सुधा खिड़की के पास बैठी ,चाय पी रही थी ,तभी उसकी बेटी ने उसे पुकारा ,मम्मी ,मैंने अपना गृहकार्य कर लिया। ठीक है ,जाओ !अब जाकर बाहर बच्चों के साथ खेल लो !
ठीक है ,कहकर वो बाहर की तरफ दौड़ी ,तभी सुधा ने उसे पुकारा -निमिषा ,दिन छिपने से पहले ही आ जाना ,किसी अजनबी से बातें न करना ,किसी से कुछ भी लेकर मत खाना।
ठीक है ,मम्मी !आप हर बार यही बातें दोहराती हैं।
हाँ ,बेटे दोहराना पड़ता है ,इस तरह दोहराने से तुम भूलोगी नहीं ,कभी -कभी हमारी ' एक भी गलती' ,ज़िंदगी भर की सजा बन जाती है ,तब तक निमिषा जा चुकी थी। सुधा चाहती थी, जो गलती उससे हो गयी है ,अब आगे वो अपनी बेटी को समझाकर रखे ,उसकी बेटी वही गलती न दोहराये। आदमी कितना भी सतर्क रहे किन्तु जीवन में 'एक न एक गलती 'हो ही जाती है ,उसमें फिर पछताने के सिवा कुछ हाथ नहीं आता। जिसका ख़ामियाजा वो आज भी भुगत रही है।जीवन में कुछ गलतियां ऐसी भी हो जाती हैं ,जिन्हें न ही समाज ,न ही घरवाले माफ करते हैं ,तब उस गलती को जीवनभर के लिए ,अपने सर पर बोझ की तरह ढोते रहो। सुधा ने एक बार खिड़की से बाहर झांककर देखा ,निमिषा बच्चों के साथ ,खेल में मस्त है।
सुधा रसोईघर में ,अपने कार्य में व्यस्त हो जाती है , किन्तु उसका मन तो आज से दस साल पीछे अपने घर में पहुंच गया ,जब उसे निमेष मिला था ,तब वो अपनी स्नातक की पढ़ाई कर रही थी। दोनों कॉलिज के 'पुस्तकालय' में मिले थे ,आँखों ही आँखों में ,एक -दूसरे को पसंद कर लिया। धीरे -धीरे ,एक दूसरे से मिलने लगे और एक -दूसरे के करीब आ गए। प्यार में ,दुनिया कितनी खूबसूरत नजर आती थी ? दुनिया में लोगों को तो ,नफ़रत ,करने पर ,कोई गलती करने पर सजा मिलती है ,किन्तु मुझे तो प्यार करने पर ही सजा मिली है। मुझे नहीं लगता था ,कि प्यार करना भी गुनाह हो सकता है। प्यार में कितना सुंदर एहसास होता था ? दुनिया खूबसूरत नजर आने लगती है ,मन एकदम निर्मल हो जाता है ,अपने प्यार के सिवा ,सारी दुनिया में ,प्यार ही प्यार नजर आता है।
किन्तु मेरा ये सुंदर सपना जब टूटा ,जब निमेष मुझसे शादी का वादा करके छोड़कर चला गया। मैं तो जैसे उसके इंतजार में बावरी सी हो गयी थी ,वो मेरे मम्मी -पापा से बात करने आनेवाला था ,मैं तैयार होकर उसकी प्रतीक्षा कर रही थी ,मम्मी -पापा को कुछ नहीं बताया था ,उन्होंने पूछा भी था ,क्या आज कोई आने वाला है किन्तु मैंने ये सोचकर इंकार कर दिया था ,जब वो अचानक आकर ,इन लोगों से मेरा हाथ मांगेगा ,तब ये लोग भी ,आश्चर्यचकित रह जायेंगे। मैं उसके इंतजार में ,कभी ,खिड़की से झांकती ,कभी दरवाजे पर आहट लेती किन्तु वो नहीं आया। मैंने निराश होकर अपने कपड़े बदले और अपने कमरे में चली गई ,अगले दिन उसे कॉलिज में भी ढूंढा किन्तु वो कहीं भी दिखलाई नहीं दिया। न ही पुस्तकालय में ,न ही उस स्थान पर ,जहाँ हम मिला करते थे।
कई दिनों तक इंतजार किया ,एक दिन खाना खाते समय अचानक ,उल्टी का एहसास हुआ ,खाने -पीने की चीजों से दुर्गंध आने लगी। पता नहीं ,मुझे क्या हो रहा था ? कमजोरी भी महसूस हो रही थी किन्तु मम्मी ने समझ लिया और मुझे डॉक्टर के पास ले गयीं ,जब उनका शक यकीन में बदल गया तो घर में कुहराम मच गया। कुछ समझ नहीं आ रहा था ,मैंने तो प्यार किया था ,क्या प्यार करने पर इतनी बड़ी सजा मिलने वाली है ?कॉलिज जाना छूट गया ,शीघ्र अति शीघ्र मेरे गर्भपात की योजना बनती किन्तु मेरे इंकार करने पर तो जैसे मैं उनकी ,वे मेरे दुश्मन हो गए ,कोई भी तो मेरे साथ नहीं था। मैं अकेली ,सबसे जूझ रही थी। तब मेरे लिए कोई भी लड़का देखकर, उस घर से मुझे टालना चाहा ,अपने गले पड़ी मुसीबत ,गैर के गले में डालनी चाही।
लड़के ने मुझे स्वीकार कर लिया किन्तु शीघ्र ही ,उसे पता चल गया उसकी पत्नी किसी और के बच्चे की माँ बनने वाली है। जिसके फ़लस्वरुप उसका प्रेम समाप्त हो गया ,सहानुभूति भी नहीं रही ,मुझे घृणा की दृष्टि से इस तरह देखते ,जैसे मैं किसी बदबूदार कीचड़ में सनी हूँ। मेरे प्यार की महक, जिस तक भी पहुंचती ,उसी के लिए मैं सवालिया हो जाती, किसी ने भी ,मेरे से मेरे मन की बात जाननी नहीं चाही कि प्यार में धोखा खाकर ,इतने अपमान सहन करके मुझे केेसा लग रहा है ? मैंने तो जुर्म किया था न... प्यार करने का समाज में ,मेरे अपने घरवालों के पास, मेरे लिए नफ़रत के सिवा कुछ नहीं था। मेरे पास न पिता का घर था ,न ही पति का ,मैं अपने प्यार की निशानी को लेकर दूर निकल आई ,क्योंकि मैं उस निशानी से नफ़रत नहीं कर सकी ,हो सकता है ,उस लड़के ने मुझे धोखा दिया किन्तु मैंने तो प्यार किया था ,मैं अपने उस सच्चे प्यार को झुठला तो नहीं सकती ,हाँ ,मैंने वो गलती की ,किन्तु मेरी वो गलती ,देखने वाले की नजर में थी ,मेरे लिए नहीं थी।
जब निमिषा मेरी गोद में आई ,मैं तो सभी परेशानी ,सभी अपमान भूल गयी ,मेरे निमेष की निशानी निमिषा.... अब बड़ी होती जा रही है ,मुझे उसे समझाना है ,उससे भी कहीं कोई ऐसी गलती न हो जाये जिसे मैं न संभाल सकूँ ,जब मेरी गलती को इतने लोग न संभाल सके तब मैं अकेली ,जो आज भी अपनी लड़ाई लड़ रही है ,कैसे सम्भालूंगी ?
मम्मी ,मम्मी ! देखो !मेरे साथ कौन आया ?
कौन है ? कहते हुए वो बाहर आई ,उसे लगा जैसे उसकी आँखें धुंधला रहीं हैं ,कुछ दिखलाई नहीं दे रहा ,वो वहीँ पास में पड़ी कुर्सी पर बैठ गयी। निमिषा दौड़कर पानी लाई ,पानी पीकर ,सुधा को जैसे होश आया ,तब बोली -तुम....
हाँ मैं ,तुम्हें बहुत ढूंढा ,तुम नहीं मिलीं ,जब भी तुम्हारी जैसी कोई दिखती ,मैं उसका चेहरा देख निराश हो जाता ,कई दिनों से मैं, इस बच्ची को देख रहा था किन्तु समझ नहीं पा यह था कि इसके परिवार से बात करूं या नहीं। जबसे इसने अपना नाम निमिषा बताया तबसे परेशान था ,आज सोचा ,मिल ही लेता हूँ। मुझे वो बात स्मरण होती थी ,जब तुमने और मैंने अपनी बेटी का नाम सोचा था -''निमिषा ''और मैं सही निकला तुम ही इसकी माँ हो। तुम कुछ बोल क्यों नहीं रहीं ?कुछ तो बोलो !
बड़ी मुश्किल से शब्द निकल रहे थे ,जैसे कहने को अब कुछ था ही नहीं ,तब भी बोली -तुम उस दिन.... क्यों नहीं आये ?
मेरे साथ एक दुर्घटना हो गयी ,तुमसे मिलने ही आ रहा था ,उस दुर्घटना में मेरा एक पैर गया ,बहुत दिनों तक बिस्तर पर रहा ,तुम्हारी याद में ,शीघ्र अति शीघ्र ठीक होने का प्रयास करता रहा ,जब कॉलिज गया ,पता चला -तुम्हारा कॉलिज छूट गया , तुम्हारे घर में किसी ने अंदर नहीं जाने दिया ,कहा- तुम्हारी शादी हो गयी है। तब मैं क्या करता ? बस 'एक गलती 'हो गयी ,उन लोगों की बातों पर विश्वास कर ,मैंने तुम्हारी तलाश बंद कर दी ,तुमसे मिलने की उम्मीद ही समाप्त हो गई थी ,जबकि मैं यहीं तीन साल से रह रहा हूँ ,तुम्हारे पति कहाँ हैं ?जबसे मैं ही मैं ही कहे जा रहा हूँ ,तुम भी तो बोलो !
सुधा रोने लगी , रोते -रोते उसे सुबकी आने लगी ,इतने वर्षों का बांध जैसे ,आज टूटा है ,उस सैलाब में सभी दर्द -दुःख ,ताने ,शिकवा -शिकायतें बही जा रहीं थीं , सब कुछ समाप्त हो गया कहकर फिर से रोने लगी ,बस मेरे पास ,तुम्हारी यही एक निशानी है।
क्या ,ये हमारी बेटी है ?
सुधा ने हाँ में गर्दन हिलाई ,ये सुनकर वो खुश हो गया ,उसने अपनी बेटी को गले लगा लिया।
तुम्हारा परिवार.....
है ,न...... बस अपने परिवार से बिछुड़ गया था ,आज मिला है ,सुधा ने अविश्वास से उसकी तरफ देखा ,हाँ ,यही मेरा परिवार है ,मैंने आज तक शादी नहीं की ,हमसे जो भी गलती हुई उसे अब हम सुधार लेंगे ,कल ही मंदिर में शादी कर लेंगे।