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भूतिया हवेली

12 जुलाई 2023

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श.... श.... श.... श.... आज आपको एक''अज़ीबो ग़रीब प्रेम की '' कहानी सुनाती हूँ। जानते हैं ,ये जो हवेली है ,ठाकुरों की है ,बहुत ही रुआब था। ठाकुर ''बलदेव सिंह '' अपने नाम की तरह ही बलवान ,बुद्धिमान और रौबदार ठाकुर थे। धनवान तो थे ही, किन्तु सुंदरता के भी बड़े पारखी थे। उनकी दो पत्नियां थीं ,जो एक से बढ़कर एक सुंदर थीं किन्तु दोनों के कोई औलाद नहीं हुई। इस कारण ''ठाकुर बलदेव सिंह ''हमेशा से ही चिंतित और परेशान रहते। वो सोचते- जो भी धन मैंने कमाया है ,ये हवेली ! इसका क्या होगा ?





 चार -पांच कॉलिज के दोस्त यूँ ही टहलने निकले थे ,हँसते -खेलते मजे करते घूम रहे थे। तब वे ठाकुर साहब की हवेली के रास्ते पर जा रहे थे। श्याम बोला - यहां कोई ठाकुर की हवेली है ,वहाँ कोई नहीं जाता ,सुना है ,वहाँ भूत रहते हैं। 

दीपा बोली -आज के समय में ,तुम भूतों पर यक़ीन करते हो ,भूत -वूत कुछ नहीं होता। 

अरे यार ! अभी तो दिन है ,भूत तो रात में आते हैं ,हम दिन में ही, वो हवेली देखकर आ जायेंगे। चलो चलते हैं। किशोर बोला। 

हमने तो फ्लैट ही देखे हैं ,या फिर कोठी ,हवेली नहीं देखी ,पहले लोग कैसे रहते होंगे ?उनकी हवेली की कलाकारी ,कितनी बड़ी है सब मुझे देखना है।हर बार तो आया नहीं जाता ,अब आये हैं तो ,देखकर ही जायेंगे। तभी उन्होंने उस रास्ते के पत्थर पर लिखा देखा। श.... श..... श.... उधर कोई न जाये ,वहाँ कोई रहता है। उस पत्थर पर लिखे को पढ़कर चारों हंसने लगे।

किशोर बोला -देखा ! वहां कोई पहले से ही रहता है। चलो ,उससे भी मिल लेंगे। 

अरे !नहीं यार !ये लोग हमें सावधान कर रहे हैं कि वहाँ भूत रहते हैं। ये नहीं पढ़ा -''वहां कोई न जाये। ''

हमने आज तक किसी का कहना माना है ,हमेशा अपने मन की ,की है। आज भी अपनी इच्छा से ही ,उधर भी जायेंगे ,देखें भला ! हमें कौन रोक सकता है ?श्याम डींगें मारते हुए बोला। 

उसके इतना कहने की ही देरी थी ,तभी न जाने कहाँ से एक गाड़ी वहां आकर रुकी उसमें से एक व्यक्ति उतरा और बोला -कहिये ! आप कहीं जाना चाहते हैं ?

इतनी देर से जो जैनी शांत होकर उनकी बातें सुन रही थी ,बोली -हमें कहीं नहीं जाना !हम अब घर जायेंगे।

 नहीं आये हैं तो ,उस हवेली को देखकर ही जायेंगे ,मैंने इससे पहले कभी हवेली नहीं देखी प्रशांत उत्सुकता से बोला। 

दीपा बोली -जैनी ठीक कह रही है ,अब हमें घर चलना चाहिए ,देखा नहीं ,इस रास्ते पर भी कोई आ जा नहीं रहा। मुझे तो ड़र लग रहा है। 

तुम लड़कियाँ तो होती ही ड़रपोक हो ,गाड़ी वाले से बोला -क्या तुम ,हवेली का रास्ता जानते हो ?

जी.... मेरा तो यही कार्य है ,''भटके हुओं को मंजिल तक पहुंचाना।''

थोड़ी ना नुकुर के बाद , पांचों गाड़ी में बैठ जाते हैं। गाड़ी चलने लगती है। 

क्या तुम यहीं रहते हो ?किशोर का सवाल था। 

जी.... 

तब तो तुम ,हवेली का भी रास्ता जानते होंगे , नीलिमा ने पूछा। 

जी.... मेरा यही काम है।''भटके हुओं को मंजिल तक पहुंचाना। ''

जैनी बोली -क्या ?इसने , ये दो -चार संवाद ही रटे हुए हैं ,इससे कुछ भी पूछना व्यर्थ है।

 किशोर बोला -अब तक तुम कितने लोगों को ,मंजिल तक पहुंचा चुके। 

बहुत हैं ,जो भी हवेली में जाना चाहता है। 

तभी गाड़ी हवेली के सामने आकर रुकी ,हवेली देखने में बहुत पुरानी थी ,सभी उसे आश्चर्य से देख रहे थे। इस गाड़ी वाले को यहीं रोक लो ,फिर वापसी में इसी से चले जायेंगे ,दीपा की बात सबको सही लगी और जैसे ही उन लोगों ने पलटकर देखा। न ही वहां ,गाड़ी थी ,न ही वहाँ ड्राइवर था। 

हवेली देखकर डरकर भाग गया ,श्याम बोला। 

सभी हवेली की तरफ बढ़े ,जैसे -जैसे वो आगे बढ़ रहे थे ,वैसे -वैसे ही रास्ते भी साफ होते जा रहे थे किन्तु उन्होंने उल्लास में ,इस ओर ध्यान ही नहीं दिया। 

वॉव यार.... पहले लोग इतनी बड़ी -बड़ी हवेलियों में रहते थे ,क्या ठाठ थे ,क्या शान थी ?दीपा बोली। हवेली का बड़ा दरवाज़ा खोलकर ,वो अंदर घुसे।पहले उन्होंने हवेली को चारों तरफ से घूम -घूमकर देखा। इस चक्कर में ,उन्हें स्मरण ही नहीं रहा, कि दिन ढलने लगा है।जब वो लोग अंदर गए ,तो वहां की शान देखते ही रह गए। ऐसा लग रहा था ,जैसे कोई वहाँ रहता है ,तब श्याम ने आवाज़ लगाई -कोई है...... कोई हैं..... 

तभी एक बहुत सुंदर महिला ,किसी एक कमरे से बाहर आई और बोली -आइये ,आप लोगों का स्वागत है। 

जैनी बोली -देखो !यहाँ तो पहले से ही कोई रहता है ,वैसे ही इसे ''भूतिया हवेली ''कहकर बदनाम कर रखा है। उस महिला से ,बोली -आप अकेली रहतीं हैं या और भी कोई यहाँ रहता है।

 वो महिला मुस्कुराकर बोली -आप आइये तो सही ,और लोगों से भी मुलाकात हो ही जाएगी। उनके लिए खाने का भी प्रबंध किया गया। तब दीपा ने पूछा -आप इस हवेली में कब से रह रही हैं ?

बरसों हो गए ,उसने मुस्कुराकर कहा।

ये हवेली किसकी है ?और इसे' भूतिया हवेली ''क्यों कहते हैं ?यहाँ तो आप बड़े ठाठ से रह रही हैं ,देखने में किसी राजघराने की लग रहीं हैं। वो मुस्कुराई ....... आप हमें इसकी कहानी बताइये -तब उसने कहानी सुनानी आरम्भ की थी -''ठाकुर बलदेव सिहं ''परेशान थे ,मेरे पश्चात इस हवेली और मेरी धन -सम्पत्ति का क्या होगा ?

फिर क्या हुआ ?समवेत स्वर। 

फिर एक दिन ,''ठाकुर बलदेव सिंह ''इस गाँव में टहलने निकले।एकाएक उनके घोड़े के सामने ,एक बहुत ही सुंदर लड़की आ गयी। जिसे वो देखते ही रह गए। 

बिल्कुल आप ही की तरह होगी ,श्याम बोला ,वो मुस्कुराई। 

तू बीच -बीच में टोकना बंद कर ,पहले पूरी कहानी तो सुन ले ,दीपा ने डाँटा और बोली -कौन थी ?वो लड़की !

वो उसी गांव में दो दिन पहले ही , अपनी रिश्तेदारी में आई थी। उसे देखकर ''ठाकुर साहब ''अपना दिल दे चुके और उन्होंने उस लड़की का पता लगाया और विवाह की बात की , उसके घर रिश्ता भेजा। गरीब घर की लड़की के लिए इतने बड़े परिवार से रिश्ता आया ,कौन मना कर सकता था ?खूब धूमधाम से दोनों का विवाह हुआ। उसकी सुंदरता देखकर ,ठाकुर साहब की पहली दोनों पत्नियां जल -भून गयीं। रूपा देखने में जितनी सुंदर उतनी ही होशियार भी थी। दोनों उसे नीचा दिखाने और परेशान करने का कोई मौका हाथ से जाने नहीं देती थीं। ठाकुर साहब तो उसकी सुंदरता में ,इस तरह खोया कि वो नहीं चाहता था कि उसकी रूपा को कोई भी परेशानी हो और उसका सौंदर्य किसी भी तरह से कम हो जाये और उसका पागलपन इस कदर बढ़ा ,वो अपने वंश को भी आगे बढ़ाना नहीं चाहता था। 

भला ऐसा क्यों ?जैनी ने पूछा। 

वो नहीं चाहता था -कि उसकी रूपा बच्चा पैदा करे और अपना सौंदर्य खो दे। रूपा ने समझाया भी ,माँ बनना, एक औरत के लिए सौभाग्य की बात है ,माँ बनकर तो उसका सौंदर्य और निखर उठेगा किन्तु ठाकुर किसी भी तरह नहीं माना। उसका बस चलता तो ,वो अपनी रूपा के लिए ,हमेशा जवान और सुंदर रहने की जड़ी -बूँटी खिला देता किन्तु ऐसा तो सम्भव ही नहीं है ,जो भी इस पृथ्वी पर आया है ,उसे तो एक न एक दिन जाना ही होता है। रूपा तो माँ ,बनने के लिए तड़प रही थी। ठाकुर की पहली दोनों पत्नियां भी नहीं चाहती थीं, कि रूपा के कोई संतान हो। उनके विवाह को एक बरस हो गया ,तभी रूपा का रूप और अधिक निखरने लगा। जिसके चलते ठाकुर की प्रसन्नता का कोई ठिकाना नहीं रहा। किन्तु वो ये नहीं जा नता था कि रूपा के इस निखार का कारण ,उसका माँ बनना ही है। रूपा उसे बताना चाहती थी किन्तु ड़र के कारण बता नहीं पाई। पता नहीं ,सच्चाई का पता चलने पर ठाकुर क्या कर बैठे ?सभी बच्चे बैठे हुए उत्सुकतापूर्वक उसकी कहानी सुने जा रहे थे। उन्हें स्मरण ही नहीं रहा कि रात्रि गहरा चुकी है।

 आगे क्या हुआ -सभी एक साथ बोले।

एक दिन ठाकुर ने एक बहुत बड़े चित्रकार को बुलाया और रूपा का चित्र बनाने को कहा। चित्रकार भी रूपा का सौंदर्य देखकर दंग रह गया और अपने अनुभव से ताड़ गया ,ये स्त्री माँ बनने वाली है। जब वो रूपा का चित्र बना रहा था ,पता नहीं, उसे क्या सूझा ?उसने रूपा की गर्भवती वाला चित्र बनाया ,शायद वो चित्र के माध्यम से, ठाकुर को खुशखबरी देना चाहता था ताकि उसे और अधिक धन पुरुस्कार रूप में मिले किन्तु हुआ इसके विपरीत...... ठाकुर को क्रोध आ गया और रूपा के सुडौल तन को इस रूप में देखकर आग -बबूला हो उठा और चित्रकार को इनाम देने के बदले उसे दंड़ सुना दिया। 

जब चित्रकार को अपनी गलती का एहसास हुआ ,उसने सोचा -मरना तो है ही ,क्यों न इस ठाकुर के अज़ीब प्रेम को हकीक़त दिखला दी जाये। तब वो बोला -सौंदर्य कितना भी सुंदर क्यों न हो ?एक न एक दिन नष्ट हो ही जाना है। फूल भी सुंदर होते हैं किन्तु एक समय पश्चात उन्हें भी मुरझाना पड़ता है। इसी तरह नारी हो या नर एक न एक दिन उसे वृद्ध ही होना है और उसके तन को नष्ट होना ही है। चित्रकार की बातों से ठाकुर को सीख तो नहीं मिली किन्तु वो चिंतित अवश्य हो गया। उसने रूपा के सौंदर्य को इसी तरह बरकरार रखने के लिए ,उसके लिए एक शीशे का ताबूत बनवा दिया। इसमें उसकी पहली दो पत्नियों की भी साज़िश थी। उन्होंने ही बताया था -इसके सौंदर्य को बरक़रार रखने के लिए ,इसे शीशे के बक्से में बंद करवा दो। रूपा के सौंदर्य को लेकर वो इतना गंभीर था ,उसके लिए कुछ भी करने को तैयार था और उसने वैसा ही किया। 

ठाकुर का अज़ीबो -ग़रीब प्रेम रूपा पर भारी पड़ रहा था। अब तो उसकी जान पर भी बन आई थी। उसने ठाकुर से कहा भी ,मैं इसके अंदर मर जाऊँगी और मेरा सौंदर्य भी नष्ट हो जायेगा किन्तु ठाकुर ने उसकी एक न सुनी और रूपा को शीशे के ताबूत में बंद करवाकर ,उसे अपने ही कमरे में रखा। रूपा का दम घुटने लगा ,उसने ठाकुर से कहा भी ,उसके हाथ भी जोड़े किन्तु ठाकुर ने उसकी एक न सुनी। रूपा के पेट में ,बच्चा भी था , भूख और दम घुटने के कारण ,उसकी मौत हो गयी। शाम को जब ठाकुर कमरे में आया तब उसने सबसे पहले रूपा को देखना चाहा किन्तु अब उसमें कोई हलचल नहीं हो रही थी। उसने उसे कई बार पुकारा -रूपा... रूपा.... किन्तु रूपा का सौंदर्य ही उसकी जान दुश्मन बन गया था और वो मर चुकी थी। ठाकुर ने वैद्यजी को बुलाया -तब उन्होंने बताया ,ये दम घुटने से मर चुकी है और इसके पेट में ,तुम्हारे वंश का वारिस भी था। 



इतना सुनते ही ,ठाकुर की मनःस्थिति और ख़राब हो गयी। उसने चित्रकार के चित्र को उठाकर देखा ,इसका अर्थ वो समझ गया था और मैं समझ ही नहीं सका ,न ही जानने का प्रयत्न किया। अब उसे रह- रहकर अपनी गलती का एहसास हो रहा था। उसने रूपा का कोई संस्कार नहीं किया ,उसको उसी तरह शीशे के ताबूत में बंद कर दिया और स्वयं भी उसी कमरे में बंद हो गया अपनी रूपा के साथ। 

आगे क्या हुआ ?तभी श्याम बोला -मैं ज़रा वॉशरूम होकर आता हूँ। जब वो आया ,तो वो काँप रहा था और अपने दोस्तों से कुछ कहना चाहता था किन्तु वे तो उस महिला की कहानी सुनने में मशरूफ़ थे। 

वो श्याम से मुस्कुराकर बोली -तुम भी बैठकर कहानी सुनो ! ठाकुर न कुछ खाता -पीता ,न ही दरवाजा खोलता ,इस तरह उसे पंद्रह दिन उस कमरे में बंद हुए हो गए , पंद्रह दिनों बाद जब जबरदस्ती दरवाज़ा खोला गया तो ठाकुर की भी लाश ही मिली। उसकी पहली दोनों पत्नियां तो पहले से ही ,हवेली छोड़कर जा चुकी थीं ,उन्हें ड़र था जब भी ठाकुर बाहर आएगा ,तभी उन्हें दंड़ देगा। ठाकुर की लाश देखकर उसके नौकर भी भाग गए। तबसे दोनों इसी हवेली में ,भटक रहे हैं ,उनकी आत्मा को शांति भी नहीं मिली। 

प्रशांत बोला -वो आपको नहीं मिले ,फिर आप यहाँ इस तरह कैसे रहती हैं ?

तभी श्याम बोला -क्या तू भी न ,कुछ भी बोलता रहता है ,कहकर चिल्लाने जैसे -स्वर में बोला -उस दिन तूने मेरे पैसे भी नहीं दिए ,और ये दीपा अपने को क्या समझती है ?उसके इस तरह के व्यवहार से सभी देखने लगे। वो हाथो के इशारे से कुछ कहना चाहता था किन्तु कोई नहीं समझा। जैसे ही ,वो लोग उस महिला की तरफ पलटे ,वहाँ कोई नहीं था। तब श्याम बोला -ये औरत और कोई नहीं ,रूपा की ही आत्मा थी। क्या...... सभी ड़र से काँपने लगे ,मैं भी तो कहूँ ,इतनी रात गये ,कोई कैसे हमारी ख़ातिरदारी करने लगा ?वो भी ''भूतिया हवेली ''में।तुझे कैसे पता चला ?कि वो औरत नहीं रूपा का भूत है। जब मैं वॉशरूम गया तभी मैंने वो ही तस्वीर टँगी देखी जिसका वो ज़िक्र कर रही थी। 

 तब जैनी बोली -चलो !उस दरवाजे की तरफ से बाहर निकलते हैं ,जैसे ही वो लोग दरवाज़े की तरफ गए ,वो दरवाजा बंद हो गया। अब वो जिस भी दरवाजे की तरफ जाते बंद हो जाता।

 तभी एक आवाज़ गूंजी -मैं तो बरसों से बंद हूँ ,क्या तुम मेरा अकेलापन दूर नहीं करोगे ?हम दोनों पति -पत्नी तड़प रहे हैं।अब तुम लोग यहीं रहोगे हमारे साथ ,उसके इतना कहते ही ,उन्हें लगा -जैसे वो हवेली घूम रही है ,और वे सभी दहशत के कारण ,बेहोश हो गए। हवेली पर सूरज की किरण पड़ी ,वे पांचों अभी भी ऐसे ही पड़े थे , तभी दीपा ने आँख खोली और पानी के छींटें मारकर अपने दोस्तों को भी उठाया। उन्हें लग रहा था ,जैसे उन्होंने कोई डरावना सपना देखा। वो उठे ,और भागने लगे ,तभी जैनी ने उन्हें रोक दिया और बोली -अब दिन है ,ठाकुर साहब का कमरा ढूँढ़ो।

 ये क्या पागलपन है ?सभी बोले।

जैनी बोली -आये हैं ,तो एक नेक कार्य भी करके जायेंगे ,सभी उसकी मंशा समझ गए और सबने मिलकर वो कमरा ढूँढ ही लिया। वो ताबूत भी ,हवेली के पीछे ही ,उन्होंने लकड़ियाँ इकट्ठी कीं और दो चिताएँ तैयार की। और जितना भी उन्हें ज्ञान था कुछ गूगल से मंत्रोच्चारण करके उनका दाह -संस्कार किया और अपने घर के लिए चल पड़े। 
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रचनाएँ
प्रेरक कहानियाँ
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कार्तिक और मोना प्रतिदिन , अपने दफ्तर से आते समय कुछ देर ,समुन्द्र के तट पर बैठकर अपनी दिनभर की थकान मिटाते। मोना जब पहली बार अपने दफ्तर में आई ,तब उसकी सबसे पहले मुलाक़ात कार्तिक से ही हुई। कार्तिक न

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दरार

23 जून 2023
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पार्वती जी ,दुखी परेशान ,अपने कमरे में आती हैं और अपने पलंग पर बैठकर ,गहरी स्वांस भरती हैं और अपनी आँखें बंद कर लेती हैं। मैं कितना भी अच्छा सोच लूँ या कर लूँ ?किन्तु इसे अपना नहीं बना सकती ,ये 'दरा

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पहाड़ी प्रेम

29 जून 2023
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ज्योति...... ओ ज्योति....... ! दूर से आती, मौसी की आवाज सुनाई दी। आई मौसी ! कहकर मैं बंसी से बोली -कल आउंगी तब खेलेंगे ,अब मौसी बुला रही है। बंसी ने हाँ में गर्दन हिलाई और मैं ,दौड़ते हुए मौसी के

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भूतों से बातचीत

1 जुलाई 2023
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नंदिनी जैसे ही , अपनी कक्षा में पहुंची -उसने देखा ,सभी बच्चे ,तुषार की सीट के पास खड़े हैं। ये सब क्या हो रहा है ?सभी बच्चे वहाँ क्या कर रहे हैं ? नंदिनी को देखते ही ,सभी बच्चे दौड़कर अपनी -अपनी सीट पर

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पैसा

2 जुलाई 2023
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रतनलाल जी ने कितना पैसा कमाया ? रात -दिन एक कर दिया। शानदार कोठी भी बनाई ,बच्चों को महंगे से महंगे स्कूल में पढ़ाया। सबकुछ तो उनके पास है ,किसी चीज की भी कमी नहीं ,पत्नी के पास भी जेवरों की कोई कमी नह

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गड़बड़ घोटाला

3 जुलाई 2023
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मैं प्रतिदिन की तरह ,जब परिवार के सभी सदस्य अपने -अपने काम पर चले जाते ,तब घर की साफ -सफाई और बाहर बगीचे में पानी देना जैसे कार्य करती। एक दिन जब मैं अपने पौधों को पानी दे रही थी ,तभी मैंने देखा ,स्क

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रिश्तेदार जलते हैं!

4 जुलाई 2023
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कितनी ख़ुशी की बात है ?कीर्ति तुमने पढ़ाई पूरी करने के साथ -साथ ,तुम्हारी नौकरी भी लग गयी। एक पार्टी तो अवश्य बनती है। क्या ख़ाक पार्टी बनती है ?तुम सभी दोस्तों को ही पार्टी दूंगी ,मम्मी -पापा के लि

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कीमत, समय की

7 जुलाई 2023
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अतुल बहुत ही बिगड़ैल और अड़ियल है ,देखने में तो वो बहुत जचँता है ,उसे देखेंगे तो कह उठेंगे कि किसी बड़े घर का बेटा हो लेकिन उसका स्वभाव उसकी शक़्ल और व्यक्तित्व से बिल्कुल विपरीत है। वो न ही किसी की बात

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कीमती

9 जुलाई 2023
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राधा जब ,मोहन से मिली ,उसे देखते ही , अपना दिल दे बैठी ,मोहन की हालत भी कुछ ऐसी ही थी। पहली बार दोनों ,राधा की सहेली के घर पर,उसकी जन्मदिन की पार्टी में ,उससे मिली। जितनी खूबसूरत राधा लग रही थी, उतना

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मृत्यु पर विजय

10 जुलाई 2023
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पल -पल मरता है ,इंसान ! जीने की तमन्ना में ! टूटता है ,बिखरता है, जिन्दा रहने की चाह में !खो देता है ,अपनों का साथ ,जीता है स्वांसों में !स्वांसों का ही खेल है , जिन्दा रहने की आस में !कुछ लोग जी

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भूतिया हवेली

12 जुलाई 2023
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श.... श.... श.... श.... आज आपको एक''अज़ीबो ग़रीब प्रेम की '' कहानी सुनाती हूँ। जानते हैं ,ये जो हवेली है ,ठाकुरों की है ,बहुत ही रुआब था। ठाकुर ''बलदेव सिंह '' अपने नाम की तरह ही बलवान ,बुद्धिमान और रौब

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सुरक्षा कवच

14 जुलाई 2023
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माँ 'तुम अब यहाँ ,अकेली क्या करोगी ? अब तुम भी हमारे संग चलकर रहो !अनंत अपनी माँ से बोला। बेटा ! सम्पूर्ण ज़िंदगी इस शहर में बिता दी ,अब इधर -उधर जाकर क्या करूंगी ? जब तू छोटा था ,तब सोचा करती थी

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बदलते रंग

16 जुलाई 2023
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आज घर में खीर -पूरी ,मालपुए दो सब्ज़ियाँ और बूँदी का रायता बना है क्योंकि आज बहुओं का व्रत है ,आज के दिन सुहागन महिलायें अपने पति की लम्बी उम्र ,और अच्छे स्वास्थ के लिए पूजा करती हैं और अपने घर की बड़ी

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वो सुबह!

17 जुलाई 2023
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कितना सुहावना मौसम है ?रंजन अपने बच्चों से कहता है -चलो !आज कहीं घूमने चलते हैं। बाहर हल्की - हल्की बूंदा -बांदी हो रही थी। बच्चे खुश हो जाते हैं और दौड़कर अपनी मम्मी के पास जाते हैं। मम्मी ! पापा कह

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लडाई

19 जुलाई 2023
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श्रेया ,अपने आप से ही , कितना लड़ रही थी ? ये तो वो ही जानती है।अब तो जीवनभर संघर्ष ही करना है। पहले पढ़ाई में संघर्ष किया क्या विषय लेने हैं ,कौन सा स्कूल चुनना है ? स्कूल में भी ,प्रतिशत में नंबर लाने

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सूर्यास्त और हम

20 जुलाई 2023
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रामलाल जी के घर में ,फोन की घंटी बज रही थी ,उनके बेटे की बहु फोन उठाती है और रामलाल जी से कहती है -पापा जी !आपका फोन है। किसका है ? पूछो कौन है ?और क्या कहना चाहता है ?शिरोमणि अंकल हैं ,और आपसे

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धड़कन

21 जुलाई 2023
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पंकज हमेशा अपनी ही चलाता है , किसी की भी नहीं सुनता ,सुमित्रा जी हमेशा ,एक उम्मीद के सहारे आगे बढ़ उसका समर्थन करतीं और कहतीं -पंकज ,अभी बच्चा है ,समझदार हो जायेगा ,तब सब समझने लगेगा ,कहना भी मानेगा कि

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मेन्ढकी

22 जुलाई 2023
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गर्मी से बुरी हालत थी ,नहाते -नहाते भी पसीने आ जाते। खेती पर काम करने वाले भी खेतों से ,वापस आ गए। सभी को ,बरसात की इच्छा हो चली थी। आपस में कहते -न जाने बरसात कब होगी ?यदि शीघ्र ही बरसात नहीं हुई तो

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बरसात

23 जुलाई 2023
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बरसात का मौसम ''आते ही मन झूमने लगता है ,बारिश की ठंडी -ठंडी फुहार तन को ही नहीं ,मन को भी भिगो जाती हैं। चारों तरफ धुली -धुलि सी ,हरियाली ,लगता है जैसे ,प्रकृति ने धानी चुनर ओढ़ ली हो। बच्चों की तो बर

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एक ही गलती

25 जुलाई 2023
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सुधा खिड़की के पास बैठी ,चाय पी रही थी ,तभी उसकी बेटी ने उसे पुकारा ,मम्मी ,मैंने अपना गृहकार्य कर लिया। ठीक है ,जाओ !अब जाकर बाहर बच्चों के साथ खेल लो !ठीक है ,कहकर वो बाहर की तरफ दौड़ी ,तभी सुधा ने उस

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