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सुरक्षा कवच

14 जुलाई 2023

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माँ 'तुम अब यहाँ ,अकेली क्या करोगी ? अब तुम भी हमारे संग चलकर रहो !अनंत अपनी माँ से बोला। 

बेटा ! सम्पूर्ण ज़िंदगी इस शहर में बिता दी ,अब इधर -उधर जाकर क्या करूंगी ? जब तू छोटा था ,तब सोचा करती थी -जब मेरा बेटा पढ़ -लिख जायेगा ,तब निश्चिन्त होकर ,घूमने जाऊँगी। तू पढ़ा भी ,और साथ के साथ ही तेरी ,नौकरी भी लग गयी। कम पैसों में ही सही ,किन्तु तूने कभी कहा ही नहीं ,मम्मी मेरे साथ चलो ! 

ये बात तो ठीक नहीं है ,अनंत अपनी माँ के उलाहने से तिलमिलाया ,मैंने आपसे कहा था -मम्मी ! मेरे पास आ जाइये !

हाँ ,तब जब तेरी खाना बनानेवाली छुट्टी पर गयी हुई थी ,तब तुझे मेरी याद आई थी ,गहरी साँस लेते हुए वो बोलीं।  



कैसे भी आई ?आई तो..... किसी न किसी बहाने बुलाया तो था। 

क्या अपनों को बुलाने के लिये ,बहानों की आवश्यकता पड़ती है ? मैं कोई तेरी रिश्तेदार नहीं ,जो मुझे बुलाकर तू ,मुझ पर एहसान कर रहा था। मैं तेरी माँ हूँ , माँ को बुलाने का क्या एहसान ?वो तो उसका अधिकार होता है ,अपने बेटे की नौकरी पर जाकर ,अपने को ख़ुशनसीब समझती है। किन्तु पता नहीं, आजकल की शिक्षा से क्या सीख़ रहे हैं ? सौदेबाज़ी ! भावनाएं तो जैसे रह ही नहीं गयी है ,तू जब छोटा था ,तू तब भी ऐसी ,हरकतें कर जाता था ,किन्तु मैं सोचती थी ,बड़ा होगा ,अपने आप ही समझदार हो जायेगा किन्तु तू बिल्कुल नहीं बदला ,कहकर वो एकदम शांत हो गईं। 

ये आपका आख़िरी फैसला है ,अनंत ने पूछा ,उन्होंने हाँ में गर्दन हिला दी। अनंत को अपनी माँ की ज़िद पर क्रोध तो बड़ा आया ,पर क्या कर सकते थे ?वो तो कुछ भी सुनने को तैयार नहीं ,अपनी पत्नी से बोला -डेज़ी !अपना सामान बांधो ! इन्हें तो किसी की सुननी नहीं है।अगले दिन दोनों पति -पत्नी अपना सामान लेकर घर से निकले ,चलते समय अनंत ने न ही माँ के पैर छुए ,न ही उसकी पत्नी ने ,आकर बोला - रहो !यहाँ अकेले..... कहकर ,वो टैक्सी में बैठकर चला गया। अपने बेटे के इस व्यवहार से वो बेहद आहत हुईं ,उसकी गाड़ी को जाते हुए ,खड़ी हुईं ,देर तक देखतीं रहीं ,जब तक कि वो आँखों से ओझल नहीं हो गई। घर के अंदर जाने का मन नहीं कर रहा था ,उन्हें ड़र लग रहा था ,इस सूने घर में वो अकेलीं कैसे रहेंगी ? कुछ दिन बच्चे साथ रहे थो इस घर में रौनक सी लग रही थी किन्तु अब वो अकेली..... सोचकर ही रुलाई फूट पड़ी। अंदर गयीं और बिस्तर पर लेटकर देर तक रोती रहीं। 

थोड़ा मन शांत हुआ ,जो गुबार भरा था वो निकलना भी तो जरूरी था। उन्हें अपने बेटे की रात्रि वाली बातें स्मरण हो आईं ,उनका बेटा अपनी पत्नी से कह रहा था -मम्मी को भी अपने साथ ले चलते हैं ,यहाँ अकेली रहकर क्या करेंगी ?

देखो !मुझे ,तुम्हारी मम्मी की सेवा नहीं होने वाली है ,यदि तुम ये सोचकर ,ले चल रहे हो तो किसी भी तरह की गलतफ़हमी में मत रहना। 

यहाँ से लेकर तो चलते हैं ,वहां जाकर देखेंगे ,क्या करना है ? ज्यादा परेशानी हुई तो, वृधाश्रम हैं हीं ,अभी इन्हें यहाँ से लेकर नहीं गए ,तब ये मकान कैसे बेचेंगे ?जब ये मकान खाली होगा ,तभी तो बिकेगा मैंने एक 'प्रॉपर्टी डीलर 'से बात कर ली है। हम लोग तो वहाँ रहेंगे ,तब इसका क्या करना है ?इसको बेचकर और अपने छोटे फ्लैट को बेचकर ,बड़ा सा घर या बड़ा फ्लैट ले लेंगे। उन्हें इस बात से कितनी ठेस पहुंची थी ?बेटे के मन में ,उनका या इस घर का कोई महत्व ही नहीं है ,जब पैदा करने वाले माता -पिता का ही उनकी ज़िंदगी महत्व नहीं रहा ,तब उनकी बनाई चीज से कैसे ,लगाव की उम्मीद कर सकते हैं ?उसके हिसाब से तो उसके माता -पिता की जमीन -जायदाद पर उसका पैदाइशी हक़ है। वो तो अच्छा हुआ ,उन्होंने ये मकान मेरे नाम पर ही किया ,जबकि मैंने मना किया था -मैं कहाँ ,इस घर को' छाती पर रखकर ले जाउंगी ',आप इसे अनंत के नाम कर दीजिये। 

नहीं ,उन्होंने इंकार कर दिया -कोई भी ,व्यक्ति मरने के पश्चात ,सब यहीं छोड़कर जाता है किन्तु कल को मैं न रहा तो ,तुम्हारे सर पर छत तो रहेगी ,उम्र के एक पड़ाव पर आकर अपना ''सुरक्षा कवच ''बनाना भी आवश्यक है। 

मैं कुछ समझी नहीं। 

इसमें समझने वाली बात कुछ भी नहीं ,हमारे बच्चे अच्छे निकलते हैं ,हमारी सेवा करते हैं ,या हमारे साथ रहते हैं ,ये हमारी खुशनसीबी है किन्तु बच्चों के सामने गिड़गिड़ाना न पड़े ,उन पर हम बोझ न बन जाएँ ,ये असुरक्षा की भावना ही हमें सतर्क रहने को कहती है। 

कितने अरमानों से उन्होंने ये घर बनवाया था ?बेटे को बस कमाने की चिंता होगी ,घर तो बना बनाया है ही और इस घर में तुम भी अपने को सुरक्षित महसूस करोगी। आज उनकी बात सही निकली ,आज ये घर ही मेरे लिए ''सुरक्षा कवच ''बन गया। हालाँकि मैं आज उनके बिना अकेली रह गयी हूँ किन्तु इस घर में मैं , अपने को सुरक्षित महसूस कर रही हूँ ,ऐसा लगता है ,वो आज भी मेरे साथ हैं। यदि वो ऐसा न सोचते ,तो आज पता नहीं ,मेरा क्या होता ?न जाने किस वृधाश्रम की शोभा बढ़ा रही होती ?

कुछ दिन अकेलापन खलता रहा तब उन्होंने ,अपने पड़ोसियों से ,रिश्तेदारों से भी सम्पर्क बनाये रखा ,ये भी उनका एक सुरक्षा का घेरा था ,यदि वो फोन नहीं करतीं तो वो लोग कर देते।

 आज अचानक तबियत कुछ ज्यादा ही बिगड़ गयी ,बेटे को गए हुए सात साल हो गए ,एक बार भी फोन नहीं किया ,एक बार भी नहीं सोचा ,फोन करके ही पूछ लूँ - मम्मी आप कैसी है ?किन्तु आज उनका दिल अपने बेटे से मिलने को कर रहा था। उसे फोन किया -उसने उठाया भी...... बताइये क्या कहना चाहतीं हैं ,आप !

कुछ नहीं ,तेरी आवाज सुनना चाहती थी। 

बस ,इसीलिए फोन किया ,कहना तो वो बहुत कुछ चाहती थीं किन्तु उसके रूखे व्यवहार के कारण ,बस यही शब्द ही निकले। 



अब सुन ली ,मेरी आवाज़ ! अब रखूं , मुझे बहुत काम है ,कहकर उसने फोन रख दिया। आज पता नहीं ,मन इतना बेचैन क्यों हो रहा है ?ऐसा दिल कर रहा था ,बेटे को गले से लगाकर ,मन हल्का कर लूँ ,उसकी जितनी भी शिकायतें हैं ,दूर कर दूँ किन्तु उसके पास तो अपनी माँ के लिए समय ही नहीं था ,उसका स्वभाव बचपन से ही ऐसा है ,बड़े -बड़े सपने देखता था ,बड़ी गाड़ियों में घूमना, विदेश जाना ,उसके सपनों में कभी उसके माता -पिता थे ही नहीं। उस घर को देखते हुए ,सोचती हैं ,आज उनका ये ''सुरक्षा कवच ''मेरी सुरक्षा तो कर रहा है ,किन्तु जिस भावनात्मक सहारे की आज आवश्यकता महसूस हो रही है ,वे संवेदनाएँ कहाँ से लाऊँ ?आज आपकी यादों का ही तो सहारा है ,जब अपना तन ही साथ नही देता ,तब किसी से क्या गिला ? बहुत देर तक इसी तरह भूखी -प्यासी पड़ी रहीं ,आज किरायेदार भी नहीं है ,छुट्टी पर अपने गांव गया है। कितने अरमानों से जमीन खरीदी थी ? कहते थे -रचना ! यहाँ हमारा ''सपनों का महल होगा ''जिसमें हमारा प्यारा सा हँसता -खेलता परिवार रहेगा ,न जाने कितनी यादें मानस पटल में घूम गयीं ? तब लगा ,वो कह रहे हैं -रचना ! मैं तुम्हारा इंतजार कर रहा हूँ ,आ जाओ !

अपने पति का हाथ पकड़कर आज वो ,इस 'सुरक्षा कवच 'से बाहर आती हैं ,वो आसमान की सैर पर निकल जाती हैं ,अब वो सम्पूर्ण वेदनाओं से मुक्त थीं। ''गरीब की मौत सबको दिख जाती है ,और उसके प्रति संवेदनाएं भी होती हैं किन्तु ऐसे अमीर जो घर की चाहरदीवारी में दम तोड़ देते हैं ,वो अपनों की संवेदनाओं के लिए ही तरस जाते हैं।'' 

दरवाजा खोलिये !आंटीजी ! बहुत देर से सुभाष दरवाजा खटखटा रहा था ,मौहल्ले वाले भी आ गए ,बहुत देर तक जब दरवाजा नहीं खुला ,तब किसी अनहोनी की आशंका से दरवाजा तोडा गया। देखा तो ,रचनाजी अपने परिवार की फोटो सीने से लगाकर ,गहन निद्रा में सो चुकी हैं। न जाने कितने दिन हो गए ?कोई नहीं जानता.....    
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रचनाएँ
प्रेरक कहानियाँ
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ज़िंदगी में अनेक घटनाएँ -दुर्घटनाइयें,होती हैं,ज़िंदगी जाने -अंजाने अनेक परेशानियों से गुजरती है,इस ज़िंदगी में अनेक रिश्ते भी होते हैं जिनसे हमें कुछ न कुछ सीख मिलती है,सीखने की कोई उम्र नहीं होती चाहे कोई छोटा हो या बड़ा। जीवन में हर पल कुछ न कुछ सीख या प्रेरणा मिल ही जाती है कई बार कुछ सोचने को मजबूर जाती हैं ये कहानियाँ,कई बार आईना दिखा जाती हैं,ये कहानियाँ । इन कहानियों में जीवन के अनेक रंग देखने को मिलेंगे,सही या गलत सोचने पर मजबूर हैं ये कहानियाँ!
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जड़ें

7 नवम्बर 2022
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सुरेश को पढ़ाया -लिखाया ,किसी क़ाबिल बनाने का प्रयत्न किया। वो बाहर गया तो उसे सब बहुत ही अच्छा लगा, बाहर की दुनिया इतनी खूबसूरत है, सब कुछ अच्छा लगता है। उसने अपनी पढ़ाई पूरी की और बाहर ही रहने का फैसला

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बड़ी बहु

8 नवम्बर 2022
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शर्मा जी के बड़े बेटे का विवाह बड़ी धूमधाम से हुआ ,बेटा -बहु दोनों पढ़े -लिखे।लड़की का घर -, परिवार के लोग भी बहुत ही अच्छे हैं। सुंदर होने के साथ -साथ , संस्कारी बहु मिली है ,शर्मा जी के तो जैसे भा

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अनदेखा, अनसुना

9 नवम्बर 2022
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प्रातः काल का समय था ,हल्की ठंड भी पड़ रही थी। एक महिला ,अपनी बेटी के संग ,मेरे घर के दरवाज़े पर खड़ी थी। सुबह -सुबह कौन आ गया ?मैंने थोड़ा परेशान होते हुए ,निर्मला को देखने के लिए भेजा। अब मैं

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वो रात......

10 नवम्बर 2022
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वो रात.... वो रात्रि मेरे लिए ही थी ,मेरे लिए ही तो... सभी कार्य हो रहे थे ,सभी मेरे आगे -पीछे घूम रहे थे। उस रात्रि की'' मल्लिका'' मैं ही थी ,कुछ वर्ष पहले ही तो ,मैं अपने' पापा

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दुःस्वपन

11 नवम्बर 2022
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दीप्ती अति शीघ्रता से अपनी बिल्डिंग से नीचे आती है ,और गाड़ी में बैठकर चल देती है। आज वो देर से उठी, जिस कारण उसे देरी हो रही थी। वो अपनी गाड़ी को ,अपने दफ़्तर की ओर ,तेज़ गति से दौड़ा रही थी। आज &nbs

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शापित जीवन

12 नवम्बर 2022
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शापित कोई स्थान ,व्यक्ति अथवा कोई वस्तु नहीं होती ,वरन शापित उसका अपना जीवन ही हो जाता है। जिस जीवन को, वो जी रहा है ,उस जीवन को जीते -जी ठीक से नहीं जी पाता। लोग कहते हैं -''ये जीवन अमूल्य है ''&nbsp

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हद- बेहद

14 नवम्बर 2022
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गोलियों की बौछार का सामना करते हुए, वो आगे बढ़ रहे थे। दुश्मन भी कम नहीं था ,हम उनके लोगों को मारते ,फिर भी न जाने कहाँ से और बढ़ जाते। क्या हमसे कोई खेल खेल रहे थे ?निश्चित स्थान से ,हम आगे

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मेरे साथ ही क्यों?

15 नवम्बर 2022
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बहु.......... जी माँजी ,कहते हुए ,पारुल तेज गति से उनके समीप आई। तुझसे कितनी बार कहा है ?उस बड़े कमरे की सफाई कर देना ,जब

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देर रात

17 नवम्बर 2022
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तृप्ति ,डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही थी ,मम्मी -पापा की लाड़ली ,मम्मी का सपना था कि बड़ी होकर ,तृप्ति डॉक्टर बने। वो ''दिल ''की डॉक्टर बनना ,चाह रही थी किन्तु एक समय परिस्थिति ऐसी बनी कि वो जच्चा -बच्चा

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लौटा दो!

19 नवम्बर 2022
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मानिनी'' का जब भी देखो , किसी न किसी बात पर'' मेहुल'' से झगड़ा हो ही जाता है।आज भी मेहुल बिना खाना खाये घर से निकल गया। उसने कहा भी ,कि खाना खाकर जाओ !लेकिन मेहुल ने गुस्से में उसकी किसी भी बात पर

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नई उड़ान

22 नवम्बर 2022
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रमा बड़ी बेचैनी से बार -बार मंच की तरफ देख रही थी ,फिर उठकर अंदर की तरफ चली गयी। वहाँ जाकर देखा- सब ठीक है या नहीं, तभी दीपा के कपड़ों की एक डोर खुली नज़र आई ,उसने दीपा को टोका और अपनी स

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जसोदा

24 नवम्बर 2022
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जसोदा पढ़ी -लिखी नौकरी पेशा महिला है ,माँ -बाप ने खूब चाहा कि ये पढ़े न ,और विवाह करके अपना घर बसा ले, किन्तु उसके तो सपने ही अलग थे और वो इस तरह माता -पिता के दबाव में आने वाली भी नहीं थी। उसने तो पहले

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एकांत

24 नवम्बर 2022
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सुबह के पाँच बज चुके थे ,अलार्म बजे जा रहा था। वो अभी और सोना चाहती थी ,लेकिन क्या करे ? मजबूरी है उठना तो है ही ,फिर लेट हो जाउंगी। ये विचार आते ही उसने फुर्ती से अलार्म बंद किया और एकदम

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एक मुलाकात

22 मई 2023
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आज भी वही हुआ ,जिसका डर था , वो लोग चुपचाप चले गए। नंदिनी तो चाहती थी ,कि अभी जबाब मिल जाये ,किन्तु पति ने समझाया , उन्हें अपने घर जाकर सलाह -मशवरा तो करने दो ,एक -दो दिन में जबाब दे देंगे। सुरेश जी

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वो भयानक रात

23 मई 2023
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बड़ी भयावह वो काली अंधियारी रात्रि थी। मैं उस ठंडी सुनसान काली रात्रि को चीरता चला जा रहा था। ठंड भी अपने पूरे जोरों पर थी। दोस्त ने कहा भी था, आज यहीं आराम कर ले। जब इतनी दूर से आया है तो बेटी को विदा

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मुक्ति

30 मई 2023
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मौली अपने दोस्तों संग मस्त थी ,वो अपने दोस्तों के साथ गोवा घूमने जा रही है ,इसीलिये तैयारी में लगी है ,तभी उसके फोन की घंटी बजी। मौली ने नाम देखा और मुँह बनाते हुए ,फ़ोन पर बातें करने लगी -क्या मम्मी ,

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कड़वाहट

31 मई 2023
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चित्रा, कोई भी त्यौहार हो बड़े जोर -शोर से तैयारी करती है ,अब तो उसके सुहाग का त्यौहार ''करवा चौथ ''आ रहा है। आज बाजार गयी और नये कपडे ,शृंगार का सामान ,साथ ही बच्चों के कपड़े भी ले आई .बड़े उत्साह से

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असीमित आकाश

1 जून 2023
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काम तो प्रतिदिन का है, किन्तु आज रीमा के हाथों में जैसे बिजली लगी है ,वो प्रतिदिन से अधिक फुर्ती से कार्य कर रही है ,वह शीघ्र अति शीघ्र अपना कार्य निपटाने का प्रयत्न कर रही है। हो भी क्यों न ?क्य

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तूफान

2 जून 2023
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नवलकिशोर जी के मन में ,आज 'तूफान 'मचा है ,बाहरी वातावरण भी उसके सामने कोई मायने नहीं रखता। वो बस यूँ ही चले जा रहे हैं। कुछ समझ नहीं आता ,कहाँ जाएँ ,क्या करें ? दुनिया में देखा जाये ,तो आज के समय में

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हिजाब

3 जून 2023
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मानिनी कॉलिज में आती है ,आज तरन्नुम ने आने में देर कर दी। मानिनी और तरन्नुम दोनों अच्छी दोस्त हैं। दोनों ही साथ रहती हैं , एक ही कक्षा में ,साथ ही बैठती हैं। जिस दिन एक भ नहीं आती ,दूसरी का मन नही

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गुल्लक

4 जून 2023
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रेवती अपनी सास की, बड़े मन से सेवा करती थी ,उनकी हर चीज का ध्यान रखती थी ताकि किसी भी प्रकार की उन्हें परेशानी न हो। जब उनकी स्वयं की बहु आ आयीं ,तब भी उनके सम्पूर्ण कार्य स्वयं ही करतीं। उनकी सास यान

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फर्क

7 जून 2023
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इस माह नौचंदी का मेला लगने वाला है, किन्तु किसी को क्या फ़र्क पड़ता है ? जाना तो है नहीं ,जाकर भी क्या करना ,मेले में जाने के लिए भी तो, पैसा ही चाहिए। मेला तो पैसे से है ,पैसे वाल

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घर की याद

8 जून 2023
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पुलकित आँखें खोलकर देखता है ,वो बगीचे की बेंच पर लेटा था। अब उसे सब स्मरण हो जाता है। किस तरह वो अपने मम्मी -पापा से नाराज होकर ,घर से भाग आया ? पुलकित ऐसे ही किसी छोटे -मोटे परिवार से नहीं है। उसके

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मेरे साथ ही क्यों?

10 जून 2023
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बहु.......... जी माँजी ,कहते हुए ,पारुल तेज गति से उनके समीप आई। तुझसे कितनी बार कहा है ?उस बड़े कमरे की सफाई कर देना ,जब

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टास्क

12 जून 2023
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शादी के बाद उसने ससुराल में कदम रखा ही था ,कि सास के तीखे तेवर और गर्म मिज़ाज उसे कुछ ही दिनों में पता चल गए। उसने देखा कि जिस व्यक्ति से उसका विवाह हुआ है ,वो तो कुछ बोलता ही नहीं। जो चाहता है ,बस

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अधूरापन

14 जून 2023
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सुगंधा पिता के घर में रही ,अरमान तो बहुत थे ,किन्तु पिता के सख़्त कानून के कारण ,न कहीं आना , न कहीं जाना ,इच्छाएँ ,आकाश की अनंत ,ऊंचाइयों को छूना चाहती किन्तु उसका आसमान सीमित था। कुछ तो घर का अनुशा

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मिट्टी के खिलौने

15 जून 2023
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रामदीन कुम्हार ,प्रतिदिन जोहड़ से चिकनी मिटटी लाता और उसे पैरों से रोंद्ता ,जब वो मिटटी बर्तन बनाने लायक हो जाती तो उसे चाक पर रखकर ,बड़े क़रीने से ,सुंदर -सुंदर मिटटी के बर्तन बनाता। ये उसकी कला ही नह

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भाग्य का खेल

16 जून 2023
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आज मैं अपनी डायरी को ज़िंदगी के एक पहलू कहूँ या कुछ और, किन्तु इतना मैं अवश्य जानती हूँ ,उसे हम भाग्य अथवा क़िस्मत कहते है -इनके इशारों पर ही तो ,हमारी ज़िंदगी चलती है। हम सोचते हैं -जो भी कार्य हम कर रह

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माँ

17 जून 2023
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चम्पाकली 'ताई आज बहुत प्रसन्न है क्योकि उनके दो बेटे ,दो ही बहुएं हैं किन्तु ये उनकी प्रसन्नता का कारण नहीं ,उनकी प्रसन्नता का कारण ,उनका दादी बनना है। दोनों बहुएं ही गर्भवती थीं और अब दोनों ही माँ ब

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संगीत प्रेम

20 जून 2023
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काव्या बहुत ही प्यारी बच्ची है ,मन उसका बहुत ही कोमल है ,सबसे प्रेमपूर्ण व्यवहार करती। दुश्मनी ,लड़ाई क्या होती है ?जैसे वो जानती ही नहीं ,उसे तो सभी अपने ही नजर आते ,छल -कपट से तो उसका दूर -दूर तक वास

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समुद्र तट

22 जून 2023
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कार्तिक और मोना प्रतिदिन , अपने दफ्तर से आते समय कुछ देर ,समुन्द्र के तट पर बैठकर अपनी दिनभर की थकान मिटाते। मोना जब पहली बार अपने दफ्तर में आई ,तब उसकी सबसे पहले मुलाक़ात कार्तिक से ही हुई। कार्तिक न

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दरार

23 जून 2023
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पार्वती जी ,दुखी परेशान ,अपने कमरे में आती हैं और अपने पलंग पर बैठकर ,गहरी स्वांस भरती हैं और अपनी आँखें बंद कर लेती हैं। मैं कितना भी अच्छा सोच लूँ या कर लूँ ?किन्तु इसे अपना नहीं बना सकती ,ये 'दरा

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पहाड़ी प्रेम

29 जून 2023
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ज्योति...... ओ ज्योति....... ! दूर से आती, मौसी की आवाज सुनाई दी। आई मौसी ! कहकर मैं बंसी से बोली -कल आउंगी तब खेलेंगे ,अब मौसी बुला रही है। बंसी ने हाँ में गर्दन हिलाई और मैं ,दौड़ते हुए मौसी के

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भूतों से बातचीत

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नंदिनी जैसे ही , अपनी कक्षा में पहुंची -उसने देखा ,सभी बच्चे ,तुषार की सीट के पास खड़े हैं। ये सब क्या हो रहा है ?सभी बच्चे वहाँ क्या कर रहे हैं ? नंदिनी को देखते ही ,सभी बच्चे दौड़कर अपनी -अपनी सीट पर

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पैसा

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रतनलाल जी ने कितना पैसा कमाया ? रात -दिन एक कर दिया। शानदार कोठी भी बनाई ,बच्चों को महंगे से महंगे स्कूल में पढ़ाया। सबकुछ तो उनके पास है ,किसी चीज की भी कमी नहीं ,पत्नी के पास भी जेवरों की कोई कमी नह

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गड़बड़ घोटाला

3 जुलाई 2023
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मैं प्रतिदिन की तरह ,जब परिवार के सभी सदस्य अपने -अपने काम पर चले जाते ,तब घर की साफ -सफाई और बाहर बगीचे में पानी देना जैसे कार्य करती। एक दिन जब मैं अपने पौधों को पानी दे रही थी ,तभी मैंने देखा ,स्क

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रिश्तेदार जलते हैं!

4 जुलाई 2023
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कितनी ख़ुशी की बात है ?कीर्ति तुमने पढ़ाई पूरी करने के साथ -साथ ,तुम्हारी नौकरी भी लग गयी। एक पार्टी तो अवश्य बनती है। क्या ख़ाक पार्टी बनती है ?तुम सभी दोस्तों को ही पार्टी दूंगी ,मम्मी -पापा के लि

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कीमत, समय की

7 जुलाई 2023
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अतुल बहुत ही बिगड़ैल और अड़ियल है ,देखने में तो वो बहुत जचँता है ,उसे देखेंगे तो कह उठेंगे कि किसी बड़े घर का बेटा हो लेकिन उसका स्वभाव उसकी शक़्ल और व्यक्तित्व से बिल्कुल विपरीत है। वो न ही किसी की बात

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कीमती

9 जुलाई 2023
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राधा जब ,मोहन से मिली ,उसे देखते ही , अपना दिल दे बैठी ,मोहन की हालत भी कुछ ऐसी ही थी। पहली बार दोनों ,राधा की सहेली के घर पर,उसकी जन्मदिन की पार्टी में ,उससे मिली। जितनी खूबसूरत राधा लग रही थी, उतना

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मृत्यु पर विजय

10 जुलाई 2023
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पल -पल मरता है ,इंसान ! जीने की तमन्ना में ! टूटता है ,बिखरता है, जिन्दा रहने की चाह में !खो देता है ,अपनों का साथ ,जीता है स्वांसों में !स्वांसों का ही खेल है , जिन्दा रहने की आस में !कुछ लोग जी

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भूतिया हवेली

12 जुलाई 2023
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श.... श.... श.... श.... आज आपको एक''अज़ीबो ग़रीब प्रेम की '' कहानी सुनाती हूँ। जानते हैं ,ये जो हवेली है ,ठाकुरों की है ,बहुत ही रुआब था। ठाकुर ''बलदेव सिंह '' अपने नाम की तरह ही बलवान ,बुद्धिमान और रौब

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सुरक्षा कवच

14 जुलाई 2023
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माँ 'तुम अब यहाँ ,अकेली क्या करोगी ? अब तुम भी हमारे संग चलकर रहो !अनंत अपनी माँ से बोला। बेटा ! सम्पूर्ण ज़िंदगी इस शहर में बिता दी ,अब इधर -उधर जाकर क्या करूंगी ? जब तू छोटा था ,तब सोचा करती थी

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बदलते रंग

16 जुलाई 2023
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आज घर में खीर -पूरी ,मालपुए दो सब्ज़ियाँ और बूँदी का रायता बना है क्योंकि आज बहुओं का व्रत है ,आज के दिन सुहागन महिलायें अपने पति की लम्बी उम्र ,और अच्छे स्वास्थ के लिए पूजा करती हैं और अपने घर की बड़ी

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वो सुबह!

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कितना सुहावना मौसम है ?रंजन अपने बच्चों से कहता है -चलो !आज कहीं घूमने चलते हैं। बाहर हल्की - हल्की बूंदा -बांदी हो रही थी। बच्चे खुश हो जाते हैं और दौड़कर अपनी मम्मी के पास जाते हैं। मम्मी ! पापा कह

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लडाई

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श्रेया ,अपने आप से ही , कितना लड़ रही थी ? ये तो वो ही जानती है।अब तो जीवनभर संघर्ष ही करना है। पहले पढ़ाई में संघर्ष किया क्या विषय लेने हैं ,कौन सा स्कूल चुनना है ? स्कूल में भी ,प्रतिशत में नंबर लाने

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सूर्यास्त और हम

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रामलाल जी के घर में ,फोन की घंटी बज रही थी ,उनके बेटे की बहु फोन उठाती है और रामलाल जी से कहती है -पापा जी !आपका फोन है। किसका है ? पूछो कौन है ?और क्या कहना चाहता है ?शिरोमणि अंकल हैं ,और आपसे

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धड़कन

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पंकज हमेशा अपनी ही चलाता है , किसी की भी नहीं सुनता ,सुमित्रा जी हमेशा ,एक उम्मीद के सहारे आगे बढ़ उसका समर्थन करतीं और कहतीं -पंकज ,अभी बच्चा है ,समझदार हो जायेगा ,तब सब समझने लगेगा ,कहना भी मानेगा कि

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मेन्ढकी

22 जुलाई 2023
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गर्मी से बुरी हालत थी ,नहाते -नहाते भी पसीने आ जाते। खेती पर काम करने वाले भी खेतों से ,वापस आ गए। सभी को ,बरसात की इच्छा हो चली थी। आपस में कहते -न जाने बरसात कब होगी ?यदि शीघ्र ही बरसात नहीं हुई तो

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बरसात

23 जुलाई 2023
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बरसात का मौसम ''आते ही मन झूमने लगता है ,बारिश की ठंडी -ठंडी फुहार तन को ही नहीं ,मन को भी भिगो जाती हैं। चारों तरफ धुली -धुलि सी ,हरियाली ,लगता है जैसे ,प्रकृति ने धानी चुनर ओढ़ ली हो। बच्चों की तो बर

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एक ही गलती

25 जुलाई 2023
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सुधा खिड़की के पास बैठी ,चाय पी रही थी ,तभी उसकी बेटी ने उसे पुकारा ,मम्मी ,मैंने अपना गृहकार्य कर लिया। ठीक है ,जाओ !अब जाकर बाहर बच्चों के साथ खेल लो !ठीक है ,कहकर वो बाहर की तरफ दौड़ी ,तभी सुधा ने उस

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