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देर रात

17 नवम्बर 2022

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तृप्ति ,डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही थी ,मम्मी -पापा की लाड़ली ,मम्मी का सपना था कि बड़ी होकर ,तृप्ति डॉक्टर बने। वो ''दिल ''की डॉक्टर  बनना ,चाह रही थी किन्तु एक समय परिस्थिति ऐसी बनी कि वो जच्चा -बच्चा की डॉक्टर बनी। डॉक्टर किसी की भी बने ,भाव तो सेवा का ही है। किसी  भी ,डॉक्टर के रूप में ,हो तात्पर्य तो, सेवा से ही है।जब वो पढ़ाई कर रह थी - एक बार उसने देखा, एक गर्भवती महिला ,बड़ी ही परेशानी में आई थी ,उसकी जाँच हुई ,जब उसकी जाँच होती तो उसकी घबराहट बढ़ जाती। हर माह अपनी जाँच कराने आती। नर्स का उनके साथ व्यवहार तृप्ति को  अच्छा नहीं लगा ,उनके साथ ही क्या ?वो तो किसी के साथ भी व्यवहार अच्छा नहीं करती थी। इसके लिए मैंने उसकी शिकायत भी की थी ,तभी से मुझसे चिढ़ने लगी थी।

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 नर्स के अनुसार -उसका तो जैसे ये काम था ,और ऐसे प्यार से सभी मरीजों को संभालेगी तो सिर पर आकर चढ़ जायेंगे। कुछ लोगों के संग  सख्ताई से पेश आना ही पड़ता है। ये हमारा काम है -रोजी -रोटी है जो हमें पूर्ण करना है। हमदर्दी ,प्रेम ,अपनापन ,इंसानियत ये सब यहां नहीं चलेंगे। यहां तो बस मरीज़ आया और अपनी ज़िम्मेदारी पूर्ण करो। 

ये आप लोगों की सोच हो सकती है ,मेरी नहीं। वो सभी के साथ प्रेम से व्यवहार करती ,कहती -जब मैं डॉक्टर बन जाऊंगी ,तब दवाई के पैसे तो लूँगी किन्तु  सहानुभूति ,अपनापन मुफ़्त। उस महिला रेवती से तो जैसे उसे लगाव सा हो गया और वो भी ,अब उसके आने पर ही डॉक्टर को दिखाती। जब उस महिला ने नवजीवन के रूप में एक नन्हीं सी परी को जन्म दिया और वो तृप्ति के हाथों में आई ,उसके नेत्रों से अनायास ही ,अश्रु बह निकले। उसकी नन्हीं कोमल अंगुलियां ,बिल्कुल सफ़ेद ,मुलायम ,उनसे उस नन्हीं परी ने तृप्ति की एक अंगुली ही  पकड़ ली जिस सुखानुभूति का अनुभव उसे हुआ ,उसका रोम -रोम प्रफुल्लित हो उठा। 

तभी उसने सोचा -एक महिला कैसे अपने जीवन पर खेलकर ,नए जीवन को इस संसार में लाती है ?इन्हें ज्यादा देखरेख कीआवश्यकता है ,किन्तु आज भी कुछ लोग इस नर्स की तरह ही लापरवाह और गैरज़िम्मेदार हैं। 

इस वर्ष ,तृप्ति का आख़िरी साल है किन्तु उसकी शिक्षा में व्यवधान आ गया ,उसके पापा जो इस घर की नींव थे ,बीमार पड़ गए और ऐसे बीमार फिर उठे ही नहीं। उनकी बिमारी में भी बहुत पैसा लगा किन्तु वो फिर भी नहीं बचे। अब तृप्ति के सामने ज़िम्मेदारियाँ और अपनी शिक्षा दोनों ही थे किन्तु उसकी मम्मी ने साहस से  काम लिया और तृप्ति को सिर्फ़ पढ़ाई पूरी करने पर ,ध्यान देने को कहा। 

कभी -कभी तृप्ति को आने में देर हो जाती, तब उसकी मम्मी कहतीं -इतनी' देर रात ,से मत आया कर। 

वो कहती- मम्मी मेरा तो काम ही ऐसा है ,मरीज़ की तबियत कभी भी बिगड़ सकती है ,मुझे देर -सवेर जाना ही पड़ सकता है। अब आप ,ऐसी आदत डाल लो ! इतनी परेशानियों में भी ,तृप्ति का व्यवहार अपने मरीज़ों के साथ ,और अन्य लोगों के साथ भी , सामान्य ही रहता। 

अब तो तृप्ति डॉक्टर भी बन गयी। एक रात बहुत तेज बारिश हो रही थी ,हवा के तेज़ झोंके और बिजली की गड़गड़ाहट ,वातावरण को कुछ ज़्यादा  ही ,भयानक बना रही थी। सभी लोग अपने घरों में ,खिड़की -दरवाजे बंद किये सो रहे थे। बीच -बीच में  बिजली कड़कती ,बिजली भी जा चुकी थी। नींद अभी गहरी भी नहीं हुई थी ,तभी तृप्ति को लगा जैसे कोई हमारे घर का दरवाज़ा पीट रहा हो। पहले तो उसने ध्यान ही नहीं दिया किन्तु फिर भी ,शोर आना बंद नहीं हुआ तो उसने अपना भृम मिटाने के लिए ,बाहर झाँका ,उसे अँधेरे में कोई परछाई दिखी।

 उसने वहीं से पूछा -कौन है ? 

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उधर से आवाज आई -जी मैडम जी ,मेरी पत्नी की तबियत बहुत ही खराब है ,आप तनिक एक बार उसे चलकर देख लीजिये। तृप्ति ने बाहर के मौसम का जायज़ा लिया और बोली -इस समय ,बाहर का मौसम देख रहे हो। 

जी.... वो तो मैं ,देख ही रहा हूँ किन्तु मेरी भी मजबूरी समझिये ,उसकी तबियत बहुत ख़राब है और दर्द से कराह रही है। तब तक तृप्ति बाहर आ गयी थी ,बोली -क्या तुम्हारी पत्नी पेट से है ?

जी हाँ ! तभी तो इस वक़्त ,उसने आपके पास भेजा। 

ठीक है ,मैं चलती हूँ , कहकर वो अंदर अपना सामान लेने आई। मम्मी को उठाना ठीक नहीं समझा ,छोटे भाई को दरवाजा बंद करने को कहकर बाहर आ गयी। उसने अपना छाता ले लिया था किन्तु उस व्यक्ति ने उसका छाता  भी अपने हाथों में ले लिया और उसके सिर पर लगाकर चलने लगा। तभी तृप्ति के मष्तिष्क में प्रश्न उभरा -मैं भी कितनी मूर्ख हूँ ? ये भी नहीं पूछा ,जाना कहाँ है ?

 उस व्यक्ति ने जैसे तृप्ति के मन की बात सुन ली ,बोला -यहीं थोड़ा आगे है ,बस आप मेरे साथ  चलते  रहिये। 

कितने  महीनें  हुए ? तृप्ति ने पूछा।

 बस दो दिन बाद नौ पूरे हो जायेंगे उसने बताया। 

अच्छा !तुम्हारा क्या नाम है ?तृप्ति ने फिर से प्रश्न किया। जी ,रामखिलावन और मेरी पत्नी बर्फी देवी कहकर उसने अपनी बात पूर्ण की। तृप्ति कीचड़ ,गड्ढों से बचती ,उसके साथ चले जा रही थी। जब उसे लगा -कि चलते -चलते उसे बहुत देर हो गयी। जब घर से चली थी तो बारह बज रहे थे ,अब उसे चलते तो लगभग आधा घंटा हो गया। उसने रामखिलावन से पूछा -अभी और कितनी देर चलना है ?कहीं हमें देरी न हो जाये ,तुम्हारी पत्नी के पास, किसी को छोड़ा भी है कि नहीं। 

रामखिलावन बोला -वो तो अकेली ही है ,बस हम पहुँचने वाले ही हैं। वो रास्ता देख रही थी ,कि मैं कैसे आऊँगी ? तभी रामखिलावन बोला -मैडम जी ,चिंता मत कीजिये ,मैं ही आपको वापस छोड़ आऊंगा। 

कुछ देर और चलने के पश्चात ,वो एक मकान में घुसे ,तृप्ति ने देखा -उसकी पत्नी दर्द से कराह रही है ,उसने रामखिलावन को पानी गर्म करने के लिए कहा और कुछ जरूरी सामान मंगवाये। उसकी पत्नी का पेट  काफी बढ़ा हुआ था ,तृप्ति ने उसके पेट पर हाथ फेरा और बोली -आप चिंता मत कीजिये ,सब ठीक हो जायेगा कहकर अपने कार्य में जुट गयी। 

कुछ ही देर में एक नन्हें बच्चे के रोने की आवाज ,पूरे घर में गूँजने  लगी इस बारिश के मौसम में भी ,इस घर में तीन लोग थे ,तीनों के चेहरों पर मुस्कुराहट थी। तृप्ति ने अपना कार्य किया और बोली -जच्चा -बच्चा दोनों स्वस्थ हैं अब मैं चलती हूँ। तब वो व्यक्ति बोला -मैडम जी  !आपकी फ़ीस। तृप्ति ने उसके घर को नजरभर देखा ,उसकी हालत ही ऐसी थी, कि वो दोनों ही अपना खर्चा न जाने कैसे  कर पा  रहे हों ? उनकी हालत देखकर ,तृप्ति बोली - अभी आप ,जच्चा -बच्चा पर ध्यान दीजिये और मुझे मेरे घर छोड़ आइये। नहीं, मैडम जी !आप इतनी रात गए आयी हैं ,कुछ तो फ़ीस लेनी ही होगी।

तृप्ति लापरवाही से बोली -जो आपसे बन सके ,दे दीजिये। 

ठीक है ,कहकर रामखिलावन एक दूसरे कमरे में गया और वहां से कागज़ का एक लिफ़ाफा  लाया और  तृप्ति को दे दिया। तृप्ति ने भी लापरवाही से ,अपने पर्स में रख लिया ,उसने यह देखने का भी कष्ट नहीं किया कि इस लिफ़ाफ़े में क्या है ?उसे लगा -यदि उसने देखा और उसे पसंद नहीं आया तो इन लोगों को दुःख होगा। इनके तो ,घर की ही हालत ख़राब है ,ये क्या दे सकते हैं ?उन्हें बुरा न लगे इसीलिए वो लिफाफा रख लिया। 

जब वो अपने घर वापिस आई तो तीन -साढ़े तीन बजे होंगे ,अपना सामान रखकर सो गयी। सुबह जब तृप्ति की मम्मी ने देखा ,कि घर में कीचड़ के निशान लगे  हैं ,तब बेटे से पूछा -तब उसी ने बताया कि रात को दीदी ,किसी व्यक्ति के संग गयी थीं  ,उसकी पत्नी की हालत ख़राब थी। 

बेटे की  बात सुनकर ,वो मन ही मन बुदबुदाने लगीं -मैंने इस लड़की से कितनी बार कहा है ?कि ''देर रात ''में घर से बाहर मत निकला कर ,पता नहीं ,कौन कैसा व्यक्ति हो ?स्यानी लड़की है ,किन्तु सुनेगी नहीं। 

लगभग नौ बजे तृप्ति उठी और उसकी मम्मी ने उसे'' आड़े हाथों ''ले लिया ,तुझसे कितनी बार कहा -रात बे रात कहीं मत जाया कर ,किन्तु तुझे तो सुनना ही नहीं है। तृप्ति ने अपनी मम्मी को शांत करने के उद्देश्य से कहा -मम्मी इस आँधी -तूफान में ,उसकी पत्नी की हालत बहुत ही खराब थी। बेचारा ग़रीब आदमी कहाँ जाता ?यहीं आकर दरवाज़ा पीटने लगा।

 कहाँ गयी थी ?उन्होंने पूछा। पता नहीं ,अँधेरे में कुछ पता भी तो नहीं चल रहा था ,हाँ इतना अवश्य स्मरण है नाले का पुल पार किया था। इतनी दूर तू पैदल ही गयी ,वो आश्चर्य से बोलीं। 

हाँ ,कहकर वो अपना पर्स टटोलने लगी। ये देखने के लिए ,कि उस रामखिलावन ने ,उस लिफ़ाफे में क्या दिया है ?और जैसे ही उसने लिफ़ाफ़ा खोला ,दोनों माँ -बेटी तो जैसे सदमे  आ गयीं ,उसमें से सोने की गिन्नी और सोने के बिस्किट निकले। 

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तृप्ति बोली -रात तो ये लिफ़ाफा ,इतना भारी भी नहीं था और वो तो बहुत ही ग़रीब व्यक्ति था ,मुझे तो लगा था कि वो फ़ीस भी दे पायेगा कि नहीं। 

दोनों शीघ्र ही घर से बाहर निकलीं ,और रिक्शा करके उस पुल को पार करके गयी जितना भी आगे बढ़ीं धीरे -धीरे बस्ती ही समाप्त हो गयी। आस -पास भी ऐसे लोग देखे , किसी से पूछा भी -कि रात्रि में यहाँ किसी के बच्चा हुआ है ? न ही वो घर मिला ,न ही वो लोग। 

बहुत पूछताछ के पश्चात ,पता चला वर्षों पहले ,रामखिलावन नाम का व्यक्ति ,पास की बस्ती में रहता था उसकी पत्नी गर्भवती थी किन्तु डॉक्टर न मिलने के कारण ,मर गयी। रामखिलावन भी न जाने कहाँ चला गया ?तृप्ति को आश्चर्य था -इतनी बरसात में ,वो इतनी दूर पैदल कैसे आ गयी जबकि रिक्शे से भी एक घंटा लग रहा था। तब उसे रामखिलावन के शब्द स्मरण हो आये -वो कह रहा था ,मेरा बस चलता तो इस जगह एक हॉस्पिटल बनवा देता किन्तु मैडम जी आपका धन्यवाद !आपने हमारी बरसों पुरानी परेशानी दूर कर दी। तृप्ति ने अंदाजा लगाया -यानि अब उसका बच्चा सही -सलामत है। 

उसकी बातों को ध्यान में रखकर ,उस सोने से ,तृप्ति ने जहाँ लोगों ने उसका घर बताया था और उसके खेत भी थे। वहीं एक बड़ा सा हॉस्पिटल बनवा दिया। 

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रचनाएँ
प्रेरक कहानियाँ
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ज़िंदगी में अनेक घटनाएँ -दुर्घटनाइयें,होती हैं,ज़िंदगी जाने -अंजाने अनेक परेशानियों से गुजरती है,इस ज़िंदगी में अनेक रिश्ते भी होते हैं जिनसे हमें कुछ न कुछ सीख मिलती है,सीखने की कोई उम्र नहीं होती चाहे कोई छोटा हो या बड़ा। जीवन में हर पल कुछ न कुछ सीख या प्रेरणा मिल ही जाती है कई बार कुछ सोचने को मजबूर जाती हैं ये कहानियाँ,कई बार आईना दिखा जाती हैं,ये कहानियाँ । इन कहानियों में जीवन के अनेक रंग देखने को मिलेंगे,सही या गलत सोचने पर मजबूर हैं ये कहानियाँ!
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जड़ें

7 नवम्बर 2022
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सुरेश को पढ़ाया -लिखाया ,किसी क़ाबिल बनाने का प्रयत्न किया। वो बाहर गया तो उसे सब बहुत ही अच्छा लगा, बाहर की दुनिया इतनी खूबसूरत है, सब कुछ अच्छा लगता है। उसने अपनी पढ़ाई पूरी की और बाहर ही रहने का फैसला

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बड़ी बहु

8 नवम्बर 2022
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शर्मा जी के बड़े बेटे का विवाह बड़ी धूमधाम से हुआ ,बेटा -बहु दोनों पढ़े -लिखे।लड़की का घर -, परिवार के लोग भी बहुत ही अच्छे हैं। सुंदर होने के साथ -साथ , संस्कारी बहु मिली है ,शर्मा जी के तो जैसे भा

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अनदेखा, अनसुना

9 नवम्बर 2022
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प्रातः काल का समय था ,हल्की ठंड भी पड़ रही थी। एक महिला ,अपनी बेटी के संग ,मेरे घर के दरवाज़े पर खड़ी थी। सुबह -सुबह कौन आ गया ?मैंने थोड़ा परेशान होते हुए ,निर्मला को देखने के लिए भेजा। अब मैं

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वो रात......

10 नवम्बर 2022
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वो रात.... वो रात्रि मेरे लिए ही थी ,मेरे लिए ही तो... सभी कार्य हो रहे थे ,सभी मेरे आगे -पीछे घूम रहे थे। उस रात्रि की'' मल्लिका'' मैं ही थी ,कुछ वर्ष पहले ही तो ,मैं अपने' पापा

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दुःस्वपन

11 नवम्बर 2022
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दीप्ती अति शीघ्रता से अपनी बिल्डिंग से नीचे आती है ,और गाड़ी में बैठकर चल देती है। आज वो देर से उठी, जिस कारण उसे देरी हो रही थी। वो अपनी गाड़ी को ,अपने दफ़्तर की ओर ,तेज़ गति से दौड़ा रही थी। आज &nbs

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शापित जीवन

12 नवम्बर 2022
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शापित कोई स्थान ,व्यक्ति अथवा कोई वस्तु नहीं होती ,वरन शापित उसका अपना जीवन ही हो जाता है। जिस जीवन को, वो जी रहा है ,उस जीवन को जीते -जी ठीक से नहीं जी पाता। लोग कहते हैं -''ये जीवन अमूल्य है ''&nbsp

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हद- बेहद

14 नवम्बर 2022
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गोलियों की बौछार का सामना करते हुए, वो आगे बढ़ रहे थे। दुश्मन भी कम नहीं था ,हम उनके लोगों को मारते ,फिर भी न जाने कहाँ से और बढ़ जाते। क्या हमसे कोई खेल खेल रहे थे ?निश्चित स्थान से ,हम आगे

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मेरे साथ ही क्यों?

15 नवम्बर 2022
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बहु.......... जी माँजी ,कहते हुए ,पारुल तेज गति से उनके समीप आई। तुझसे कितनी बार कहा है ?उस बड़े कमरे की सफाई कर देना ,जब

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देर रात

17 नवम्बर 2022
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लौटा दो!

19 नवम्बर 2022
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मानिनी'' का जब भी देखो , किसी न किसी बात पर'' मेहुल'' से झगड़ा हो ही जाता है।आज भी मेहुल बिना खाना खाये घर से निकल गया। उसने कहा भी ,कि खाना खाकर जाओ !लेकिन मेहुल ने गुस्से में उसकी किसी भी बात पर

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नई उड़ान

22 नवम्बर 2022
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रमा बड़ी बेचैनी से बार -बार मंच की तरफ देख रही थी ,फिर उठकर अंदर की तरफ चली गयी। वहाँ जाकर देखा- सब ठीक है या नहीं, तभी दीपा के कपड़ों की एक डोर खुली नज़र आई ,उसने दीपा को टोका और अपनी स

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जसोदा

24 नवम्बर 2022
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जसोदा पढ़ी -लिखी नौकरी पेशा महिला है ,माँ -बाप ने खूब चाहा कि ये पढ़े न ,और विवाह करके अपना घर बसा ले, किन्तु उसके तो सपने ही अलग थे और वो इस तरह माता -पिता के दबाव में आने वाली भी नहीं थी। उसने तो पहले

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एकांत

24 नवम्बर 2022
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सुबह के पाँच बज चुके थे ,अलार्म बजे जा रहा था। वो अभी और सोना चाहती थी ,लेकिन क्या करे ? मजबूरी है उठना तो है ही ,फिर लेट हो जाउंगी। ये विचार आते ही उसने फुर्ती से अलार्म बंद किया और एकदम

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एक मुलाकात

22 मई 2023
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आज भी वही हुआ ,जिसका डर था , वो लोग चुपचाप चले गए। नंदिनी तो चाहती थी ,कि अभी जबाब मिल जाये ,किन्तु पति ने समझाया , उन्हें अपने घर जाकर सलाह -मशवरा तो करने दो ,एक -दो दिन में जबाब दे देंगे। सुरेश जी

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वो भयानक रात

23 मई 2023
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बड़ी भयावह वो काली अंधियारी रात्रि थी। मैं उस ठंडी सुनसान काली रात्रि को चीरता चला जा रहा था। ठंड भी अपने पूरे जोरों पर थी। दोस्त ने कहा भी था, आज यहीं आराम कर ले। जब इतनी दूर से आया है तो बेटी को विदा

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मुक्ति

30 मई 2023
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मौली अपने दोस्तों संग मस्त थी ,वो अपने दोस्तों के साथ गोवा घूमने जा रही है ,इसीलिये तैयारी में लगी है ,तभी उसके फोन की घंटी बजी। मौली ने नाम देखा और मुँह बनाते हुए ,फ़ोन पर बातें करने लगी -क्या मम्मी ,

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कड़वाहट

31 मई 2023
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चित्रा, कोई भी त्यौहार हो बड़े जोर -शोर से तैयारी करती है ,अब तो उसके सुहाग का त्यौहार ''करवा चौथ ''आ रहा है। आज बाजार गयी और नये कपडे ,शृंगार का सामान ,साथ ही बच्चों के कपड़े भी ले आई .बड़े उत्साह से

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असीमित आकाश

1 जून 2023
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काम तो प्रतिदिन का है, किन्तु आज रीमा के हाथों में जैसे बिजली लगी है ,वो प्रतिदिन से अधिक फुर्ती से कार्य कर रही है ,वह शीघ्र अति शीघ्र अपना कार्य निपटाने का प्रयत्न कर रही है। हो भी क्यों न ?क्य

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तूफान

2 जून 2023
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नवलकिशोर जी के मन में ,आज 'तूफान 'मचा है ,बाहरी वातावरण भी उसके सामने कोई मायने नहीं रखता। वो बस यूँ ही चले जा रहे हैं। कुछ समझ नहीं आता ,कहाँ जाएँ ,क्या करें ? दुनिया में देखा जाये ,तो आज के समय में

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हिजाब

3 जून 2023
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मानिनी कॉलिज में आती है ,आज तरन्नुम ने आने में देर कर दी। मानिनी और तरन्नुम दोनों अच्छी दोस्त हैं। दोनों ही साथ रहती हैं , एक ही कक्षा में ,साथ ही बैठती हैं। जिस दिन एक भ नहीं आती ,दूसरी का मन नही

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गुल्लक

4 जून 2023
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रेवती अपनी सास की, बड़े मन से सेवा करती थी ,उनकी हर चीज का ध्यान रखती थी ताकि किसी भी प्रकार की उन्हें परेशानी न हो। जब उनकी स्वयं की बहु आ आयीं ,तब भी उनके सम्पूर्ण कार्य स्वयं ही करतीं। उनकी सास यान

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फर्क

7 जून 2023
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इस माह नौचंदी का मेला लगने वाला है, किन्तु किसी को क्या फ़र्क पड़ता है ? जाना तो है नहीं ,जाकर भी क्या करना ,मेले में जाने के लिए भी तो, पैसा ही चाहिए। मेला तो पैसे से है ,पैसे वाल

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घर की याद

8 जून 2023
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पुलकित आँखें खोलकर देखता है ,वो बगीचे की बेंच पर लेटा था। अब उसे सब स्मरण हो जाता है। किस तरह वो अपने मम्मी -पापा से नाराज होकर ,घर से भाग आया ? पुलकित ऐसे ही किसी छोटे -मोटे परिवार से नहीं है। उसके

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मेरे साथ ही क्यों?

10 जून 2023
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बहु.......... जी माँजी ,कहते हुए ,पारुल तेज गति से उनके समीप आई। तुझसे कितनी बार कहा है ?उस बड़े कमरे की सफाई कर देना ,जब

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टास्क

12 जून 2023
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शादी के बाद उसने ससुराल में कदम रखा ही था ,कि सास के तीखे तेवर और गर्म मिज़ाज उसे कुछ ही दिनों में पता चल गए। उसने देखा कि जिस व्यक्ति से उसका विवाह हुआ है ,वो तो कुछ बोलता ही नहीं। जो चाहता है ,बस

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अधूरापन

14 जून 2023
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सुगंधा पिता के घर में रही ,अरमान तो बहुत थे ,किन्तु पिता के सख़्त कानून के कारण ,न कहीं आना , न कहीं जाना ,इच्छाएँ ,आकाश की अनंत ,ऊंचाइयों को छूना चाहती किन्तु उसका आसमान सीमित था। कुछ तो घर का अनुशा

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मिट्टी के खिलौने

15 जून 2023
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रामदीन कुम्हार ,प्रतिदिन जोहड़ से चिकनी मिटटी लाता और उसे पैरों से रोंद्ता ,जब वो मिटटी बर्तन बनाने लायक हो जाती तो उसे चाक पर रखकर ,बड़े क़रीने से ,सुंदर -सुंदर मिटटी के बर्तन बनाता। ये उसकी कला ही नह

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भाग्य का खेल

16 जून 2023
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आज मैं अपनी डायरी को ज़िंदगी के एक पहलू कहूँ या कुछ और, किन्तु इतना मैं अवश्य जानती हूँ ,उसे हम भाग्य अथवा क़िस्मत कहते है -इनके इशारों पर ही तो ,हमारी ज़िंदगी चलती है। हम सोचते हैं -जो भी कार्य हम कर रह

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माँ

17 जून 2023
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चम्पाकली 'ताई आज बहुत प्रसन्न है क्योकि उनके दो बेटे ,दो ही बहुएं हैं किन्तु ये उनकी प्रसन्नता का कारण नहीं ,उनकी प्रसन्नता का कारण ,उनका दादी बनना है। दोनों बहुएं ही गर्भवती थीं और अब दोनों ही माँ ब

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संगीत प्रेम

20 जून 2023
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काव्या बहुत ही प्यारी बच्ची है ,मन उसका बहुत ही कोमल है ,सबसे प्रेमपूर्ण व्यवहार करती। दुश्मनी ,लड़ाई क्या होती है ?जैसे वो जानती ही नहीं ,उसे तो सभी अपने ही नजर आते ,छल -कपट से तो उसका दूर -दूर तक वास

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समुद्र तट

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कार्तिक और मोना प्रतिदिन , अपने दफ्तर से आते समय कुछ देर ,समुन्द्र के तट पर बैठकर अपनी दिनभर की थकान मिटाते। मोना जब पहली बार अपने दफ्तर में आई ,तब उसकी सबसे पहले मुलाक़ात कार्तिक से ही हुई। कार्तिक न

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दरार

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पार्वती जी ,दुखी परेशान ,अपने कमरे में आती हैं और अपने पलंग पर बैठकर ,गहरी स्वांस भरती हैं और अपनी आँखें बंद कर लेती हैं। मैं कितना भी अच्छा सोच लूँ या कर लूँ ?किन्तु इसे अपना नहीं बना सकती ,ये 'दरा

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पहाड़ी प्रेम

29 जून 2023
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ज्योति...... ओ ज्योति....... ! दूर से आती, मौसी की आवाज सुनाई दी। आई मौसी ! कहकर मैं बंसी से बोली -कल आउंगी तब खेलेंगे ,अब मौसी बुला रही है। बंसी ने हाँ में गर्दन हिलाई और मैं ,दौड़ते हुए मौसी के

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भूतों से बातचीत

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नंदिनी जैसे ही , अपनी कक्षा में पहुंची -उसने देखा ,सभी बच्चे ,तुषार की सीट के पास खड़े हैं। ये सब क्या हो रहा है ?सभी बच्चे वहाँ क्या कर रहे हैं ? नंदिनी को देखते ही ,सभी बच्चे दौड़कर अपनी -अपनी सीट पर

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पैसा

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रतनलाल जी ने कितना पैसा कमाया ? रात -दिन एक कर दिया। शानदार कोठी भी बनाई ,बच्चों को महंगे से महंगे स्कूल में पढ़ाया। सबकुछ तो उनके पास है ,किसी चीज की भी कमी नहीं ,पत्नी के पास भी जेवरों की कोई कमी नह

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गड़बड़ घोटाला

3 जुलाई 2023
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मैं प्रतिदिन की तरह ,जब परिवार के सभी सदस्य अपने -अपने काम पर चले जाते ,तब घर की साफ -सफाई और बाहर बगीचे में पानी देना जैसे कार्य करती। एक दिन जब मैं अपने पौधों को पानी दे रही थी ,तभी मैंने देखा ,स्क

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रिश्तेदार जलते हैं!

4 जुलाई 2023
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कितनी ख़ुशी की बात है ?कीर्ति तुमने पढ़ाई पूरी करने के साथ -साथ ,तुम्हारी नौकरी भी लग गयी। एक पार्टी तो अवश्य बनती है। क्या ख़ाक पार्टी बनती है ?तुम सभी दोस्तों को ही पार्टी दूंगी ,मम्मी -पापा के लि

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कीमत, समय की

7 जुलाई 2023
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अतुल बहुत ही बिगड़ैल और अड़ियल है ,देखने में तो वो बहुत जचँता है ,उसे देखेंगे तो कह उठेंगे कि किसी बड़े घर का बेटा हो लेकिन उसका स्वभाव उसकी शक़्ल और व्यक्तित्व से बिल्कुल विपरीत है। वो न ही किसी की बात

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कीमती

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राधा जब ,मोहन से मिली ,उसे देखते ही , अपना दिल दे बैठी ,मोहन की हालत भी कुछ ऐसी ही थी। पहली बार दोनों ,राधा की सहेली के घर पर,उसकी जन्मदिन की पार्टी में ,उससे मिली। जितनी खूबसूरत राधा लग रही थी, उतना

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मृत्यु पर विजय

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पल -पल मरता है ,इंसान ! जीने की तमन्ना में ! टूटता है ,बिखरता है, जिन्दा रहने की चाह में !खो देता है ,अपनों का साथ ,जीता है स्वांसों में !स्वांसों का ही खेल है , जिन्दा रहने की आस में !कुछ लोग जी

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भूतिया हवेली

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श.... श.... श.... श.... आज आपको एक''अज़ीबो ग़रीब प्रेम की '' कहानी सुनाती हूँ। जानते हैं ,ये जो हवेली है ,ठाकुरों की है ,बहुत ही रुआब था। ठाकुर ''बलदेव सिंह '' अपने नाम की तरह ही बलवान ,बुद्धिमान और रौब

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सुरक्षा कवच

14 जुलाई 2023
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माँ 'तुम अब यहाँ ,अकेली क्या करोगी ? अब तुम भी हमारे संग चलकर रहो !अनंत अपनी माँ से बोला। बेटा ! सम्पूर्ण ज़िंदगी इस शहर में बिता दी ,अब इधर -उधर जाकर क्या करूंगी ? जब तू छोटा था ,तब सोचा करती थी

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बदलते रंग

16 जुलाई 2023
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आज घर में खीर -पूरी ,मालपुए दो सब्ज़ियाँ और बूँदी का रायता बना है क्योंकि आज बहुओं का व्रत है ,आज के दिन सुहागन महिलायें अपने पति की लम्बी उम्र ,और अच्छे स्वास्थ के लिए पूजा करती हैं और अपने घर की बड़ी

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वो सुबह!

17 जुलाई 2023
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कितना सुहावना मौसम है ?रंजन अपने बच्चों से कहता है -चलो !आज कहीं घूमने चलते हैं। बाहर हल्की - हल्की बूंदा -बांदी हो रही थी। बच्चे खुश हो जाते हैं और दौड़कर अपनी मम्मी के पास जाते हैं। मम्मी ! पापा कह

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लडाई

19 जुलाई 2023
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श्रेया ,अपने आप से ही , कितना लड़ रही थी ? ये तो वो ही जानती है।अब तो जीवनभर संघर्ष ही करना है। पहले पढ़ाई में संघर्ष किया क्या विषय लेने हैं ,कौन सा स्कूल चुनना है ? स्कूल में भी ,प्रतिशत में नंबर लाने

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सूर्यास्त और हम

20 जुलाई 2023
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रामलाल जी के घर में ,फोन की घंटी बज रही थी ,उनके बेटे की बहु फोन उठाती है और रामलाल जी से कहती है -पापा जी !आपका फोन है। किसका है ? पूछो कौन है ?और क्या कहना चाहता है ?शिरोमणि अंकल हैं ,और आपसे

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धड़कन

21 जुलाई 2023
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पंकज हमेशा अपनी ही चलाता है , किसी की भी नहीं सुनता ,सुमित्रा जी हमेशा ,एक उम्मीद के सहारे आगे बढ़ उसका समर्थन करतीं और कहतीं -पंकज ,अभी बच्चा है ,समझदार हो जायेगा ,तब सब समझने लगेगा ,कहना भी मानेगा कि

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मेन्ढकी

22 जुलाई 2023
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गर्मी से बुरी हालत थी ,नहाते -नहाते भी पसीने आ जाते। खेती पर काम करने वाले भी खेतों से ,वापस आ गए। सभी को ,बरसात की इच्छा हो चली थी। आपस में कहते -न जाने बरसात कब होगी ?यदि शीघ्र ही बरसात नहीं हुई तो

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बरसात

23 जुलाई 2023
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बरसात का मौसम ''आते ही मन झूमने लगता है ,बारिश की ठंडी -ठंडी फुहार तन को ही नहीं ,मन को भी भिगो जाती हैं। चारों तरफ धुली -धुलि सी ,हरियाली ,लगता है जैसे ,प्रकृति ने धानी चुनर ओढ़ ली हो। बच्चों की तो बर

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एक ही गलती

25 जुलाई 2023
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सुधा खिड़की के पास बैठी ,चाय पी रही थी ,तभी उसकी बेटी ने उसे पुकारा ,मम्मी ,मैंने अपना गृहकार्य कर लिया। ठीक है ,जाओ !अब जाकर बाहर बच्चों के साथ खेल लो !ठीक है ,कहकर वो बाहर की तरफ दौड़ी ,तभी सुधा ने उस

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