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हद- बेहद

14 नवम्बर 2022

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गोलियों की  बौछार का  सामना करते हुए, वो आगे बढ़ रहे थे। दुश्मन भी कम नहीं था ,हम उनके लोगों को मारते ,फिर भी न जाने कहाँ से और बढ़ जाते। क्या हमसे कोई खेल खेल रहे थे ?निश्चित स्थान से ,हम आगे बढ़ते जा रहे थे। मुझे एक स्थान पर आगे बढ़ने का मौक़ा मिला ,मैं अपने  लोगों से ,कुछ आगे था -उधर मुझे कोई नहीं दिखा ,मैं अपने ही जोश में आगे बढ़ता चला गया। तभी न जाने कहाँ से ,एक गोली आकर मेरे काँधे में लगी ?  मैं अपने स्थान से  थोड़ा नीचे की तरफ ,फिसल गया। मैं अपने लिए कोई सुरक्षित स्थान ,की तलाश में था। ख़ून की बूंदों ने उन्हें मेरे छुपने का स्थान भी बतला दिया था। मेरा अपने लोंगो से सम्पर्क भी टूट गया था। बाहर से मुझे ,अपने आस -पास ही ,कुछ अस्पष्ट सी आवाजें आ रही थीं।

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 शायद मैं ,उन लोगों से घिर चुका था ,तभी एक गोली मेरे टाँग में लगी और मैं अपने स्थान से लुढ़कता हुआ चला जा रहा था। बस मुझे इतना स्मरण है ,जब मैं होश में आया ,मेरे आस -पास कुछ अनजान लोग थे। इनमें से मैं किसी को भी नहीं जानता था।

 मैं कहाँ हूँ....... मैंने अपने माथे पर हाथ फेरते हुआ पूछा -जो काफी दुःख रहा था। 

बेटा ,तुम हमारे गाँव में हो ,तुम नदी में बेहोश पड़े थे ,तब हमने तुम्हें बाहर निकाला। मैंने अपना पैर उठाना चाहा तो दर्द के कारण कराह उठा। 

अभी आराम से लेटे रहो ,तुम्हारे शरीर पर ज़ख्म हैं ,शायद पैर की हड्डी भी टूटी है। ये सब कैसे हुआ ?तुम कौन हो ?कहाँ से हो ?

मैंने अपने मस्तिष्क पर जोर डाला ,किन्तु कुछ भी स्मरण नहीं रहा। ऐसा मुझे ,पूर्वा ने बताया। मैं अपना अस्तित्व भूल चुका था ,कौन हूँ ,कहाँ से आया ?अनेक प्रश्न उन लोगों के साथ मेरे मन में  भी उभर कर आये। यहाँ तक, कि मुझे अपना नाम भी स्मरण नहीं था। दो -तीन माह तक मैं बिस्तर पर ही रहा ,उन लोगों ने बहुत सेवा की। मेरी कद -काठी देखकर ,बोले -कहीं तुम फ़ौजी तो नहीं ,जब मुझे कुछ भी स्मरण  ही नहीं था ,तो क्या जबाब देता ?

अब मैं वहीं रहने लगा ,उनके खेतों में ,उनका हाथ बंटाता ,उनके घर के सदस्य की तरह ही हो गया था। उन बूढ़े -बूढी के लिए तो' बुढ़ापे की लाठी हो गया ''वैसे वे लोग ,अभी इतने बूढ़े नहीं हुए थे ,किन्तु मैंने अपने अलावा उस घर में ,कोई अन्य सदस्य न देखा। अब तो किसी से भी मेरा परिचय कराते तो अपने बेटे के रूप में ,पूर्वा अक़्सर मेरे -आगे -पीछे मंडराती रहती ,अब तो वहीं रहते ,मुझे छह माह हो गए।

अब मैं पूर्णतः स्वस्थ था ,एक दिन पूर्वा के पिता ने आकर कहा -इसे अपने घर की कोई जानकारी नहीं ,न ही इसे , अपना नाम ही स्मरण  है ,मैं अपनी बेटी पूर्वा  के लिए ,लड़का भी ढूँढ  रहा हूँ ,पूर्वा भी इसे पसंद करती है। दोनों की घर -गृहस्थी बस जाएगी ,और हमें चाहिए भी क्या ?यहीं हमारे पास भी रहेंगे ,हमारी आँखों के सामने ही। 

गुलशन कुछ देर ,हुक्का गुड़गुड़ाते हुए कुछ सोचता रहा ,फिर बोला -पता नहीं कौन है ,क्या जात है ?कल को इसकी याददाश्त आ गयी ,तब क्या होगा ? पता नहीं पीछे ,इसका परिवार है भी नहीं। 

पूर्वा का पिता भी ,कुछ सोच में आ गया किन्तु तभी बोला -यदि इसकी याददाश्त वापिस भी आ गयी तो इसे बता देंगे ,पूर्वा इसकी पत्नी है और इसे अपने संग ले जाये। 

नहीं माना तो !उन्होंने अपना अंदेशा जतलाया। 

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जब चार लोग कहेंगे ,तो मान ही जायेगा।

अब तो सभी बातें सोच -समझकर ,हरिया का पूर्वा से विवाह हो गया। जी हाँ !हरिया हमारे फ़ौजी बाबू !जिनका किसी को नाम पता कुछ भी मालूम नहीं, वो अब इसी नाम से ,उस गांव में ,अपनी पूर्वा के संग रहने लगे। 

ये यादें ही तो होती हैं ,जो हमें अपनों से जोड़े रखती  हैं ,अपनी पहचान दिलाती हैं ,ये यादें  ही न रहे तो ,इक इंसान की पहचान क्या है ? न ही देश ,न ही जात -बिरादरी का पता ,उसे अपनी पहचान भी नहीं ,जहाँ भी बस जाये वहीं बसेरा ! इन.... यादों ,स्मृतियों द्वारा ही हमें अपनी पहचान मिलती है ,ये न हों तो ,इंसान इंसानों की ही भीड़ में न जाने कहाँ खो जाये ? कुछ अपने भी बन सकते हैं ,कुछ दुश्मन भी। हरिया की स्मृतियों की भी एक हद थी ,जो वो पार कर चुका था ,अब तो उसके जीवन में ''बेहद ''प्यार करने वाली पूर्वा थी।

कुछ माह पश्चात , उसके जीवन में ,एक नन्हा सा राजकुमार भी आ गया। उसकी ज़िंदगी के दायरे तय होते जा रहे थे ,लोगों को अब पूर्ण विश्वास था कि अब इसकी याददाश्त कभी नहीं लौटेगी। जीवन अपने ढर्रे पर चल  रहा था। एक दिन ,वो खेतों से आ रहा था ,तेज बारिश पड़ने लगी ,दूर -दूर तक कुछ दिखाई नहीं दे रहा था कि कुछ देर ,वहाँ खड़े हो सके। वो आगे बढ़ता ही  जा रहा था।बारिश के कारण , मिटटी से कीचड़ भी काफी हो गया था ,कई जगहों पर चिकनी मिटटी भी थी ,उससे फ़िसलन बढ़ गयी थी।उसने अपने जूते भी हाथ में लिए थे। एक जगह उसे ,एक टीन की छत का सा घर दिखा वो उस ओर बढ़ गया। जैसे ही उसने नजदीक पहुंचकर अपना बड़ा कदम  बढ़ाया वो फिसलता चला गया और उसका सिर एक पुरानी ,खंडहर जैसी दीवार में जाकर लगा। 

ये इतनी जोर से लगा कि  उसका सारा सर हिल गया और वो वहीं बेहोश हो गया। न जाने कितनी देर तक पड़ा रहा ?जब आँख खुली तो कुछ अनजान चेहरे उसके आस -पास खड़े थे। 

उसने पूछा -मैं कहाँ....  हूँ ?  

उनमें से एक बोला -अपने  घर में ,और कहाँ होंगे ?उसने नजरें उठाकर एक बार फिर से उन सबको देखा ,इनमें से कोई भी तो अपना नहीं.... 

तभी एक महिला आई और  बोली -अब कैसे हो जी ?तुम इकरामुद्दीन के कोठरी के बाहर बेहोश पड़े थे। क्या हुआ था ?

आख़िर कौन हैं ,ये लोग..... ! और मैं इनके यहाँ कैसे ?मैं तो दुश्मनों से घिर गया था ,मेरे गोली भी लगी थी ,उसने अपने हाथ -पैरों को हिलाया। सब सही से काम कर रहे थे। क्या मैं जिन्दा हूँ या मर गया और दूसरे जहाँ में आ गया ? 

तभी एक बच्चा ,मेरे समीप दौड़ता  हुआ आया और मुझसे लिपट गया। पापा...

 क्या मैं बाप बन गया ?मेरा विवाह कब हुआ ?

कुछ पारखी नजरों ने ताड़ा, कि मैं उन्हें पहचान नहीं रहा हूँ। तब उस गुलशन नाम के व्यक्ति ने उन लोगों  से कहा -अभी इसे आराम करने दो ,रात भर सोयेगा ,पानी में भी भीगा है ,चाय और दवाई लेगा तो स्वस्थ हो जायेगा। उस महिला और बच्चे को भी भेज दिया ,मुझे पीने  को कुछ गर्म -गर्म काढ़ा दिया और सोने के लिए कहा।

 जब मैं उठा ,शाम का समय था ,वैसे बरसात के  मौसम में ,दिन में  भी शाम ही लगती है। किन्तु मैंने वहां टँगी एक घड़ी में समय देखा। तभी दरवाजा खुला और वही व्यक्ति मेरे कमरे में  आया  और बोला -तुम कौन हो ?

क्या..... ?

तुम समझे नहीं , मैं पूछ रहा हूँ ,कौन हो तुम ?

इन लोगों को मैं जानता भी नहीं ,दुश्मन हैं या दोस्त !एकाएक अपनी पहचान बताना सही नहीं होगा ,यही सोचकर ,भीड़ में जो मैंने अपना नाम सुना ,वही बोल दिया -हरिया... 

वो लगभग चीखते हुए से ,किन्तु आवाज कमरे  से बाहर न जाये ,इस बात  का उसने पूर्णतः ख़्याल रखा। जो नाम हमने दिया वो नहीं ,जो तुम्हारा नाम पहचान तुम्हारे माता -पिता ने दी।

 मैं हैरत से उसे देख  रहा था ,

हाँ... मैं जान गया हूँ ,तुम्हारी याददाश्त वापिस आ गयी है ,हमने भी इतने वर्षों से तुम्हारे माता -पिता का फ़र्ज निभाया  है ,भला अपने बच्चे को न समझ सकेंगे। 

कितने बरस हो गए.... ?

यही कोई चार -पांच बरस....... 

मैं कहाँ हूँ ?

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जब उन्होंने बताया , दुश्मन  देश  के किसी छोटे से गाँव में ,मैंने उन्हें विश्वास में लेकर अपना परिचय दिया किन्तु अब मेरे लिए दुश्मन देश में रहना ,सही नहीं था। यहां मेरा ,एक छोटा सा परिवार भी बस चुका था। उन्हें संग ले जाने का अर्थ है -चर्चा होना और दुश्मनों को ख़बर होना। मुझे अपने देश वापिस आना था ,जहाँ मेरे अपने माता -पिता थे जो इतने वर्षों से मेरी प्रतीक्षा कर रहे होंगे। किसी को भी बिना कुछ बताये जाना था। उनकी नजर में तो मैं हरिया था। वही उनके लिए सही था। 

लगभग छह माह पश्चात ,मुझे मौका मिल ही गया और मैं अपने बेटे के संग अपने देश की सीमा में खड़ा था। वो तो बेचारी सोती  ही रह गयी। अपने घर आकर देखा ,माता -पिता नहीं रहे ,कुछ बुढ़ापा ,कुछ अकेले बेटे को खोने का ग़म ,हम फ़ौजियों को भी न जाने कितने अरमानों ,कितने रिश्तों की क़ुरबानी देनी पड़ जाती है ?यहां माता -पिता नहीं रहे , वहाँ अपना अनचाहा  प्यार और मेरे रक्षक माता -पिता छोड़ आया। उस देश और उन चार वर्षों की निशानी ,मेरा बेटा निहाल मेरे संग है। इन  वर्षों ने मेरी ज़िंदगी कितनी बदलकर रख दी ?आत्मग्लानि में मैंने विवाह नहीं किया ,कुछ लोग कहते -पता नहीं ,किसका बच्चा है ?शायद वहीं कहीं ब्याह कर लिया होगा। मैंने सब सुना ,सब सहा। 

निहाल कभी  अपनी माँ के विषय में पूछता ,तब मैं कह देता -दूर.... जहाँ में !और हाथ की अंगुली स्वतः ही ऊपर उठ जाती।  

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रचनाएँ
प्रेरक कहानियाँ
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ज़िंदगी में अनेक घटनाएँ -दुर्घटनाइयें,होती हैं,ज़िंदगी जाने -अंजाने अनेक परेशानियों से गुजरती है,इस ज़िंदगी में अनेक रिश्ते भी होते हैं जिनसे हमें कुछ न कुछ सीख मिलती है,सीखने की कोई उम्र नहीं होती चाहे कोई छोटा हो या बड़ा। जीवन में हर पल कुछ न कुछ सीख या प्रेरणा मिल ही जाती है कई बार कुछ सोचने को मजबूर जाती हैं ये कहानियाँ,कई बार आईना दिखा जाती हैं,ये कहानियाँ । इन कहानियों में जीवन के अनेक रंग देखने को मिलेंगे,सही या गलत सोचने पर मजबूर हैं ये कहानियाँ!
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जड़ें

7 नवम्बर 2022
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सुरेश को पढ़ाया -लिखाया ,किसी क़ाबिल बनाने का प्रयत्न किया। वो बाहर गया तो उसे सब बहुत ही अच्छा लगा, बाहर की दुनिया इतनी खूबसूरत है, सब कुछ अच्छा लगता है। उसने अपनी पढ़ाई पूरी की और बाहर ही रहने का फैसला

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बड़ी बहु

8 नवम्बर 2022
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शर्मा जी के बड़े बेटे का विवाह बड़ी धूमधाम से हुआ ,बेटा -बहु दोनों पढ़े -लिखे।लड़की का घर -, परिवार के लोग भी बहुत ही अच्छे हैं। सुंदर होने के साथ -साथ , संस्कारी बहु मिली है ,शर्मा जी के तो जैसे भा

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अनदेखा, अनसुना

9 नवम्बर 2022
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प्रातः काल का समय था ,हल्की ठंड भी पड़ रही थी। एक महिला ,अपनी बेटी के संग ,मेरे घर के दरवाज़े पर खड़ी थी। सुबह -सुबह कौन आ गया ?मैंने थोड़ा परेशान होते हुए ,निर्मला को देखने के लिए भेजा। अब मैं

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वो रात......

10 नवम्बर 2022
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वो रात.... वो रात्रि मेरे लिए ही थी ,मेरे लिए ही तो... सभी कार्य हो रहे थे ,सभी मेरे आगे -पीछे घूम रहे थे। उस रात्रि की'' मल्लिका'' मैं ही थी ,कुछ वर्ष पहले ही तो ,मैं अपने' पापा

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दुःस्वपन

11 नवम्बर 2022
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दीप्ती अति शीघ्रता से अपनी बिल्डिंग से नीचे आती है ,और गाड़ी में बैठकर चल देती है। आज वो देर से उठी, जिस कारण उसे देरी हो रही थी। वो अपनी गाड़ी को ,अपने दफ़्तर की ओर ,तेज़ गति से दौड़ा रही थी। आज &nbs

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शापित जीवन

12 नवम्बर 2022
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शापित कोई स्थान ,व्यक्ति अथवा कोई वस्तु नहीं होती ,वरन शापित उसका अपना जीवन ही हो जाता है। जिस जीवन को, वो जी रहा है ,उस जीवन को जीते -जी ठीक से नहीं जी पाता। लोग कहते हैं -''ये जीवन अमूल्य है ''&nbsp

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हद- बेहद

14 नवम्बर 2022
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गोलियों की बौछार का सामना करते हुए, वो आगे बढ़ रहे थे। दुश्मन भी कम नहीं था ,हम उनके लोगों को मारते ,फिर भी न जाने कहाँ से और बढ़ जाते। क्या हमसे कोई खेल खेल रहे थे ?निश्चित स्थान से ,हम आगे

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मेरे साथ ही क्यों?

15 नवम्बर 2022
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बहु.......... जी माँजी ,कहते हुए ,पारुल तेज गति से उनके समीप आई। तुझसे कितनी बार कहा है ?उस बड़े कमरे की सफाई कर देना ,जब

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देर रात

17 नवम्बर 2022
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तृप्ति ,डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही थी ,मम्मी -पापा की लाड़ली ,मम्मी का सपना था कि बड़ी होकर ,तृप्ति डॉक्टर बने। वो ''दिल ''की डॉक्टर बनना ,चाह रही थी किन्तु एक समय परिस्थिति ऐसी बनी कि वो जच्चा -बच्चा

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लौटा दो!

19 नवम्बर 2022
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मानिनी'' का जब भी देखो , किसी न किसी बात पर'' मेहुल'' से झगड़ा हो ही जाता है।आज भी मेहुल बिना खाना खाये घर से निकल गया। उसने कहा भी ,कि खाना खाकर जाओ !लेकिन मेहुल ने गुस्से में उसकी किसी भी बात पर

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नई उड़ान

22 नवम्बर 2022
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रमा बड़ी बेचैनी से बार -बार मंच की तरफ देख रही थी ,फिर उठकर अंदर की तरफ चली गयी। वहाँ जाकर देखा- सब ठीक है या नहीं, तभी दीपा के कपड़ों की एक डोर खुली नज़र आई ,उसने दीपा को टोका और अपनी स

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जसोदा

24 नवम्बर 2022
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जसोदा पढ़ी -लिखी नौकरी पेशा महिला है ,माँ -बाप ने खूब चाहा कि ये पढ़े न ,और विवाह करके अपना घर बसा ले, किन्तु उसके तो सपने ही अलग थे और वो इस तरह माता -पिता के दबाव में आने वाली भी नहीं थी। उसने तो पहले

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एकांत

24 नवम्बर 2022
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सुबह के पाँच बज चुके थे ,अलार्म बजे जा रहा था। वो अभी और सोना चाहती थी ,लेकिन क्या करे ? मजबूरी है उठना तो है ही ,फिर लेट हो जाउंगी। ये विचार आते ही उसने फुर्ती से अलार्म बंद किया और एकदम

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एक मुलाकात

22 मई 2023
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आज भी वही हुआ ,जिसका डर था , वो लोग चुपचाप चले गए। नंदिनी तो चाहती थी ,कि अभी जबाब मिल जाये ,किन्तु पति ने समझाया , उन्हें अपने घर जाकर सलाह -मशवरा तो करने दो ,एक -दो दिन में जबाब दे देंगे। सुरेश जी

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वो भयानक रात

23 मई 2023
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बड़ी भयावह वो काली अंधियारी रात्रि थी। मैं उस ठंडी सुनसान काली रात्रि को चीरता चला जा रहा था। ठंड भी अपने पूरे जोरों पर थी। दोस्त ने कहा भी था, आज यहीं आराम कर ले। जब इतनी दूर से आया है तो बेटी को विदा

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मुक्ति

30 मई 2023
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मौली अपने दोस्तों संग मस्त थी ,वो अपने दोस्तों के साथ गोवा घूमने जा रही है ,इसीलिये तैयारी में लगी है ,तभी उसके फोन की घंटी बजी। मौली ने नाम देखा और मुँह बनाते हुए ,फ़ोन पर बातें करने लगी -क्या मम्मी ,

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कड़वाहट

31 मई 2023
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चित्रा, कोई भी त्यौहार हो बड़े जोर -शोर से तैयारी करती है ,अब तो उसके सुहाग का त्यौहार ''करवा चौथ ''आ रहा है। आज बाजार गयी और नये कपडे ,शृंगार का सामान ,साथ ही बच्चों के कपड़े भी ले आई .बड़े उत्साह से

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असीमित आकाश

1 जून 2023
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काम तो प्रतिदिन का है, किन्तु आज रीमा के हाथों में जैसे बिजली लगी है ,वो प्रतिदिन से अधिक फुर्ती से कार्य कर रही है ,वह शीघ्र अति शीघ्र अपना कार्य निपटाने का प्रयत्न कर रही है। हो भी क्यों न ?क्य

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तूफान

2 जून 2023
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नवलकिशोर जी के मन में ,आज 'तूफान 'मचा है ,बाहरी वातावरण भी उसके सामने कोई मायने नहीं रखता। वो बस यूँ ही चले जा रहे हैं। कुछ समझ नहीं आता ,कहाँ जाएँ ,क्या करें ? दुनिया में देखा जाये ,तो आज के समय में

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हिजाब

3 जून 2023
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मानिनी कॉलिज में आती है ,आज तरन्नुम ने आने में देर कर दी। मानिनी और तरन्नुम दोनों अच्छी दोस्त हैं। दोनों ही साथ रहती हैं , एक ही कक्षा में ,साथ ही बैठती हैं। जिस दिन एक भ नहीं आती ,दूसरी का मन नही

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गुल्लक

4 जून 2023
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रेवती अपनी सास की, बड़े मन से सेवा करती थी ,उनकी हर चीज का ध्यान रखती थी ताकि किसी भी प्रकार की उन्हें परेशानी न हो। जब उनकी स्वयं की बहु आ आयीं ,तब भी उनके सम्पूर्ण कार्य स्वयं ही करतीं। उनकी सास यान

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फर्क

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इस माह नौचंदी का मेला लगने वाला है, किन्तु किसी को क्या फ़र्क पड़ता है ? जाना तो है नहीं ,जाकर भी क्या करना ,मेले में जाने के लिए भी तो, पैसा ही चाहिए। मेला तो पैसे से है ,पैसे वाल

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घर की याद

8 जून 2023
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पुलकित आँखें खोलकर देखता है ,वो बगीचे की बेंच पर लेटा था। अब उसे सब स्मरण हो जाता है। किस तरह वो अपने मम्मी -पापा से नाराज होकर ,घर से भाग आया ? पुलकित ऐसे ही किसी छोटे -मोटे परिवार से नहीं है। उसके

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मेरे साथ ही क्यों?

10 जून 2023
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बहु.......... जी माँजी ,कहते हुए ,पारुल तेज गति से उनके समीप आई। तुझसे कितनी बार कहा है ?उस बड़े कमरे की सफाई कर देना ,जब

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टास्क

12 जून 2023
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शादी के बाद उसने ससुराल में कदम रखा ही था ,कि सास के तीखे तेवर और गर्म मिज़ाज उसे कुछ ही दिनों में पता चल गए। उसने देखा कि जिस व्यक्ति से उसका विवाह हुआ है ,वो तो कुछ बोलता ही नहीं। जो चाहता है ,बस

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अधूरापन

14 जून 2023
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सुगंधा पिता के घर में रही ,अरमान तो बहुत थे ,किन्तु पिता के सख़्त कानून के कारण ,न कहीं आना , न कहीं जाना ,इच्छाएँ ,आकाश की अनंत ,ऊंचाइयों को छूना चाहती किन्तु उसका आसमान सीमित था। कुछ तो घर का अनुशा

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मिट्टी के खिलौने

15 जून 2023
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रामदीन कुम्हार ,प्रतिदिन जोहड़ से चिकनी मिटटी लाता और उसे पैरों से रोंद्ता ,जब वो मिटटी बर्तन बनाने लायक हो जाती तो उसे चाक पर रखकर ,बड़े क़रीने से ,सुंदर -सुंदर मिटटी के बर्तन बनाता। ये उसकी कला ही नह

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भाग्य का खेल

16 जून 2023
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आज मैं अपनी डायरी को ज़िंदगी के एक पहलू कहूँ या कुछ और, किन्तु इतना मैं अवश्य जानती हूँ ,उसे हम भाग्य अथवा क़िस्मत कहते है -इनके इशारों पर ही तो ,हमारी ज़िंदगी चलती है। हम सोचते हैं -जो भी कार्य हम कर रह

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माँ

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चम्पाकली 'ताई आज बहुत प्रसन्न है क्योकि उनके दो बेटे ,दो ही बहुएं हैं किन्तु ये उनकी प्रसन्नता का कारण नहीं ,उनकी प्रसन्नता का कारण ,उनका दादी बनना है। दोनों बहुएं ही गर्भवती थीं और अब दोनों ही माँ ब

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संगीत प्रेम

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काव्या बहुत ही प्यारी बच्ची है ,मन उसका बहुत ही कोमल है ,सबसे प्रेमपूर्ण व्यवहार करती। दुश्मनी ,लड़ाई क्या होती है ?जैसे वो जानती ही नहीं ,उसे तो सभी अपने ही नजर आते ,छल -कपट से तो उसका दूर -दूर तक वास

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समुद्र तट

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कार्तिक और मोना प्रतिदिन , अपने दफ्तर से आते समय कुछ देर ,समुन्द्र के तट पर बैठकर अपनी दिनभर की थकान मिटाते। मोना जब पहली बार अपने दफ्तर में आई ,तब उसकी सबसे पहले मुलाक़ात कार्तिक से ही हुई। कार्तिक न

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दरार

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पार्वती जी ,दुखी परेशान ,अपने कमरे में आती हैं और अपने पलंग पर बैठकर ,गहरी स्वांस भरती हैं और अपनी आँखें बंद कर लेती हैं। मैं कितना भी अच्छा सोच लूँ या कर लूँ ?किन्तु इसे अपना नहीं बना सकती ,ये 'दरा

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पहाड़ी प्रेम

29 जून 2023
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ज्योति...... ओ ज्योति....... ! दूर से आती, मौसी की आवाज सुनाई दी। आई मौसी ! कहकर मैं बंसी से बोली -कल आउंगी तब खेलेंगे ,अब मौसी बुला रही है। बंसी ने हाँ में गर्दन हिलाई और मैं ,दौड़ते हुए मौसी के

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भूतों से बातचीत

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नंदिनी जैसे ही , अपनी कक्षा में पहुंची -उसने देखा ,सभी बच्चे ,तुषार की सीट के पास खड़े हैं। ये सब क्या हो रहा है ?सभी बच्चे वहाँ क्या कर रहे हैं ? नंदिनी को देखते ही ,सभी बच्चे दौड़कर अपनी -अपनी सीट पर

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पैसा

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रतनलाल जी ने कितना पैसा कमाया ? रात -दिन एक कर दिया। शानदार कोठी भी बनाई ,बच्चों को महंगे से महंगे स्कूल में पढ़ाया। सबकुछ तो उनके पास है ,किसी चीज की भी कमी नहीं ,पत्नी के पास भी जेवरों की कोई कमी नह

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गड़बड़ घोटाला

3 जुलाई 2023
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मैं प्रतिदिन की तरह ,जब परिवार के सभी सदस्य अपने -अपने काम पर चले जाते ,तब घर की साफ -सफाई और बाहर बगीचे में पानी देना जैसे कार्य करती। एक दिन जब मैं अपने पौधों को पानी दे रही थी ,तभी मैंने देखा ,स्क

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रिश्तेदार जलते हैं!

4 जुलाई 2023
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कितनी ख़ुशी की बात है ?कीर्ति तुमने पढ़ाई पूरी करने के साथ -साथ ,तुम्हारी नौकरी भी लग गयी। एक पार्टी तो अवश्य बनती है। क्या ख़ाक पार्टी बनती है ?तुम सभी दोस्तों को ही पार्टी दूंगी ,मम्मी -पापा के लि

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कीमत, समय की

7 जुलाई 2023
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अतुल बहुत ही बिगड़ैल और अड़ियल है ,देखने में तो वो बहुत जचँता है ,उसे देखेंगे तो कह उठेंगे कि किसी बड़े घर का बेटा हो लेकिन उसका स्वभाव उसकी शक़्ल और व्यक्तित्व से बिल्कुल विपरीत है। वो न ही किसी की बात

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कीमती

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राधा जब ,मोहन से मिली ,उसे देखते ही , अपना दिल दे बैठी ,मोहन की हालत भी कुछ ऐसी ही थी। पहली बार दोनों ,राधा की सहेली के घर पर,उसकी जन्मदिन की पार्टी में ,उससे मिली। जितनी खूबसूरत राधा लग रही थी, उतना

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मृत्यु पर विजय

10 जुलाई 2023
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पल -पल मरता है ,इंसान ! जीने की तमन्ना में ! टूटता है ,बिखरता है, जिन्दा रहने की चाह में !खो देता है ,अपनों का साथ ,जीता है स्वांसों में !स्वांसों का ही खेल है , जिन्दा रहने की आस में !कुछ लोग जी

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भूतिया हवेली

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श.... श.... श.... श.... आज आपको एक''अज़ीबो ग़रीब प्रेम की '' कहानी सुनाती हूँ। जानते हैं ,ये जो हवेली है ,ठाकुरों की है ,बहुत ही रुआब था। ठाकुर ''बलदेव सिंह '' अपने नाम की तरह ही बलवान ,बुद्धिमान और रौब

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सुरक्षा कवच

14 जुलाई 2023
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माँ 'तुम अब यहाँ ,अकेली क्या करोगी ? अब तुम भी हमारे संग चलकर रहो !अनंत अपनी माँ से बोला। बेटा ! सम्पूर्ण ज़िंदगी इस शहर में बिता दी ,अब इधर -उधर जाकर क्या करूंगी ? जब तू छोटा था ,तब सोचा करती थी

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बदलते रंग

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आज घर में खीर -पूरी ,मालपुए दो सब्ज़ियाँ और बूँदी का रायता बना है क्योंकि आज बहुओं का व्रत है ,आज के दिन सुहागन महिलायें अपने पति की लम्बी उम्र ,और अच्छे स्वास्थ के लिए पूजा करती हैं और अपने घर की बड़ी

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वो सुबह!

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कितना सुहावना मौसम है ?रंजन अपने बच्चों से कहता है -चलो !आज कहीं घूमने चलते हैं। बाहर हल्की - हल्की बूंदा -बांदी हो रही थी। बच्चे खुश हो जाते हैं और दौड़कर अपनी मम्मी के पास जाते हैं। मम्मी ! पापा कह

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लडाई

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श्रेया ,अपने आप से ही , कितना लड़ रही थी ? ये तो वो ही जानती है।अब तो जीवनभर संघर्ष ही करना है। पहले पढ़ाई में संघर्ष किया क्या विषय लेने हैं ,कौन सा स्कूल चुनना है ? स्कूल में भी ,प्रतिशत में नंबर लाने

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सूर्यास्त और हम

20 जुलाई 2023
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रामलाल जी के घर में ,फोन की घंटी बज रही थी ,उनके बेटे की बहु फोन उठाती है और रामलाल जी से कहती है -पापा जी !आपका फोन है। किसका है ? पूछो कौन है ?और क्या कहना चाहता है ?शिरोमणि अंकल हैं ,और आपसे

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धड़कन

21 जुलाई 2023
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पंकज हमेशा अपनी ही चलाता है , किसी की भी नहीं सुनता ,सुमित्रा जी हमेशा ,एक उम्मीद के सहारे आगे बढ़ उसका समर्थन करतीं और कहतीं -पंकज ,अभी बच्चा है ,समझदार हो जायेगा ,तब सब समझने लगेगा ,कहना भी मानेगा कि

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मेन्ढकी

22 जुलाई 2023
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गर्मी से बुरी हालत थी ,नहाते -नहाते भी पसीने आ जाते। खेती पर काम करने वाले भी खेतों से ,वापस आ गए। सभी को ,बरसात की इच्छा हो चली थी। आपस में कहते -न जाने बरसात कब होगी ?यदि शीघ्र ही बरसात नहीं हुई तो

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बरसात

23 जुलाई 2023
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बरसात का मौसम ''आते ही मन झूमने लगता है ,बारिश की ठंडी -ठंडी फुहार तन को ही नहीं ,मन को भी भिगो जाती हैं। चारों तरफ धुली -धुलि सी ,हरियाली ,लगता है जैसे ,प्रकृति ने धानी चुनर ओढ़ ली हो। बच्चों की तो बर

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एक ही गलती

25 जुलाई 2023
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सुधा खिड़की के पास बैठी ,चाय पी रही थी ,तभी उसकी बेटी ने उसे पुकारा ,मम्मी ,मैंने अपना गृहकार्य कर लिया। ठीक है ,जाओ !अब जाकर बाहर बच्चों के साथ खेल लो !ठीक है ,कहकर वो बाहर की तरफ दौड़ी ,तभी सुधा ने उस

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