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बदलते रंग

16 जुलाई 2023

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आज घर में खीर -पूरी ,मालपुए दो सब्ज़ियाँ और बूँदी का रायता बना है क्योंकि आज बहुओं का व्रत है ,आज के दिन सुहागन महिलायें अपने पति की लम्बी उम्र ,और अच्छे स्वास्थ के लिए पूजा करती हैं और अपने घर की बड़ी -बुढ़ियो को' बायना 'निकालतीं हैं। उर्मिला की दोनों बहुओं ने भी उपवास रखा है। जब खाना तैयार हो गया तो थाली सजाकर उर्मिला के लिए भी ले आयीं। उसने इंकार कर दिया -नहीं ,मैं नहीं खा पाऊँगी ,अब ये सब मेरे लिए नहीं ,ऐसा भोजन किये तो उसे महीनों हो गए। शुरू -शुरू में इच्छा होती थी फिर परम्पराओं को निभाने के लिए उसने ,ये सब त्याग दिया। आज थाली में इतने व्यंजन देखकर ,उसकी इच्छा तो हो रही थी किन्तु रीति -रिवाज़ों के डर से अपने मन की इच्छा दबा ली। उर्मिला की बहु समझदार है ,बोली -मम्मीजी ,ऐसे कब तक चलेगा ?इसमें आपकी क्या गलती है ?ये तो भाग्य का खेल है।


आपको स्वस्थ रहने के लिए खाना -पीना भी आवश्यक है और कब तक दलिया ,खिचड़ी खाती रहेंगी? प्रतिदिन तो ऐसा भोजन नहीं बनता ,कभी -कभी तो चल जाता है। अन्य दिनों में तो सात्विक भोजन करती ही हैं ,आज त्यौहार है ,खा लीजिये। तभी दरवाज़े की घंटी बजी और वो थाली रखकर दरवाजा खोलने चली गयी। उर्मिला की आँखों से टप -टप आँसू बहने लगे और सोचने लगी -अपनों के प्यार और अपनेपन ने ही तो ज़िंदा रखा है। जब से ये [अपने पति के लिए ] गए हैं ,तब से ज़िंदगी बेरंग हो गयी है ,कुछ भी करने ,कहने की इच्छा नहीं होती। नाम उर्मिला है किन्तु मेरा जीवन भी उसी की तरह हो गया। पति के बिना कैसे जीवन कटता है ?उसके दर्द को मैं ही समझ सकती हूँ किन्तु उसका पति तो अपने भाई राम की सेवा के लिए वनवास गया था उसे एक उम्मीद तो थी कि चौदह वर्षों बाद उसके पति उसके साथ होंगे किन्तु मुझे तो ये उम्मीद भी नहीं।' सोनम' के पापा इतना बड़ा धोखा दे ,बीच राह में छोड़ गए। वे भी क्या करते ?बेबस थे बेचारे ,बिमारी ने छोड़ा ही नहीं उन्हें ,साथ लेकर गयी। 
                   लोग हमें देख ,हंसों का जोड़ा कहते थे ,अब वो ही लोग समझाते हैं ,कि अधेड़ उम्र में ,पति का ऐसा क्या मोह ?अब तो भगवान से लौ लगाओ ,अपने बेटों के पास ठाठ से रहो। इस उम्र में ही तो सहारे की ज्यादा आवश्यकता होती है ,कुछ परेशानी होती तो उनसे कह लेती थी ,अब किसी ने कुछ कह दिया तो मन ही मन घुटती रहूँगी ,तब वो समझा देते तो मन हल्का हो जाता था। बहु -बेटा हैं ,अच्छे हैं किन्तु अपने परिवार में व्यस्त रहते हैं ,मैं अपने कमरे में अकेली ,इस इंतजार में रहती हूँ कि कोई आये और पूछ ले- कुछ चाहिए तो नहीं ?मुझे तो जैसे किसी बात का अधिकार ही नहीं रहा क्योंकि घर की बड़ी -बुढ़ियों ने समझा दिया -न कहीं आना ,न कहीं जाना ,सात्विक भोजन करना ,साधारण वस्त्र पहनना ,न ही किसी से कोई अपेक्षा रखना ,बाक़ी का जीवन ऐसे व्यतीत करना ,जैसे हम होते हुए भी नहीं है। ध्यान ,भजन सुनना ,जीते जी मृत्यु को धारण कर लो। मैं इन सब बातों को नहीं मानती थी किन्तु अपनी परम्पराओं और बड़ों का मान रखते हुए, ये सभी कार्य कर रही थी। आज बहु के कहने पर मैं अपनी परम्पराओं से आगे बढ़ने का प्रयत्न करते हुए ,थाली उठा लेती हूँ। तभी कमरे में छोटी यानि मेरी देवरानी ने कमरे के अंदर प्रवेश किया। 
                 ये !क्या कर रही हो? बहनजी !क्या तुम्हें तनिक भी सोधी [सुध ]नहीं ?ये सुहागन औरतों का त्यौहार है और तुम इनका पुजा हुआ खा रही हो। कब तक अपने को पुजवाती रहोगी ?इस उम्र में भी जिव्हा लपलपा रही है। चटपटा खाने का मोह नहीं छूटा और उसने आव देखा न ताव और हाथ में से थाली छीन ली। ये हरक़त सबने देखी ,अपनी हरकतों पर शर्मिंदा होने की बजाय ,वो सबको समझाते हुए डाँटने लगी ,तुम आजकल की बहुएं हो ,तुम अपने को ज़्यादा समझदार और पढ़ी -लिखी ,मानती हो ,यदि ज्यादा ही अपनी सास पर लाड़ आ रहा था तो बाद में थोड़ा सा भोजन दे सकती थीं लेकिन पुजा हुआ नहीं। ये तो इस उम्र में अपनी अक़्ल खो चुकी हैं ,इन्हें तो सही -गलत का ज्ञान ही नहीं।ऐसा लग रहा था ,जैसे किसी,' चोर को चोरी करते' रंगे हाथों पकड़' लिया हो , मैं अपने को अपमानित महसूस कर अपने आपको कोस रही थी ,मैंने क्यों बहु की बात मानी ?पर सब्र रखा किन्तु अखिंयों पर मेरा बस न चल पाया और अश्रुपूरित हो गयीं किन्तु मैंने अपने आँचल से पोंछ ,उन्हें बाहर ही नहीं आने दिया। सोनम कोअपनी चाची पर बहुत क्रोध आया और बोली -चाचीजी ,ये आप क्या कह रहीं हैं ?मम्मी ने तो मना किया था किन्तु भाभी ने ही .... उसकी बात पूरी होने से पहले ही वो ,शोर मचाती हुई ,रीति -रिवाज़ और परम्पराओं की दुहाई देने लगीं -मुझे क्या ?मत मानो अपने रीति -रिवाज़ ,मत निभाओ अपनी परम्पराएँ ,मैं तो अपने घर चली जाऊँगी मुझे किसी से कहने का कोई अधिकार नहीं और जोर -जोर से रोने लगीं। सब उन्हें समझाने और मनाने बैठ गये ,मैं अपने को कोसती भूखी -प्यासी बैठी रही। 
                     कई वर्ष बीत गए , सोनम का विवाह भी हो गया और उसके प्यारे -प्यारे बच्चे भी हो गए ,मेरे पोती - पोते भी पाठशाला जाने लगे ज़िंदगी अपने ढर्रे से चल रही थी ,इस वर्ष त्यौहार पर सोनम भी आयी हुई थी ,यहाँ का काम कर त्यौहार मना चाची के घर चली गयी। हमारे यहॉँ कहावत है -'आदमी सुख में न जाये किन्तु दुःख में तो खड़ा हो जाये। 'सोनम भी चाची से मिलने गयी उसके चाचा नहीं रहे ,कहेंगी- कि लड़की मिलने भी नहीं आयी।वो घर पहुंची तो चाची खाना खा रही थी ,सोनम को देख ख़ुश होती हुयी बोलीं -बहुत दिनों बाद आयी ,आजा खाना खा ले। नहीं चाचीजी ,मैं घर से ही खाकर आयी हूँ। वो वहीं बैठकर घर पर निगाहें दौड़ाने लगी ,थोड़ी देर बाद उसके लिए चाय आ गयी। बहुएं वहीं बैठकर खाना खाने लगीं। उसने देखा ,चाचीजी ने ,रंगीन साड़ी पहनी है ,खाना भी वही खाया। सोनम से रहा नहीं गया बोली -चाचीजी ,क्या हमारे घर की परम्पराएँ और रीति -रिवाज़ बदल गए ?वो समय ध्यान है , मेरी मम्मी के सामने से परम्पराओं के नाम पर खाने से भरी थाली उठा ली थी ,भूल गयीं क्या ?मैं कोई बदला लेने नहीं आयी किन्तु आपने एक औरत होकर भी दूसरी औरत का दर्द नहीं समझा। बहुओं के सामने कितनी बेइज़्जती की थी, उनकी ?और आज क्या ?वो आज भी निभा रही हैं ,ये परम्पराएँ क्या कुछ ही लोगों के लिए होती हैं ?रिश्ते में छोटी होने के बावज़ूद कितना सुनाया था उन्हें ?और उन्होंने सुना भी। 


                   तभी एक बहु बोली -दीदी अब ज़माना बदल गया है ,सोच बदली है ,ऐसे रीति -रिवाज़ किस काम के जिनमें अपनों की ख़ुशी न हो ?ये अकेली अपने कमरे में परेशान होतीं ,यहॉं हमारे साथ खुश हैं। हमने ये सोचकर इन्हें खाना दिया कि ये सुहागन नहीं तो क्या ?हमारे सुहाग की माँ तो हैं। भाभी वही तो मैं कह रही हूँ - ये कैसी त्रासदी है ?हम औरतें ही इन रीति -रिवाजों और परम्पराओं को निभाती हैं ,उनका सख़्ती से पालन भी करती हैं किन्तु दूसरे के लिए ,अपने लिए वे परम्पराएँ बदल क्यों जाती हैं ?दूसरे के जीवन को अभिशाप बना देती हैं। क्या ये सही है ?उसके प्रश्नों का किसी के पास ज़बाब नहीं था। 
 
                                                   यदि आप लोगों के पास हो तो ज़बाब दें। 
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रचनाएँ
प्रेरक कहानियाँ
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ज़िंदगी में अनेक घटनाएँ -दुर्घटनाइयें,होती हैं,ज़िंदगी जाने -अंजाने अनेक परेशानियों से गुजरती है,इस ज़िंदगी में अनेक रिश्ते भी होते हैं जिनसे हमें कुछ न कुछ सीख मिलती है,सीखने की कोई उम्र नहीं होती चाहे कोई छोटा हो या बड़ा। जीवन में हर पल कुछ न कुछ सीख या प्रेरणा मिल ही जाती है कई बार कुछ सोचने को मजबूर जाती हैं ये कहानियाँ,कई बार आईना दिखा जाती हैं,ये कहानियाँ । इन कहानियों में जीवन के अनेक रंग देखने को मिलेंगे,सही या गलत सोचने पर मजबूर हैं ये कहानियाँ!
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जड़ें

7 नवम्बर 2022
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सुरेश को पढ़ाया -लिखाया ,किसी क़ाबिल बनाने का प्रयत्न किया। वो बाहर गया तो उसे सब बहुत ही अच्छा लगा, बाहर की दुनिया इतनी खूबसूरत है, सब कुछ अच्छा लगता है। उसने अपनी पढ़ाई पूरी की और बाहर ही रहने का फैसला

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बड़ी बहु

8 नवम्बर 2022
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शर्मा जी के बड़े बेटे का विवाह बड़ी धूमधाम से हुआ ,बेटा -बहु दोनों पढ़े -लिखे।लड़की का घर -, परिवार के लोग भी बहुत ही अच्छे हैं। सुंदर होने के साथ -साथ , संस्कारी बहु मिली है ,शर्मा जी के तो जैसे भा

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अनदेखा, अनसुना

9 नवम्बर 2022
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प्रातः काल का समय था ,हल्की ठंड भी पड़ रही थी। एक महिला ,अपनी बेटी के संग ,मेरे घर के दरवाज़े पर खड़ी थी। सुबह -सुबह कौन आ गया ?मैंने थोड़ा परेशान होते हुए ,निर्मला को देखने के लिए भेजा। अब मैं

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वो रात......

10 नवम्बर 2022
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वो रात.... वो रात्रि मेरे लिए ही थी ,मेरे लिए ही तो... सभी कार्य हो रहे थे ,सभी मेरे आगे -पीछे घूम रहे थे। उस रात्रि की'' मल्लिका'' मैं ही थी ,कुछ वर्ष पहले ही तो ,मैं अपने' पापा

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दुःस्वपन

11 नवम्बर 2022
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दीप्ती अति शीघ्रता से अपनी बिल्डिंग से नीचे आती है ,और गाड़ी में बैठकर चल देती है। आज वो देर से उठी, जिस कारण उसे देरी हो रही थी। वो अपनी गाड़ी को ,अपने दफ़्तर की ओर ,तेज़ गति से दौड़ा रही थी। आज &nbs

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शापित जीवन

12 नवम्बर 2022
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शापित कोई स्थान ,व्यक्ति अथवा कोई वस्तु नहीं होती ,वरन शापित उसका अपना जीवन ही हो जाता है। जिस जीवन को, वो जी रहा है ,उस जीवन को जीते -जी ठीक से नहीं जी पाता। लोग कहते हैं -''ये जीवन अमूल्य है ''&nbsp

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हद- बेहद

14 नवम्बर 2022
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गोलियों की बौछार का सामना करते हुए, वो आगे बढ़ रहे थे। दुश्मन भी कम नहीं था ,हम उनके लोगों को मारते ,फिर भी न जाने कहाँ से और बढ़ जाते। क्या हमसे कोई खेल खेल रहे थे ?निश्चित स्थान से ,हम आगे

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मेरे साथ ही क्यों?

15 नवम्बर 2022
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बहु.......... जी माँजी ,कहते हुए ,पारुल तेज गति से उनके समीप आई। तुझसे कितनी बार कहा है ?उस बड़े कमरे की सफाई कर देना ,जब

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देर रात

17 नवम्बर 2022
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तृप्ति ,डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही थी ,मम्मी -पापा की लाड़ली ,मम्मी का सपना था कि बड़ी होकर ,तृप्ति डॉक्टर बने। वो ''दिल ''की डॉक्टर बनना ,चाह रही थी किन्तु एक समय परिस्थिति ऐसी बनी कि वो जच्चा -बच्चा

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लौटा दो!

19 नवम्बर 2022
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मानिनी'' का जब भी देखो , किसी न किसी बात पर'' मेहुल'' से झगड़ा हो ही जाता है।आज भी मेहुल बिना खाना खाये घर से निकल गया। उसने कहा भी ,कि खाना खाकर जाओ !लेकिन मेहुल ने गुस्से में उसकी किसी भी बात पर

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नई उड़ान

22 नवम्बर 2022
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रमा बड़ी बेचैनी से बार -बार मंच की तरफ देख रही थी ,फिर उठकर अंदर की तरफ चली गयी। वहाँ जाकर देखा- सब ठीक है या नहीं, तभी दीपा के कपड़ों की एक डोर खुली नज़र आई ,उसने दीपा को टोका और अपनी स

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जसोदा

24 नवम्बर 2022
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जसोदा पढ़ी -लिखी नौकरी पेशा महिला है ,माँ -बाप ने खूब चाहा कि ये पढ़े न ,और विवाह करके अपना घर बसा ले, किन्तु उसके तो सपने ही अलग थे और वो इस तरह माता -पिता के दबाव में आने वाली भी नहीं थी। उसने तो पहले

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एकांत

24 नवम्बर 2022
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सुबह के पाँच बज चुके थे ,अलार्म बजे जा रहा था। वो अभी और सोना चाहती थी ,लेकिन क्या करे ? मजबूरी है उठना तो है ही ,फिर लेट हो जाउंगी। ये विचार आते ही उसने फुर्ती से अलार्म बंद किया और एकदम

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एक मुलाकात

22 मई 2023
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आज भी वही हुआ ,जिसका डर था , वो लोग चुपचाप चले गए। नंदिनी तो चाहती थी ,कि अभी जबाब मिल जाये ,किन्तु पति ने समझाया , उन्हें अपने घर जाकर सलाह -मशवरा तो करने दो ,एक -दो दिन में जबाब दे देंगे। सुरेश जी

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वो भयानक रात

23 मई 2023
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बड़ी भयावह वो काली अंधियारी रात्रि थी। मैं उस ठंडी सुनसान काली रात्रि को चीरता चला जा रहा था। ठंड भी अपने पूरे जोरों पर थी। दोस्त ने कहा भी था, आज यहीं आराम कर ले। जब इतनी दूर से आया है तो बेटी को विदा

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मुक्ति

30 मई 2023
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मौली अपने दोस्तों संग मस्त थी ,वो अपने दोस्तों के साथ गोवा घूमने जा रही है ,इसीलिये तैयारी में लगी है ,तभी उसके फोन की घंटी बजी। मौली ने नाम देखा और मुँह बनाते हुए ,फ़ोन पर बातें करने लगी -क्या मम्मी ,

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कड़वाहट

31 मई 2023
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चित्रा, कोई भी त्यौहार हो बड़े जोर -शोर से तैयारी करती है ,अब तो उसके सुहाग का त्यौहार ''करवा चौथ ''आ रहा है। आज बाजार गयी और नये कपडे ,शृंगार का सामान ,साथ ही बच्चों के कपड़े भी ले आई .बड़े उत्साह से

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असीमित आकाश

1 जून 2023
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काम तो प्रतिदिन का है, किन्तु आज रीमा के हाथों में जैसे बिजली लगी है ,वो प्रतिदिन से अधिक फुर्ती से कार्य कर रही है ,वह शीघ्र अति शीघ्र अपना कार्य निपटाने का प्रयत्न कर रही है। हो भी क्यों न ?क्य

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तूफान

2 जून 2023
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नवलकिशोर जी के मन में ,आज 'तूफान 'मचा है ,बाहरी वातावरण भी उसके सामने कोई मायने नहीं रखता। वो बस यूँ ही चले जा रहे हैं। कुछ समझ नहीं आता ,कहाँ जाएँ ,क्या करें ? दुनिया में देखा जाये ,तो आज के समय में

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हिजाब

3 जून 2023
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मानिनी कॉलिज में आती है ,आज तरन्नुम ने आने में देर कर दी। मानिनी और तरन्नुम दोनों अच्छी दोस्त हैं। दोनों ही साथ रहती हैं , एक ही कक्षा में ,साथ ही बैठती हैं। जिस दिन एक भ नहीं आती ,दूसरी का मन नही

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गुल्लक

4 जून 2023
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रेवती अपनी सास की, बड़े मन से सेवा करती थी ,उनकी हर चीज का ध्यान रखती थी ताकि किसी भी प्रकार की उन्हें परेशानी न हो। जब उनकी स्वयं की बहु आ आयीं ,तब भी उनके सम्पूर्ण कार्य स्वयं ही करतीं। उनकी सास यान

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फर्क

7 जून 2023
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इस माह नौचंदी का मेला लगने वाला है, किन्तु किसी को क्या फ़र्क पड़ता है ? जाना तो है नहीं ,जाकर भी क्या करना ,मेले में जाने के लिए भी तो, पैसा ही चाहिए। मेला तो पैसे से है ,पैसे वाल

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घर की याद

8 जून 2023
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पुलकित आँखें खोलकर देखता है ,वो बगीचे की बेंच पर लेटा था। अब उसे सब स्मरण हो जाता है। किस तरह वो अपने मम्मी -पापा से नाराज होकर ,घर से भाग आया ? पुलकित ऐसे ही किसी छोटे -मोटे परिवार से नहीं है। उसके

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मेरे साथ ही क्यों?

10 जून 2023
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बहु.......... जी माँजी ,कहते हुए ,पारुल तेज गति से उनके समीप आई। तुझसे कितनी बार कहा है ?उस बड़े कमरे की सफाई कर देना ,जब

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टास्क

12 जून 2023
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शादी के बाद उसने ससुराल में कदम रखा ही था ,कि सास के तीखे तेवर और गर्म मिज़ाज उसे कुछ ही दिनों में पता चल गए। उसने देखा कि जिस व्यक्ति से उसका विवाह हुआ है ,वो तो कुछ बोलता ही नहीं। जो चाहता है ,बस

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अधूरापन

14 जून 2023
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सुगंधा पिता के घर में रही ,अरमान तो बहुत थे ,किन्तु पिता के सख़्त कानून के कारण ,न कहीं आना , न कहीं जाना ,इच्छाएँ ,आकाश की अनंत ,ऊंचाइयों को छूना चाहती किन्तु उसका आसमान सीमित था। कुछ तो घर का अनुशा

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मिट्टी के खिलौने

15 जून 2023
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रामदीन कुम्हार ,प्रतिदिन जोहड़ से चिकनी मिटटी लाता और उसे पैरों से रोंद्ता ,जब वो मिटटी बर्तन बनाने लायक हो जाती तो उसे चाक पर रखकर ,बड़े क़रीने से ,सुंदर -सुंदर मिटटी के बर्तन बनाता। ये उसकी कला ही नह

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भाग्य का खेल

16 जून 2023
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आज मैं अपनी डायरी को ज़िंदगी के एक पहलू कहूँ या कुछ और, किन्तु इतना मैं अवश्य जानती हूँ ,उसे हम भाग्य अथवा क़िस्मत कहते है -इनके इशारों पर ही तो ,हमारी ज़िंदगी चलती है। हम सोचते हैं -जो भी कार्य हम कर रह

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माँ

17 जून 2023
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चम्पाकली 'ताई आज बहुत प्रसन्न है क्योकि उनके दो बेटे ,दो ही बहुएं हैं किन्तु ये उनकी प्रसन्नता का कारण नहीं ,उनकी प्रसन्नता का कारण ,उनका दादी बनना है। दोनों बहुएं ही गर्भवती थीं और अब दोनों ही माँ ब

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संगीत प्रेम

20 जून 2023
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काव्या बहुत ही प्यारी बच्ची है ,मन उसका बहुत ही कोमल है ,सबसे प्रेमपूर्ण व्यवहार करती। दुश्मनी ,लड़ाई क्या होती है ?जैसे वो जानती ही नहीं ,उसे तो सभी अपने ही नजर आते ,छल -कपट से तो उसका दूर -दूर तक वास

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समुद्र तट

22 जून 2023
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कार्तिक और मोना प्रतिदिन , अपने दफ्तर से आते समय कुछ देर ,समुन्द्र के तट पर बैठकर अपनी दिनभर की थकान मिटाते। मोना जब पहली बार अपने दफ्तर में आई ,तब उसकी सबसे पहले मुलाक़ात कार्तिक से ही हुई। कार्तिक न

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दरार

23 जून 2023
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पार्वती जी ,दुखी परेशान ,अपने कमरे में आती हैं और अपने पलंग पर बैठकर ,गहरी स्वांस भरती हैं और अपनी आँखें बंद कर लेती हैं। मैं कितना भी अच्छा सोच लूँ या कर लूँ ?किन्तु इसे अपना नहीं बना सकती ,ये 'दरा

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पहाड़ी प्रेम

29 जून 2023
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ज्योति...... ओ ज्योति....... ! दूर से आती, मौसी की आवाज सुनाई दी। आई मौसी ! कहकर मैं बंसी से बोली -कल आउंगी तब खेलेंगे ,अब मौसी बुला रही है। बंसी ने हाँ में गर्दन हिलाई और मैं ,दौड़ते हुए मौसी के

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भूतों से बातचीत

1 जुलाई 2023
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नंदिनी जैसे ही , अपनी कक्षा में पहुंची -उसने देखा ,सभी बच्चे ,तुषार की सीट के पास खड़े हैं। ये सब क्या हो रहा है ?सभी बच्चे वहाँ क्या कर रहे हैं ? नंदिनी को देखते ही ,सभी बच्चे दौड़कर अपनी -अपनी सीट पर

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पैसा

2 जुलाई 2023
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रतनलाल जी ने कितना पैसा कमाया ? रात -दिन एक कर दिया। शानदार कोठी भी बनाई ,बच्चों को महंगे से महंगे स्कूल में पढ़ाया। सबकुछ तो उनके पास है ,किसी चीज की भी कमी नहीं ,पत्नी के पास भी जेवरों की कोई कमी नह

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गड़बड़ घोटाला

3 जुलाई 2023
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मैं प्रतिदिन की तरह ,जब परिवार के सभी सदस्य अपने -अपने काम पर चले जाते ,तब घर की साफ -सफाई और बाहर बगीचे में पानी देना जैसे कार्य करती। एक दिन जब मैं अपने पौधों को पानी दे रही थी ,तभी मैंने देखा ,स्क

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रिश्तेदार जलते हैं!

4 जुलाई 2023
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कितनी ख़ुशी की बात है ?कीर्ति तुमने पढ़ाई पूरी करने के साथ -साथ ,तुम्हारी नौकरी भी लग गयी। एक पार्टी तो अवश्य बनती है। क्या ख़ाक पार्टी बनती है ?तुम सभी दोस्तों को ही पार्टी दूंगी ,मम्मी -पापा के लि

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कीमत, समय की

7 जुलाई 2023
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अतुल बहुत ही बिगड़ैल और अड़ियल है ,देखने में तो वो बहुत जचँता है ,उसे देखेंगे तो कह उठेंगे कि किसी बड़े घर का बेटा हो लेकिन उसका स्वभाव उसकी शक़्ल और व्यक्तित्व से बिल्कुल विपरीत है। वो न ही किसी की बात

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कीमती

9 जुलाई 2023
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राधा जब ,मोहन से मिली ,उसे देखते ही , अपना दिल दे बैठी ,मोहन की हालत भी कुछ ऐसी ही थी। पहली बार दोनों ,राधा की सहेली के घर पर,उसकी जन्मदिन की पार्टी में ,उससे मिली। जितनी खूबसूरत राधा लग रही थी, उतना

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मृत्यु पर विजय

10 जुलाई 2023
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पल -पल मरता है ,इंसान ! जीने की तमन्ना में ! टूटता है ,बिखरता है, जिन्दा रहने की चाह में !खो देता है ,अपनों का साथ ,जीता है स्वांसों में !स्वांसों का ही खेल है , जिन्दा रहने की आस में !कुछ लोग जी

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भूतिया हवेली

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श.... श.... श.... श.... आज आपको एक''अज़ीबो ग़रीब प्रेम की '' कहानी सुनाती हूँ। जानते हैं ,ये जो हवेली है ,ठाकुरों की है ,बहुत ही रुआब था। ठाकुर ''बलदेव सिंह '' अपने नाम की तरह ही बलवान ,बुद्धिमान और रौब

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सुरक्षा कवच

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माँ 'तुम अब यहाँ ,अकेली क्या करोगी ? अब तुम भी हमारे संग चलकर रहो !अनंत अपनी माँ से बोला। बेटा ! सम्पूर्ण ज़िंदगी इस शहर में बिता दी ,अब इधर -उधर जाकर क्या करूंगी ? जब तू छोटा था ,तब सोचा करती थी

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बदलते रंग

16 जुलाई 2023
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आज घर में खीर -पूरी ,मालपुए दो सब्ज़ियाँ और बूँदी का रायता बना है क्योंकि आज बहुओं का व्रत है ,आज के दिन सुहागन महिलायें अपने पति की लम्बी उम्र ,और अच्छे स्वास्थ के लिए पूजा करती हैं और अपने घर की बड़ी

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वो सुबह!

17 जुलाई 2023
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कितना सुहावना मौसम है ?रंजन अपने बच्चों से कहता है -चलो !आज कहीं घूमने चलते हैं। बाहर हल्की - हल्की बूंदा -बांदी हो रही थी। बच्चे खुश हो जाते हैं और दौड़कर अपनी मम्मी के पास जाते हैं। मम्मी ! पापा कह

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लडाई

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श्रेया ,अपने आप से ही , कितना लड़ रही थी ? ये तो वो ही जानती है।अब तो जीवनभर संघर्ष ही करना है। पहले पढ़ाई में संघर्ष किया क्या विषय लेने हैं ,कौन सा स्कूल चुनना है ? स्कूल में भी ,प्रतिशत में नंबर लाने

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सूर्यास्त और हम

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रामलाल जी के घर में ,फोन की घंटी बज रही थी ,उनके बेटे की बहु फोन उठाती है और रामलाल जी से कहती है -पापा जी !आपका फोन है। किसका है ? पूछो कौन है ?और क्या कहना चाहता है ?शिरोमणि अंकल हैं ,और आपसे

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धड़कन

21 जुलाई 2023
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पंकज हमेशा अपनी ही चलाता है , किसी की भी नहीं सुनता ,सुमित्रा जी हमेशा ,एक उम्मीद के सहारे आगे बढ़ उसका समर्थन करतीं और कहतीं -पंकज ,अभी बच्चा है ,समझदार हो जायेगा ,तब सब समझने लगेगा ,कहना भी मानेगा कि

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मेन्ढकी

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गर्मी से बुरी हालत थी ,नहाते -नहाते भी पसीने आ जाते। खेती पर काम करने वाले भी खेतों से ,वापस आ गए। सभी को ,बरसात की इच्छा हो चली थी। आपस में कहते -न जाने बरसात कब होगी ?यदि शीघ्र ही बरसात नहीं हुई तो

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बरसात

23 जुलाई 2023
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बरसात का मौसम ''आते ही मन झूमने लगता है ,बारिश की ठंडी -ठंडी फुहार तन को ही नहीं ,मन को भी भिगो जाती हैं। चारों तरफ धुली -धुलि सी ,हरियाली ,लगता है जैसे ,प्रकृति ने धानी चुनर ओढ़ ली हो। बच्चों की तो बर

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एक ही गलती

25 जुलाई 2023
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सुधा खिड़की के पास बैठी ,चाय पी रही थी ,तभी उसकी बेटी ने उसे पुकारा ,मम्मी ,मैंने अपना गृहकार्य कर लिया। ठीक है ,जाओ !अब जाकर बाहर बच्चों के साथ खेल लो !ठीक है ,कहकर वो बाहर की तरफ दौड़ी ,तभी सुधा ने उस

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