मौली अपने दोस्तों संग मस्त थी ,वो अपने दोस्तों के साथ गोवा घूमने जा रही है ,इसीलिये तैयारी में लगी है ,तभी उसके फोन की घंटी बजी। मौली ने नाम देखा और मुँह बनाते हुए ,फ़ोन पर बातें करने लगी -क्या मम्मी ,मैं अपनी सहेलियों संग बाहर हूँ ,आप मुझे बार -बार फोन करके ,क्यों परेशान कर रही हो ?और अपनी मम्मी की बात सुनने से पहले ही उसने फ़ोन कट कर दिया। उसकी सहेली शिप्रा बोली -अभी तो हम बाहर गए भी नहीं फिर क्यों झूठ बोला ?उनकी बात भी नहीं सुनी ,पता नहीं कोई जरूरी बात हो। मौली लापरवाही से बोली -अरे यार ,मम्मी थीं ,उनका वो ही फटा -पुराना रिकॉर्ड ,शादी के लिए पीछे पड़ी रहती हैं।मैं आज़ादी से घूमना चाहती हूँ ,कौन विवाह के पचड़ों में पड़े ?यहीं तक सीमित नहीं ,फिर बच्चे पालो
और दुनियाभर की बातें सुनो। और वो सहेलियों संग घूमती ,मौज -मस्ती करती रहती। उधर उसकी मम्मी परेशान ,समय से विवाह कर लेती तो मैं भी चिंता मुक्त हो जाती।तुम ही बताओ ,पायल की मम्मी ,- जब तो पढ़ाई में रही, हमने भी सोचा -लड़की को पढ़ा -लिखाकर ,अपने क़ाबिल बना देंगे कि किसी भी परिस्थिति को समझदारी से संभाल लेगी, किसी पर आश्रित नहीं होगी किन्तु जबसे इसकी नौकरी लगी है ,'ये लड़की किसी की सुनती ही नहीं ,सारे पैसे दोस्तों के साथ घूमने में ,समारोह में व्यय कर देती है। सोचा था ,-इसके विवाह में थोड़ा इसके पापा को सहारा हो जायेगा ,ये तो पैसा बचाना तो जैसे जानती ही नही। पायल की मम्मी मुस्कुराकर बोलीं -जब उसे विवाह ही नहीं करना तो पैसे बचाकर भी क्या करना है ?उसकी अपनी ज़िंदगी है ,उसे जीने दो ,जब उसकी इच्छा होगी कर लेगी। किन्तु हर चीज का एक समय होता है ,उनकी बातें बीच में ही काटकर बोलीं -आजकल के बच्चे समझदार हैं ,अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीना चाहते हैं आगे बढ़ने के लिए इन बंदिशों में नहीं बंधना चाहते।
पायल की मम्मी की बातों से वो सहमत नहीं थीं किन्तु करें भी क्या ?उनकी परिस्थिति ही उनके अनुकूल नहीं थी। एक दिन उन्होंने मौली को समझाते हुए कहा -बेटा ,ये घूमना -फिरना तो शादी के बाद भी हो सकता है। उसने तो फौरन ही ताना मार दिया ,बोली -ये बात तो आप न ही बताओ तो अच्छा है ,आप कितना जाती हैं ,घूमने ?मेरी याद में तो सारा दिन ही घर में लगी रहती हो। कहाँ घूमना हो रहा है ?आपका। पहले तो वो चुप रहीं फिर समझाते हुए बोलीं -यदि घर में न लगी रहती तो तुम लोगों का ख़्याल कौन रखता ?सारा दिन भी आदमी बाहर नहीं घूम सकता ,मनुष्य की कुछ ज़िम्मेदारियाँ भी होती हैं ,उन्हें भी पूर्ण करना होता है। मोेली बोली -वही तो ,मैं उन ज़िम्मेदारियों को ओटना नहीं चाहती ,उन जिम्मेदारियों में मेरी ज़िंदगी भी आपकी तरह हो जाएगी। जब दो लोग मिलते हैं तो उनकी पसंद -नापसंद जरूरी नहीं कि आपस में भी मिलती हों ,मुझे घूमने का शौक है ,उसे न हो। तब मेरी ज़िंदगी में जबरदस्ती की दखलअंदाजी हो जाएगी और मैं किसी भी अनजान व्यक्ति के लिए अपनी मुसीबतें बढ़ाना नही चाहती इसीलिए मुझे भी आराम से जीने दो और स्वयं भी शांति से रहो। वो अपनी बेटी की बात सुनकर चुप हो गयीं किन्तु वो परेशान थीं ,पता नहीं ,ये लड़की जीवन की ऊँच -नीच को कब समझेगी ?
उसके दफ़्तर में एक नया लड़का आया ,उसे देखकर क्षणभर को मौली की नज़र उस पर ठहर गयी और फिर अपने काम में लग गयी। काम ऐसा आन पड़ा कि उससे बार -बार मिलना हो जाता ,धीरे -धीरे वो उसके घर भी जाने लगा। अपूर्व उसकी कम्पनी में तो सहायक था ही अब घर में भी उसके दोस्तों के साथ किसी भी पार्टी में शामिल होने लगा। मौली को उसकी बहुत मदद मिल जाती। वो तो बेपरवाह थी किन्तु शिखा ने उसे एहसास कराया कि अपूर्व उसकी ज़िंदगी में अपनी जगह बनाता जा रहा है। मौली ने पहले तो इस ओर ध्यान नहीं दिया किन्तु कब तक नज़रअंदाज करती ?उसे भी लगने लगा कि अपूर्व एक अच्छा इंसान है ,मौली ने सोचा -हम ऐसे दोस्त बनकर भी रह सकते हैं। उसने एक दिन अपूर्व से बात की और बोली -इस तरह भी जीवन जी सकते हैं किसी पर कोई विवाह का दबाब नहीं। अपूर्व बोला -जैसा तुम चाहो। दोनों अक्सर साथ रहते ,घूमते किन्तु अपनी सीमाओं में। कब तक' आग और फूँस 'का साथ होता। कभी तो हवा चलती और आग भड़कने का मौका भी मिल ही गया। जब तक आग शांत हुई तब तक सब ख़ाक हो चुका था। जब उसके साथ ये घटना घटी ,तब उसे एहसास हुआ कि ये क्या गलती हो गयी। मैं मम्मी से क्या कहूँगी ?मैं किस लिए यहाँ आयी और क्या कर बैठी ?मम्मी की चिंता निर्रथक नहीं थी ,न ही मैं कुँवारी रही, न ही विवाहिता। जवानी का नशा सिर चढ़कर बोलता है और उतरता भी उसी तरह है। अब उसने गलती तो की है ,इसका उसे एहसास हो रहा था ,अब इसे सुधारा कैसे जाये ?फिर अपनी गलती को एक सही दिशा देने के लिए उसने ,अपूर्व से कहा -हम दोनों विवाह कर लेते हैं ,मम्मी -पापा को मैं मना लूँगी। इतना उसे अपने मम्मी -पापा पर विश्वास था कि अपनी बेटी की ख़ुशी के लिए वो मान जायेंगे। अभी वो अपनी ज़िंदगी को सही मोड़ देना चाह रही थी बस अपूर्व भी हाँ कह दे।
अभी मौली को एक सदमा लगना बाकि था ,जब अपूर्व ने इंकार कर दिया ,वो तो जैसे ज़मीन पर आ गिरी। जब अपूर्व ने कहा -'तुम जैसी लड़की 'विवाह नहीं करतीं। ''तुम जैसी ''ये शब्द उसे तीर की तरह चुभे। बोली -'तुम जैसी 'से क्या मतलब है तुम्हारा ?क्या मुझमें कुछ कमी है ?वो गुस्से से बोली। आज तो जैसे अपूर्व का पलड़ा भारी था और वो बेबस। कहाँ वो सीधा -साधा लड़का ,आज स्पष्ट शब्दों में बोला -तुम घर -गृहस्थी के लायक नहीं ,घूमने -फिरने ,मस्ती करने के लिए ही हो। तुम क्यों इस चक्कर में पड़ना चाहती हो ?मज़े करो ,ज़िंदगी का लुत्फ़ उठाओ ,लोगों को ख़ुश रखो ,ख़ुद भी खुश रहो। आज वो उस लड़के की असलियत से रूबरू हो रही थी। आगे की बातें वो सुन ही नहीं पायी ,उसकी सोच के आधार पर अपूर्व के मन में उसके लिए कोई इज्ज़त -सम्मान नहीं था। मन उदास और परेशान था ,तभी फ़ोन की घंटी बजी ,उसने फोन उठाया ,उधर से मम्मी का फ़ोन था ,कह रहीं थीं -बेटा अगले सप्ताह तेरा 'जन्मदिन 'है ,यहीं आ जाना ,मिलकर मनाएंगे। वो रो दी ,'अच्छा' कहकर उसने फ़ोन रख दिया। उसने ''दिनदर्शिका ''में देखा ,एक सप्ताह पश्चात वो तीस की हो जायेगी। दिन भी कैसे रेत की तरह फिसलते जाते हैं ?अभी तो समझना भी शुरू नहीं किया और' ज़िंदगी और वक्त' निकलते जा रहे हैं। किसी से क्या कहे ?अपने घर में स्वयं ही आग लगाई है ,अब उसे अपने वे दोस्त भी ऐसे ही नज़र आते दिखे, जो उसका लाभ उठा रहे हैं। हर कोई उसके पैसों पर ऐश कर रहा है।उनकी भी क्या गलती ?मैंने ही उन्हें मौका दिया वो तो मेरे पास नहीं आये। उसने अपने खाते में पैसे देखे तो चौंक गयी सिर्फ़ दस हज़ार। वो सोच रही थी कि मम्मी -पापा के पास जाऊँगी तो थोड़े पैसे उन्हें दूँगी। अब क्या करुँगी ?उसे मम्मी की बातें याद आ रहीं थीं -बेटा, थोड़ा पैसा हाथ रोककर व्यय करो ,पता नहीं ,कब क्या ,आवश्यकता आन पड़े ?उनकी बात सुन लापरवाही से बोली -पैसा कमाया ही इसीलिए जाता है ताकि खर्च कर सकें। अब उसे अपूर्व की वो बात याद आ रही है ,जब उसने कहा -मैं घर -गृहस्थी लायक लड़की नहीं।
मम्मी कैसे पापा की कम आय में भी घर के सारे ख़र्चे करने के बाद भी पैसे बचा लेती थीं। कैसे संभालती थीं -दूध ,सब्ज़ी ,फ़ीस ,कपड़े ,दादी की दवाईयाँ ,मेहमानों का आना -जाना ,त्यौहार इत्यादि ,और मैं ''मैनेजमेंट 'करने के बाद भी निल ,कुछ नहीं कर सकी ,अपने माता -पिता का सहारा भी न बन सकी। घर गयी ,माँ ने चेहरा देखते ही भाँप लिया ,बोलीं -कुछ हुआ है ,क्या ?मौली झूठ बोली -नहीं मम्मी ,कुछ दिनों से तबियत ठीक नहीं थी और काम की थकान भी है। वो अपने शुभचिंतकों को और दुःख नहीं देना चाहती थी ,उनका विश्वास टूट जायेगा।अब तो मम्मी ही कहने लगीं ,बेटा ,तेरी नज़र में ही कोई लड़का हो तो हमें बता देना ,हम उसी से तेरा विवाह कर देंगे। अब मम्मी को क्या बताऊँ ?मैं ज़िंदगी की कितनी बड़ी गलती कर बैठी ?और वो भी धोखा दे गया। ज़िंदगी भी क्या मोड़ ले लेती है ?सोचा था स्वयं कमाऊँगी ,स्वतंत्र जीवन जियूँगी ,मम्मी की तरह ''नून तेल लकड़ी के फेर ''में नहीं पड़ूँगी।किन्तु एक समय आते -आते ये स्वतंत्रता भी खलने लगती है ,कोई हमारा अपना क्यों नहीं ,जो हमारे लिए सोचे ,अपना कीमती समय सिर्फ़ हमारे लिए हो। समय और उम्र अपनी तीव्रता से बढ़ते जा रहे हैं और मैं आज भी उसी स्थान पर खड़ी हूँ ,जो दोस्त कभी -कभार आ भी जाते,अब अपने -अपने परिवार में व्यस्त हो गए। उम्र अपना प्रभाव दिखाने लगी। मम्मी ने भी अपनी बेटी के विवाह के जो सपने देखे वो किसी तिज़ोरी में बंद कर दिए। एक बार एक आंटी उसके लिए रिश्ता लेकर भी आईं ,जो अधेड़ उम्र ,तलाकशुदा था। ये नियति ने कैसा तमाचा मेरे मुँह पर मारा ?जब मैं किसी को कुछ नहीं समझ रही थी अब मैं किसी के लिए कुछ नहीं।
कम्पनी ने दो वर्षों के लिए तीन लोगों के नाम सुझाये जो बाहर जाकर कार्य करें ,उन दोनों ने दो वर्ष का लम्बा समय बताकर ,परिवार की जिम्मेदारियों के कारण जाने से इंकार कर दिया। चलो मेरा अकेलापन कुछ तो काम आया ,वैसे भी मैं इस माहौल से भाग जाना चाहती थी और मुझे विदेश जाने का मौका मिल गया। वो दो वर्षों के लिए बाहर चली गयी ,मन में तो कोई उत्साह ही नहीं रहा ,कम से कम कम्पनी के काम तो आयी। अड़तीस की उम्र में उसके मन में अब कोई जीने की ललक नहीं रही। जिंदगी से धोखा जो खा चुकी थी। वहां रहते उसे अभी तीन माह ही हुए हैं ,वो अपना अकेलापन दूर करने के लिए शाम को बगीचे में चली जाती ,एक दिन वो अपने घर की तरफ लौट रही थी तभी उससे बहुत सारा सामान लिए एक व्यक्ति टकराया, उसका सामान भी बिखर गया। मौली को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने क्षमा माँगते हुए उसके सामान को रखने में मदद की। जब मौली ने उसकी तरफ देखा तो देखती ही रह गयी। नीली आँखों वाला बेहद आकर्षक व्यक्तित्व वाला व्यक्ति था। अगले दिन जब वो अपने दफ्तर गयी ,तब उसने उसी व्यक्ति को वहाँ देखा ,उसे देख उसे क्रोध आया और उसके पास पहुंचकर बोली -आप यहाँ ,मेरा पीछा क्यों कर रहे हैं ?मैंने क्षमा याचना तो की थी तब भी। वो मुस्कुराकर दफ्तर में अंदर चला गया। मौली ठगी सी उसे देख रही थी और सोच रही थी कि ये क्या चाहता है ?तभी उसके बॉस अंदर गए और वो भी। तभी वो उस व्यक्ति के साथ बाहर आकर बोले -मिलिए ,हमारे नए'' जनरल मैनेजर'' से। मौली हतप्रभ सी देख रही थी और वो मुस्कुरा रहा था। मौली ने अभिनंदन के साथ क्षमा भी माँगी। रॉबर्ट उसके काम से काफी प्रभावित हुआ ,दोनों अब मिलने भी लगे ,लगभग छह माह पश्चात ,रॉबर्ट ने मौली के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा। उसका भी विवाह नहीं हुआ था मौली को वो पसंद भी था ,वो मना नहीं कर सकी ,उसे भी एक साथी की तलाश थी जो उसे समझ सके और दोनों ने विवाह कर लिया।
दो वर्ष बीत जाने पर वो रॉबर्ट को अपनी मम्मी से मिलाने ले गयी ,माँ के चेहरे पर संतोष था,बोलीं -तुम्हारे नाम का पति तो विदेश में था फिर यहां कैसे मिलता ?कहकर हँस दीं और सोचने लगीं -पता नहीं मेरी बेटी ने न जाने क्या -क्या सहा होगा ?ज़िंदगी अब तक उसे बहुत कुछ सिखा चुकी थी किन्तु आज उसकी मम्मी को उसकी चिंता से ''मुक्ति ''मिल गयी थी ,अब उसकी ज़िंदगी में हमारे बाद भी कोई ख़्याल रखने वाला होगा।