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कीमत, समय की

7 जुलाई 2023

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अतुल बहुत ही बिगड़ैल और अड़ियल है ,देखने में तो वो बहुत जचँता है ,उसे देखेंगे तो कह उठेंगे कि किसी बड़े घर का बेटा हो लेकिन उसका स्वभाव उसकी शक़्ल और व्यक्तित्व से बिल्कुल विपरीत है। वो न ही किसी की बात सुनता है ,हमेशा अपनी ही धौंस में रहता है। जितने उसके परिवार वाले मिलनसार ,विनम्र और सबकी मदद के लिए तैयार रहने वाले हैं ,उतना ही वो अकड़ू ,कुछ भी गलत बर्दाश्त नहीं करता ,आये दिन किसी न किसी से झगड़ा मोल लेता रहता है। जवान लड़का है ,कम उम्र ,उसके दादा -दादी ,चाचा -चाची और माता -पिता सभी उसके स्वभाव के कारण विचलित रहते हैं कि कहीं कोई गलती न कर दे


,किसी से लड़ने न लग जाये अथवा कहीं कोई ग़लत संगत या कामों में न पड़ जाये। जैसे -चिड़िया अपने अंडों की यत्न से देखभाल करती है ,उसी तरह उसकी देखभाल हो रही थी। गांव जाता तो किसी का कोई काम पसंद नहीं आता तो नौकरों की अच्छे से ख़बर लेता। ऐसा नहीं कि वो बिना बात ही झगड़ा मोल लेता गलती तो होती ही थी लेकिन उसके दादा प्यार से काम लेते। आजकल का जमाना अब डांट -डपट का कहाँ रहा ?प्यार से भी कहो तो सुनते नहीं ,विश्वसनीय नौकर आसानी से मिलते ही कहाँ हैं ?तभी बाबूजी भी तो उनकी कुछ गलतियों को देख नजरंदाज कर जाते थे। किन्तु अतुल जब भी जाता तो एक -दो तो उसके हथ्थे चढ़ ही जाता। वो तो कह -सुनकर चला जाता और उसके दादाजी 'उसके बिखेरे हुए को समेटते। कितनी बार समझाया है?फिर बड़बड़ाते रहते -'' इस लड़के को नौकर आसानी से नहीं मिलते ,काम तो आजकल कोई करना ही नहीं चाहता ,जो हैं उनसे भी काम प्यार से ही लेना पड़ता है ,पता नहीं, किस पर गया है ?
              क्या करें ?अपना बालक है ,देख -रेख तो करनी ही पड़ेगी। कभी -कभी तो उसके आने की ख़बर सुनकर सारे नौकर पहले ही अपने -अपने काम पर लग जाते ,उसकी डांट के कारण दादाजी का काम आसानी से हो जाता ,मन ही मन प्रसन्न भी होते लेकिन उसे कभी दर्शाया नहीं कि वो सही है। कि कहीं उनके प्रोत्साहन से और उद्ण्ड न हो जाये। आजकल उसके तेवर अलग ही नजर आ रहे थे ,दादाजी की पारखी नजर पहचान रही थी कि लड़के का व्यवहार कुछ बदल रहा है लेकिन वो नहीं चाह रहे थे कि वो अभी से इतनी कम उम्र में इन चक्करों में पड़े। अभी तो न जाने कैसे -कैसे दसवीं ही पास की है ?अभी इन कामों में लग गया तो आगे की पढ़ाई क्या करेगा ? फिर मन ही मन बुदबुदाते -पता नहीं ,ये लड़का क्या करेगा ?खेती में भी तो नहीं लगा सकते ,न ही इतनी आमदनी और ऊपर से इसका व्यवहार। गांव में दो -चार दिन के लिए ही आता है ,घरवालों से लेकर बाहरवालों तक का जीवन दूभर बना देता है ,इसी कारण से दादाजी ने उसके पिता से कह रखा है कि उसे वहीं शहर में रखे और उसकी शिक्षा पर ध्यान दे।अतुल ठहरा मनमौजी, वो कब किसी की सुनता है ?जब जी चाहे कहीं भी मुँह उठाकर चल देता है। अभी कुछ महीनों पहले की बात है ,उसके चाचा का विवाह था -हँसी -ख़ुशी सब बारात में गए ,वहाँ एक बाराती ने शराब पी ,उस समय तो अतुल एक जिम्मेदार लड़का बन गया था। उस बाराती ने नशे में कुछ उल्टा -सीधा कह दिया होगा ,बस वहीं अतुल ने उसकी अच्छे से धुनाई कर दी। दोनों में काफी समय तक बीच -बचाव चलता रहा ,किसी तरह मामला सुलटाया।ये उम्र ही ऐसी चल रही थी कि नये -नये अनुभव मांगती है .. चढ़त के समय उसने देखा कि उसके फूफाजी ने सौ -सौ के नोट दूल्हे पर लगाए और जब बाजेवाला लेने आया तो बड़ी होशियारी से दस रूपये आगे कर दिए ये सब अतुल भी देख रहा था ,उसने भी ऐसा करने का प्रयास किया किन्तु बाजेवाले ने उसके नोट हटाने से पहले ही उसके रूपये उसके हाथ से ले लिए अब तो अतुल भड़क गया कि इसने मेरे सारे पैसे ले लिए और जब तक उसने पैसे वापस नहीं किये न ही आगे बढ़ा न ही किसी को जाने दिया उस समस्या को सुलझाकर दादाजी ने अब अतुल का हाथ ही पकड़ लिया ,जहाँ भी जाते उसे साथ ही रखा। किसी तरह राम -राम करके घर वापस आये। 


            अब तो वो लड़कियों के फेर में रहता ,उसकी नई चाची जो आयी थी उनसे सब बातें बताता -आज मुझे देखकर अंजली मुस्कुरा रही थी ,चाची को तो जैसे अपने साथ की ही समझता था। कहता -आज मेरे पास सुरेखा किताब के बहाने से आयी। चाची ने छेड़ते हुए कहा -क्यों आई थी ?तुम्हारे पास। मेरा व्यक्तित्व ही ऐसा है ,मुझे देखकर कोई भी लड़की लट्टू हो जाती है कहकर अपनी चाची को अपना रौब दिखाता। चाची भी बच्चे की बात सुनकर फिर उसे समझाती -ये उम्र अभी पढ़ने की है ,लड़कियों के चक्कर में नहीं पड़ना। जब चाची समझाती तो भाग खड़ा होता। अब उसके दो घर हो गए थे ,कभी चाची -चाचा का घर कभी माता -पिता के पास। जब जी चाहे कहीं भी आता -जाता ,खाता -पीता और चला जाता न जाने सारा दिन कहाँ -कहाँ धक्के खाता फिरता ?उसकी इन हरकतों के कारण अब उसके पिता भी उसे समझाते और न समझने पर डांट भी देते तो मुँह लटकाकर चाचा के घर आ जाता ,जब सोचता पापा का गुस्सा शांत हो गया होगा तो चला जाता ,उसकी इन हरकतों के बाद भी वो सबका लाड़ला बना हुआ था। अभी उसने स्नातक ही किया, उसने घर में कह दिया अब उसे आगे नहीं पढ़ना वो कोई काम करेगा। उसके माता -पिता को उसकी चिंता हुयी कि कहीं किसी लड़की के फेर में न पड़ जाये उससे पहले ही उसका विवाह करा देते हैं |उन्होंने उसके लिए लड़कियाँ देखनी आरम्भ की और एक अच्छी सी लड़की देखकर उसका विवाह करा दिया। उन्हीं दिनों विवाह के सिलसिले में उसके मामा की लड़की अपनी बुआ पास रहने के लिए आयी। कहने को तो अतुल का और सीमा का बहन -भाई का रिश्ता था लेकिन दोनों की आपस में कुछ ज्यादा ही छनती थी। घंटों दोनों किसी न किसी बात पर ज़िरह करते रहते ,हँसते ,घूमने चल देते उनकी इतनी नज़दीकी ,नई बहु को अच्छी नहीं लगती। सीमा सारा दिन कुछ न कुछ ऐसी हरकतें करती अथवा बहाने बनाती कि अतुल उसके आस -पास ही मंडराता रहता। सीमा इतनी चालाक थी कि नई बहु के खिलाफ़ अपनी बुआ के कान भरती रहती।  
           नई बहु जब से आई है अतुल उस पर ध्यान ही नहीं देता ,उसने एक -दो बार अतुल को उसके व्यवहार के लिए टोका भी लेकिन अतुल ये कहकर टाल देता -कुछ दिनों के लिए तो आई है फिर अपने घर चली जाएगी। ''वो भी अभी घर -परिवार से अनभिज्ञ थी ,अभी तो किसी ठीक से जानती भी नहीं और जिसके साथ ब्याहकर आई है वो लापरवाह ,उसकी भावनाओं को समझता ही नहीं। अकेले में रोती जो समय उसके पति को उसे देना चाहिए वो किसी और का है। फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी -उस जबरदस्ती की आयी ननद को अतुल के सामने ही एहसास दिलाती, कि आप तो हमारे घर में मेहमान हैं ,आपको अगले घर की तैयारी करनी चाहिए ताकि दोनों को ही इस रिश्ते की सच्चाई का एहसास रहे कि हर रिश्ते की एक सीमा होती है ,एक दिन सीमा अतुल के साथ बाहर खरीददारी करने गयी ,वहाँ किसी ने उसे छेड़ दिया ,तब अतुल ने उसकी बेहद पिटाई की ,बात इतनी बढ़ गयी कि उसे हवालात जाना पड़ गया। जिसने भी सुना ,वो ही बोला -ये तो एक न एक दिन होना ही था ,उसकी मूर्खतापूर्ण हरकतें बढ़ती ही जा रहीं थीं ,अब तक उसे ज़िम्मेदार व्यक्ति बन जाना चाहिए था। सब एक -दूसरे को समझा रहे थे, सांत्वना दे रहे थे लेकिन ये सब बातें चाची -चाचा के घर में हो रहीं थीं ,नई बहु को तो कुछ पता ही नहीं था। उससे तो कह दिया गया था कि वो गाँव में है ,किसी काम में फँसा है। अतुल के यहॉँ न होने के कारण'' नई बहु ''को इस बात की तो तसल्ली थी कि सीमा से दूर था। उन दोनों को साथ देखकर उसे कुढ़ना नहीं पड़ेगा। इधर अतुल को जल्दी से जल्दी बाहर निकालने का प्रयत्न कर रहे थे। उसे छुड़ाने के लिए पैसों का भी इंतज़ाम करना था तब उसके चाचा ने अपनी पत्नी से पूछा ,उसकी चाची ने कहा बच्चा अपने ही घर का है ,पैसे कब काम आयेंगे ?और अपने पास से निकालकर दे दिए। अगले दिन उसे हवालात से छुड़ाया गया। 


            एक बार चाची ने नई बहु से भी बात की थी उसी की कुछ बातों से उसे लगा था कि सीमा भी कुछ हद तक उनके रिश्ते को दूरी में बदल रही है तब उन्होंने कहा -अब सीमा को भी अपने घर चले जाना चाहिए ,स्यानी लड़की को कब तक अपने घर रखेंगे ?उसे उसके माता -पिता के पास ही भेजना ठीक रहेगा। सीमा को उसके घर भेज दिया गया। अब अतुल की घर -गृहस्थी धीरे -धीरे जमने लगी। एक दिन सीमा ने ही फोन पर बताया कि तुम्हारी चाची के कहने पर ही मुझे यहाँ भेजा गया। यह बात पता चलते ही अतुल ने चाची से बात करनी बंद कर दी। तब चाची ने उसे समझाने का प्रयत्न किया- कि तुम्हारे परिवार ,तुम्हारी पत्नी के लिए यही सही था ,उसके प्रति भी तो तुम्हारी कुछ जिम्मेदारियाँ हैं ,वो भी कब तक तुम्हारे घर में रहती ?एक न एक दिन तो उसे जाना ही था ,समय रहते ही चली गयी तो ये तुम्हारे परिवार के लिए सही था।अतुल ने किसी भी रिश्ते का लिहाज़ न करते हुए कहा -आप कौन होती हैं ,हमारे मामलों में दखलन्दाजी करने वाली ,अपने काम से काम रखिये। चाची तो सुनकर जैसे एकदम सकते में आ गयी ,वो सोच रही थी -ये वो ही लड़का है जो देर -सवेर मेरे पास आ जाता था ,अपने मन की ढेरों बातें किया करता था। आज वो इस तरह से बात कर रहा है। तब उन्होंने सोचा कि इसे अब एहसास करना जरूरी है कि इसके कारण परिवारवालों ने कितनी परेशानी झेली है? वो बोलीं -तुम्हारी हरकतों को हमने कितना दबाया ?पूरे परिवार ने कितनी परे शानी झेली ?तुम्हें छुड़ाने के लिए मैंने ही पैसे दिए थे उस समय मैं ही काम आयी थी ?आज मैं कौन होती हूँ ?दखलन्दाजी करने वाली। वो तुुनककर बोला -बड़ा एहसान कर दिया ,बाद में तो आपके पैसे लौटा दिए।  
रीना बोली -कीमत उस पैसे की नहीं जो मैंने तुम्हें छुड़ाने के लिए दिए ,कीमत उस समय की है कि उस समय पर वो पैसे काम आये ,मान लो ,तुम जेल चले जाते अगले दिन समाचार पत्र में तुम्हारा फोटो आता तुम्हारी पत्नी को तो पता चलता ही ,तुम्हारे अन्य रिश्तेदारों को भी पता चल जाता और तुम्हारा नाम पुलिस थाने में भी दर्ज़ हो जाता तुम्हारे भविष्य पर भी उसका असर पड़ता। तो बच्चे कीमत उस समय की है जिसमें मेरा पैसा काम आया। मान लो, तुम्हें अभी भूख लगी है और मैं रोटी तुम्हें दो दिन बाद दूँ तो क्या चलेगा ,जब भूख लगी हो तब रोटी न मिले तो क्या फायदा ?इसी तरह मेरे दिए वो पैसे क़ीमती थे ,जो तुम्हारे काम आये। 
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रचनाएँ
प्रेरक कहानियाँ
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ज़िंदगी में अनेक घटनाएँ -दुर्घटनाइयें,होती हैं,ज़िंदगी जाने -अंजाने अनेक परेशानियों से गुजरती है,इस ज़िंदगी में अनेक रिश्ते भी होते हैं जिनसे हमें कुछ न कुछ सीख मिलती है,सीखने की कोई उम्र नहीं होती चाहे कोई छोटा हो या बड़ा। जीवन में हर पल कुछ न कुछ सीख या प्रेरणा मिल ही जाती है कई बार कुछ सोचने को मजबूर जाती हैं ये कहानियाँ,कई बार आईना दिखा जाती हैं,ये कहानियाँ । इन कहानियों में जीवन के अनेक रंग देखने को मिलेंगे,सही या गलत सोचने पर मजबूर हैं ये कहानियाँ!
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जड़ें

7 नवम्बर 2022
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सुरेश को पढ़ाया -लिखाया ,किसी क़ाबिल बनाने का प्रयत्न किया। वो बाहर गया तो उसे सब बहुत ही अच्छा लगा, बाहर की दुनिया इतनी खूबसूरत है, सब कुछ अच्छा लगता है। उसने अपनी पढ़ाई पूरी की और बाहर ही रहने का फैसला

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बड़ी बहु

8 नवम्बर 2022
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शर्मा जी के बड़े बेटे का विवाह बड़ी धूमधाम से हुआ ,बेटा -बहु दोनों पढ़े -लिखे।लड़की का घर -, परिवार के लोग भी बहुत ही अच्छे हैं। सुंदर होने के साथ -साथ , संस्कारी बहु मिली है ,शर्मा जी के तो जैसे भा

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अनदेखा, अनसुना

9 नवम्बर 2022
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प्रातः काल का समय था ,हल्की ठंड भी पड़ रही थी। एक महिला ,अपनी बेटी के संग ,मेरे घर के दरवाज़े पर खड़ी थी। सुबह -सुबह कौन आ गया ?मैंने थोड़ा परेशान होते हुए ,निर्मला को देखने के लिए भेजा। अब मैं

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वो रात......

10 नवम्बर 2022
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वो रात.... वो रात्रि मेरे लिए ही थी ,मेरे लिए ही तो... सभी कार्य हो रहे थे ,सभी मेरे आगे -पीछे घूम रहे थे। उस रात्रि की'' मल्लिका'' मैं ही थी ,कुछ वर्ष पहले ही तो ,मैं अपने' पापा

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दुःस्वपन

11 नवम्बर 2022
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दीप्ती अति शीघ्रता से अपनी बिल्डिंग से नीचे आती है ,और गाड़ी में बैठकर चल देती है। आज वो देर से उठी, जिस कारण उसे देरी हो रही थी। वो अपनी गाड़ी को ,अपने दफ़्तर की ओर ,तेज़ गति से दौड़ा रही थी। आज &nbs

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शापित जीवन

12 नवम्बर 2022
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शापित कोई स्थान ,व्यक्ति अथवा कोई वस्तु नहीं होती ,वरन शापित उसका अपना जीवन ही हो जाता है। जिस जीवन को, वो जी रहा है ,उस जीवन को जीते -जी ठीक से नहीं जी पाता। लोग कहते हैं -''ये जीवन अमूल्य है ''&nbsp

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हद- बेहद

14 नवम्बर 2022
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गोलियों की बौछार का सामना करते हुए, वो आगे बढ़ रहे थे। दुश्मन भी कम नहीं था ,हम उनके लोगों को मारते ,फिर भी न जाने कहाँ से और बढ़ जाते। क्या हमसे कोई खेल खेल रहे थे ?निश्चित स्थान से ,हम आगे

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मेरे साथ ही क्यों?

15 नवम्बर 2022
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बहु.......... जी माँजी ,कहते हुए ,पारुल तेज गति से उनके समीप आई। तुझसे कितनी बार कहा है ?उस बड़े कमरे की सफाई कर देना ,जब

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देर रात

17 नवम्बर 2022
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तृप्ति ,डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही थी ,मम्मी -पापा की लाड़ली ,मम्मी का सपना था कि बड़ी होकर ,तृप्ति डॉक्टर बने। वो ''दिल ''की डॉक्टर बनना ,चाह रही थी किन्तु एक समय परिस्थिति ऐसी बनी कि वो जच्चा -बच्चा

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लौटा दो!

19 नवम्बर 2022
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मानिनी'' का जब भी देखो , किसी न किसी बात पर'' मेहुल'' से झगड़ा हो ही जाता है।आज भी मेहुल बिना खाना खाये घर से निकल गया। उसने कहा भी ,कि खाना खाकर जाओ !लेकिन मेहुल ने गुस्से में उसकी किसी भी बात पर

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नई उड़ान

22 नवम्बर 2022
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रमा बड़ी बेचैनी से बार -बार मंच की तरफ देख रही थी ,फिर उठकर अंदर की तरफ चली गयी। वहाँ जाकर देखा- सब ठीक है या नहीं, तभी दीपा के कपड़ों की एक डोर खुली नज़र आई ,उसने दीपा को टोका और अपनी स

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जसोदा

24 नवम्बर 2022
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जसोदा पढ़ी -लिखी नौकरी पेशा महिला है ,माँ -बाप ने खूब चाहा कि ये पढ़े न ,और विवाह करके अपना घर बसा ले, किन्तु उसके तो सपने ही अलग थे और वो इस तरह माता -पिता के दबाव में आने वाली भी नहीं थी। उसने तो पहले

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एकांत

24 नवम्बर 2022
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सुबह के पाँच बज चुके थे ,अलार्म बजे जा रहा था। वो अभी और सोना चाहती थी ,लेकिन क्या करे ? मजबूरी है उठना तो है ही ,फिर लेट हो जाउंगी। ये विचार आते ही उसने फुर्ती से अलार्म बंद किया और एकदम

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एक मुलाकात

22 मई 2023
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आज भी वही हुआ ,जिसका डर था , वो लोग चुपचाप चले गए। नंदिनी तो चाहती थी ,कि अभी जबाब मिल जाये ,किन्तु पति ने समझाया , उन्हें अपने घर जाकर सलाह -मशवरा तो करने दो ,एक -दो दिन में जबाब दे देंगे। सुरेश जी

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वो भयानक रात

23 मई 2023
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बड़ी भयावह वो काली अंधियारी रात्रि थी। मैं उस ठंडी सुनसान काली रात्रि को चीरता चला जा रहा था। ठंड भी अपने पूरे जोरों पर थी। दोस्त ने कहा भी था, आज यहीं आराम कर ले। जब इतनी दूर से आया है तो बेटी को विदा

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मुक्ति

30 मई 2023
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मौली अपने दोस्तों संग मस्त थी ,वो अपने दोस्तों के साथ गोवा घूमने जा रही है ,इसीलिये तैयारी में लगी है ,तभी उसके फोन की घंटी बजी। मौली ने नाम देखा और मुँह बनाते हुए ,फ़ोन पर बातें करने लगी -क्या मम्मी ,

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कड़वाहट

31 मई 2023
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चित्रा, कोई भी त्यौहार हो बड़े जोर -शोर से तैयारी करती है ,अब तो उसके सुहाग का त्यौहार ''करवा चौथ ''आ रहा है। आज बाजार गयी और नये कपडे ,शृंगार का सामान ,साथ ही बच्चों के कपड़े भी ले आई .बड़े उत्साह से

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असीमित आकाश

1 जून 2023
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काम तो प्रतिदिन का है, किन्तु आज रीमा के हाथों में जैसे बिजली लगी है ,वो प्रतिदिन से अधिक फुर्ती से कार्य कर रही है ,वह शीघ्र अति शीघ्र अपना कार्य निपटाने का प्रयत्न कर रही है। हो भी क्यों न ?क्य

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तूफान

2 जून 2023
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नवलकिशोर जी के मन में ,आज 'तूफान 'मचा है ,बाहरी वातावरण भी उसके सामने कोई मायने नहीं रखता। वो बस यूँ ही चले जा रहे हैं। कुछ समझ नहीं आता ,कहाँ जाएँ ,क्या करें ? दुनिया में देखा जाये ,तो आज के समय में

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हिजाब

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मानिनी कॉलिज में आती है ,आज तरन्नुम ने आने में देर कर दी। मानिनी और तरन्नुम दोनों अच्छी दोस्त हैं। दोनों ही साथ रहती हैं , एक ही कक्षा में ,साथ ही बैठती हैं। जिस दिन एक भ नहीं आती ,दूसरी का मन नही

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गुल्लक

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रेवती अपनी सास की, बड़े मन से सेवा करती थी ,उनकी हर चीज का ध्यान रखती थी ताकि किसी भी प्रकार की उन्हें परेशानी न हो। जब उनकी स्वयं की बहु आ आयीं ,तब भी उनके सम्पूर्ण कार्य स्वयं ही करतीं। उनकी सास यान

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फर्क

7 जून 2023
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इस माह नौचंदी का मेला लगने वाला है, किन्तु किसी को क्या फ़र्क पड़ता है ? जाना तो है नहीं ,जाकर भी क्या करना ,मेले में जाने के लिए भी तो, पैसा ही चाहिए। मेला तो पैसे से है ,पैसे वाल

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घर की याद

8 जून 2023
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पुलकित आँखें खोलकर देखता है ,वो बगीचे की बेंच पर लेटा था। अब उसे सब स्मरण हो जाता है। किस तरह वो अपने मम्मी -पापा से नाराज होकर ,घर से भाग आया ? पुलकित ऐसे ही किसी छोटे -मोटे परिवार से नहीं है। उसके

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मेरे साथ ही क्यों?

10 जून 2023
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बहु.......... जी माँजी ,कहते हुए ,पारुल तेज गति से उनके समीप आई। तुझसे कितनी बार कहा है ?उस बड़े कमरे की सफाई कर देना ,जब

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टास्क

12 जून 2023
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शादी के बाद उसने ससुराल में कदम रखा ही था ,कि सास के तीखे तेवर और गर्म मिज़ाज उसे कुछ ही दिनों में पता चल गए। उसने देखा कि जिस व्यक्ति से उसका विवाह हुआ है ,वो तो कुछ बोलता ही नहीं। जो चाहता है ,बस

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अधूरापन

14 जून 2023
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सुगंधा पिता के घर में रही ,अरमान तो बहुत थे ,किन्तु पिता के सख़्त कानून के कारण ,न कहीं आना , न कहीं जाना ,इच्छाएँ ,आकाश की अनंत ,ऊंचाइयों को छूना चाहती किन्तु उसका आसमान सीमित था। कुछ तो घर का अनुशा

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मिट्टी के खिलौने

15 जून 2023
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रामदीन कुम्हार ,प्रतिदिन जोहड़ से चिकनी मिटटी लाता और उसे पैरों से रोंद्ता ,जब वो मिटटी बर्तन बनाने लायक हो जाती तो उसे चाक पर रखकर ,बड़े क़रीने से ,सुंदर -सुंदर मिटटी के बर्तन बनाता। ये उसकी कला ही नह

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भाग्य का खेल

16 जून 2023
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आज मैं अपनी डायरी को ज़िंदगी के एक पहलू कहूँ या कुछ और, किन्तु इतना मैं अवश्य जानती हूँ ,उसे हम भाग्य अथवा क़िस्मत कहते है -इनके इशारों पर ही तो ,हमारी ज़िंदगी चलती है। हम सोचते हैं -जो भी कार्य हम कर रह

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माँ

17 जून 2023
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चम्पाकली 'ताई आज बहुत प्रसन्न है क्योकि उनके दो बेटे ,दो ही बहुएं हैं किन्तु ये उनकी प्रसन्नता का कारण नहीं ,उनकी प्रसन्नता का कारण ,उनका दादी बनना है। दोनों बहुएं ही गर्भवती थीं और अब दोनों ही माँ ब

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संगीत प्रेम

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काव्या बहुत ही प्यारी बच्ची है ,मन उसका बहुत ही कोमल है ,सबसे प्रेमपूर्ण व्यवहार करती। दुश्मनी ,लड़ाई क्या होती है ?जैसे वो जानती ही नहीं ,उसे तो सभी अपने ही नजर आते ,छल -कपट से तो उसका दूर -दूर तक वास

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समुद्र तट

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कार्तिक और मोना प्रतिदिन , अपने दफ्तर से आते समय कुछ देर ,समुन्द्र के तट पर बैठकर अपनी दिनभर की थकान मिटाते। मोना जब पहली बार अपने दफ्तर में आई ,तब उसकी सबसे पहले मुलाक़ात कार्तिक से ही हुई। कार्तिक न

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दरार

23 जून 2023
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पार्वती जी ,दुखी परेशान ,अपने कमरे में आती हैं और अपने पलंग पर बैठकर ,गहरी स्वांस भरती हैं और अपनी आँखें बंद कर लेती हैं। मैं कितना भी अच्छा सोच लूँ या कर लूँ ?किन्तु इसे अपना नहीं बना सकती ,ये 'दरा

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पहाड़ी प्रेम

29 जून 2023
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ज्योति...... ओ ज्योति....... ! दूर से आती, मौसी की आवाज सुनाई दी। आई मौसी ! कहकर मैं बंसी से बोली -कल आउंगी तब खेलेंगे ,अब मौसी बुला रही है। बंसी ने हाँ में गर्दन हिलाई और मैं ,दौड़ते हुए मौसी के

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भूतों से बातचीत

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नंदिनी जैसे ही , अपनी कक्षा में पहुंची -उसने देखा ,सभी बच्चे ,तुषार की सीट के पास खड़े हैं। ये सब क्या हो रहा है ?सभी बच्चे वहाँ क्या कर रहे हैं ? नंदिनी को देखते ही ,सभी बच्चे दौड़कर अपनी -अपनी सीट पर

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पैसा

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रतनलाल जी ने कितना पैसा कमाया ? रात -दिन एक कर दिया। शानदार कोठी भी बनाई ,बच्चों को महंगे से महंगे स्कूल में पढ़ाया। सबकुछ तो उनके पास है ,किसी चीज की भी कमी नहीं ,पत्नी के पास भी जेवरों की कोई कमी नह

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गड़बड़ घोटाला

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मैं प्रतिदिन की तरह ,जब परिवार के सभी सदस्य अपने -अपने काम पर चले जाते ,तब घर की साफ -सफाई और बाहर बगीचे में पानी देना जैसे कार्य करती। एक दिन जब मैं अपने पौधों को पानी दे रही थी ,तभी मैंने देखा ,स्क

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रिश्तेदार जलते हैं!

4 जुलाई 2023
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कितनी ख़ुशी की बात है ?कीर्ति तुमने पढ़ाई पूरी करने के साथ -साथ ,तुम्हारी नौकरी भी लग गयी। एक पार्टी तो अवश्य बनती है। क्या ख़ाक पार्टी बनती है ?तुम सभी दोस्तों को ही पार्टी दूंगी ,मम्मी -पापा के लि

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कीमत, समय की

7 जुलाई 2023
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अतुल बहुत ही बिगड़ैल और अड़ियल है ,देखने में तो वो बहुत जचँता है ,उसे देखेंगे तो कह उठेंगे कि किसी बड़े घर का बेटा हो लेकिन उसका स्वभाव उसकी शक़्ल और व्यक्तित्व से बिल्कुल विपरीत है। वो न ही किसी की बात

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कीमती

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राधा जब ,मोहन से मिली ,उसे देखते ही , अपना दिल दे बैठी ,मोहन की हालत भी कुछ ऐसी ही थी। पहली बार दोनों ,राधा की सहेली के घर पर,उसकी जन्मदिन की पार्टी में ,उससे मिली। जितनी खूबसूरत राधा लग रही थी, उतना

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मृत्यु पर विजय

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पल -पल मरता है ,इंसान ! जीने की तमन्ना में ! टूटता है ,बिखरता है, जिन्दा रहने की चाह में !खो देता है ,अपनों का साथ ,जीता है स्वांसों में !स्वांसों का ही खेल है , जिन्दा रहने की आस में !कुछ लोग जी

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भूतिया हवेली

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श.... श.... श.... श.... आज आपको एक''अज़ीबो ग़रीब प्रेम की '' कहानी सुनाती हूँ। जानते हैं ,ये जो हवेली है ,ठाकुरों की है ,बहुत ही रुआब था। ठाकुर ''बलदेव सिंह '' अपने नाम की तरह ही बलवान ,बुद्धिमान और रौब

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सुरक्षा कवच

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माँ 'तुम अब यहाँ ,अकेली क्या करोगी ? अब तुम भी हमारे संग चलकर रहो !अनंत अपनी माँ से बोला। बेटा ! सम्पूर्ण ज़िंदगी इस शहर में बिता दी ,अब इधर -उधर जाकर क्या करूंगी ? जब तू छोटा था ,तब सोचा करती थी

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बदलते रंग

16 जुलाई 2023
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आज घर में खीर -पूरी ,मालपुए दो सब्ज़ियाँ और बूँदी का रायता बना है क्योंकि आज बहुओं का व्रत है ,आज के दिन सुहागन महिलायें अपने पति की लम्बी उम्र ,और अच्छे स्वास्थ के लिए पूजा करती हैं और अपने घर की बड़ी

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वो सुबह!

17 जुलाई 2023
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कितना सुहावना मौसम है ?रंजन अपने बच्चों से कहता है -चलो !आज कहीं घूमने चलते हैं। बाहर हल्की - हल्की बूंदा -बांदी हो रही थी। बच्चे खुश हो जाते हैं और दौड़कर अपनी मम्मी के पास जाते हैं। मम्मी ! पापा कह

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लडाई

19 जुलाई 2023
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श्रेया ,अपने आप से ही , कितना लड़ रही थी ? ये तो वो ही जानती है।अब तो जीवनभर संघर्ष ही करना है। पहले पढ़ाई में संघर्ष किया क्या विषय लेने हैं ,कौन सा स्कूल चुनना है ? स्कूल में भी ,प्रतिशत में नंबर लाने

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सूर्यास्त और हम

20 जुलाई 2023
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रामलाल जी के घर में ,फोन की घंटी बज रही थी ,उनके बेटे की बहु फोन उठाती है और रामलाल जी से कहती है -पापा जी !आपका फोन है। किसका है ? पूछो कौन है ?और क्या कहना चाहता है ?शिरोमणि अंकल हैं ,और आपसे

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धड़कन

21 जुलाई 2023
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पंकज हमेशा अपनी ही चलाता है , किसी की भी नहीं सुनता ,सुमित्रा जी हमेशा ,एक उम्मीद के सहारे आगे बढ़ उसका समर्थन करतीं और कहतीं -पंकज ,अभी बच्चा है ,समझदार हो जायेगा ,तब सब समझने लगेगा ,कहना भी मानेगा कि

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मेन्ढकी

22 जुलाई 2023
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गर्मी से बुरी हालत थी ,नहाते -नहाते भी पसीने आ जाते। खेती पर काम करने वाले भी खेतों से ,वापस आ गए। सभी को ,बरसात की इच्छा हो चली थी। आपस में कहते -न जाने बरसात कब होगी ?यदि शीघ्र ही बरसात नहीं हुई तो

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बरसात

23 जुलाई 2023
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बरसात का मौसम ''आते ही मन झूमने लगता है ,बारिश की ठंडी -ठंडी फुहार तन को ही नहीं ,मन को भी भिगो जाती हैं। चारों तरफ धुली -धुलि सी ,हरियाली ,लगता है जैसे ,प्रकृति ने धानी चुनर ओढ़ ली हो। बच्चों की तो बर

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एक ही गलती

25 जुलाई 2023
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सुधा खिड़की के पास बैठी ,चाय पी रही थी ,तभी उसकी बेटी ने उसे पुकारा ,मम्मी ,मैंने अपना गृहकार्य कर लिया। ठीक है ,जाओ !अब जाकर बाहर बच्चों के साथ खेल लो !ठीक है ,कहकर वो बाहर की तरफ दौड़ी ,तभी सुधा ने उस

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