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मुक्ति

30 मई 2023

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मौली अपने दोस्तों संग मस्त थी ,वो अपने दोस्तों के साथ गोवा घूमने जा रही है ,इसीलिये तैयारी में लगी है ,तभी उसके फोन की घंटी बजी। मौली ने नाम देखा और मुँह बनाते हुए ,फ़ोन पर बातें करने लगी -क्या मम्मी ,मैं अपनी सहेलियों संग बाहर हूँ ,आप मुझे बार -बार फोन करके ,क्यों परेशान कर रही हो ?और अपनी मम्मी की बात सुनने से पहले ही उसने फ़ोन कट कर दिया। उसकी सहेली शिप्रा बोली -अभी तो हम बाहर गए भी नहीं फिर क्यों झूठ बोला ?उनकी बात भी नहीं सुनी ,पता नहीं कोई जरूरी बात हो। मौली लापरवाही से बोली -अरे यार ,मम्मी थीं ,उनका वो ही फटा -पुराना रिकॉर्ड ,शादी के लिए पीछे पड़ी रहती हैं।मैं आज़ादी से घूमना चाहती हूँ ,कौन विवाह के पचड़ों में पड़े ?यहीं तक सीमित नहीं ,फिर बच्चे पालो


और दुनियाभर की बातें सुनो। और वो सहेलियों संग घूमती ,मौज -मस्ती करती रहती। उधर उसकी मम्मी परेशान ,समय से विवाह कर लेती तो मैं भी चिंता मुक्त हो जाती।तुम ही बताओ ,पायल की मम्मी ,- जब तो पढ़ाई में रही, हमने भी सोचा -लड़की को पढ़ा -लिखाकर ,अपने क़ाबिल बना देंगे कि किसी भी परिस्थिति को समझदारी से संभाल लेगी, किसी पर आश्रित नहीं होगी किन्तु जबसे इसकी नौकरी लगी है ,'ये लड़की किसी की सुनती ही नहीं ,सारे पैसे दोस्तों के साथ घूमने में ,समारोह में व्यय कर देती है। सोचा था ,-इसके विवाह में थोड़ा इसके पापा को सहारा हो जायेगा ,ये तो पैसा बचाना तो जैसे जानती ही नही। पायल की मम्मी मुस्कुराकर बोलीं -जब उसे विवाह ही नहीं करना तो पैसे बचाकर भी क्या करना है ?उसकी अपनी ज़िंदगी है ,उसे जीने दो ,जब उसकी इच्छा होगी कर लेगी। किन्तु हर चीज का एक समय होता है ,उनकी बातें बीच में ही काटकर बोलीं -आजकल के बच्चे समझदार हैं ,अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीना चाहते हैं आगे बढ़ने के लिए इन बंदिशों में नहीं बंधना चाहते। 
                 पायल की मम्मी की बातों से वो सहमत नहीं थीं किन्तु करें भी क्या ?उनकी परिस्थिति ही उनके अनुकूल नहीं थी। एक दिन उन्होंने मौली को समझाते हुए कहा -बेटा ,ये घूमना -फिरना तो शादी के बाद भी हो सकता है। उसने तो फौरन ही ताना मार दिया ,बोली -ये बात तो आप न ही बताओ तो अच्छा है ,आप कितना जाती हैं ,घूमने ?मेरी याद में तो सारा दिन ही घर में लगी रहती हो। कहाँ घूमना हो रहा है ?आपका। पहले तो वो चुप रहीं फिर समझाते हुए बोलीं -यदि घर में न लगी रहती तो तुम लोगों का ख़्याल कौन रखता ?सारा दिन भी आदमी बाहर नहीं घूम सकता ,मनुष्य की कुछ ज़िम्मेदारियाँ भी होती हैं ,उन्हें भी पूर्ण करना होता है। मोेली बोली -वही तो ,मैं उन ज़िम्मेदारियों को ओटना नहीं चाहती ,उन जिम्मेदारियों में मेरी ज़िंदगी भी आपकी तरह हो जाएगी। जब दो लोग मिलते हैं तो उनकी पसंद -नापसंद जरूरी नहीं कि आपस में भी मिलती हों ,मुझे घूमने का शौक है ,उसे न हो। तब मेरी ज़िंदगी में जबरदस्ती की दखलअंदाजी हो जाएगी और मैं किसी भी अनजान व्यक्ति के लिए अपनी मुसीबतें बढ़ाना नही चाहती इसीलिए मुझे भी आराम से जीने दो और स्वयं भी शांति से रहो। वो अपनी बेटी की बात सुनकर चुप हो गयीं किन्तु वो परेशान थीं ,पता नहीं ,ये लड़की जीवन की ऊँच -नीच को कब समझेगी ?
                 उसके दफ़्तर में एक नया लड़का आया ,उसे देखकर क्षणभर को मौली की नज़र उस पर ठहर गयी और फिर अपने काम में लग गयी। काम ऐसा आन पड़ा कि उससे बार -बार मिलना हो जाता ,धीरे -धीरे वो उसके घर भी जाने लगा। अपूर्व उसकी कम्पनी में तो सहायक था ही अब घर में भी उसके दोस्तों के साथ किसी भी पार्टी में शामिल होने लगा। मौली को उसकी बहुत मदद मिल जाती। वो तो बेपरवाह थी किन्तु शिखा ने उसे एहसास कराया कि अपूर्व उसकी ज़िंदगी में अपनी जगह बनाता जा रहा है। मौली ने पहले तो इस ओर ध्यान नहीं दिया किन्तु कब तक नज़रअंदाज करती ?उसे भी लगने लगा कि अपूर्व एक अच्छा इंसान है ,मौली ने सोचा -हम ऐसे दोस्त बनकर भी रह सकते हैं। उसने एक दिन अपूर्व से बात की और बोली -इस तरह भी जीवन जी सकते हैं किसी पर कोई विवाह का दबाब नहीं। अपूर्व बोला -जैसा तुम चाहो। दोनों अक्सर साथ रहते ,घूमते किन्तु अपनी सीमाओं में। कब तक' आग और फूँस 'का साथ होता। कभी तो हवा चलती और आग भड़कने का मौका भी मिल ही गया। जब तक आग शांत हुई तब तक सब ख़ाक हो चुका था। जब उसके साथ ये घटना घटी ,तब उसे एहसास हुआ कि ये क्या गलती हो गयी। मैं मम्मी से क्या कहूँगी ?मैं किस लिए यहाँ आयी और क्या कर बैठी ?मम्मी की चिंता निर्रथक नहीं थी ,न ही मैं कुँवारी रही, न ही विवाहिता। जवानी का नशा सिर चढ़कर बोलता है और उतरता भी उसी तरह है। अब उसने गलती तो की है ,इसका उसे एहसास हो रहा था ,अब इसे सुधारा कैसे जाये ?फिर अपनी गलती को एक सही दिशा देने के लिए उसने ,अपूर्व से कहा -हम दोनों विवाह कर लेते हैं ,मम्मी -पापा को मैं मना लूँगी। इतना उसे अपने मम्मी -पापा पर विश्वास था कि अपनी बेटी की ख़ुशी के लिए वो मान जायेंगे। अभी वो अपनी ज़िंदगी को सही मोड़ देना चाह रही थी बस अपूर्व भी हाँ कह दे। 


               अभी मौली को एक सदमा लगना बाकि था ,जब अपूर्व ने इंकार कर दिया ,वो तो जैसे ज़मीन पर आ गिरी। जब अपूर्व ने कहा -'तुम जैसी लड़की 'विवाह नहीं करतीं। ''तुम जैसी ''ये शब्द उसे तीर की तरह चुभे। बोली -'तुम जैसी 'से क्या मतलब है तुम्हारा ?क्या मुझमें कुछ कमी है ?वो गुस्से से बोली। आज तो जैसे अपूर्व का पलड़ा भारी था और वो बेबस। कहाँ वो सीधा -साधा लड़का ,आज स्पष्ट शब्दों में बोला -तुम घर -गृहस्थी के लायक नहीं ,घूमने -फिरने ,मस्ती करने के लिए ही हो। तुम क्यों इस चक्कर में पड़ना चाहती हो ?मज़े करो ,ज़िंदगी का लुत्फ़ उठाओ ,लोगों को ख़ुश रखो ,ख़ुद भी खुश रहो। आज वो उस लड़के की असलियत से रूबरू हो रही थी। आगे की बातें वो सुन ही नहीं पायी ,उसकी सोच के आधार पर अपूर्व के मन में उसके लिए कोई इज्ज़त -सम्मान नहीं था। मन उदास और परेशान था ,तभी फ़ोन की घंटी बजी ,उसने फोन उठाया ,उधर से मम्मी का फ़ोन था ,कह रहीं थीं -बेटा अगले सप्ताह तेरा 'जन्मदिन 'है ,यहीं आ जाना ,मिलकर मनाएंगे। वो रो दी ,'अच्छा' कहकर उसने फ़ोन रख दिया। उसने ''दिनदर्शिका ''में देखा ,एक सप्ताह पश्चात वो तीस की हो जायेगी। दिन भी कैसे रेत की तरह फिसलते जाते हैं ?अभी तो समझना भी शुरू नहीं किया और' ज़िंदगी और वक्त' निकलते जा रहे हैं। किसी से क्या कहे ?अपने घर में स्वयं ही आग लगाई है ,अब उसे अपने वे दोस्त भी ऐसे ही नज़र आते दिखे, जो उसका लाभ उठा रहे हैं। हर कोई उसके पैसों पर ऐश कर रहा है।उनकी भी क्या गलती ?मैंने ही उन्हें मौका दिया वो तो मेरे पास नहीं आये। उसने अपने खाते में पैसे देखे तो चौंक गयी सिर्फ़ दस हज़ार। वो सोच रही थी कि मम्मी -पापा के पास जाऊँगी तो थोड़े पैसे उन्हें दूँगी। अब क्या करुँगी ?उसे मम्मी की बातें याद आ रहीं थीं -बेटा, थोड़ा पैसा हाथ रोककर व्यय करो ,पता नहीं ,कब क्या ,आवश्यकता आन पड़े ?उनकी बात सुन लापरवाही से बोली -पैसा कमाया ही इसीलिए जाता है ताकि खर्च कर सकें। अब उसे अपूर्व की वो बात याद आ रही है ,जब उसने कहा -मैं घर -गृहस्थी लायक लड़की नहीं। 
                    मम्मी कैसे पापा की कम आय में भी घर के सारे ख़र्चे करने के बाद भी पैसे बचा लेती थीं। कैसे संभालती थीं -दूध ,सब्ज़ी ,फ़ीस ,कपड़े ,दादी की दवाईयाँ ,मेहमानों का आना -जाना ,त्यौहार इत्यादि ,और मैं ''मैनेजमेंट 'करने के बाद भी निल ,कुछ नहीं कर सकी ,अपने माता -पिता का सहारा भी न बन सकी। घर गयी ,माँ ने चेहरा देखते ही भाँप लिया ,बोलीं -कुछ हुआ है ,क्या ?मौली झूठ बोली -नहीं मम्मी ,कुछ दिनों से तबियत ठीक नहीं थी और काम की थकान भी है। वो अपने शुभचिंतकों को और दुःख नहीं देना चाहती थी ,उनका विश्वास टूट जायेगा।अब तो मम्मी ही कहने लगीं ,बेटा ,तेरी नज़र में ही कोई लड़का हो तो हमें बता देना ,हम उसी से तेरा विवाह कर देंगे। अब मम्मी को क्या बताऊँ ?मैं ज़िंदगी की कितनी बड़ी गलती कर बैठी ?और वो भी धोखा दे गया। ज़िंदगी भी क्या मोड़ ले लेती है ?सोचा था स्वयं कमाऊँगी ,स्वतंत्र जीवन जियूँगी ,मम्मी की तरह ''नून तेल लकड़ी के फेर ''में नहीं पड़ूँगी।किन्तु एक समय आते -आते ये स्वतंत्रता भी खलने लगती है ,कोई हमारा अपना क्यों नहीं ,जो हमारे लिए सोचे ,अपना कीमती समय सिर्फ़ हमारे लिए हो। समय और उम्र अपनी तीव्रता से बढ़ते जा रहे हैं और मैं आज भी उसी स्थान पर खड़ी हूँ ,जो दोस्त कभी -कभार आ भी जाते,अब अपने -अपने परिवार में व्यस्त हो गए। उम्र अपना प्रभाव दिखाने लगी। मम्मी ने भी अपनी बेटी के विवाह के जो सपने देखे वो किसी तिज़ोरी में बंद कर दिए। एक बार एक आंटी उसके लिए रिश्ता लेकर भी आईं ,जो अधेड़ उम्र ,तलाकशुदा था। ये नियति ने कैसा तमाचा मेरे मुँह पर मारा ?जब मैं किसी को कुछ नहीं समझ रही थी अब मैं किसी के लिए कुछ नहीं।  
                   कम्पनी ने दो वर्षों के लिए तीन लोगों के नाम सुझाये जो बाहर जाकर कार्य करें ,उन दोनों ने दो वर्ष का लम्बा समय बताकर ,परिवार की जिम्मेदारियों के कारण जाने से इंकार कर दिया। चलो मेरा अकेलापन कुछ तो काम आया ,वैसे भी मैं इस माहौल से भाग जाना चाहती थी और मुझे विदेश जाने का मौका मिल गया। वो दो वर्षों के लिए बाहर चली गयी ,मन में तो कोई उत्साह ही नहीं रहा ,कम से कम कम्पनी के काम तो आयी। अड़तीस की उम्र में उसके मन में अब कोई जीने की ललक नहीं रही। जिंदगी से धोखा जो खा चुकी थी। वहां रहते उसे अभी तीन माह ही हुए हैं ,वो अपना अकेलापन दूर करने के लिए शाम को बगीचे में चली जाती ,एक दिन वो अपने घर की तरफ लौट रही थी तभी उससे बहुत सारा सामान लिए एक व्यक्ति टकराया, उसका सामान भी बिखर गया। मौली को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने क्षमा माँगते हुए उसके सामान को रखने में मदद की। जब मौली ने उसकी तरफ देखा तो देखती ही रह गयी। नीली आँखों वाला बेहद आकर्षक व्यक्तित्व वाला व्यक्ति था। अगले दिन जब वो अपने दफ्तर गयी ,तब उसने उसी व्यक्ति को वहाँ देखा ,उसे देख उसे क्रोध आया और उसके पास पहुंचकर बोली -आप यहाँ ,मेरा पीछा क्यों कर रहे हैं ?मैंने क्षमा याचना तो की थी तब भी। वो मुस्कुराकर दफ्तर में अंदर चला गया। मौली ठगी सी उसे देख रही थी और सोच रही थी कि ये क्या चाहता है ?तभी उसके बॉस अंदर गए और वो भी। तभी वो उस व्यक्ति के साथ बाहर आकर बोले -मिलिए ,हमारे नए'' जनरल मैनेजर'' से। मौली हतप्रभ सी देख रही थी और वो मुस्कुरा रहा था। मौली ने अभिनंदन के साथ क्षमा भी माँगी। रॉबर्ट उसके काम से काफी प्रभावित हुआ ,दोनों अब मिलने भी लगे ,लगभग छह माह पश्चात ,रॉबर्ट ने मौली के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा। उसका भी विवाह नहीं हुआ था मौली को वो पसंद भी था ,वो मना नहीं कर सकी ,उसे भी एक साथी की तलाश थी जो उसे समझ सके और दोनों ने विवाह कर लिया। 


                     दो वर्ष बीत जाने पर वो रॉबर्ट को अपनी मम्मी से मिलाने ले गयी ,माँ के चेहरे पर संतोष था,बोलीं -तुम्हारे नाम का पति तो विदेश में था फिर यहां कैसे मिलता ?कहकर हँस दीं और सोचने लगीं -पता नहीं मेरी बेटी ने न जाने क्या -क्या सहा होगा ?ज़िंदगी अब तक उसे बहुत कुछ सिखा चुकी थी किन्तु आज उसकी मम्मी को उसकी चिंता से ''मुक्ति ''मिल गयी थी ,अब उसकी ज़िंदगी में हमारे बाद भी कोई ख़्याल रखने वाला होगा। 
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रचनाएँ
प्रेरक कहानियाँ
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ज़िंदगी में अनेक घटनाएँ -दुर्घटनाइयें,होती हैं,ज़िंदगी जाने -अंजाने अनेक परेशानियों से गुजरती है,इस ज़िंदगी में अनेक रिश्ते भी होते हैं जिनसे हमें कुछ न कुछ सीख मिलती है,सीखने की कोई उम्र नहीं होती चाहे कोई छोटा हो या बड़ा। जीवन में हर पल कुछ न कुछ सीख या प्रेरणा मिल ही जाती है कई बार कुछ सोचने को मजबूर जाती हैं ये कहानियाँ,कई बार आईना दिखा जाती हैं,ये कहानियाँ । इन कहानियों में जीवन के अनेक रंग देखने को मिलेंगे,सही या गलत सोचने पर मजबूर हैं ये कहानियाँ!
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जड़ें

7 नवम्बर 2022
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सुरेश को पढ़ाया -लिखाया ,किसी क़ाबिल बनाने का प्रयत्न किया। वो बाहर गया तो उसे सब बहुत ही अच्छा लगा, बाहर की दुनिया इतनी खूबसूरत है, सब कुछ अच्छा लगता है। उसने अपनी पढ़ाई पूरी की और बाहर ही रहने का फैसला

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बड़ी बहु

8 नवम्बर 2022
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शर्मा जी के बड़े बेटे का विवाह बड़ी धूमधाम से हुआ ,बेटा -बहु दोनों पढ़े -लिखे।लड़की का घर -, परिवार के लोग भी बहुत ही अच्छे हैं। सुंदर होने के साथ -साथ , संस्कारी बहु मिली है ,शर्मा जी के तो जैसे भा

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अनदेखा, अनसुना

9 नवम्बर 2022
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प्रातः काल का समय था ,हल्की ठंड भी पड़ रही थी। एक महिला ,अपनी बेटी के संग ,मेरे घर के दरवाज़े पर खड़ी थी। सुबह -सुबह कौन आ गया ?मैंने थोड़ा परेशान होते हुए ,निर्मला को देखने के लिए भेजा। अब मैं

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वो रात......

10 नवम्बर 2022
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वो रात.... वो रात्रि मेरे लिए ही थी ,मेरे लिए ही तो... सभी कार्य हो रहे थे ,सभी मेरे आगे -पीछे घूम रहे थे। उस रात्रि की'' मल्लिका'' मैं ही थी ,कुछ वर्ष पहले ही तो ,मैं अपने' पापा

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दुःस्वपन

11 नवम्बर 2022
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दीप्ती अति शीघ्रता से अपनी बिल्डिंग से नीचे आती है ,और गाड़ी में बैठकर चल देती है। आज वो देर से उठी, जिस कारण उसे देरी हो रही थी। वो अपनी गाड़ी को ,अपने दफ़्तर की ओर ,तेज़ गति से दौड़ा रही थी। आज &nbs

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शापित जीवन

12 नवम्बर 2022
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शापित कोई स्थान ,व्यक्ति अथवा कोई वस्तु नहीं होती ,वरन शापित उसका अपना जीवन ही हो जाता है। जिस जीवन को, वो जी रहा है ,उस जीवन को जीते -जी ठीक से नहीं जी पाता। लोग कहते हैं -''ये जीवन अमूल्य है ''&nbsp

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हद- बेहद

14 नवम्बर 2022
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गोलियों की बौछार का सामना करते हुए, वो आगे बढ़ रहे थे। दुश्मन भी कम नहीं था ,हम उनके लोगों को मारते ,फिर भी न जाने कहाँ से और बढ़ जाते। क्या हमसे कोई खेल खेल रहे थे ?निश्चित स्थान से ,हम आगे

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मेरे साथ ही क्यों?

15 नवम्बर 2022
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बहु.......... जी माँजी ,कहते हुए ,पारुल तेज गति से उनके समीप आई। तुझसे कितनी बार कहा है ?उस बड़े कमरे की सफाई कर देना ,जब

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देर रात

17 नवम्बर 2022
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तृप्ति ,डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही थी ,मम्मी -पापा की लाड़ली ,मम्मी का सपना था कि बड़ी होकर ,तृप्ति डॉक्टर बने। वो ''दिल ''की डॉक्टर बनना ,चाह रही थी किन्तु एक समय परिस्थिति ऐसी बनी कि वो जच्चा -बच्चा

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लौटा दो!

19 नवम्बर 2022
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मानिनी'' का जब भी देखो , किसी न किसी बात पर'' मेहुल'' से झगड़ा हो ही जाता है।आज भी मेहुल बिना खाना खाये घर से निकल गया। उसने कहा भी ,कि खाना खाकर जाओ !लेकिन मेहुल ने गुस्से में उसकी किसी भी बात पर

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नई उड़ान

22 नवम्बर 2022
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रमा बड़ी बेचैनी से बार -बार मंच की तरफ देख रही थी ,फिर उठकर अंदर की तरफ चली गयी। वहाँ जाकर देखा- सब ठीक है या नहीं, तभी दीपा के कपड़ों की एक डोर खुली नज़र आई ,उसने दीपा को टोका और अपनी स

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जसोदा

24 नवम्बर 2022
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जसोदा पढ़ी -लिखी नौकरी पेशा महिला है ,माँ -बाप ने खूब चाहा कि ये पढ़े न ,और विवाह करके अपना घर बसा ले, किन्तु उसके तो सपने ही अलग थे और वो इस तरह माता -पिता के दबाव में आने वाली भी नहीं थी। उसने तो पहले

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एकांत

24 नवम्बर 2022
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सुबह के पाँच बज चुके थे ,अलार्म बजे जा रहा था। वो अभी और सोना चाहती थी ,लेकिन क्या करे ? मजबूरी है उठना तो है ही ,फिर लेट हो जाउंगी। ये विचार आते ही उसने फुर्ती से अलार्म बंद किया और एकदम

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एक मुलाकात

22 मई 2023
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आज भी वही हुआ ,जिसका डर था , वो लोग चुपचाप चले गए। नंदिनी तो चाहती थी ,कि अभी जबाब मिल जाये ,किन्तु पति ने समझाया , उन्हें अपने घर जाकर सलाह -मशवरा तो करने दो ,एक -दो दिन में जबाब दे देंगे। सुरेश जी

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वो भयानक रात

23 मई 2023
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बड़ी भयावह वो काली अंधियारी रात्रि थी। मैं उस ठंडी सुनसान काली रात्रि को चीरता चला जा रहा था। ठंड भी अपने पूरे जोरों पर थी। दोस्त ने कहा भी था, आज यहीं आराम कर ले। जब इतनी दूर से आया है तो बेटी को विदा

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मुक्ति

30 मई 2023
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मौली अपने दोस्तों संग मस्त थी ,वो अपने दोस्तों के साथ गोवा घूमने जा रही है ,इसीलिये तैयारी में लगी है ,तभी उसके फोन की घंटी बजी। मौली ने नाम देखा और मुँह बनाते हुए ,फ़ोन पर बातें करने लगी -क्या मम्मी ,

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कड़वाहट

31 मई 2023
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चित्रा, कोई भी त्यौहार हो बड़े जोर -शोर से तैयारी करती है ,अब तो उसके सुहाग का त्यौहार ''करवा चौथ ''आ रहा है। आज बाजार गयी और नये कपडे ,शृंगार का सामान ,साथ ही बच्चों के कपड़े भी ले आई .बड़े उत्साह से

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असीमित आकाश

1 जून 2023
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काम तो प्रतिदिन का है, किन्तु आज रीमा के हाथों में जैसे बिजली लगी है ,वो प्रतिदिन से अधिक फुर्ती से कार्य कर रही है ,वह शीघ्र अति शीघ्र अपना कार्य निपटाने का प्रयत्न कर रही है। हो भी क्यों न ?क्य

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तूफान

2 जून 2023
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नवलकिशोर जी के मन में ,आज 'तूफान 'मचा है ,बाहरी वातावरण भी उसके सामने कोई मायने नहीं रखता। वो बस यूँ ही चले जा रहे हैं। कुछ समझ नहीं आता ,कहाँ जाएँ ,क्या करें ? दुनिया में देखा जाये ,तो आज के समय में

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हिजाब

3 जून 2023
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मानिनी कॉलिज में आती है ,आज तरन्नुम ने आने में देर कर दी। मानिनी और तरन्नुम दोनों अच्छी दोस्त हैं। दोनों ही साथ रहती हैं , एक ही कक्षा में ,साथ ही बैठती हैं। जिस दिन एक भ नहीं आती ,दूसरी का मन नही

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गुल्लक

4 जून 2023
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रेवती अपनी सास की, बड़े मन से सेवा करती थी ,उनकी हर चीज का ध्यान रखती थी ताकि किसी भी प्रकार की उन्हें परेशानी न हो। जब उनकी स्वयं की बहु आ आयीं ,तब भी उनके सम्पूर्ण कार्य स्वयं ही करतीं। उनकी सास यान

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फर्क

7 जून 2023
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इस माह नौचंदी का मेला लगने वाला है, किन्तु किसी को क्या फ़र्क पड़ता है ? जाना तो है नहीं ,जाकर भी क्या करना ,मेले में जाने के लिए भी तो, पैसा ही चाहिए। मेला तो पैसे से है ,पैसे वाल

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घर की याद

8 जून 2023
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पुलकित आँखें खोलकर देखता है ,वो बगीचे की बेंच पर लेटा था। अब उसे सब स्मरण हो जाता है। किस तरह वो अपने मम्मी -पापा से नाराज होकर ,घर से भाग आया ? पुलकित ऐसे ही किसी छोटे -मोटे परिवार से नहीं है। उसके

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मेरे साथ ही क्यों?

10 जून 2023
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बहु.......... जी माँजी ,कहते हुए ,पारुल तेज गति से उनके समीप आई। तुझसे कितनी बार कहा है ?उस बड़े कमरे की सफाई कर देना ,जब

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टास्क

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शादी के बाद उसने ससुराल में कदम रखा ही था ,कि सास के तीखे तेवर और गर्म मिज़ाज उसे कुछ ही दिनों में पता चल गए। उसने देखा कि जिस व्यक्ति से उसका विवाह हुआ है ,वो तो कुछ बोलता ही नहीं। जो चाहता है ,बस

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अधूरापन

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सुगंधा पिता के घर में रही ,अरमान तो बहुत थे ,किन्तु पिता के सख़्त कानून के कारण ,न कहीं आना , न कहीं जाना ,इच्छाएँ ,आकाश की अनंत ,ऊंचाइयों को छूना चाहती किन्तु उसका आसमान सीमित था। कुछ तो घर का अनुशा

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मिट्टी के खिलौने

15 जून 2023
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रामदीन कुम्हार ,प्रतिदिन जोहड़ से चिकनी मिटटी लाता और उसे पैरों से रोंद्ता ,जब वो मिटटी बर्तन बनाने लायक हो जाती तो उसे चाक पर रखकर ,बड़े क़रीने से ,सुंदर -सुंदर मिटटी के बर्तन बनाता। ये उसकी कला ही नह

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भाग्य का खेल

16 जून 2023
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आज मैं अपनी डायरी को ज़िंदगी के एक पहलू कहूँ या कुछ और, किन्तु इतना मैं अवश्य जानती हूँ ,उसे हम भाग्य अथवा क़िस्मत कहते है -इनके इशारों पर ही तो ,हमारी ज़िंदगी चलती है। हम सोचते हैं -जो भी कार्य हम कर रह

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माँ

17 जून 2023
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चम्पाकली 'ताई आज बहुत प्रसन्न है क्योकि उनके दो बेटे ,दो ही बहुएं हैं किन्तु ये उनकी प्रसन्नता का कारण नहीं ,उनकी प्रसन्नता का कारण ,उनका दादी बनना है। दोनों बहुएं ही गर्भवती थीं और अब दोनों ही माँ ब

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संगीत प्रेम

20 जून 2023
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काव्या बहुत ही प्यारी बच्ची है ,मन उसका बहुत ही कोमल है ,सबसे प्रेमपूर्ण व्यवहार करती। दुश्मनी ,लड़ाई क्या होती है ?जैसे वो जानती ही नहीं ,उसे तो सभी अपने ही नजर आते ,छल -कपट से तो उसका दूर -दूर तक वास

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समुद्र तट

22 जून 2023
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कार्तिक और मोना प्रतिदिन , अपने दफ्तर से आते समय कुछ देर ,समुन्द्र के तट पर बैठकर अपनी दिनभर की थकान मिटाते। मोना जब पहली बार अपने दफ्तर में आई ,तब उसकी सबसे पहले मुलाक़ात कार्तिक से ही हुई। कार्तिक न

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दरार

23 जून 2023
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पार्वती जी ,दुखी परेशान ,अपने कमरे में आती हैं और अपने पलंग पर बैठकर ,गहरी स्वांस भरती हैं और अपनी आँखें बंद कर लेती हैं। मैं कितना भी अच्छा सोच लूँ या कर लूँ ?किन्तु इसे अपना नहीं बना सकती ,ये 'दरा

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पहाड़ी प्रेम

29 जून 2023
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ज्योति...... ओ ज्योति....... ! दूर से आती, मौसी की आवाज सुनाई दी। आई मौसी ! कहकर मैं बंसी से बोली -कल आउंगी तब खेलेंगे ,अब मौसी बुला रही है। बंसी ने हाँ में गर्दन हिलाई और मैं ,दौड़ते हुए मौसी के

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भूतों से बातचीत

1 जुलाई 2023
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नंदिनी जैसे ही , अपनी कक्षा में पहुंची -उसने देखा ,सभी बच्चे ,तुषार की सीट के पास खड़े हैं। ये सब क्या हो रहा है ?सभी बच्चे वहाँ क्या कर रहे हैं ? नंदिनी को देखते ही ,सभी बच्चे दौड़कर अपनी -अपनी सीट पर

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पैसा

2 जुलाई 2023
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रतनलाल जी ने कितना पैसा कमाया ? रात -दिन एक कर दिया। शानदार कोठी भी बनाई ,बच्चों को महंगे से महंगे स्कूल में पढ़ाया। सबकुछ तो उनके पास है ,किसी चीज की भी कमी नहीं ,पत्नी के पास भी जेवरों की कोई कमी नह

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गड़बड़ घोटाला

3 जुलाई 2023
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मैं प्रतिदिन की तरह ,जब परिवार के सभी सदस्य अपने -अपने काम पर चले जाते ,तब घर की साफ -सफाई और बाहर बगीचे में पानी देना जैसे कार्य करती। एक दिन जब मैं अपने पौधों को पानी दे रही थी ,तभी मैंने देखा ,स्क

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रिश्तेदार जलते हैं!

4 जुलाई 2023
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कितनी ख़ुशी की बात है ?कीर्ति तुमने पढ़ाई पूरी करने के साथ -साथ ,तुम्हारी नौकरी भी लग गयी। एक पार्टी तो अवश्य बनती है। क्या ख़ाक पार्टी बनती है ?तुम सभी दोस्तों को ही पार्टी दूंगी ,मम्मी -पापा के लि

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कीमत, समय की

7 जुलाई 2023
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अतुल बहुत ही बिगड़ैल और अड़ियल है ,देखने में तो वो बहुत जचँता है ,उसे देखेंगे तो कह उठेंगे कि किसी बड़े घर का बेटा हो लेकिन उसका स्वभाव उसकी शक़्ल और व्यक्तित्व से बिल्कुल विपरीत है। वो न ही किसी की बात

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कीमती

9 जुलाई 2023
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राधा जब ,मोहन से मिली ,उसे देखते ही , अपना दिल दे बैठी ,मोहन की हालत भी कुछ ऐसी ही थी। पहली बार दोनों ,राधा की सहेली के घर पर,उसकी जन्मदिन की पार्टी में ,उससे मिली। जितनी खूबसूरत राधा लग रही थी, उतना

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मृत्यु पर विजय

10 जुलाई 2023
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पल -पल मरता है ,इंसान ! जीने की तमन्ना में ! टूटता है ,बिखरता है, जिन्दा रहने की चाह में !खो देता है ,अपनों का साथ ,जीता है स्वांसों में !स्वांसों का ही खेल है , जिन्दा रहने की आस में !कुछ लोग जी

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भूतिया हवेली

12 जुलाई 2023
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श.... श.... श.... श.... आज आपको एक''अज़ीबो ग़रीब प्रेम की '' कहानी सुनाती हूँ। जानते हैं ,ये जो हवेली है ,ठाकुरों की है ,बहुत ही रुआब था। ठाकुर ''बलदेव सिंह '' अपने नाम की तरह ही बलवान ,बुद्धिमान और रौब

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सुरक्षा कवच

14 जुलाई 2023
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माँ 'तुम अब यहाँ ,अकेली क्या करोगी ? अब तुम भी हमारे संग चलकर रहो !अनंत अपनी माँ से बोला। बेटा ! सम्पूर्ण ज़िंदगी इस शहर में बिता दी ,अब इधर -उधर जाकर क्या करूंगी ? जब तू छोटा था ,तब सोचा करती थी

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बदलते रंग

16 जुलाई 2023
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आज घर में खीर -पूरी ,मालपुए दो सब्ज़ियाँ और बूँदी का रायता बना है क्योंकि आज बहुओं का व्रत है ,आज के दिन सुहागन महिलायें अपने पति की लम्बी उम्र ,और अच्छे स्वास्थ के लिए पूजा करती हैं और अपने घर की बड़ी

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वो सुबह!

17 जुलाई 2023
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कितना सुहावना मौसम है ?रंजन अपने बच्चों से कहता है -चलो !आज कहीं घूमने चलते हैं। बाहर हल्की - हल्की बूंदा -बांदी हो रही थी। बच्चे खुश हो जाते हैं और दौड़कर अपनी मम्मी के पास जाते हैं। मम्मी ! पापा कह

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लडाई

19 जुलाई 2023
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श्रेया ,अपने आप से ही , कितना लड़ रही थी ? ये तो वो ही जानती है।अब तो जीवनभर संघर्ष ही करना है। पहले पढ़ाई में संघर्ष किया क्या विषय लेने हैं ,कौन सा स्कूल चुनना है ? स्कूल में भी ,प्रतिशत में नंबर लाने

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सूर्यास्त और हम

20 जुलाई 2023
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रामलाल जी के घर में ,फोन की घंटी बज रही थी ,उनके बेटे की बहु फोन उठाती है और रामलाल जी से कहती है -पापा जी !आपका फोन है। किसका है ? पूछो कौन है ?और क्या कहना चाहता है ?शिरोमणि अंकल हैं ,और आपसे

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धड़कन

21 जुलाई 2023
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पंकज हमेशा अपनी ही चलाता है , किसी की भी नहीं सुनता ,सुमित्रा जी हमेशा ,एक उम्मीद के सहारे आगे बढ़ उसका समर्थन करतीं और कहतीं -पंकज ,अभी बच्चा है ,समझदार हो जायेगा ,तब सब समझने लगेगा ,कहना भी मानेगा कि

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मेन्ढकी

22 जुलाई 2023
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गर्मी से बुरी हालत थी ,नहाते -नहाते भी पसीने आ जाते। खेती पर काम करने वाले भी खेतों से ,वापस आ गए। सभी को ,बरसात की इच्छा हो चली थी। आपस में कहते -न जाने बरसात कब होगी ?यदि शीघ्र ही बरसात नहीं हुई तो

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बरसात

23 जुलाई 2023
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बरसात का मौसम ''आते ही मन झूमने लगता है ,बारिश की ठंडी -ठंडी फुहार तन को ही नहीं ,मन को भी भिगो जाती हैं। चारों तरफ धुली -धुलि सी ,हरियाली ,लगता है जैसे ,प्रकृति ने धानी चुनर ओढ़ ली हो। बच्चों की तो बर

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एक ही गलती

25 जुलाई 2023
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सुधा खिड़की के पास बैठी ,चाय पी रही थी ,तभी उसकी बेटी ने उसे पुकारा ,मम्मी ,मैंने अपना गृहकार्य कर लिया। ठीक है ,जाओ !अब जाकर बाहर बच्चों के साथ खेल लो !ठीक है ,कहकर वो बाहर की तरफ दौड़ी ,तभी सुधा ने उस

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