अतुल बहुत ही बिगड़ैल और अड़ियल है ,देखने में तो वो बहुत जचँता है ,उसे देखेंगे तो कह उठेंगे कि किसी बड़े घर का बेटा हो लेकिन उसका स्वभाव उसकी शक़्ल और व्यक्तित्व से बिल्कुल विपरीत है। वो न ही किसी की बात सुनता है ,हमेशा अपनी ही धौंस में रहता है। जितने उसके परिवार वाले मिलनसार ,विनम्र और सबकी मदद के लिए तैयार रहने वाले हैं ,उतना ही वो अकड़ू ,कुछ भी गलत बर्दाश्त नहीं करता ,आये दिन किसी न किसी से झगड़ा मोल लेता रहता है। जवान लड़का है ,कम उम्र ,उसके दादा -दादी ,चाचा -चाची और माता -पिता सभी उसके स्वभाव के कारण विचलित रहते हैं कि कहीं कोई गलती न कर दे
,किसी से लड़ने न लग जाये अथवा कहीं कोई ग़लत संगत या कामों में न पड़ जाये। जैसे -चिड़िया अपने अंडों की यत्न से देखभाल करती है ,उसी तरह उसकी देखभाल हो रही थी। गांव जाता तो किसी का कोई काम पसंद नहीं आता तो नौकरों की अच्छे से ख़बर लेता। ऐसा नहीं कि वो बिना बात ही झगड़ा मोल लेता गलती तो होती ही थी लेकिन उसके दादा प्यार से काम लेते। आजकल का जमाना अब डांट -डपट का कहाँ रहा ?प्यार से भी कहो तो सुनते नहीं ,विश्वसनीय नौकर आसानी से मिलते ही कहाँ हैं ?तभी बाबूजी भी तो उनकी कुछ गलतियों को देख नजरंदाज कर जाते थे। किन्तु अतुल जब भी जाता तो एक -दो तो उसके हथ्थे चढ़ ही जाता। वो तो कह -सुनकर चला जाता और उसके दादाजी 'उसके बिखेरे हुए को समेटते। कितनी बार समझाया है?फिर बड़बड़ाते रहते -'' इस लड़के को नौकर आसानी से नहीं मिलते ,काम तो आजकल कोई करना ही नहीं चाहता ,जो हैं उनसे भी काम प्यार से ही लेना पड़ता है ,पता नहीं, किस पर गया है ?
क्या करें ?अपना बालक है ,देख -रेख तो करनी ही पड़ेगी। कभी -कभी तो उसके आने की ख़बर सुनकर सारे नौकर पहले ही अपने -अपने काम पर लग जाते ,उसकी डांट के कारण दादाजी का काम आसानी से हो जाता ,मन ही मन प्रसन्न भी होते लेकिन उसे कभी दर्शाया नहीं कि वो सही है। कि कहीं उनके प्रोत्साहन से और उद्ण्ड न हो जाये। आजकल उसके तेवर अलग ही नजर आ रहे थे ,दादाजी की पारखी नजर पहचान रही थी कि लड़के का व्यवहार कुछ बदल रहा है लेकिन वो नहीं चाह रहे थे कि वो अभी से इतनी कम उम्र में इन चक्करों में पड़े। अभी तो न जाने कैसे -कैसे दसवीं ही पास की है ?अभी इन कामों में लग गया तो आगे की पढ़ाई क्या करेगा ? फिर मन ही मन बुदबुदाते -पता नहीं ,ये लड़का क्या करेगा ?खेती में भी तो नहीं लगा सकते ,न ही इतनी आमदनी और ऊपर से इसका व्यवहार। गांव में दो -चार दिन के लिए ही आता है ,घरवालों से लेकर बाहरवालों तक का जीवन दूभर बना देता है ,इसी कारण से दादाजी ने उसके पिता से कह रखा है कि उसे वहीं शहर में रखे और उसकी शिक्षा पर ध्यान दे।अतुल ठहरा मनमौजी, वो कब किसी की सुनता है ?जब जी चाहे कहीं भी मुँह उठाकर चल देता है। अभी कुछ महीनों पहले की बात है ,उसके चाचा का विवाह था -हँसी -ख़ुशी सब बारात में गए ,वहाँ एक बाराती ने शराब पी ,उस समय तो अतुल एक जिम्मेदार लड़का बन गया था। उस बाराती ने नशे में कुछ उल्टा -सीधा कह दिया होगा ,बस वहीं अतुल ने उसकी अच्छे से धुनाई कर दी। दोनों में काफी समय तक बीच -बचाव चलता रहा ,किसी तरह मामला सुलटाया।ये उम्र ही ऐसी चल रही थी कि नये -नये अनुभव मांगती है .. चढ़त के समय उसने देखा कि उसके फूफाजी ने सौ -सौ के नोट दूल्हे पर लगाए और जब बाजेवाला लेने आया तो बड़ी होशियारी से दस रूपये आगे कर दिए ये सब अतुल भी देख रहा था ,उसने भी ऐसा करने का प्रयास किया किन्तु बाजेवाले ने उसके नोट हटाने से पहले ही उसके रूपये उसके हाथ से ले लिए अब तो अतुल भड़क गया कि इसने मेरे सारे पैसे ले लिए और जब तक उसने पैसे वापस नहीं किये न ही आगे बढ़ा न ही किसी को जाने दिया उस समस्या को सुलझाकर दादाजी ने अब अतुल का हाथ ही पकड़ लिया ,जहाँ भी जाते उसे साथ ही रखा। किसी तरह राम -राम करके घर वापस आये।
अब तो वो लड़कियों के फेर में रहता ,उसकी नई चाची जो आयी थी उनसे सब बातें बताता -आज मुझे देखकर अंजली मुस्कुरा रही थी ,चाची को तो जैसे अपने साथ की ही समझता था। कहता -आज मेरे पास सुरेखा किताब के बहाने से आयी। चाची ने छेड़ते हुए कहा -क्यों आई थी ?तुम्हारे पास। मेरा व्यक्तित्व ही ऐसा है ,मुझे देखकर कोई भी लड़की लट्टू हो जाती है कहकर अपनी चाची को अपना रौब दिखाता। चाची भी बच्चे की बात सुनकर फिर उसे समझाती -ये उम्र अभी पढ़ने की है ,लड़कियों के चक्कर में नहीं पड़ना। जब चाची समझाती तो भाग खड़ा होता। अब उसके दो घर हो गए थे ,कभी चाची -चाचा का घर कभी माता -पिता के पास। जब जी चाहे कहीं भी आता -जाता ,खाता -पीता और चला जाता न जाने सारा दिन कहाँ -कहाँ धक्के खाता फिरता ?उसकी इन हरकतों के कारण अब उसके पिता भी उसे समझाते और न समझने पर डांट भी देते तो मुँह लटकाकर चाचा के घर आ जाता ,जब सोचता पापा का गुस्सा शांत हो गया होगा तो चला जाता ,उसकी इन हरकतों के बाद भी वो सबका लाड़ला बना हुआ था। अभी उसने स्नातक ही किया, उसने घर में कह दिया अब उसे आगे नहीं पढ़ना वो कोई काम करेगा। उसके माता -पिता को उसकी चिंता हुयी कि कहीं किसी लड़की के फेर में न पड़ जाये उससे पहले ही उसका विवाह करा देते हैं |उन्होंने उसके लिए लड़कियाँ देखनी आरम्भ की और एक अच्छी सी लड़की देखकर उसका विवाह करा दिया। उन्हीं दिनों विवाह के सिलसिले में उसके मामा की लड़की अपनी बुआ पास रहने के लिए आयी। कहने को तो अतुल का और सीमा का बहन -भाई का रिश्ता था लेकिन दोनों की आपस में कुछ ज्यादा ही छनती थी। घंटों दोनों किसी न किसी बात पर ज़िरह करते रहते ,हँसते ,घूमने चल देते उनकी इतनी नज़दीकी ,नई बहु को अच्छी नहीं लगती। सीमा सारा दिन कुछ न कुछ ऐसी हरकतें करती अथवा बहाने बनाती कि अतुल उसके आस -पास ही मंडराता रहता। सीमा इतनी चालाक थी कि नई बहु के खिलाफ़ अपनी बुआ के कान भरती रहती।
नई बहु जब से आई है अतुल उस पर ध्यान ही नहीं देता ,उसने एक -दो बार अतुल को उसके व्यवहार के लिए टोका भी लेकिन अतुल ये कहकर टाल देता -कुछ दिनों के लिए तो आई है फिर अपने घर चली जाएगी। ''वो भी अभी घर -परिवार से अनभिज्ञ थी ,अभी तो किसी ठीक से जानती भी नहीं और जिसके साथ ब्याहकर आई है वो लापरवाह ,उसकी भावनाओं को समझता ही नहीं। अकेले में रोती जो समय उसके पति को उसे देना चाहिए वो किसी और का है। फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी -उस जबरदस्ती की आयी ननद को अतुल के सामने ही एहसास दिलाती, कि आप तो हमारे घर में मेहमान हैं ,आपको अगले घर की तैयारी करनी चाहिए ताकि दोनों को ही इस रिश्ते की सच्चाई का एहसास रहे कि हर रिश्ते की एक सीमा होती है ,एक दिन सीमा अतुल के साथ बाहर खरीददारी करने गयी ,वहाँ किसी ने उसे छेड़ दिया ,तब अतुल ने उसकी बेहद पिटाई की ,बात इतनी बढ़ गयी कि उसे हवालात जाना पड़ गया। जिसने भी सुना ,वो ही बोला -ये तो एक न एक दिन होना ही था ,उसकी मूर्खतापूर्ण हरकतें बढ़ती ही जा रहीं थीं ,अब तक उसे ज़िम्मेदार व्यक्ति बन जाना चाहिए था। सब एक -दूसरे को समझा रहे थे, सांत्वना दे रहे थे लेकिन ये सब बातें चाची -चाचा के घर में हो रहीं थीं ,नई बहु को तो कुछ पता ही नहीं था। उससे तो कह दिया गया था कि वो गाँव में है ,किसी काम में फँसा है। अतुल के यहॉँ न होने के कारण'' नई बहु ''को इस बात की तो तसल्ली थी कि सीमा से दूर था। उन दोनों को साथ देखकर उसे कुढ़ना नहीं पड़ेगा। इधर अतुल को जल्दी से जल्दी बाहर निकालने का प्रयत्न कर रहे थे। उसे छुड़ाने के लिए पैसों का भी इंतज़ाम करना था तब उसके चाचा ने अपनी पत्नी से पूछा ,उसकी चाची ने कहा बच्चा अपने ही घर का है ,पैसे कब काम आयेंगे ?और अपने पास से निकालकर दे दिए। अगले दिन उसे हवालात से छुड़ाया गया।
एक बार चाची ने नई बहु से भी बात की थी उसी की कुछ बातों से उसे लगा था कि सीमा भी कुछ हद तक उनके रिश्ते को दूरी में बदल रही है तब उन्होंने कहा -अब सीमा को भी अपने घर चले जाना चाहिए ,स्यानी लड़की को कब तक अपने घर रखेंगे ?उसे उसके माता -पिता के पास ही भेजना ठीक रहेगा। सीमा को उसके घर भेज दिया गया। अब अतुल की घर -गृहस्थी धीरे -धीरे जमने लगी। एक दिन सीमा ने ही फोन पर बताया कि तुम्हारी चाची के कहने पर ही मुझे यहाँ भेजा गया। यह बात पता चलते ही अतुल ने चाची से बात करनी बंद कर दी। तब चाची ने उसे समझाने का प्रयत्न किया- कि तुम्हारे परिवार ,तुम्हारी पत्नी के लिए यही सही था ,उसके प्रति भी तो तुम्हारी कुछ जिम्मेदारियाँ हैं ,वो भी कब तक तुम्हारे घर में रहती ?एक न एक दिन तो उसे जाना ही था ,समय रहते ही चली गयी तो ये तुम्हारे परिवार के लिए सही था।अतुल ने किसी भी रिश्ते का लिहाज़ न करते हुए कहा -आप कौन होती हैं ,हमारे मामलों में दखलन्दाजी करने वाली ,अपने काम से काम रखिये। चाची तो सुनकर जैसे एकदम सकते में आ गयी ,वो सोच रही थी -ये वो ही लड़का है जो देर -सवेर मेरे पास आ जाता था ,अपने मन की ढेरों बातें किया करता था। आज वो इस तरह से बात कर रहा है। तब उन्होंने सोचा कि इसे अब एहसास करना जरूरी है कि इसके कारण परिवारवालों ने कितनी परेशानी झेली है? वो बोलीं -तुम्हारी हरकतों को हमने कितना दबाया ?पूरे परिवार ने कितनी परे शानी झेली ?तुम्हें छुड़ाने के लिए मैंने ही पैसे दिए थे उस समय मैं ही काम आयी थी ?आज मैं कौन होती हूँ ?दखलन्दाजी करने वाली। वो तुुनककर बोला -बड़ा एहसान कर दिया ,बाद में तो आपके पैसे लौटा दिए।
रीना बोली -कीमत उस पैसे की नहीं जो मैंने तुम्हें छुड़ाने के लिए दिए ,कीमत उस समय की है कि उस समय पर वो पैसे काम आये ,मान लो ,तुम जेल चले जाते अगले दिन समाचार पत्र में तुम्हारा फोटो आता तुम्हारी पत्नी को तो पता चलता ही ,तुम्हारे अन्य रिश्तेदारों को भी पता चल जाता और तुम्हारा नाम पुलिस थाने में भी दर्ज़ हो जाता तुम्हारे भविष्य पर भी उसका असर पड़ता। तो बच्चे कीमत उस समय की है जिसमें मेरा पैसा काम आया। मान लो, तुम्हें अभी भूख लगी है और मैं रोटी तुम्हें दो दिन बाद दूँ तो क्या चलेगा ,जब भूख लगी हो तब रोटी न मिले तो क्या फायदा ?इसी तरह मेरे दिए वो पैसे क़ीमती थे ,जो तुम्हारे काम आये।