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हिजाब

3 जून 2023

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मानिनी कॉलिज में आती है ,आज तरन्नुम ने आने में देर कर दी। मानिनी और तरन्नुम दोनों अच्छी दोस्त हैं। दोनों ही साथ रहती हैं , एक ही कक्षा में ,साथ ही बैठती हैं। जिस दिन एक भ नहीं आती ,दूसरी का मन नहीं लगता। 
कुछ समय पश्चात ही तरन्नुम आती है ,उसके चेहरे पर कुछ परेशानी नजर आती है। मानिनी पूछती है -आज तू क्यों परेशान है ?तरन्नुम बोली -कुछ नहीं यार... बस ऐसे ही। ऐसे ही क्या ?मानिनी नहीं मानी और पुनः पूछ बैठी। अब तुझे क्या बताऊँ ?हमारे ख़िलाफ़ साज़िशें रची जा रही हैं ,हमारे मज़हब को कमजोर किया जा रहा है ,हमारी धार्मिक चीजों को महत्व नहीं दिया जा रहा ,ये तो हम पर अत्याचार है। हम कतई सहन नहीं करेंगे तरन्नुम आवेश में आकर बोली। मानिनी कुछ नहीं समझ पाई और बोली - केेसा अत्याचार ?कुछ समझाएगी भी...... तभी कक्षा से बाहर कुछ शोर -शराबा होता है ,तरन्नुम बोली -चल तुझे मैं आकर समझाती हूँ ,तुझे तो देश दुनिया की कुछ खबर रहती भी है कि नहीं ,बाहर जाते हुए -आकर बताऊँगी ,मैं अभी अपनी कौम के झुण्ड में जाती हूँ। मानिनी भी उसके पीछे -पीछे बाहर तक आती है ,तब तक तरन्नुम सीढ़ियों से नीचे उतर जाती है। 


नीचे की तरफ झाँकते हुए मानिनी मन ही मन बुदबुदाती है ,पता नहीं ,ये लोग ऐसा क्यों कर रही हैं ?सब कुछ तो अच्छा चल रहा था ,अब ये कैसी जुलूसबाज़ी होने लगी ?
ये शब्द पास खड़ी दिव्या ने सुन लिए बोली -क्या तुम्हें नहीं पता कि ये लोग' हिज़ाब 'के लिए लड़ रही हैं। मानिनी ने असहमति जताई और बोली -इसमें लड़ाई वाली बात ही क्या है ?दिव्या बोली -ये लोग कह रही हैं- कि ''हिज़ाब ''पहनकर ही हमें कक्षा में आना है, ये हमारे धर्म से जुड़ा है , हमारा धार्मिक पहनावा है। पता नहीं कहाँ रहती है ?कहते हुए दिव्या चली गयी। 
मानिनी सोचने लगी -शायद आज पापा भी इसी विषय में बातें कर रहे थे ,मैंने ध्यान ही नहीं दिया। 
तभी मानिनी भी अपनी कक्षा छोड़कर ''पुस्तकालय ''की ओर बढ़ जाती है और न जाने कितनी पुस्तकें खंगालती है ? किन्तु उसे कोई जबाब नहीं मिला। 
लगभग दो घंटे पश्चात ,तरन्नुम आती है ,धूप और गर्मी से उसका चेहरा लाल हुआ था ,आते ही अपनी बोतल में से पानी पीती है। मानिनी बोली - तू इतनी परेशान क्यों है ?
क्या तुझे अभी तक पता नहीं चला ?हम अपने हक़ की लड़ाई लड़ रही हैं ,तरन्नुम तीव्र स्वर में बोली। 
कौन सा अधिकार ,कौन सा हक़ ?तू तो स्वयं ही इस बुर्खे से निज़ाद पाना चाहती थी।कॉलिज में आते ही सबसे पहले इसे उतारकर रखती। गर्मी में भुनभुनाती हुई कहती -कितने कपड़े पहनने पड़ते हैं ?ऊपर से ये बुरखा.... मानिनी बोली -अब कुछ दिनों में ऐसा क्या हो गया ?जो तुझे परेशान कर रहा है।
 ये हमारा धार्मिक कपड़ा है ,इसे हमें पहनने का हक़ है ,तरन्नुम थोड़ा शांत होते हुए बोली। 
पहनो तो ,किसने रोका है ?किन्तु मै अभी ''पुस्तकालय ''में गयी, और कई किताबें पढ़ीं ,उनमें कहीं भी ''हिज़ाब'' को तुम्हारे मज़हब से जुड़ा नहीं बताया। कहूंगी ,तो तुम बुरा मान जाओगी ,'' ये तो किसी धर्म से नहीं वरन सोच से जुड़ा है।'' तुम्हारे मज़हब में महिलाओं को सम्मान की दृष्टि से नहीं वरन भोग्या की दृष्टि से देखा जाता है ,बुरखे में कैद करके अपनी धरोहर मानते हैं। ये तो शुक्र मनाओ ,अब तुम लोगो को पढ़ने भेजा जाने लगा ,वरना तुम लोग एक वस्तु के सिवा उन मर्दों के लिए कुछ नहीं। अब तुम पढ़ रही हो स्नातक कर रही हो ,फिर तुम इस पिंजरे में पुनः कैद होना क्यों चाहती हो ?जब उड़ान भरने का समय आया तो इन झमेलों में पड़ रही हो। 


ये कानून जो बनाये जा रहे हैं ,तुम लोगो की उन्नति के लिए ही तो बन रहे हैं। ताकि तुम बेबस ,बेसहारा वाली ज़िंदगी से छुटकारा पा सको। तीन तलाक़ समाप्त किया ,क्यों ?ताकि एक से दूसरे ,दूसरे से तीसरे ,न जाने कितने निक़ाह हो जाते हैं ?और इन तीन शब्दों से ही ज़िंदगी कहीं की नहीं रह जाती। ये मर्द लोग तो अपनी हवस की खातिर ,तीन शब्द बोलकर इत्मीनान की ज़िंदगी बसर करते हैं , किन्तु उस लड़की पर क्या बीतती है ?जो चौदह बरस की माँ बन जाती है ,बीस बरस की तीन -चार बच्चों की माँ बन जाती और जब उसका बदन बेडौल हो जाता है , उसके पश्चात वो तलाक की तलवार से गुजरती,'' जिसकी बारीक़ धार पर उसकी सम्पूर्ण ज़िंदगी लहू -लुहान होती।'' जिस घर में इतने बरस दिए, आज वो उसका नहीं। दूसरा फिर तीसरा घर बसाया न जाने ,कितने घर बसे ?किन्तु कहने को अपना एक भी नहीं। बेबस और तंगहाली की हालत में अधेड़ उम्र और बुढ़ापा कटता है। न जाने कितने बच्चे गरीबी में पलते हैं ?पढ़ नहीं पाते ,पता नहीं कौन उनका किस तरह लाभ उठाता है ?क्योकि पढ़ते तो है नहीं ,सही गलत का भी नहीं पता रहता। जिसने जैसा समझाया -समझ गए। अब तुम पढ़ने के पश्चात भी ,ऐसी बातें करती हो ,मुझे तुमसे ऐसी उम्मीद नहीं थी। जो ये भी न समझ सको तुम्हारे लिए क्या सही है ,क्या गलत ?
मानिनी की बातें ,सुनते -सुनते तरन्नुम की आँखें भर आईं ,बोली -मैं क्या अपनी मर्जी से आई हूँ ,मेरे अब्बा पर तो दबाब बनाया गया, कि ये जुलूस पूरा ज़ोर पकड़ना चाहिए। अपने घर से एक नहीं दो -दो को भेजो !हम उनका साथ नहीं देते तो ,अपनी कौम के'' गद्दार ''कहलाते, वरना मेरे अब्बा तो ''अमन पसंद ''हैं। हमें न ही क़ाफ़िरों का साथ देना है और न ही उनकी बातों पर ध्यान देना है। अब तुम ही बताओ !हम न चाहते हुए भी ,इस दलदल में फँस रहे हैं। 
बस इतना करो ,ये शिक्षा का मंदिर है ,कुछ लोग इसमें अपनी राजनीति कर रहे हैं ,उनका मोहरा मत बनो ,अपने धर्म को समझो ,उसका सम्मान करो किन्तु अनुचित का साथ मत दो। जहां से ज्ञान प्राप्त किया है उस ज्ञान का अपने इल्म का तिरस्कार मत करो। मैं ज्यादा पचड़ों में नहीं पड़ना चाहती किन्तु तुम मेरी दोस्त हो ,तुम्हें समझाना मेरा फ़र्ज था ,बाक़ी तुम स्वयं ही समझदार हो ,कहकर मानिनी ने अपने खाने का डिब्बा उसके आगे कर दिया और बोली -तुम्हें भूख लगी होगी ,खाना खा लो। 
तरन्नुम उसका चेहरा देख रही थी ,कि इसने सारी बातों को कितनी सरलता से कह दिया। जो हम जी रहे हैं ,वो आज तक न ही समझ पाए ,और इसने समझा भी दिया। ता उम्र पीढ़ी दर पीढ़ी अपना दर्द झेलते रहे ,यही अपना नसीब समझा ,कभी इस ''हिज़ाब ''की कालिख़ से बाहर निकलने की कोशिश ही नहीं की ,क्योंकि हमें अपने बारे में इतना सोचने ही नहीं दिया जाता ,उससे पहले ही हमारे पँख काट डाले जाते हैं और वही हमारी जिंदगी बन जाती है। 
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रचनाएँ
प्रेरक कहानियाँ
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ज़िंदगी में अनेक घटनाएँ -दुर्घटनाइयें,होती हैं,ज़िंदगी जाने -अंजाने अनेक परेशानियों से गुजरती है,इस ज़िंदगी में अनेक रिश्ते भी होते हैं जिनसे हमें कुछ न कुछ सीख मिलती है,सीखने की कोई उम्र नहीं होती चाहे कोई छोटा हो या बड़ा। जीवन में हर पल कुछ न कुछ सीख या प्रेरणा मिल ही जाती है कई बार कुछ सोचने को मजबूर जाती हैं ये कहानियाँ,कई बार आईना दिखा जाती हैं,ये कहानियाँ । इन कहानियों में जीवन के अनेक रंग देखने को मिलेंगे,सही या गलत सोचने पर मजबूर हैं ये कहानियाँ!
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जड़ें

7 नवम्बर 2022
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सुरेश को पढ़ाया -लिखाया ,किसी क़ाबिल बनाने का प्रयत्न किया। वो बाहर गया तो उसे सब बहुत ही अच्छा लगा, बाहर की दुनिया इतनी खूबसूरत है, सब कुछ अच्छा लगता है। उसने अपनी पढ़ाई पूरी की और बाहर ही रहने का फैसला

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बड़ी बहु

8 नवम्बर 2022
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शर्मा जी के बड़े बेटे का विवाह बड़ी धूमधाम से हुआ ,बेटा -बहु दोनों पढ़े -लिखे।लड़की का घर -, परिवार के लोग भी बहुत ही अच्छे हैं। सुंदर होने के साथ -साथ , संस्कारी बहु मिली है ,शर्मा जी के तो जैसे भा

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अनदेखा, अनसुना

9 नवम्बर 2022
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प्रातः काल का समय था ,हल्की ठंड भी पड़ रही थी। एक महिला ,अपनी बेटी के संग ,मेरे घर के दरवाज़े पर खड़ी थी। सुबह -सुबह कौन आ गया ?मैंने थोड़ा परेशान होते हुए ,निर्मला को देखने के लिए भेजा। अब मैं

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वो रात......

10 नवम्बर 2022
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वो रात.... वो रात्रि मेरे लिए ही थी ,मेरे लिए ही तो... सभी कार्य हो रहे थे ,सभी मेरे आगे -पीछे घूम रहे थे। उस रात्रि की'' मल्लिका'' मैं ही थी ,कुछ वर्ष पहले ही तो ,मैं अपने' पापा

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दुःस्वपन

11 नवम्बर 2022
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दीप्ती अति शीघ्रता से अपनी बिल्डिंग से नीचे आती है ,और गाड़ी में बैठकर चल देती है। आज वो देर से उठी, जिस कारण उसे देरी हो रही थी। वो अपनी गाड़ी को ,अपने दफ़्तर की ओर ,तेज़ गति से दौड़ा रही थी। आज &nbs

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शापित जीवन

12 नवम्बर 2022
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शापित कोई स्थान ,व्यक्ति अथवा कोई वस्तु नहीं होती ,वरन शापित उसका अपना जीवन ही हो जाता है। जिस जीवन को, वो जी रहा है ,उस जीवन को जीते -जी ठीक से नहीं जी पाता। लोग कहते हैं -''ये जीवन अमूल्य है ''&nbsp

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हद- बेहद

14 नवम्बर 2022
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गोलियों की बौछार का सामना करते हुए, वो आगे बढ़ रहे थे। दुश्मन भी कम नहीं था ,हम उनके लोगों को मारते ,फिर भी न जाने कहाँ से और बढ़ जाते। क्या हमसे कोई खेल खेल रहे थे ?निश्चित स्थान से ,हम आगे

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मेरे साथ ही क्यों?

15 नवम्बर 2022
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बहु.......... जी माँजी ,कहते हुए ,पारुल तेज गति से उनके समीप आई। तुझसे कितनी बार कहा है ?उस बड़े कमरे की सफाई कर देना ,जब

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देर रात

17 नवम्बर 2022
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तृप्ति ,डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही थी ,मम्मी -पापा की लाड़ली ,मम्मी का सपना था कि बड़ी होकर ,तृप्ति डॉक्टर बने। वो ''दिल ''की डॉक्टर बनना ,चाह रही थी किन्तु एक समय परिस्थिति ऐसी बनी कि वो जच्चा -बच्चा

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लौटा दो!

19 नवम्बर 2022
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मानिनी'' का जब भी देखो , किसी न किसी बात पर'' मेहुल'' से झगड़ा हो ही जाता है।आज भी मेहुल बिना खाना खाये घर से निकल गया। उसने कहा भी ,कि खाना खाकर जाओ !लेकिन मेहुल ने गुस्से में उसकी किसी भी बात पर

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नई उड़ान

22 नवम्बर 2022
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रमा बड़ी बेचैनी से बार -बार मंच की तरफ देख रही थी ,फिर उठकर अंदर की तरफ चली गयी। वहाँ जाकर देखा- सब ठीक है या नहीं, तभी दीपा के कपड़ों की एक डोर खुली नज़र आई ,उसने दीपा को टोका और अपनी स

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जसोदा

24 नवम्बर 2022
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जसोदा पढ़ी -लिखी नौकरी पेशा महिला है ,माँ -बाप ने खूब चाहा कि ये पढ़े न ,और विवाह करके अपना घर बसा ले, किन्तु उसके तो सपने ही अलग थे और वो इस तरह माता -पिता के दबाव में आने वाली भी नहीं थी। उसने तो पहले

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एकांत

24 नवम्बर 2022
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सुबह के पाँच बज चुके थे ,अलार्म बजे जा रहा था। वो अभी और सोना चाहती थी ,लेकिन क्या करे ? मजबूरी है उठना तो है ही ,फिर लेट हो जाउंगी। ये विचार आते ही उसने फुर्ती से अलार्म बंद किया और एकदम

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एक मुलाकात

22 मई 2023
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आज भी वही हुआ ,जिसका डर था , वो लोग चुपचाप चले गए। नंदिनी तो चाहती थी ,कि अभी जबाब मिल जाये ,किन्तु पति ने समझाया , उन्हें अपने घर जाकर सलाह -मशवरा तो करने दो ,एक -दो दिन में जबाब दे देंगे। सुरेश जी

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वो भयानक रात

23 मई 2023
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बड़ी भयावह वो काली अंधियारी रात्रि थी। मैं उस ठंडी सुनसान काली रात्रि को चीरता चला जा रहा था। ठंड भी अपने पूरे जोरों पर थी। दोस्त ने कहा भी था, आज यहीं आराम कर ले। जब इतनी दूर से आया है तो बेटी को विदा

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मुक्ति

30 मई 2023
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मौली अपने दोस्तों संग मस्त थी ,वो अपने दोस्तों के साथ गोवा घूमने जा रही है ,इसीलिये तैयारी में लगी है ,तभी उसके फोन की घंटी बजी। मौली ने नाम देखा और मुँह बनाते हुए ,फ़ोन पर बातें करने लगी -क्या मम्मी ,

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कड़वाहट

31 मई 2023
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चित्रा, कोई भी त्यौहार हो बड़े जोर -शोर से तैयारी करती है ,अब तो उसके सुहाग का त्यौहार ''करवा चौथ ''आ रहा है। आज बाजार गयी और नये कपडे ,शृंगार का सामान ,साथ ही बच्चों के कपड़े भी ले आई .बड़े उत्साह से

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असीमित आकाश

1 जून 2023
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काम तो प्रतिदिन का है, किन्तु आज रीमा के हाथों में जैसे बिजली लगी है ,वो प्रतिदिन से अधिक फुर्ती से कार्य कर रही है ,वह शीघ्र अति शीघ्र अपना कार्य निपटाने का प्रयत्न कर रही है। हो भी क्यों न ?क्य

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तूफान

2 जून 2023
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नवलकिशोर जी के मन में ,आज 'तूफान 'मचा है ,बाहरी वातावरण भी उसके सामने कोई मायने नहीं रखता। वो बस यूँ ही चले जा रहे हैं। कुछ समझ नहीं आता ,कहाँ जाएँ ,क्या करें ? दुनिया में देखा जाये ,तो आज के समय में

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हिजाब

3 जून 2023
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मानिनी कॉलिज में आती है ,आज तरन्नुम ने आने में देर कर दी। मानिनी और तरन्नुम दोनों अच्छी दोस्त हैं। दोनों ही साथ रहती हैं , एक ही कक्षा में ,साथ ही बैठती हैं। जिस दिन एक भ नहीं आती ,दूसरी का मन नही

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गुल्लक

4 जून 2023
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रेवती अपनी सास की, बड़े मन से सेवा करती थी ,उनकी हर चीज का ध्यान रखती थी ताकि किसी भी प्रकार की उन्हें परेशानी न हो। जब उनकी स्वयं की बहु आ आयीं ,तब भी उनके सम्पूर्ण कार्य स्वयं ही करतीं। उनकी सास यान

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फर्क

7 जून 2023
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इस माह नौचंदी का मेला लगने वाला है, किन्तु किसी को क्या फ़र्क पड़ता है ? जाना तो है नहीं ,जाकर भी क्या करना ,मेले में जाने के लिए भी तो, पैसा ही चाहिए। मेला तो पैसे से है ,पैसे वाल

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घर की याद

8 जून 2023
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पुलकित आँखें खोलकर देखता है ,वो बगीचे की बेंच पर लेटा था। अब उसे सब स्मरण हो जाता है। किस तरह वो अपने मम्मी -पापा से नाराज होकर ,घर से भाग आया ? पुलकित ऐसे ही किसी छोटे -मोटे परिवार से नहीं है। उसके

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मेरे साथ ही क्यों?

10 जून 2023
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बहु.......... जी माँजी ,कहते हुए ,पारुल तेज गति से उनके समीप आई। तुझसे कितनी बार कहा है ?उस बड़े कमरे की सफाई कर देना ,जब

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टास्क

12 जून 2023
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शादी के बाद उसने ससुराल में कदम रखा ही था ,कि सास के तीखे तेवर और गर्म मिज़ाज उसे कुछ ही दिनों में पता चल गए। उसने देखा कि जिस व्यक्ति से उसका विवाह हुआ है ,वो तो कुछ बोलता ही नहीं। जो चाहता है ,बस

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अधूरापन

14 जून 2023
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सुगंधा पिता के घर में रही ,अरमान तो बहुत थे ,किन्तु पिता के सख़्त कानून के कारण ,न कहीं आना , न कहीं जाना ,इच्छाएँ ,आकाश की अनंत ,ऊंचाइयों को छूना चाहती किन्तु उसका आसमान सीमित था। कुछ तो घर का अनुशा

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मिट्टी के खिलौने

15 जून 2023
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रामदीन कुम्हार ,प्रतिदिन जोहड़ से चिकनी मिटटी लाता और उसे पैरों से रोंद्ता ,जब वो मिटटी बर्तन बनाने लायक हो जाती तो उसे चाक पर रखकर ,बड़े क़रीने से ,सुंदर -सुंदर मिटटी के बर्तन बनाता। ये उसकी कला ही नह

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भाग्य का खेल

16 जून 2023
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आज मैं अपनी डायरी को ज़िंदगी के एक पहलू कहूँ या कुछ और, किन्तु इतना मैं अवश्य जानती हूँ ,उसे हम भाग्य अथवा क़िस्मत कहते है -इनके इशारों पर ही तो ,हमारी ज़िंदगी चलती है। हम सोचते हैं -जो भी कार्य हम कर रह

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माँ

17 जून 2023
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चम्पाकली 'ताई आज बहुत प्रसन्न है क्योकि उनके दो बेटे ,दो ही बहुएं हैं किन्तु ये उनकी प्रसन्नता का कारण नहीं ,उनकी प्रसन्नता का कारण ,उनका दादी बनना है। दोनों बहुएं ही गर्भवती थीं और अब दोनों ही माँ ब

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संगीत प्रेम

20 जून 2023
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काव्या बहुत ही प्यारी बच्ची है ,मन उसका बहुत ही कोमल है ,सबसे प्रेमपूर्ण व्यवहार करती। दुश्मनी ,लड़ाई क्या होती है ?जैसे वो जानती ही नहीं ,उसे तो सभी अपने ही नजर आते ,छल -कपट से तो उसका दूर -दूर तक वास

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समुद्र तट

22 जून 2023
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कार्तिक और मोना प्रतिदिन , अपने दफ्तर से आते समय कुछ देर ,समुन्द्र के तट पर बैठकर अपनी दिनभर की थकान मिटाते। मोना जब पहली बार अपने दफ्तर में आई ,तब उसकी सबसे पहले मुलाक़ात कार्तिक से ही हुई। कार्तिक न

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दरार

23 जून 2023
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पार्वती जी ,दुखी परेशान ,अपने कमरे में आती हैं और अपने पलंग पर बैठकर ,गहरी स्वांस भरती हैं और अपनी आँखें बंद कर लेती हैं। मैं कितना भी अच्छा सोच लूँ या कर लूँ ?किन्तु इसे अपना नहीं बना सकती ,ये 'दरा

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पहाड़ी प्रेम

29 जून 2023
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ज्योति...... ओ ज्योति....... ! दूर से आती, मौसी की आवाज सुनाई दी। आई मौसी ! कहकर मैं बंसी से बोली -कल आउंगी तब खेलेंगे ,अब मौसी बुला रही है। बंसी ने हाँ में गर्दन हिलाई और मैं ,दौड़ते हुए मौसी के

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भूतों से बातचीत

1 जुलाई 2023
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नंदिनी जैसे ही , अपनी कक्षा में पहुंची -उसने देखा ,सभी बच्चे ,तुषार की सीट के पास खड़े हैं। ये सब क्या हो रहा है ?सभी बच्चे वहाँ क्या कर रहे हैं ? नंदिनी को देखते ही ,सभी बच्चे दौड़कर अपनी -अपनी सीट पर

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पैसा

2 जुलाई 2023
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रतनलाल जी ने कितना पैसा कमाया ? रात -दिन एक कर दिया। शानदार कोठी भी बनाई ,बच्चों को महंगे से महंगे स्कूल में पढ़ाया। सबकुछ तो उनके पास है ,किसी चीज की भी कमी नहीं ,पत्नी के पास भी जेवरों की कोई कमी नह

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गड़बड़ घोटाला

3 जुलाई 2023
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मैं प्रतिदिन की तरह ,जब परिवार के सभी सदस्य अपने -अपने काम पर चले जाते ,तब घर की साफ -सफाई और बाहर बगीचे में पानी देना जैसे कार्य करती। एक दिन जब मैं अपने पौधों को पानी दे रही थी ,तभी मैंने देखा ,स्क

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रिश्तेदार जलते हैं!

4 जुलाई 2023
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कितनी ख़ुशी की बात है ?कीर्ति तुमने पढ़ाई पूरी करने के साथ -साथ ,तुम्हारी नौकरी भी लग गयी। एक पार्टी तो अवश्य बनती है। क्या ख़ाक पार्टी बनती है ?तुम सभी दोस्तों को ही पार्टी दूंगी ,मम्मी -पापा के लि

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कीमत, समय की

7 जुलाई 2023
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अतुल बहुत ही बिगड़ैल और अड़ियल है ,देखने में तो वो बहुत जचँता है ,उसे देखेंगे तो कह उठेंगे कि किसी बड़े घर का बेटा हो लेकिन उसका स्वभाव उसकी शक़्ल और व्यक्तित्व से बिल्कुल विपरीत है। वो न ही किसी की बात

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कीमती

9 जुलाई 2023
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राधा जब ,मोहन से मिली ,उसे देखते ही , अपना दिल दे बैठी ,मोहन की हालत भी कुछ ऐसी ही थी। पहली बार दोनों ,राधा की सहेली के घर पर,उसकी जन्मदिन की पार्टी में ,उससे मिली। जितनी खूबसूरत राधा लग रही थी, उतना

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मृत्यु पर विजय

10 जुलाई 2023
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पल -पल मरता है ,इंसान ! जीने की तमन्ना में ! टूटता है ,बिखरता है, जिन्दा रहने की चाह में !खो देता है ,अपनों का साथ ,जीता है स्वांसों में !स्वांसों का ही खेल है , जिन्दा रहने की आस में !कुछ लोग जी

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भूतिया हवेली

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श.... श.... श.... श.... आज आपको एक''अज़ीबो ग़रीब प्रेम की '' कहानी सुनाती हूँ। जानते हैं ,ये जो हवेली है ,ठाकुरों की है ,बहुत ही रुआब था। ठाकुर ''बलदेव सिंह '' अपने नाम की तरह ही बलवान ,बुद्धिमान और रौब

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सुरक्षा कवच

14 जुलाई 2023
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माँ 'तुम अब यहाँ ,अकेली क्या करोगी ? अब तुम भी हमारे संग चलकर रहो !अनंत अपनी माँ से बोला। बेटा ! सम्पूर्ण ज़िंदगी इस शहर में बिता दी ,अब इधर -उधर जाकर क्या करूंगी ? जब तू छोटा था ,तब सोचा करती थी

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बदलते रंग

16 जुलाई 2023
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आज घर में खीर -पूरी ,मालपुए दो सब्ज़ियाँ और बूँदी का रायता बना है क्योंकि आज बहुओं का व्रत है ,आज के दिन सुहागन महिलायें अपने पति की लम्बी उम्र ,और अच्छे स्वास्थ के लिए पूजा करती हैं और अपने घर की बड़ी

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वो सुबह!

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कितना सुहावना मौसम है ?रंजन अपने बच्चों से कहता है -चलो !आज कहीं घूमने चलते हैं। बाहर हल्की - हल्की बूंदा -बांदी हो रही थी। बच्चे खुश हो जाते हैं और दौड़कर अपनी मम्मी के पास जाते हैं। मम्मी ! पापा कह

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लडाई

19 जुलाई 2023
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श्रेया ,अपने आप से ही , कितना लड़ रही थी ? ये तो वो ही जानती है।अब तो जीवनभर संघर्ष ही करना है। पहले पढ़ाई में संघर्ष किया क्या विषय लेने हैं ,कौन सा स्कूल चुनना है ? स्कूल में भी ,प्रतिशत में नंबर लाने

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सूर्यास्त और हम

20 जुलाई 2023
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रामलाल जी के घर में ,फोन की घंटी बज रही थी ,उनके बेटे की बहु फोन उठाती है और रामलाल जी से कहती है -पापा जी !आपका फोन है। किसका है ? पूछो कौन है ?और क्या कहना चाहता है ?शिरोमणि अंकल हैं ,और आपसे

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धड़कन

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पंकज हमेशा अपनी ही चलाता है , किसी की भी नहीं सुनता ,सुमित्रा जी हमेशा ,एक उम्मीद के सहारे आगे बढ़ उसका समर्थन करतीं और कहतीं -पंकज ,अभी बच्चा है ,समझदार हो जायेगा ,तब सब समझने लगेगा ,कहना भी मानेगा कि

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मेन्ढकी

22 जुलाई 2023
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गर्मी से बुरी हालत थी ,नहाते -नहाते भी पसीने आ जाते। खेती पर काम करने वाले भी खेतों से ,वापस आ गए। सभी को ,बरसात की इच्छा हो चली थी। आपस में कहते -न जाने बरसात कब होगी ?यदि शीघ्र ही बरसात नहीं हुई तो

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बरसात

23 जुलाई 2023
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बरसात का मौसम ''आते ही मन झूमने लगता है ,बारिश की ठंडी -ठंडी फुहार तन को ही नहीं ,मन को भी भिगो जाती हैं। चारों तरफ धुली -धुलि सी ,हरियाली ,लगता है जैसे ,प्रकृति ने धानी चुनर ओढ़ ली हो। बच्चों की तो बर

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एक ही गलती

25 जुलाई 2023
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सुधा खिड़की के पास बैठी ,चाय पी रही थी ,तभी उसकी बेटी ने उसे पुकारा ,मम्मी ,मैंने अपना गृहकार्य कर लिया। ठीक है ,जाओ !अब जाकर बाहर बच्चों के साथ खेल लो !ठीक है ,कहकर वो बाहर की तरफ दौड़ी ,तभी सुधा ने उस

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