर्त्तव्य ,मैंने भी कोई कमी नहीं की अपनी जिम्मेदारियों को पूर्ण करने में ,मैं एक अच्छी बहु बनना चाहती थी। घर की उस चाहरदीवारी को ही मैंने अपनी ज़िंदगी मान लिया। सास -ससुर अधिक बुजुर्ग़ होने के साथ ही विचारों में भी पुराने ही थे उन्हें तो बहु का घूँघट करना पसंद था ,मैंने भी कोई विरोध नहीं किया। हर परिवार के अपने रीति -रिवाज़ हैं ,उनकी अपनी सोच है।
                     एक बार तरुण से कहा भी था कि गर्मी के समय में खाना बनाने में और अन्य कामों में पर्दे में परेशानी होती है किन्तु तरुण बोले -तुम ही नहीं आई हो ,अन्य बहुएं भी आई हैं जो घर में पर्दे में रहकर ही घर के सम्पूर्ण कार्य बख़ूबी कर लेती हैं तुम्हें भी धीरे -धीरे आदत पड़ जायेगी। उस दिन के बाद मैंने तरुण से कुछ नहीं कहा। कहकर भी क्या हो जाता ?अपनी किसी भी परेशानी में कभी भी उसे अपने साथ खड़े नहीं पाया। हर बात का उसके पास तोड़ जो था। जब नई -नई विवाहिता थी तब भी मैंने अपने को अकेले खड़ा पाया तब मन में विचार उठे -मैं ये सब क्यों और किसके लिए कर रही हूँ जब अपना पति ही अपने साथ नहीं है किन्तु अगले ही पल अपने मन को ही समझा लिया -''कहना सुनना भी किससे ?बुजुर्ग माता -पिता हैं और अकेले बेटे पर ज़िम्मेदारियाँ ,अपने माता -पिता को भी इस उम्र में क्या कहेंगे ?चार लोग और ताना मा रने के लिए खड़े हो जायेंगे कि बहु ने आते ही अपने सास -ससुर के साथ इस उम्र में अनुचित व्यवहार किया। सारा दिन चक्कर घिन्नी की तरह सास -ससुर और फिर बच्चों के पीछे घूमती रहती ,मेरा अपना एक छोटा सा आकाश था जिसमें मैं पूर्णतः संतुष्ट थी। बाहर घूमना ,बाहर की दुनिया क्या होती है ?जैसे मैं भूल ही गयी बच्चे थोड़े बड़े भी हुए तो मन को लगा कि शायद मेरी ज़िम्मेदारियाँ थोड़ी कम होंगी किन्तु ससुर की बीमारी बढ़ जाने पर मैं पूर्ववत अपने कार्य में लगी रही ,अब तो मुझे सुबह कब हुयी और रात कब आई ?पता ही नहीं चलता। बर्तन वाली आकर बता जाती कि मोेहल्ले में क्या हो रहा है ?उसकी ज़बानी मुझे पता था कि गुप्ताजी के बेटे की बहुत अच्छी नौकरी लगी है। कान्ता मैडम समाज -सेविका हैं ,तरुणा के बेटे ने बारहवीं में पहला स्थान प्राप्त किया। दीपा मैडम की अपनी बहु से नहीं पटती। इतनी जानकारी होने पर भी मैं उन लोगों को नहीं जानती थी। कभी सामने आ जायें तो पहचान ही नहीं पाऊँगी। 
              पापा ससुर के जाने के बाद अब मुझे सब्ज़ी के लिए बाहर आना पड़ा ,जब वो बीमार थे तो तरुण ले आते था ,अब उन्हें लगा कि मेरे पास समय होगा और लापरवाही कर जाते। कभी मैं सोचती ,क्या तरुण के मन में मेरी भी कोई जगह है ?कभी उसे पति -पत्नी में आपस में सलाह करते या पत्नी की परेशानी को समझते नहीं पाया। मैंने तो इसी ज़िंदगी को ऐसे ही अपना बना लिया। एक दिन ऐसे ही सब्ज़ी खरीदते समय करुणा की मम्मी बोली -रीमा कभी हमारी किट्टी में आओ !रीमा बोली -नहीं दीदी ,अभी घर के कामों से फुरसत ही नहीं मिलती। कभी बच्चों के पेपर आ जाते हैं ,मम्मीजी का ध्यान भी रखना पड़ता है। तब वो बोली -काम तो जीवनभर का है ,कभी बाहर भी निकलकर देखो, कितना खुला आकाश है ?रीमा मुस्कुराकर बोली -ये सब क़िताबी बातें हैं ,असल ज़िंदगी कुछ और ही है। उसे भी इस तरह की बातें सोचना जैसे मंजूर ही नहीं था और वो अंदर आ गयी। एक माह की बिमारी के पश्चात सासु माँ भी चली गयीं। बेटा पढ़ाई के लिए बाहर चला गया ,बेटी भी नौकरी करने लगी। अब रीमा को लगा जैसे उसके पास समय ही समय है ,काटे नहीं कट रहा।आज वो पीछे देखती तो उसे आश्चर्य होता किस तरह उसने रात -दिन एक कर अपने बीस बरस गुजारे। समय मिलने पर अब अपने लिए सोचने लगी ,क्या करूँ ?तब ऐसे बैठे सोच रही थी कि करुणा की मम्मी की याद आई। उसे सब्जी नहीं लेनी थी किन्तु इस बहाने घर से बाहर आई कि वो दिखें तो बात करूं,वो सामने ही आती दिख गयीं। मैंने हो पूछ लिया, क्या अब भी किट्टी ड़ल रही है वो उत्साहित होकर बोलीं -हाँ -हाँ क्यों नहीं ,दो लोगों की और आवश्यकता है ,एक आप हो जाओगी और दूसरी मेरी एक सहेली है उससे बात कर लूँगी। मुझे करना क्या होगा ?मैंने अपने मन की घबराहट छुपाते हुए कहा। वो बोलीं -बस आप आ जाना सब वहीं समझा देंगे ,कल ही है ,आप तैयार रहना दोनों साथ चलेंगे। मैंने हाँ में गर्दन हिलाई और आ गयी।


                 आज उसी की तैयारी में हूँ फिर भी पता नहीं अजीब सी बेचैनी है शाम के चार बजे वो तैयार होकर जाती है ,बाहर निकलकर आकाश को देखती है ,अनजाने रस्तों पर जाते हुए पूछती जाती है कौन सा ,किसका घर है ?फिर एक घर में दोनों जा घुसीं, बड़े से कमरे में पच्चीस से तीस महिलायें ,सजी -धजी बैठी थीं। मैं तो घूंघट से बाहर ही कम निकली थी और आज घूंघट तो नहीं, सिर पर पल्ला था। उन महिलाओं में से कुछ तो अज़ीब तरह से मुस्कुरा रही थीं ,कुछ ने हंसकर स्वागत किया। वहां किसी के भी सिर पर पल्ला नहीं था ,मैं अभी धीरे से अपना पल्ला खिसकाने की सोच ही रही थी ,उनमें से एक बोली -अब यहां तो तुम्हारे सास -ससुर नहीं ,सब समान हैं ,तुम पल्ला हटा सकती हो। तभी एक दूसरी महिला जोर -जोर से खिलखिलाकर हँस पड़ी। मैं समझ नहीं पाई, फिर भी मैंने कहा -अब आदत सी बन गयी है जो धीरे -धीरे जाएगी। उस पल्ले को मैंने हटाया नहीं, किन्तु समय के हाथों छोड़ दिया। सभी तंबोला खेलने लगीं किन्तु मैं किसी अ ,आ सीखने वाले बच्चे की तरह बार -बार अपनी पड़ोसन से पूछ रही थी।वो लोग कितनी पारंगत थीं ,फ़टाफ़ट नंबर मिला रही थीं और मैं उन्हें देख रही थी। मन ही मन सोच रही थी ,मैंने अपने जीवन में क्या -क्या खो दिया ?उन सबके चेहरों पर ख़ुशी और आत्मविश्वास था। जीतने पर पांच रूपये भी मिल जाते तो बेहद प्रसन्न होतीं, कई खेल भी खेले, जिनसे मैं अनजान थी। सबसे बाद में लॉटरी के निकलने पर सभी उत्साहित थीं ,सबके नबंर बोले जा रहे थे किन्तु मैं शांत बैठी थी। जब मेरा नंबर बोला गया तो अचम्भित हुयी कि मेरी लॉटरी निकली है। 
                    मुझे समझ नहीं आया ,क्या प्रतिक्रिया दूँ ?मुस्कुराते हुए लॉटरी ले ली। कुछ तेज स्वर में कुछ धीमे स्वर में बोल रहीं थीं -आज ही आयी और लॉटरी निकल गयी ,भाग्यशाली है। लेकिन इन शब्दों से ईर्ष्या की बू आ रही थी।मणि ने आते ही प्रश्न किया -आज का पहला दिन कैसा गया ?मैं कुछ कह नहीं पाई किन्तु बेटी को प्रसन्न करने के लिए अपनी लॉटरी निकलने के विषय में बताया। वो बहुत खुश हुयी उसकी प्रसन्नता देखकर मुझे लगा ,मैं इस तरह क्यों प्रसन्न नहीं हो पा रही हूँ ,क्यों उन महिलाओं की तरह खुश नहीं हूँ ?अब तो काम की जिम्मेदारी भी नहीं। अब तो सारा आकाश मेरा है ,वो जो मुट्ठी भर आकाश था ,वो भी मेरा ही था, और बाहर का आकाश भी ,अब मेरा ही है। अगली किट्टी में थोड़ा आत्मविश्वास भी जागा ,अपने को उस वातावरण में ढ़ालने का प्रयत्न भी किया किन्तु मैं उस आकाश को समझ नहीं पा रही थी या फिर उस वातावरण में अपने को ढ़ाल नहीं पा रही थी। साल -छः माह बीत जाने पर भी मैं वो ख़ुशी -प्रसन्नता महसूस नहीं कर पा रही थी ,उनकी हँसी कभी खोखली लगती ,कभी बनावटी।अपने आपसे ही प्रश्न किया - क्या ये मेरा आकाश है ?ये भी तो सीमित है जो एक दायरे में बंध गया है। मेरा आकाश तो अनंत होगा


,इतना विशाल ,''असीमित आकाश ''जहाँ मैं अपने सपनों और कल्पनाओं की दुनिया में खो सकूँ अपने साथ औरों को भी रंग दूँ। मेरा आकाश रंगीन सपनों जैसा होगा ,जहां किसी को भी किसी से मिलने या रंगने में हिचकिचाहट न हो। जहां ख़ुशियाँ ढूढ़ने की आवश्यकता ही न पड़े ,ख़ुशियाँ तो दिल से निकलकर रंगीन कैनवास पर बिखर जायें और वो मेरा ही नहीं ,जो सपने देखता हो ,उसका भी आकाश हो। इतना विस्तृत और विशाल हो ,असीमित हो। अगले दिन वो बाजार के लिए निकल पड़ी और बहुत सारा सामान ले आयी। ये क्या मम्मी !इतना सारा सामान मणि आश्चर्य से बोली। हाँ बेटा !मेरा आकाश असीमित होगा ,जहाँ मैं अपनी कल्पनाओं के रंग भरुँगी। क्या आपको पेंटिंग आती है ?मणि बोली। हाँ ,इसका मुझे बचपन से शौक था और मैं बनाती भी थी ,शादी के बाद सब बंद हो गया। अब मैं बनाऊँगी भी और सिखाऊँगी भी ,जिससे मेरी कला मुझ तक ही सीमित न रहे ,इस तरह मेरा आकाश भी विस्तृत होगा। और वो अपना सामान रखने चल दी ,आज उसके चेहरे पर असली ख़ुशी थी। 
50
रचनाएँ
प्रेरक कहानियाँ
0.0
ज़िंदगी में अनेक घटनाएँ -दुर्घटनाइयें,होती हैं,ज़िंदगी जाने -अंजाने अनेक परेशानियों से गुजरती है,इस ज़िंदगी में अनेक रिश्ते भी होते हैं जिनसे हमें कुछ न कुछ सीख मिलती है,सीखने की कोई उम्र नहीं होती चाहे कोई छोटा हो या बड़ा। जीवन में हर पल कुछ न कुछ सीख या प्रेरणा मिल ही जाती है कई बार कुछ सोचने को मजबूर जाती हैं ये कहानियाँ,कई बार आईना दिखा जाती हैं,ये कहानियाँ । इन कहानियों में जीवन के अनेक रंग देखने को मिलेंगे,सही या गलत सोचने पर मजबूर हैं ये कहानियाँ!
1

जड़ें

7 नवम्बर 2022
7
0
1

सुरेश को पढ़ाया -लिखाया ,किसी क़ाबिल बनाने का प्रयत्न किया। वो बाहर गया तो उसे सब बहुत ही अच्छा लगा, बाहर की दुनिया इतनी खूबसूरत है, सब कुछ अच्छा लगता है। उसने अपनी पढ़ाई पूरी की और बाहर ही रहने का फैसला

2

बड़ी बहु

8 नवम्बर 2022
1
-1
1

शर्मा जी के बड़े बेटे का विवाह बड़ी धूमधाम से हुआ ,बेटा -बहु दोनों पढ़े -लिखे।लड़की का घर -, परिवार के लोग भी बहुत ही अच्छे हैं। सुंदर होने के साथ -साथ , संस्कारी बहु मिली है ,शर्मा जी के तो जैसे भा

3

अनदेखा, अनसुना

9 नवम्बर 2022
1
0
0

प्रातः काल का समय था ,हल्की ठंड भी पड़ रही थी। एक महिला ,अपनी बेटी के संग ,मेरे घर के दरवाज़े पर खड़ी थी। सुबह -सुबह कौन आ गया ?मैंने थोड़ा परेशान होते हुए ,निर्मला को देखने के लिए भेजा। अब मैं

4

वो रात......

10 नवम्बर 2022
0
0
0

वो रात.... वो रात्रि मेरे लिए ही थी ,मेरे लिए ही तो... सभी कार्य हो रहे थे ,सभी मेरे आगे -पीछे घूम रहे थे। उस रात्रि की'' मल्लिका'' मैं ही थी ,कुछ वर्ष पहले ही तो ,मैं अपने' पापा

5

दुःस्वपन

11 नवम्बर 2022
0
0
0

दीप्ती अति शीघ्रता से अपनी बिल्डिंग से नीचे आती है ,और गाड़ी में बैठकर चल देती है। आज वो देर से उठी, जिस कारण उसे देरी हो रही थी। वो अपनी गाड़ी को ,अपने दफ़्तर की ओर ,तेज़ गति से दौड़ा रही थी। आज &nbs

6

शापित जीवन

12 नवम्बर 2022
1
0
0

शापित कोई स्थान ,व्यक्ति अथवा कोई वस्तु नहीं होती ,वरन शापित उसका अपना जीवन ही हो जाता है। जिस जीवन को, वो जी रहा है ,उस जीवन को जीते -जी ठीक से नहीं जी पाता। लोग कहते हैं -''ये जीवन अमूल्य है ''&nbsp

7

हद- बेहद

14 नवम्बर 2022
2
0
0

गोलियों की बौछार का सामना करते हुए, वो आगे बढ़ रहे थे। दुश्मन भी कम नहीं था ,हम उनके लोगों को मारते ,फिर भी न जाने कहाँ से और बढ़ जाते। क्या हमसे कोई खेल खेल रहे थे ?निश्चित स्थान से ,हम आगे

8

मेरे साथ ही क्यों?

15 नवम्बर 2022
1
0
0

बहु.......... जी माँजी ,कहते हुए ,पारुल तेज गति से उनके समीप आई। तुझसे कितनी बार कहा है ?उस बड़े कमरे की सफाई कर देना ,जब

9

देर रात

17 नवम्बर 2022
0
0
0

तृप्ति ,डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही थी ,मम्मी -पापा की लाड़ली ,मम्मी का सपना था कि बड़ी होकर ,तृप्ति डॉक्टर बने। वो ''दिल ''की डॉक्टर बनना ,चाह रही थी किन्तु एक समय परिस्थिति ऐसी बनी कि वो जच्चा -बच्चा

10

लौटा दो!

19 नवम्बर 2022
1
0
0

मानिनी'' का जब भी देखो , किसी न किसी बात पर'' मेहुल'' से झगड़ा हो ही जाता है।आज भी मेहुल बिना खाना खाये घर से निकल गया। उसने कहा भी ,कि खाना खाकर जाओ !लेकिन मेहुल ने गुस्से में उसकी किसी भी बात पर

11

नई उड़ान

22 नवम्बर 2022
1
0
0

रमा बड़ी बेचैनी से बार -बार मंच की तरफ देख रही थी ,फिर उठकर अंदर की तरफ चली गयी। वहाँ जाकर देखा- सब ठीक है या नहीं, तभी दीपा के कपड़ों की एक डोर खुली नज़र आई ,उसने दीपा को टोका और अपनी स

12

जसोदा

24 नवम्बर 2022
0
0
0

जसोदा पढ़ी -लिखी नौकरी पेशा महिला है ,माँ -बाप ने खूब चाहा कि ये पढ़े न ,और विवाह करके अपना घर बसा ले, किन्तु उसके तो सपने ही अलग थे और वो इस तरह माता -पिता के दबाव में आने वाली भी नहीं थी। उसने तो पहले

13

एकांत

24 नवम्बर 2022
0
0
0

सुबह के पाँच बज चुके थे ,अलार्म बजे जा रहा था। वो अभी और सोना चाहती थी ,लेकिन क्या करे ? मजबूरी है उठना तो है ही ,फिर लेट हो जाउंगी। ये विचार आते ही उसने फुर्ती से अलार्म बंद किया और एकदम

14

एक मुलाकात

22 मई 2023
0
0
0

आज भी वही हुआ ,जिसका डर था , वो लोग चुपचाप चले गए। नंदिनी तो चाहती थी ,कि अभी जबाब मिल जाये ,किन्तु पति ने समझाया , उन्हें अपने घर जाकर सलाह -मशवरा तो करने दो ,एक -दो दिन में जबाब दे देंगे। सुरेश जी

15

वो भयानक रात

23 मई 2023
0
0
0

बड़ी भयावह वो काली अंधियारी रात्रि थी। मैं उस ठंडी सुनसान काली रात्रि को चीरता चला जा रहा था। ठंड भी अपने पूरे जोरों पर थी। दोस्त ने कहा भी था, आज यहीं आराम कर ले। जब इतनी दूर से आया है तो बेटी को विदा

16

मुक्ति

30 मई 2023
2
0
0

मौली अपने दोस्तों संग मस्त थी ,वो अपने दोस्तों के साथ गोवा घूमने जा रही है ,इसीलिये तैयारी में लगी है ,तभी उसके फोन की घंटी बजी। मौली ने नाम देखा और मुँह बनाते हुए ,फ़ोन पर बातें करने लगी -क्या मम्मी ,

17

कड़वाहट

31 मई 2023
0
0
0

चित्रा, कोई भी त्यौहार हो बड़े जोर -शोर से तैयारी करती है ,अब तो उसके सुहाग का त्यौहार ''करवा चौथ ''आ रहा है। आज बाजार गयी और नये कपडे ,शृंगार का सामान ,साथ ही बच्चों के कपड़े भी ले आई .बड़े उत्साह से

18

असीमित आकाश

1 जून 2023
0
0
0

काम तो प्रतिदिन का है, किन्तु आज रीमा के हाथों में जैसे बिजली लगी है ,वो प्रतिदिन से अधिक फुर्ती से कार्य कर रही है ,वह शीघ्र अति शीघ्र अपना कार्य निपटाने का प्रयत्न कर रही है। हो भी क्यों न ?क्य

19

तूफान

2 जून 2023
1
0
1

नवलकिशोर जी के मन में ,आज 'तूफान 'मचा है ,बाहरी वातावरण भी उसके सामने कोई मायने नहीं रखता। वो बस यूँ ही चले जा रहे हैं। कुछ समझ नहीं आता ,कहाँ जाएँ ,क्या करें ? दुनिया में देखा जाये ,तो आज के समय में

20

हिजाब

3 जून 2023
0
0
0

मानिनी कॉलिज में आती है ,आज तरन्नुम ने आने में देर कर दी। मानिनी और तरन्नुम दोनों अच्छी दोस्त हैं। दोनों ही साथ रहती हैं , एक ही कक्षा में ,साथ ही बैठती हैं। जिस दिन एक भ नहीं आती ,दूसरी का मन नही

21

गुल्लक

4 जून 2023
2
0
0

रेवती अपनी सास की, बड़े मन से सेवा करती थी ,उनकी हर चीज का ध्यान रखती थी ताकि किसी भी प्रकार की उन्हें परेशानी न हो। जब उनकी स्वयं की बहु आ आयीं ,तब भी उनके सम्पूर्ण कार्य स्वयं ही करतीं। उनकी सास यान

22

फर्क

7 जून 2023
1
0
0

इस माह नौचंदी का मेला लगने वाला है, किन्तु किसी को क्या फ़र्क पड़ता है ? जाना तो है नहीं ,जाकर भी क्या करना ,मेले में जाने के लिए भी तो, पैसा ही चाहिए। मेला तो पैसे से है ,पैसे वाल

23

घर की याद

8 जून 2023
0
0
0

पुलकित आँखें खोलकर देखता है ,वो बगीचे की बेंच पर लेटा था। अब उसे सब स्मरण हो जाता है। किस तरह वो अपने मम्मी -पापा से नाराज होकर ,घर से भाग आया ? पुलकित ऐसे ही किसी छोटे -मोटे परिवार से नहीं है। उसके

24

मेरे साथ ही क्यों?

10 जून 2023
0
0
0

बहु.......... जी माँजी ,कहते हुए ,पारुल तेज गति से उनके समीप आई। तुझसे कितनी बार कहा है ?उस बड़े कमरे की सफाई कर देना ,जब

25

टास्क

12 जून 2023
0
0
0

शादी के बाद उसने ससुराल में कदम रखा ही था ,कि सास के तीखे तेवर और गर्म मिज़ाज उसे कुछ ही दिनों में पता चल गए। उसने देखा कि जिस व्यक्ति से उसका विवाह हुआ है ,वो तो कुछ बोलता ही नहीं। जो चाहता है ,बस

26

अधूरापन

14 जून 2023
0
0
0

सुगंधा पिता के घर में रही ,अरमान तो बहुत थे ,किन्तु पिता के सख़्त कानून के कारण ,न कहीं आना , न कहीं जाना ,इच्छाएँ ,आकाश की अनंत ,ऊंचाइयों को छूना चाहती किन्तु उसका आसमान सीमित था। कुछ तो घर का अनुशा

27

मिट्टी के खिलौने

15 जून 2023
1
1
0

रामदीन कुम्हार ,प्रतिदिन जोहड़ से चिकनी मिटटी लाता और उसे पैरों से रोंद्ता ,जब वो मिटटी बर्तन बनाने लायक हो जाती तो उसे चाक पर रखकर ,बड़े क़रीने से ,सुंदर -सुंदर मिटटी के बर्तन बनाता। ये उसकी कला ही नह

28

भाग्य का खेल

16 जून 2023
0
0
0

आज मैं अपनी डायरी को ज़िंदगी के एक पहलू कहूँ या कुछ और, किन्तु इतना मैं अवश्य जानती हूँ ,उसे हम भाग्य अथवा क़िस्मत कहते है -इनके इशारों पर ही तो ,हमारी ज़िंदगी चलती है। हम सोचते हैं -जो भी कार्य हम कर रह

29

माँ

17 जून 2023
1
0
1

चम्पाकली 'ताई आज बहुत प्रसन्न है क्योकि उनके दो बेटे ,दो ही बहुएं हैं किन्तु ये उनकी प्रसन्नता का कारण नहीं ,उनकी प्रसन्नता का कारण ,उनका दादी बनना है। दोनों बहुएं ही गर्भवती थीं और अब दोनों ही माँ ब

30

संगीत प्रेम

20 जून 2023
0
0
0

काव्या बहुत ही प्यारी बच्ची है ,मन उसका बहुत ही कोमल है ,सबसे प्रेमपूर्ण व्यवहार करती। दुश्मनी ,लड़ाई क्या होती है ?जैसे वो जानती ही नहीं ,उसे तो सभी अपने ही नजर आते ,छल -कपट से तो उसका दूर -दूर तक वास

31

समुद्र तट

22 जून 2023
0
0
0

कार्तिक और मोना प्रतिदिन , अपने दफ्तर से आते समय कुछ देर ,समुन्द्र के तट पर बैठकर अपनी दिनभर की थकान मिटाते। मोना जब पहली बार अपने दफ्तर में आई ,तब उसकी सबसे पहले मुलाक़ात कार्तिक से ही हुई। कार्तिक न

32

दरार

23 जून 2023
0
0
0

पार्वती जी ,दुखी परेशान ,अपने कमरे में आती हैं और अपने पलंग पर बैठकर ,गहरी स्वांस भरती हैं और अपनी आँखें बंद कर लेती हैं। मैं कितना भी अच्छा सोच लूँ या कर लूँ ?किन्तु इसे अपना नहीं बना सकती ,ये 'दरा

33

पहाड़ी प्रेम

29 जून 2023
0
0
0

ज्योति...... ओ ज्योति....... ! दूर से आती, मौसी की आवाज सुनाई दी। आई मौसी ! कहकर मैं बंसी से बोली -कल आउंगी तब खेलेंगे ,अब मौसी बुला रही है। बंसी ने हाँ में गर्दन हिलाई और मैं ,दौड़ते हुए मौसी के

34

भूतों से बातचीत

1 जुलाई 2023
0
0
0

नंदिनी जैसे ही , अपनी कक्षा में पहुंची -उसने देखा ,सभी बच्चे ,तुषार की सीट के पास खड़े हैं। ये सब क्या हो रहा है ?सभी बच्चे वहाँ क्या कर रहे हैं ? नंदिनी को देखते ही ,सभी बच्चे दौड़कर अपनी -अपनी सीट पर

35

पैसा

2 जुलाई 2023
0
0
0

रतनलाल जी ने कितना पैसा कमाया ? रात -दिन एक कर दिया। शानदार कोठी भी बनाई ,बच्चों को महंगे से महंगे स्कूल में पढ़ाया। सबकुछ तो उनके पास है ,किसी चीज की भी कमी नहीं ,पत्नी के पास भी जेवरों की कोई कमी नह

36

गड़बड़ घोटाला

3 जुलाई 2023
0
0
0

मैं प्रतिदिन की तरह ,जब परिवार के सभी सदस्य अपने -अपने काम पर चले जाते ,तब घर की साफ -सफाई और बाहर बगीचे में पानी देना जैसे कार्य करती। एक दिन जब मैं अपने पौधों को पानी दे रही थी ,तभी मैंने देखा ,स्क

37

रिश्तेदार जलते हैं!

4 जुलाई 2023
1
0
0

कितनी ख़ुशी की बात है ?कीर्ति तुमने पढ़ाई पूरी करने के साथ -साथ ,तुम्हारी नौकरी भी लग गयी। एक पार्टी तो अवश्य बनती है। क्या ख़ाक पार्टी बनती है ?तुम सभी दोस्तों को ही पार्टी दूंगी ,मम्मी -पापा के लि

38

कीमत, समय की

7 जुलाई 2023
0
0
0

अतुल बहुत ही बिगड़ैल और अड़ियल है ,देखने में तो वो बहुत जचँता है ,उसे देखेंगे तो कह उठेंगे कि किसी बड़े घर का बेटा हो लेकिन उसका स्वभाव उसकी शक़्ल और व्यक्तित्व से बिल्कुल विपरीत है। वो न ही किसी की बात

39

कीमती

9 जुलाई 2023
1
0
1

राधा जब ,मोहन से मिली ,उसे देखते ही , अपना दिल दे बैठी ,मोहन की हालत भी कुछ ऐसी ही थी। पहली बार दोनों ,राधा की सहेली के घर पर,उसकी जन्मदिन की पार्टी में ,उससे मिली। जितनी खूबसूरत राधा लग रही थी, उतना

40

मृत्यु पर विजय

10 जुलाई 2023
0
0
0

पल -पल मरता है ,इंसान ! जीने की तमन्ना में ! टूटता है ,बिखरता है, जिन्दा रहने की चाह में !खो देता है ,अपनों का साथ ,जीता है स्वांसों में !स्वांसों का ही खेल है , जिन्दा रहने की आस में !कुछ लोग जी

41

भूतिया हवेली

12 जुलाई 2023
0
0
0

श.... श.... श.... श.... आज आपको एक''अज़ीबो ग़रीब प्रेम की '' कहानी सुनाती हूँ। जानते हैं ,ये जो हवेली है ,ठाकुरों की है ,बहुत ही रुआब था। ठाकुर ''बलदेव सिंह '' अपने नाम की तरह ही बलवान ,बुद्धिमान और रौब

42

सुरक्षा कवच

14 जुलाई 2023
0
0
0

माँ 'तुम अब यहाँ ,अकेली क्या करोगी ? अब तुम भी हमारे संग चलकर रहो !अनंत अपनी माँ से बोला। बेटा ! सम्पूर्ण ज़िंदगी इस शहर में बिता दी ,अब इधर -उधर जाकर क्या करूंगी ? जब तू छोटा था ,तब सोचा करती थी

43

बदलते रंग

16 जुलाई 2023
0
0
0

आज घर में खीर -पूरी ,मालपुए दो सब्ज़ियाँ और बूँदी का रायता बना है क्योंकि आज बहुओं का व्रत है ,आज के दिन सुहागन महिलायें अपने पति की लम्बी उम्र ,और अच्छे स्वास्थ के लिए पूजा करती हैं और अपने घर की बड़ी

44

वो सुबह!

17 जुलाई 2023
1
0
0

कितना सुहावना मौसम है ?रंजन अपने बच्चों से कहता है -चलो !आज कहीं घूमने चलते हैं। बाहर हल्की - हल्की बूंदा -बांदी हो रही थी। बच्चे खुश हो जाते हैं और दौड़कर अपनी मम्मी के पास जाते हैं। मम्मी ! पापा कह

45

लडाई

19 जुलाई 2023
0
0
0

श्रेया ,अपने आप से ही , कितना लड़ रही थी ? ये तो वो ही जानती है।अब तो जीवनभर संघर्ष ही करना है। पहले पढ़ाई में संघर्ष किया क्या विषय लेने हैं ,कौन सा स्कूल चुनना है ? स्कूल में भी ,प्रतिशत में नंबर लाने

46

सूर्यास्त और हम

20 जुलाई 2023
0
0
0

रामलाल जी के घर में ,फोन की घंटी बज रही थी ,उनके बेटे की बहु फोन उठाती है और रामलाल जी से कहती है -पापा जी !आपका फोन है। किसका है ? पूछो कौन है ?और क्या कहना चाहता है ?शिरोमणि अंकल हैं ,और आपसे

47

धड़कन

21 जुलाई 2023
0
0
0

पंकज हमेशा अपनी ही चलाता है , किसी की भी नहीं सुनता ,सुमित्रा जी हमेशा ,एक उम्मीद के सहारे आगे बढ़ उसका समर्थन करतीं और कहतीं -पंकज ,अभी बच्चा है ,समझदार हो जायेगा ,तब सब समझने लगेगा ,कहना भी मानेगा कि

48

मेन्ढकी

22 जुलाई 2023
0
0
0

गर्मी से बुरी हालत थी ,नहाते -नहाते भी पसीने आ जाते। खेती पर काम करने वाले भी खेतों से ,वापस आ गए। सभी को ,बरसात की इच्छा हो चली थी। आपस में कहते -न जाने बरसात कब होगी ?यदि शीघ्र ही बरसात नहीं हुई तो

49

बरसात

23 जुलाई 2023
0
0
0

बरसात का मौसम ''आते ही मन झूमने लगता है ,बारिश की ठंडी -ठंडी फुहार तन को ही नहीं ,मन को भी भिगो जाती हैं। चारों तरफ धुली -धुलि सी ,हरियाली ,लगता है जैसे ,प्रकृति ने धानी चुनर ओढ़ ली हो। बच्चों की तो बर

50

एक ही गलती

25 जुलाई 2023
1
0
0

सुधा खिड़की के पास बैठी ,चाय पी रही थी ,तभी उसकी बेटी ने उसे पुकारा ,मम्मी ,मैंने अपना गृहकार्य कर लिया। ठीक है ,जाओ !अब जाकर बाहर बच्चों के साथ खेल लो !ठीक है ,कहकर वो बाहर की तरफ दौड़ी ,तभी सुधा ने उस

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए