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नई उड़ान

22 नवम्बर 2022

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रमा बड़ी बेचैनी से बार -बार मंच की तरफ देख रही थी ,फिर  उठकर  अंदर की तरफ चली गयी। वहाँ जाकर देखा- सब ठीक है या नहीं, तभी दीपा के कपड़ों की एक डोर खुली नज़र आई ,उसने दीपा को टोका और अपनी सहायिका से ध्यान रखने को कहा। आज उसे इस तरह बेचैनी हो रही है ,जैसे छोटे बच्चों को ,जब उनके बोर्ड के पेपर होते हैं, अपनी तैयारी तो पूरी होती है किन्तु पेपर आरम्भ होने से पहले ,कक्षा में प्रवेश से पहले ,बार -बार अपनी पुस्तक खोलकर देखता है और लगता है- कहीं कुछ छूट तो नहीं गया ,कुछ भूला  तो नहीं। आज वही हालत रमा की हो रही है ,जब तक कार्यक्रम आरम्भ नहीं हो जाता ,इसी तरह की बेचैनी बनी रहेगी। हो भी क्यों न ?रात -दिन एक करके उन्होंने अपने नमूने तैयार किये ,अपनी सोच ,अपनी सारी रचनात्मकता ,इन नमूनों में डाली। ये नहीं, कि वो जीतना चाहती है या अपने से छोटो को हराना चाहती है किन्तु उसकी ये लड़ाई तो ,अपने -आप से ही है। वो आज अपने -आपको ही एहसास दिलाना चाहती है कि उसका निर्णय गलत नहीं था वरन उसने जो भी कदम उठाये हैं ,वो उचित हैं ,वो अपनी ही नज़र में आगे बढ़ना और उठना चाहती है। अपने को ही विश्वास दिलाती है कि आज भी उसमें कुछ कर गुजरने की क्षमता है। लोग आने आरम्भ हो गए और उसके दिल की धड़कने भी बढ़ने लगीं। अब वो अंदर आकर अपने किये गए, सम्पूर्ण कार्य का स्वयं ही निरीक्ष्ण करने लगी। पूरी तरह आश्वस्त होकर उसने ठंडी साँस ली और पानी पीया। कुछ देर बाद ही उसकी बारी थी ,उसने पुनः उन लड़कियों को देखा जो उसके बनाये वस्त्र पहने खड़ी थीं। अब वह  अपने को पूरी तरह से आश्वस्त कर बाहर आ गयी।
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                 क्योंकि वो भी जनता के पास खड़ी होकर ,उनकी नज़रों से समझना चाहती थी कि क्या सही है ,क्या ग़लत ?उसके समूह की लड़कियाँ जब चलती हुयी ,मंच पर आयीं तो लोगों ने तालियां बजायीं ,उनकी तालियां ही उसके होने का एहसास करा रहीं थीं। उसे भी मंच पर बुलाया गया तो लोग अत्यधिक अचम्भित हुए कि इस उम्र में इतनी मेहनत और इतनी बारीकी से ये नमूने तैयार किये। एक ने प्रश्न किया -आप ये कार्य कब से कर रहीं हैं ?अभी पांच -छह बरस से रमा  ने उत्तर दिया। इससे पहले आप क्या करती थीं ?दूसरे  जज ने पूछा -इससे पहले मैं अपने परिवार में थी और अपनी गृहस्थी संभाल रही थी ,रमा  का जबाब था।  वो जज आपस में बातें करने लगे फिर एक ने पूछा -आपने कहीं  से सीखा है ,रमा  बोली -जी ,मुझे सिलाई और उसकी बारीकियां पहले से ही आती थीं किन्तु व्यवसायिक रूप से मैंने एक बरस सीखा और परिणाम आपके सामने है। ये सब आपने एक बरस में ही सीख़ लिया, जज ने आश्चर्य से पूछा। अब तक रमा  में आत्मविश्वास आ गया था बोली -ये सब मेरी अपनी सोच है ,यदि हममें रचनात्मकता और हौसला है तो हम कुछ भी कर सकते हैं। रचनात्मकता,कला  तो भगवान की देन  है ,उसे न ही कोई सीखा सकता है न ही छीन सकता है।कुछ क्षण पश्चात, रमा के नमूने चुन लिए गए और वो ख़ुशी में  रोने लगी ,उसे लगा- जैसे मेरा जीवन  आज सार्थक हो गया। इतने सालों से अपनी इच्छाओं को दबाये बैठी थी किन्तु अब उसका कोई दुःख नहीं ,सारी कसर आज पूर्ण हुयी। घर आते ही उसने ठंडी साँस ली और कुर्सी में धंस गयी। अपनी गर्दन पीछे टिकाकर आँखें मूँद लीं और सोचने लगी ,जब उसने अपनी बात अपने पति और बच्चों को बताई थी कि अब सब बड़े और समझदार हो गए हैं ,मेरी अपनी भी ज़िंदगी है ,सब अपना -अपना कार्य  करें। अब मैं अपने लिए भी कुछ करना चाहती हूँ। सुनकर पतिदेव ने ही पहले विरोध किया और बोले -अब इस उम्र में तुम क्या करोगी ? उन्होंने जब देखा मुझे बुरा लगा, तो बोले -सारा जीवन तुमने मेहनत करते बिताया है ,अब तुम किसी भी पचड़े में मत पड़ो और आराम करो। 
             उनकी ऐसी बातें दिल बहला देतीं किन्तु उनकी बातों में मेरे लिए प्यार नहीं वरन मुझे बहलाकर ,घर में ही काम कराना ही था। मैंने कहा - मैं अब इस उम्र में, घर में भी तो, कार्य कर ही रही हूँ ,कौन सा ,मुझे आराम मिलता है ?किन्तु अब मैं अपने मन की तुष्टि के लिए कार्य करना चाहती हूँ और इसमें मुझे तुम सब लोगों का सहयोग चाहिए कि सब अपना -अपना कार्य करें जो भी मेरी ज़िम्मेदारी है ,वो मैं निभाऊँगी किन्तु बिस्तर पर बैठे -बैठे, जो तुम लोग काम बताते रहते हो , अब उसकी छुट्टी। पति बोले -मेरी तो समझ में ही नहीं आ रहा ,अब इस उम्र में नौकरी करोगी तो कौन तुम्हें नौकरी देगा ?वो उन पर झल्ला उठी -बोली -ये क्या? बार -बार आप मुझे इस उम्र -इस उम्र, में कहकर हतोत्साहित कर रहे हैं। क्या आप जानते हैं ?कि जब हमारा विवाह हुआ ,तब मेरी उम्र मात्र अट्ठारह बरस थी ,मैं आगे पढ़ना चाहती थी ,शिक्षिका बनना चाहती थी। ज्ञान  का अर्जन कर , उसका प्रकाश फैलाना चाहती थी किन्तु माता -पिता तो शीघ्र अति शीघ्र मेरा विवाह कर ,अपनी जिम्मेदारियों से मुक़्त हो जाना चाहते थे। न ही उन्होंने जानना चाहा कि मैं क्या चाहती हूँ ?न ही आपने कभी पूछा- कि मुझे क्या पसंद है या मैं क्या चाहती हूँ ?मेरा विवाह कर उन्होंने अपना बोझ तो उतार दिया किन्तु मेरे नाजुक़ पंखों को ससुराल की जिम्मेदारियों के बोझ तले दबा दिया। अभी मैं समझ ही नहीं पाई कि मेरी ज़िंदगी किस ओर जा रही है ?वहां के लोगों को समझने का प्रयत्न ही कर रही थी कि  तभी बारी -बारी तीन बच्चों की ज़िम्मेदारी आन  पड़ी ,मैं दो बच्चे ही चाहती थी किन्तु आपकी बुआ बोली -दो बेटे तो हों ,एक का क्या सुख देखा ? आपके लिए मेरी इच्छाओं का कोई महत्व नहीं था बल्कि रिश्तेदारों की इच्छायें महत्व रखतीं। मैंने भी अपने को समय के हाथों छोड़ दिया कि ये समय की लहरें किस ओर ले जाती हैं ?
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                 आज मुझे लगता है, कि जो मेरी जिम्मदारी थी ,मैंने निभाई और अब अपने लिए कुछ सोचा है। पतिदेव मुस्कुराकर बोले -इस उम्र में कौन तुम्हें अध्यापिका बनाएगा ?नहीं अब मैंने अपना रास्ता बदला है। मतलब ,वो हैरान होकर बोले। मतलब ये कि ,अब मैं अपनी कला को ,अपनी रचनात्मकता को नया रूप दूँगी ,आपको शायद पता नहीं कि मुझे नए -नए डिजाइन के कपड़े, जितनी पहनने में रूचि है उतनी ही  नए  डिजाइन बनाने में , तनिक रुककर बोली -आपको कैसे पता होगा ?जब आपने मुझे कभी जानने का प्रयत्न ही नहीं किया। माता -पिता ने तो आपके लिए घर बैठे ,अपनी मर्ज़ी का खिलौना लेकर दे दिया जो आपके और घर वालों के इशारों पर चलता ,जब चाहे जैसा चाहे काम करा लो  किन्तु अब उसके सैल समाप्त हो गए ,अब वो अपने लिए चलेगा रमा मुस्कुराकर बोली। यानि तुम ''फैशन डिज़ाइनर ''बनना चाहती हो ,पति हँसे। तुम्हें पता भी है ,कितनी मेहनत और कितनी रचनात्मकता चाहिए ?बहुत भागा -दौड़ी भी होगी। उसने पति का हाथ पकड़ते हुए कहा -तभी तो कह रही हूँ कि अपनों का सहयोग चाहिए ,जो भी होगा देखा जायेगा ,अब मैंने अपना मन बना लिया है। बेटे ने सुना तो बोला -नहीं मम्मी ,आपसे नहीं हो पायेगा। रमा बोली -यही तो मैं साबित करना चाहती हूँ कि तेरी मम्मी के अंदर भी प्रतिभा छुपी है वो ही तो कर दिखाना है। वो बोला -किसे दिखाना है ?हमें नहीं देखना। अब रमा को क्रोध आया ,बोली -मैंने तुमसे इजाज़त नहीं मांगी ,मैंने बताया है ,तुम चाहो या न चाहो। अनिल अपने बेटे  को अलग ले जाकर बोले -पता नहीं ,इस पर कौन सा भूत  सवार हो गया ?जब कुछ नहीं होगा ,तो थक -हारकर बैठ जायेगी। इस उम्र में लोग आराम करने का सोचते हैं और ये चली है ''फैशन डिजाइनर ''बनने। उन्होंने अपने बेटे से अविश्वास के साथ कहा किन्तु मैंने सब सुन लिया और उनकी बातों ने मुझमें और जुनून भर दिया ,मैंने मन ही मन निश्चय कर लिया था कि इन्हें कुछ करके ही दिखाना है तभी इनकी ''बोलती बंद होगी। 
               तभी बेटी की आवाज़ से ध्यान भंग हुआ -मम्मी आप जीत गयीं ,बधाई हो ,कहकर गले से लिपट  गयी ,बोली --मम्मी आपने कर  दिखाया। रमा चाय बनाने चल दी ,तभी तनु बोली -मम्मी के लिए आज मैं चाय बनाऊँगी। धीरे -धीरे यह बात मौहल्ले में भी फैल गयी और लोग बधाई देने आने लगे। अनिल नजरें चुराकर बीच -बीच में रमा को देख लेते किन्तु अभी अपने अहंकार को तसल्ली नहीं दे पाए थे। अगले दिन मोेहल्ले की महिलाओं ने मिलकर, रमा को सम्मानित करने के लिए सभा बुलाई। जब सब इकट्ठे हो गए तब श्रीमती चौबे बोलीं -ये हम सभी महिलाओं के लिए सम्मान की बात है कि रमाजी ने इस उम्र में अपनी कला और रचनात्मकता के बल पर अपने को साबित किया। जिस उम्र में हम महिलायें सोचती हैं कि उम्र के इस पड़ाव पर आकर, अपने को योग और घर के कामों के अलावा ,आराम करने का सोचती हैं उस उम्र में इन्होंने एक ''नई उड़ान ''भरकर साबित कर  दिया कि यदि तुम चाहो तो , किसी भी उम्र में उड़ान भर सकते हो। व्यक्ति उम्र से नहीं ,सोच से बूढ़ा हो जाता है ,हंसकर बोलीं -
                                                               दिल जवान रहेगा ,तो उम्र क्या कर लेगी ?
                                                              मन में जज़्बा रहेगा ,तो बेबसी क्या कर लेगी ?
उनकी इन लाइनों पर तालियाँ बजने लगीं। चौबे जी बोलीं -अब मैं चाहती हूँ ,कि रमाजी भी दो शब्द कहें,
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जिनसे हम स्त्रियों को हौसला मिले- जो जीवन को जी नहीं वरन काट रही हैं ,उन्हें प्रोत्साहन मिले। रमा खड़ी होती है और कहती है --मेरी प्यारी बहनों !मुझे कोई भाषण देना तो नहीं आता किन्तु इतना अवश्य कहूँगी ,हम सभी ने कभी न कभी तो सपने देखे ही होंगे और विवाह होने के बाद , परिस्थितियों से समझौता कर लेते हैं और अपने सपनों को भुला देते हैं, किन्तु मेरा ये कहना है कि सपने देखने  की कोई उम्र नहीं होती वे तो कभी भी देखे जा सकते हैं और जीवन में जब भी मौक़ा मिले, अपने जज़्बे को अपनी रचनात्मकता को उभरने दें, दबाएँ नहीं, किन्तु इसके लिए मन में इच्छा होनी आवश्यक है। हम गृहणियाँ भी कम नहीं ,इससे भी सीख़ ही मिलती है ,घर संभालने के लिए ,हम कौन सा सीखते हैं?
 या किसी विद्यालय में जाते हैं ?लेकिन परिवार को संभाल ही लेते हैं किन्तु उसमें परिवार के लोगों की प्रसन्नता देखते हैं ,वे भी अपने ही हैं किन्तु अपने सपनों के लिए भी कुछ समय निकालें ,तो कुछ बुरा नहीं। आरंभ में उन्हें लगता है कि हम घर संभालने के सिवा  कुछ नहीं कर सकते क्योंकि हम उन्हें ऐसा सोचने देते हैं। सभी के परिवारवाले एक जैसे नहीं होते ,कुछ सहयोग करते हैं ,कुछ नहीं। किन्तु यदि अपनी विशिष्ट पहचान बनानी है तो कुछ विशेष ही करना होगा। किसी को परेशानी न हो किन्तु हमारा मन भी न दुखे ,कुछ ऐसा करें। जब बुढ़ापा आयेगा ,आता रहेगा किन्तु समय से पहले अथवा किसी के कहने पर बूढ़ा नहीं होना है ,जैसे अभी चौबे जी कह रहीं थीं ,इस उम्र में ,ये शब्द मैंने कई बार सुना है किन्तु जब तक अपना मन न कहे -अपने सपनों को उड़ान देते रहें।एक रास्ता बंद होता है तो दूसरा खुल जाता है, उद्देश्य है- अपनी मंजिल पर पहुँचना तो रास्ता बदल लीजिये ,जैसे मैं अध्यापिका बनना चाहती थी किन्तु समय को देखते हुए मैंने  अपनी कला को निखारा और नतीज़ा आज आपके सामने है ,ये मेरे कार्य का अंत नहीं आरम्भ है ,जो मुझसे जुड़ना चाहती हैं ,मुझसे किसी भी प्रकार का सहयोग चाहती हैं ,मैं प्रस्तुत हूँ ,धन्यवाद। तालियों की गड़गड़ाहट के साथ वो बैठ गयीं। आज रमा उन महिलाओं के लिए एक मिसाल बन गयी थी। 
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रचनाएँ
प्रेरक कहानियाँ
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ज़िंदगी में अनेक घटनाएँ -दुर्घटनाइयें,होती हैं,ज़िंदगी जाने -अंजाने अनेक परेशानियों से गुजरती है,इस ज़िंदगी में अनेक रिश्ते भी होते हैं जिनसे हमें कुछ न कुछ सीख मिलती है,सीखने की कोई उम्र नहीं होती चाहे कोई छोटा हो या बड़ा। जीवन में हर पल कुछ न कुछ सीख या प्रेरणा मिल ही जाती है कई बार कुछ सोचने को मजबूर जाती हैं ये कहानियाँ,कई बार आईना दिखा जाती हैं,ये कहानियाँ । इन कहानियों में जीवन के अनेक रंग देखने को मिलेंगे,सही या गलत सोचने पर मजबूर हैं ये कहानियाँ!
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जड़ें

7 नवम्बर 2022
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सुरेश को पढ़ाया -लिखाया ,किसी क़ाबिल बनाने का प्रयत्न किया। वो बाहर गया तो उसे सब बहुत ही अच्छा लगा, बाहर की दुनिया इतनी खूबसूरत है, सब कुछ अच्छा लगता है। उसने अपनी पढ़ाई पूरी की और बाहर ही रहने का फैसला

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बड़ी बहु

8 नवम्बर 2022
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शर्मा जी के बड़े बेटे का विवाह बड़ी धूमधाम से हुआ ,बेटा -बहु दोनों पढ़े -लिखे।लड़की का घर -, परिवार के लोग भी बहुत ही अच्छे हैं। सुंदर होने के साथ -साथ , संस्कारी बहु मिली है ,शर्मा जी के तो जैसे भा

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अनदेखा, अनसुना

9 नवम्बर 2022
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प्रातः काल का समय था ,हल्की ठंड भी पड़ रही थी। एक महिला ,अपनी बेटी के संग ,मेरे घर के दरवाज़े पर खड़ी थी। सुबह -सुबह कौन आ गया ?मैंने थोड़ा परेशान होते हुए ,निर्मला को देखने के लिए भेजा। अब मैं

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वो रात......

10 नवम्बर 2022
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वो रात.... वो रात्रि मेरे लिए ही थी ,मेरे लिए ही तो... सभी कार्य हो रहे थे ,सभी मेरे आगे -पीछे घूम रहे थे। उस रात्रि की'' मल्लिका'' मैं ही थी ,कुछ वर्ष पहले ही तो ,मैं अपने' पापा

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दुःस्वपन

11 नवम्बर 2022
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दीप्ती अति शीघ्रता से अपनी बिल्डिंग से नीचे आती है ,और गाड़ी में बैठकर चल देती है। आज वो देर से उठी, जिस कारण उसे देरी हो रही थी। वो अपनी गाड़ी को ,अपने दफ़्तर की ओर ,तेज़ गति से दौड़ा रही थी। आज &nbs

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शापित जीवन

12 नवम्बर 2022
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शापित कोई स्थान ,व्यक्ति अथवा कोई वस्तु नहीं होती ,वरन शापित उसका अपना जीवन ही हो जाता है। जिस जीवन को, वो जी रहा है ,उस जीवन को जीते -जी ठीक से नहीं जी पाता। लोग कहते हैं -''ये जीवन अमूल्य है ''&nbsp

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हद- बेहद

14 नवम्बर 2022
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गोलियों की बौछार का सामना करते हुए, वो आगे बढ़ रहे थे। दुश्मन भी कम नहीं था ,हम उनके लोगों को मारते ,फिर भी न जाने कहाँ से और बढ़ जाते। क्या हमसे कोई खेल खेल रहे थे ?निश्चित स्थान से ,हम आगे

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मेरे साथ ही क्यों?

15 नवम्बर 2022
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बहु.......... जी माँजी ,कहते हुए ,पारुल तेज गति से उनके समीप आई। तुझसे कितनी बार कहा है ?उस बड़े कमरे की सफाई कर देना ,जब

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देर रात

17 नवम्बर 2022
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तृप्ति ,डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही थी ,मम्मी -पापा की लाड़ली ,मम्मी का सपना था कि बड़ी होकर ,तृप्ति डॉक्टर बने। वो ''दिल ''की डॉक्टर बनना ,चाह रही थी किन्तु एक समय परिस्थिति ऐसी बनी कि वो जच्चा -बच्चा

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लौटा दो!

19 नवम्बर 2022
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मानिनी'' का जब भी देखो , किसी न किसी बात पर'' मेहुल'' से झगड़ा हो ही जाता है।आज भी मेहुल बिना खाना खाये घर से निकल गया। उसने कहा भी ,कि खाना खाकर जाओ !लेकिन मेहुल ने गुस्से में उसकी किसी भी बात पर

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नई उड़ान

22 नवम्बर 2022
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रमा बड़ी बेचैनी से बार -बार मंच की तरफ देख रही थी ,फिर उठकर अंदर की तरफ चली गयी। वहाँ जाकर देखा- सब ठीक है या नहीं, तभी दीपा के कपड़ों की एक डोर खुली नज़र आई ,उसने दीपा को टोका और अपनी स

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जसोदा

24 नवम्बर 2022
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जसोदा पढ़ी -लिखी नौकरी पेशा महिला है ,माँ -बाप ने खूब चाहा कि ये पढ़े न ,और विवाह करके अपना घर बसा ले, किन्तु उसके तो सपने ही अलग थे और वो इस तरह माता -पिता के दबाव में आने वाली भी नहीं थी। उसने तो पहले

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एकांत

24 नवम्बर 2022
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सुबह के पाँच बज चुके थे ,अलार्म बजे जा रहा था। वो अभी और सोना चाहती थी ,लेकिन क्या करे ? मजबूरी है उठना तो है ही ,फिर लेट हो जाउंगी। ये विचार आते ही उसने फुर्ती से अलार्म बंद किया और एकदम

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एक मुलाकात

22 मई 2023
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आज भी वही हुआ ,जिसका डर था , वो लोग चुपचाप चले गए। नंदिनी तो चाहती थी ,कि अभी जबाब मिल जाये ,किन्तु पति ने समझाया , उन्हें अपने घर जाकर सलाह -मशवरा तो करने दो ,एक -दो दिन में जबाब दे देंगे। सुरेश जी

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वो भयानक रात

23 मई 2023
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बड़ी भयावह वो काली अंधियारी रात्रि थी। मैं उस ठंडी सुनसान काली रात्रि को चीरता चला जा रहा था। ठंड भी अपने पूरे जोरों पर थी। दोस्त ने कहा भी था, आज यहीं आराम कर ले। जब इतनी दूर से आया है तो बेटी को विदा

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मुक्ति

30 मई 2023
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मौली अपने दोस्तों संग मस्त थी ,वो अपने दोस्तों के साथ गोवा घूमने जा रही है ,इसीलिये तैयारी में लगी है ,तभी उसके फोन की घंटी बजी। मौली ने नाम देखा और मुँह बनाते हुए ,फ़ोन पर बातें करने लगी -क्या मम्मी ,

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कड़वाहट

31 मई 2023
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चित्रा, कोई भी त्यौहार हो बड़े जोर -शोर से तैयारी करती है ,अब तो उसके सुहाग का त्यौहार ''करवा चौथ ''आ रहा है। आज बाजार गयी और नये कपडे ,शृंगार का सामान ,साथ ही बच्चों के कपड़े भी ले आई .बड़े उत्साह से

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असीमित आकाश

1 जून 2023
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काम तो प्रतिदिन का है, किन्तु आज रीमा के हाथों में जैसे बिजली लगी है ,वो प्रतिदिन से अधिक फुर्ती से कार्य कर रही है ,वह शीघ्र अति शीघ्र अपना कार्य निपटाने का प्रयत्न कर रही है। हो भी क्यों न ?क्य

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तूफान

2 जून 2023
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नवलकिशोर जी के मन में ,आज 'तूफान 'मचा है ,बाहरी वातावरण भी उसके सामने कोई मायने नहीं रखता। वो बस यूँ ही चले जा रहे हैं। कुछ समझ नहीं आता ,कहाँ जाएँ ,क्या करें ? दुनिया में देखा जाये ,तो आज के समय में

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हिजाब

3 जून 2023
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मानिनी कॉलिज में आती है ,आज तरन्नुम ने आने में देर कर दी। मानिनी और तरन्नुम दोनों अच्छी दोस्त हैं। दोनों ही साथ रहती हैं , एक ही कक्षा में ,साथ ही बैठती हैं। जिस दिन एक भ नहीं आती ,दूसरी का मन नही

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गुल्लक

4 जून 2023
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रेवती अपनी सास की, बड़े मन से सेवा करती थी ,उनकी हर चीज का ध्यान रखती थी ताकि किसी भी प्रकार की उन्हें परेशानी न हो। जब उनकी स्वयं की बहु आ आयीं ,तब भी उनके सम्पूर्ण कार्य स्वयं ही करतीं। उनकी सास यान

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फर्क

7 जून 2023
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इस माह नौचंदी का मेला लगने वाला है, किन्तु किसी को क्या फ़र्क पड़ता है ? जाना तो है नहीं ,जाकर भी क्या करना ,मेले में जाने के लिए भी तो, पैसा ही चाहिए। मेला तो पैसे से है ,पैसे वाल

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घर की याद

8 जून 2023
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पुलकित आँखें खोलकर देखता है ,वो बगीचे की बेंच पर लेटा था। अब उसे सब स्मरण हो जाता है। किस तरह वो अपने मम्मी -पापा से नाराज होकर ,घर से भाग आया ? पुलकित ऐसे ही किसी छोटे -मोटे परिवार से नहीं है। उसके

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मेरे साथ ही क्यों?

10 जून 2023
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बहु.......... जी माँजी ,कहते हुए ,पारुल तेज गति से उनके समीप आई। तुझसे कितनी बार कहा है ?उस बड़े कमरे की सफाई कर देना ,जब

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टास्क

12 जून 2023
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शादी के बाद उसने ससुराल में कदम रखा ही था ,कि सास के तीखे तेवर और गर्म मिज़ाज उसे कुछ ही दिनों में पता चल गए। उसने देखा कि जिस व्यक्ति से उसका विवाह हुआ है ,वो तो कुछ बोलता ही नहीं। जो चाहता है ,बस

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अधूरापन

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सुगंधा पिता के घर में रही ,अरमान तो बहुत थे ,किन्तु पिता के सख़्त कानून के कारण ,न कहीं आना , न कहीं जाना ,इच्छाएँ ,आकाश की अनंत ,ऊंचाइयों को छूना चाहती किन्तु उसका आसमान सीमित था। कुछ तो घर का अनुशा

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मिट्टी के खिलौने

15 जून 2023
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रामदीन कुम्हार ,प्रतिदिन जोहड़ से चिकनी मिटटी लाता और उसे पैरों से रोंद्ता ,जब वो मिटटी बर्तन बनाने लायक हो जाती तो उसे चाक पर रखकर ,बड़े क़रीने से ,सुंदर -सुंदर मिटटी के बर्तन बनाता। ये उसकी कला ही नह

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भाग्य का खेल

16 जून 2023
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आज मैं अपनी डायरी को ज़िंदगी के एक पहलू कहूँ या कुछ और, किन्तु इतना मैं अवश्य जानती हूँ ,उसे हम भाग्य अथवा क़िस्मत कहते है -इनके इशारों पर ही तो ,हमारी ज़िंदगी चलती है। हम सोचते हैं -जो भी कार्य हम कर रह

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माँ

17 जून 2023
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चम्पाकली 'ताई आज बहुत प्रसन्न है क्योकि उनके दो बेटे ,दो ही बहुएं हैं किन्तु ये उनकी प्रसन्नता का कारण नहीं ,उनकी प्रसन्नता का कारण ,उनका दादी बनना है। दोनों बहुएं ही गर्भवती थीं और अब दोनों ही माँ ब

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संगीत प्रेम

20 जून 2023
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काव्या बहुत ही प्यारी बच्ची है ,मन उसका बहुत ही कोमल है ,सबसे प्रेमपूर्ण व्यवहार करती। दुश्मनी ,लड़ाई क्या होती है ?जैसे वो जानती ही नहीं ,उसे तो सभी अपने ही नजर आते ,छल -कपट से तो उसका दूर -दूर तक वास

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समुद्र तट

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कार्तिक और मोना प्रतिदिन , अपने दफ्तर से आते समय कुछ देर ,समुन्द्र के तट पर बैठकर अपनी दिनभर की थकान मिटाते। मोना जब पहली बार अपने दफ्तर में आई ,तब उसकी सबसे पहले मुलाक़ात कार्तिक से ही हुई। कार्तिक न

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दरार

23 जून 2023
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पार्वती जी ,दुखी परेशान ,अपने कमरे में आती हैं और अपने पलंग पर बैठकर ,गहरी स्वांस भरती हैं और अपनी आँखें बंद कर लेती हैं। मैं कितना भी अच्छा सोच लूँ या कर लूँ ?किन्तु इसे अपना नहीं बना सकती ,ये 'दरा

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पहाड़ी प्रेम

29 जून 2023
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ज्योति...... ओ ज्योति....... ! दूर से आती, मौसी की आवाज सुनाई दी। आई मौसी ! कहकर मैं बंसी से बोली -कल आउंगी तब खेलेंगे ,अब मौसी बुला रही है। बंसी ने हाँ में गर्दन हिलाई और मैं ,दौड़ते हुए मौसी के

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भूतों से बातचीत

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नंदिनी जैसे ही , अपनी कक्षा में पहुंची -उसने देखा ,सभी बच्चे ,तुषार की सीट के पास खड़े हैं। ये सब क्या हो रहा है ?सभी बच्चे वहाँ क्या कर रहे हैं ? नंदिनी को देखते ही ,सभी बच्चे दौड़कर अपनी -अपनी सीट पर

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पैसा

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रतनलाल जी ने कितना पैसा कमाया ? रात -दिन एक कर दिया। शानदार कोठी भी बनाई ,बच्चों को महंगे से महंगे स्कूल में पढ़ाया। सबकुछ तो उनके पास है ,किसी चीज की भी कमी नहीं ,पत्नी के पास भी जेवरों की कोई कमी नह

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गड़बड़ घोटाला

3 जुलाई 2023
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मैं प्रतिदिन की तरह ,जब परिवार के सभी सदस्य अपने -अपने काम पर चले जाते ,तब घर की साफ -सफाई और बाहर बगीचे में पानी देना जैसे कार्य करती। एक दिन जब मैं अपने पौधों को पानी दे रही थी ,तभी मैंने देखा ,स्क

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रिश्तेदार जलते हैं!

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कितनी ख़ुशी की बात है ?कीर्ति तुमने पढ़ाई पूरी करने के साथ -साथ ,तुम्हारी नौकरी भी लग गयी। एक पार्टी तो अवश्य बनती है। क्या ख़ाक पार्टी बनती है ?तुम सभी दोस्तों को ही पार्टी दूंगी ,मम्मी -पापा के लि

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कीमत, समय की

7 जुलाई 2023
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अतुल बहुत ही बिगड़ैल और अड़ियल है ,देखने में तो वो बहुत जचँता है ,उसे देखेंगे तो कह उठेंगे कि किसी बड़े घर का बेटा हो लेकिन उसका स्वभाव उसकी शक़्ल और व्यक्तित्व से बिल्कुल विपरीत है। वो न ही किसी की बात

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कीमती

9 जुलाई 2023
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राधा जब ,मोहन से मिली ,उसे देखते ही , अपना दिल दे बैठी ,मोहन की हालत भी कुछ ऐसी ही थी। पहली बार दोनों ,राधा की सहेली के घर पर,उसकी जन्मदिन की पार्टी में ,उससे मिली। जितनी खूबसूरत राधा लग रही थी, उतना

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मृत्यु पर विजय

10 जुलाई 2023
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पल -पल मरता है ,इंसान ! जीने की तमन्ना में ! टूटता है ,बिखरता है, जिन्दा रहने की चाह में !खो देता है ,अपनों का साथ ,जीता है स्वांसों में !स्वांसों का ही खेल है , जिन्दा रहने की आस में !कुछ लोग जी

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भूतिया हवेली

12 जुलाई 2023
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श.... श.... श.... श.... आज आपको एक''अज़ीबो ग़रीब प्रेम की '' कहानी सुनाती हूँ। जानते हैं ,ये जो हवेली है ,ठाकुरों की है ,बहुत ही रुआब था। ठाकुर ''बलदेव सिंह '' अपने नाम की तरह ही बलवान ,बुद्धिमान और रौब

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सुरक्षा कवच

14 जुलाई 2023
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माँ 'तुम अब यहाँ ,अकेली क्या करोगी ? अब तुम भी हमारे संग चलकर रहो !अनंत अपनी माँ से बोला। बेटा ! सम्पूर्ण ज़िंदगी इस शहर में बिता दी ,अब इधर -उधर जाकर क्या करूंगी ? जब तू छोटा था ,तब सोचा करती थी

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बदलते रंग

16 जुलाई 2023
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आज घर में खीर -पूरी ,मालपुए दो सब्ज़ियाँ और बूँदी का रायता बना है क्योंकि आज बहुओं का व्रत है ,आज के दिन सुहागन महिलायें अपने पति की लम्बी उम्र ,और अच्छे स्वास्थ के लिए पूजा करती हैं और अपने घर की बड़ी

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वो सुबह!

17 जुलाई 2023
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कितना सुहावना मौसम है ?रंजन अपने बच्चों से कहता है -चलो !आज कहीं घूमने चलते हैं। बाहर हल्की - हल्की बूंदा -बांदी हो रही थी। बच्चे खुश हो जाते हैं और दौड़कर अपनी मम्मी के पास जाते हैं। मम्मी ! पापा कह

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लडाई

19 जुलाई 2023
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श्रेया ,अपने आप से ही , कितना लड़ रही थी ? ये तो वो ही जानती है।अब तो जीवनभर संघर्ष ही करना है। पहले पढ़ाई में संघर्ष किया क्या विषय लेने हैं ,कौन सा स्कूल चुनना है ? स्कूल में भी ,प्रतिशत में नंबर लाने

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सूर्यास्त और हम

20 जुलाई 2023
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रामलाल जी के घर में ,फोन की घंटी बज रही थी ,उनके बेटे की बहु फोन उठाती है और रामलाल जी से कहती है -पापा जी !आपका फोन है। किसका है ? पूछो कौन है ?और क्या कहना चाहता है ?शिरोमणि अंकल हैं ,और आपसे

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धड़कन

21 जुलाई 2023
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पंकज हमेशा अपनी ही चलाता है , किसी की भी नहीं सुनता ,सुमित्रा जी हमेशा ,एक उम्मीद के सहारे आगे बढ़ उसका समर्थन करतीं और कहतीं -पंकज ,अभी बच्चा है ,समझदार हो जायेगा ,तब सब समझने लगेगा ,कहना भी मानेगा कि

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मेन्ढकी

22 जुलाई 2023
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गर्मी से बुरी हालत थी ,नहाते -नहाते भी पसीने आ जाते। खेती पर काम करने वाले भी खेतों से ,वापस आ गए। सभी को ,बरसात की इच्छा हो चली थी। आपस में कहते -न जाने बरसात कब होगी ?यदि शीघ्र ही बरसात नहीं हुई तो

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बरसात

23 जुलाई 2023
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बरसात का मौसम ''आते ही मन झूमने लगता है ,बारिश की ठंडी -ठंडी फुहार तन को ही नहीं ,मन को भी भिगो जाती हैं। चारों तरफ धुली -धुलि सी ,हरियाली ,लगता है जैसे ,प्रकृति ने धानी चुनर ओढ़ ली हो। बच्चों की तो बर

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एक ही गलती

25 जुलाई 2023
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सुधा खिड़की के पास बैठी ,चाय पी रही थी ,तभी उसकी बेटी ने उसे पुकारा ,मम्मी ,मैंने अपना गृहकार्य कर लिया। ठीक है ,जाओ !अब जाकर बाहर बच्चों के साथ खेल लो !ठीक है ,कहकर वो बाहर की तरफ दौड़ी ,तभी सुधा ने उस

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