राधा जब ,मोहन से मिली ,उसे देखते ही , अपना दिल दे बैठी ,मोहन की हालत भी कुछ ऐसी ही थी। पहली बार दोनों ,राधा की सहेली के घर पर,उसकी जन्मदिन की पार्टी में ,उससे मिली। जितनी खूबसूरत राधा लग रही थी, उतना ही मोहन भी जंच रहा था ,पतला -दुबला लड़का ,सफेद शर्ट उस पर ,भूरे रंग की टाई ,बाल शायद उसने ,आजकल के जो बाजार में सामान आ रहे हैं ,उनसे सजाये हुए थे एक भी बाल इधर का उधर नहीं हो रहा था ,उस पर नीली जींस ,सफेद जूते ,कुल मिलाकर वो राधा को तो मोहन भा गया।राधा बढ़ -चढ़कर अपनी दोस्त के जन्मदिन की पार्टी में भाग ले रही थी , राधा ने अपनी सहेली के करीब आकर पूछा -वो कौन है ?
उसकी सहेली अपने कपड़ों में ,अपने शृंगार में व्यस्त थी ,बोली -वो कौन ?
अरे !वही जो अभी -अभी तेरा जन्मदिन का केक लाया है।
समझते हुए ,सपना बोली -ओह !वो......वो तो भाई का दोस्त है ,उसी के साथ स्नातक की पढ़ाई कर रहा है।क्यों ,तू क्यों पूछ रही है ?सपना ने अपनी आँखें सिकोड़ते हुए पूछा।
नहीं ,ऐसे ही ,पूछ लिया कहते हुए वो आँखें चुरा गयी।
ऐसे ही तो नहीं पूछा ,क्या तुझे पसंद है ?कहते हुए वो मुस्कुराई और बोली -भाई से कहकर ,बात चलाऊँ !
उसकी ये बात सुनकर ,राधा घबरा गयी और बोली -तू भी न........ तुझसे एक बात क्या पूछ ली ?तू तो पीछे ही पड़ गयी। जा मैं तुझसे बात नहीं करती ,कहते हुए ,वो भीड़ में ,सपना के रिश्तेदारों में शामिल हो गयी। सपना और वो ,उनके साथ दो सहेलियां और हैं किन्तु आज वो दोनों नहीं आ पाईं क्योंकि दोनों ही कहीं न कहीं व्यस्त थीं ,उन्होंने सपना से बाद में पार्टी लेने के लिए कहा है। राधा ने भी कहा था -मैं किसी को जानती नहीं ,पार्टी में बोर हो जाऊंगी। मैं भी इन्हीं के साथ पार्टी ले लूंगी ,हम सब दोस्त यहीं स्कूल की केंटीन में पार्टी कर लेंगे। इस बात से सपना नाराज हो गयी और बोली -इनकी तो मजबूरी है ,तेरी नहीं ,तू आ सकती है ,तो आ ! अधिकार से बोली -तुझे आना ही पड़ेगा। इस कारण आज राधा आ तो गयी किन्तु उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि इस तरह मोहन से मुलाकात हो जाएगी। अब तो मोहन की नजर भी राधा पर जा टिकी ,जब उसे पता चला कि इस लड़की का नाम राधा है ,शायद ,अपने और उसके नाम के कारण......
राधा ने आज सपना के जन्मदिन पर बहुत सुंदर नृत्य किया ,उसे तो स्वयं पर विश्वास ही नहीं हुआ कि उसने इतना अच्छा नृत्य पेश किया। आज जैसे उसके पैरों में बिजली लगी थी। यहाँ पर वो सबसे अजनबी ही थी किन्तु अब उसे सभी पहचान गए थे। सपना ने केक काटा ,और सभी को केक दिया जाने लगा किन्तु राधा की नजरें तो मोहन को ही तलाश रहीं थीं ,राधा ने देखा ,मोहन छज्जे पर खड़ा ,अपने फोन पर किसी से बातें कर रहा है। उसको इस तरह देखकर ,पहले तो राधा को निराशा हुई ,शायद ,अपनी किसी दोस्त से बातचीत कर रहा हो किन्तु तुरंत ही उसने अपनी उस भावना को अपने से दूर कर दिया और केक बाँटने वाले से एक प्लेट ली और मोहन के समीप चली गयी। राधा को अपने करीब आते देखकर ,मोहन ने भी बातचीत बंद कर दी। राधा उसके करीब केक लेजाकर खड़ी हो गयी ,उसकी आँखों में देखा और मुस्कुरा दी। केक की प्लेट उसकी ओर बढ़ा दी। मोहन ने उसके हाथ से केक ले लिया ,तब राधा ने ,उसके केक में अंगुली से थोड़ी क्रीम निकाली और मोहन के चेहरे पर लगाते हुए बोली -जंच रहे हो !और वहां से फुर्ती से आ गयी। उसे अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रहा और उसने अपने मन के भाव उड़ेल ही दिए।
राधा के इस तरह के व्यवहार से वो हतप्रभ रह गया किन्तु तब तक राधा उस पर अपनी छवि छोड़ चुकी थी ,उसने मुस्कुराते हुए केक खाया और मन ही मन बहुत प्रसन्न हो गया किन्तु अब राधा अपने उस व्यवहार के लिए थोड़ा ड़र गयी ,अपनी सहेली सपना के पास गयी और बोली -अब मैं अपने घर जाती हूँ ,बहुत देर हो गयी।
तूने खाना खाया ,उसने प्रश्न किया।
हाँ ,खा लिया कहते हुए वो बाहर आ गयी।
अगले दिन जब अपने स्कूल के लिए ,घर से बाहर निकली ,तब उसे मोहन अपनी मोटरसाइकिल पर दिख गया जो उसी की प्रतीक्षा में उसके घर से ,कुछ दूरी बनाये खड़ा था। उसे देखते ही ,मोहन ने अपनी मोटरसाइकिल स्टार्ट की और राधा से बैठने का आग्रह किया। आज वो अपने स्कूल नहीं गयी ,आज उसका मोहन से परिचय हुआ। तुम्हें मेरे घर का कैसे पता चला ?
सपना के भाई ने बताया।
हे भगवान !तुमने उसके भाई को सब बता दिया।
क्या बता दिया ?
यही कि मैंने तुम्हारे मुँह पर केक लगाया।
नहीं...... ये प्यार भरी बातें , कोई कहने की होती हैं ,कहकर मोहन ने मुड़कर पीछे देखा और मुस्कुराया ,राधा उसकी उन निगाहों का सामना न कर सकी और बोली -सामने देखो !वरना कोई न कोई दुर्घटना कर दोगे।
अब जो होना था ,वो तो हो गया ,मेरे साथ जो दुर्घटना हुई है ,उससे सुंदर दुर्घटना हो ही नहीं सकती कहकर फिर से हंसने लगा। अब तो दोनों मिलने लगे प्यार फलने -फूलने लगा। वे दोनों इस इंतजार में थे कि कब मोहन की कहीं नौकरी लगे और दोनों भाग जाएँ क्योंकि दोनों की बिरादरी एक नहीं थी ,उस पर मोहन का परिवार राधा के परिवार के मुकाबले ,आर्थिक दृष्टि से भी कमजोर था।
एक दिन ऐसा आया ,जब राधा और मोहन ने भागकर शादी कर ली क्योंकि राधा के घरवाले उसके लिए ,बड़े खानदानी घर के लड़के देख रहे थे ,जब राधा ,मोहन के संग भाग गयी तब उसके पापा को ही नहीं पूरे परिवार को बहुत दुःख हुआ। उन्हें गलती मोहन की ही नजर आई और उन्होंने अपनी पहुंच से किसी को पता भी न चले ,पुलिस को उन्हें ढूंढने के लिए लगा दिया। दोनों शीघ्र ही ,दूसरे शहर में पकड़े गए और थाने लाये गए, दोनों के परिवार भी बुलवाये गए ,राधा ने पहले ही सोच लिया था -यदि पापा ,मोहन को कुछ कहेंगे तो मैं भी ,चुप न रहूंगी।
इंस्पेक्टर साहब !ने उन दोनों के परिवारों के सामने ही ,पूछा -तुमने ठाकुर साहब की कोई क़ीमती चीज इन्होने चुराई है ,मोहन ने कहा -देखिये ! मैं कभी उनके घर के अंदर भी नहीं गया। मैं कैसे कोई चीज चुरा सकता हूँ ?
पापा ! इन्होंने आपकी कोई चीज नहीं चुराई ,आप वैसे ही मोहन पर झूठा इल्जाम लगा रहे हैं ?बेटा इससे क्या कहें ? जब तुमने ही अपने घर में चोरी की है। तुमने ही घर का कीमती सामान चुराया है। पापा !ये आप सही नहीं कर रहें हैं।
जो तुमने किया ,क्या वो सही था ?उसकी मम्मी ने आवेश में आकर पूछा।
सॉरी मम्मी ! मैं बताना तो चाहती थी किन्तु मुझे लग रहा था आप लोग नहीं मानेगें।
और तुमने आव देखा न ताव हमारा मान -सम्मान ,हमारी इज्जत को दांव पर लगाकर ,चली गयीं। उसके लिए तो मैं आपसे माफी मांगती हूँ किन्तु आपने और पापा ने जो हम पर चोरी का इल्जाम लगाया है ,वह सही नहीं है। आप बताइये तो सही ,इन्होने या मैंने क्या चुराया है ?
तू ,अब भी नहीं समझी ,हमारी सबसे कीमती चीज हमारी बेटी है ,जिसको हमने इतने अरमानों से पाला हमारे सब अरमान मिटटी में मिलाकर ,हमारे मान -सम्मान को ताक पर रखकर तुम इसके साथ चलीं गयीं। क्या तुम्हें हमारे मान -सम्मान की ,हमारी इज्जत की तनिक भी परवाह नहीं थी। वो ही तो हमारी जीवनभर की पूंजी थी ,उसे ही तुम लूटकर ले गयीं और हमसे पूछती हो ,हमने क्या चुराया है ?किसी माता -पिता के लिए धन -दौलत उनकी अपनी बेटी ही तो होती है ,उनका मान होता है जिसकी तुमने तनिक भी परवाह नहीं की। तुम इससे प्यार करतीं थीं ,हमसे भी एक बार पूछ तो लेतीं ,जब हमने तुम्हें पाल -पोसकर इतना बड़ा किया ,तब क्या तुम पर हमारा इतना भी अधिकार नहीं था ,कहकर उसके माता -पिता थाने से बाहर आ गए और इंस्पेक्टर साहब से कह दिया हमें इनसे कोई शिकायत नहीं ,इन्हें छोड़ देना ,अब जो हो चुका ,उसे लौटाया तो नहीं जा सकता।
अपराधबोध में खड़ी ,राधा और मोहन उन्हें जाते देख रहे थे।