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घर की याद

8 जून 2023

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पुलकित आँखें खोलकर देखता है ,वो बगीचे की बेंच पर लेटा था। अब उसे सब स्मरण हो जाता है। किस तरह वो अपने मम्मी -पापा से नाराज होकर ,घर से भाग आया ? पुलकित ऐसे ही किसी छोटे -मोटे परिवार से नहीं है। उसके पापा बहुत बड़े व्यापारी हैं ,बड़े से विद्यालय में उसको पढ़ाया। उसके दोस्त उसके साथ कभी बाहर घूमने जाते ,वो उनके जन्मदिन पर महंगे से महंगे उपहार देता। वो हमेशा दोस्तों से घिरा रहता। उसका अहंकार दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा था। कोई उसे कुछ कह भी देता तो उसकी बेइज्जती हो जाती। 



माता -पिता सोचते रहे ,अभी बच्चा है ,अब ये चीजें उसकी दिनचर्या में शामिल होने लगीं। उम्र के साथ उसके शौक भी बढ़ गए उसकी ज़िद भी बढ़ने लगी। बात -बात में उसकी दोस्तों के सामने बेइज्जती हो जाती। नौकरों को तो वो जैसे कुछ समझता ही नहीं था। उसकी मम्मी की नजरों से उसकी हरकतें छुपी नहीं थीं ,वो अक्सर अपने पति से ,पुलकित की हरकतों के विषय में बात करना चाहतीं थीं किन्तु उन्हें तो किसी बात पर ध्यान ही नहीं देना था। कभी कहते- बच्चा है ,जैसे -जैसे समझदार होगा ,अच्छा -बुरा ,सही -गलत सब समझने लगेगा। 

पुलकित तो उम्र के साथ ,समझदार होने की बजाय बिगड़ता जा रहा था और उसके बिगड़े हुए दोस्तों की टोली उसके संग रहती। वो तो अपने को जैसे ,किसी सल्तनत का बादशाह समझता। कभी उसकी मम्मी उसे डांटती भी तो ध्यान नहीं देता और उसके दोस्तों के सामने डांट दिया तो उसकी बेइज्जती हो जाती। एक दिन तो हद ही हो गयी ,उसके दोस्त का जन्मदिन था और आज वो पहली बार शराब पीकर घर में आया ,आया तो आया उसने अपने से उम्र में कहीं ज्यादा बड़े नौकर को पीट भी दिया।

 आज तो उसकी मम्मी से बर्दाश्त नहीं हुआ और उसकी जमकर पिटाई भी कर दी। उन्होंने कहा -ये तुम्हारे पापा की मेहनत की कमाई है ,इसको ऐसे बर्बाद नहीं होने दूंगी। 

वो भी कहाँ मानने वाला था ?पलटकर जबाब दिया- ये घर मेरे पापा का भी है ,और इस घर पर मेरा भी अधिकार है। उसको इस तरह अपनी माँ से जबान लड़ते देख ,उसके पापा को बेहद दुःख हुआ और बोले -मैं तो समझता था तुम अभी बच्चे हो ,धीरे -धीरे समझदार हो जाओगे किन्तु आज तुम्हारा ये व्यवहार देखकर मुझे बहुत दुःख हुआ। जो माँ रात -दिन तुम्हारी चिंता में घुली जाती है ,उसके प्रति तुम्हारे मन में कुछ भी सम्मान नहीं ,जो अपनी माँ की इज्ज़त न कर सका उसका मेरे घर और मेरे जीवन में कोई महत्व नहीं। 

पापा की बात सुनकर ,पुलकित भी तैश में आ गया और बोला -मुझे भी ऐसे माता -पिता के साथ नहीं रहना जो बात -बात में टोका -टाकी करते हैं। सा.......ला...... मेरी अपनी ज़िंदगी जैसे कुछ है ही नहीं। ऐसे माता -पिता से तो मैं अनाथ हो जाता और अपना सामान बांधने लगा -अब मैं यहाँ नहीं रहूँगा ,चला जाऊँगा। तुम रखो अपने पैसों को ,पैसों की धौंस दिखाते है। रखो अपने पैसों को ,अपने पास कहकर वो अपना बैग लेकर बाहर निकल गया। 

चलते समय माँ ,ने रोका भी ,तब बोला -आपकी वजह से तो जा रहा हूँ ,पहले तो पापा को सिखा दिया और अब हमदर्दी जताने आ रही हैं। तब उसके पापा ने, उन्हें भी रोक दिया। वो शराब के नशे में ,बाहर तो आ गया किन्तु अब इतनी रात्रि को जाये तो कहाँ ?तभी उसे अपने एक दोस्त का स्मरण हुआ ,वो उसके घर की तरफ चल पड़ा। जब उसने आवाज़ दी -तब उसकी बहन बाहर आई और उसे देखकर अंदर गयी और बोली -भाई ,तेरा कोई शराबी दोस्त बाहर खड़ा है ,ये बात पुलकित ने भी सुन ली और वो वहाँ से उल्टे पैर वापस हो लिया। 

दूसरे दोस्त के यहां गया ,तब उसने सुना उसकी माँ डांट और समझा रही थी -ऐसे बिगड़े हुए ,तेरे दोस्त हैं ,ये यहां इस समय क्या करने आया है ?

जब उसने बताया कि इसका अपने घरवालों से झगड़ा हो गया है ,तब बोलीं -अब तो इसे लिटा ले किन्तु सुबह होते ही बाहर कर देना ,मुझे नहीं पता था कि तेरे ऐसे बिगड़े हुए दोस्त हैं ,जो अपने परिवारवालों का न हुआ वो और किसी का क्या होगा ?

पुलकित को उन माँ -बेटों की बातें सुनकर ,उसे पता चल गया -कि तेरी इन लोगों के दिमाग में कितनी इज्जत है ?ये दोस्त भी सिर्फ़ मेरे पापा की मेहनत के पैसों के कारण ही दोस्त बने हैं ,वैसे इनके दिमाग में ,कोई उसका कोई मूल्य नहीं। वो बाहर किसी बगीचे में लेट गया ,पहले तो वहां के चौकीदार ने उसे भगा दिया था किन्तु जब उसका चेहरा देखा तब बोला -आप तो मेहता साहब के बेटे हैं ,आज इस तरह क्यों ?उसको इस तरह प्रेम से बोलते सुन पुलकित की आँखों में आंसूं आ गए ,आज उसने बेइज्जती के सिवा कुछ नहीं देखा और सुना। 

तब वो चौकीदार बोला -आप तो उनके इकलौते बेटे हो ,इस तरह क्यों आ गए ?तुमने सोचा है -जिस बेटे के लिए वो इतनी मेहनत कर रहे हैं ,उसे एक ज़िम्मेदार और आदर्श नागरिक बनाना चाहते हैं और वो आज इस तरह क्रोध में उन्हें अकेला छोड़कर आ गया। ये भी सोचा है -उन पर क्या बीत रही होगी ?जिनका जवान बेटा रात में घर से बाहर भटक रहा है। 

उनके प्रति पुलकित के मन में अब भी क्रोध था ,मन ही मन बुदबुदाया -उन पर क्या बीत रही होगी ?वो तो आराम से सो रहे होंगे ,मैं यहाँ भटकता फिर रहा हूँ। अगर उन्हें प्रेम होता तो इस तरह निकालते ही क्यों ?उसे चुप देखकर चौकीदार बोला -अब तुम यहां सो जाओ ! किन्तु आज ही के लिए कहकर चला गया। 

पुलकित सोच रहा था -वैसे तो मम्मी सही कह रही थीं ,मेरे ये दोस्त नहीं चापलूस हैं वो भी पैसों के लिए ,उन पर खर्चा जो करता हूँ ,कैसे अपने घर में आराम से रह रहे हैं ?और एक मैं हूँ ,यहां मच्छरों से कुश्ती लड़ रहा हूँ। सोने का प्रयत्न करता है किन्तु मच्छर उसे सोने नहीं देना चाहते। सुबह ही उसकी आँख लगी होगी और बगीचे में घूमने वाले लोग आने लगे। कुछ लोग ऐसे भी थे जो उसे पहचानते थे और बोले -बेटे आज यहां कैसे और मेहता जी कैसे हैं ?उनकी बातों से उसे लगा -मेरे पिता की इन लोगों के मन में इज्ज़त है उनका सम्मान करते हैं और मैं उनके इस सम्मान को बिखेर देना चाहता हूँ। 



अब उसे अपने घर की याद आने लगी ,अब तक तो मम्मी ,मेरे लिए फलों का जूस बनवा देतीं और मेरी पसंद का नाश्ता भी ,अब तो मम्मी को भी मेरी याद आ रही होगी और अधिक तमाशा बनने से बेहतर है घर चला जाये ,देखूं तो सही मेरे बग़ैर कैसे आराम से सो रहे होंगे ?यही सोचकर वो घर की ओर चल पड़ा तभी उसने अपने घर के सामने एक गाड़ी को खड़े देखा वो ये जानने के लिए कि यहाँ क्या हो रहा है ?छुप जाता है ,तभी उसे उसके पापा की लड़खड़ाती सी चाल उसे दिखती है और अश्रुपूरित नेत्र लिए मम्मी भी दिखीं। 

अब उससे रुका नहीं गया और वहीं पहुंच गया ,उसे देखकर उसकी मम्मी उसके गले लगकर रोने लगीं और बोलीं -तेरे जाने के गम में तेरे पापा को ''दिल का दौरा ''पड़ गया। पुलकित की आँखों में आंसू आ गए और पापा से बोला -पापा आप चिंता न करें ,मैं आपके पास और आपके साथ हूँ ,जल्दी से ठीक हो जाइये। पुलकित ने कई दिनों तक अपने पापा की सेवा की और उस रात्रि के बाद से वो एक समझदार बच्चा बन गया। उसे एहसास हो गया था कि ज़िंदगी की सच्चाई क्या है ?अपने घर में ही सुकून है। ये ही हमारे अपने हैं ,जो हमारे लिए सोचते और करते हैं। सही मायनों में वो अपने घर लौट आया था
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रचनाएँ
प्रेरक कहानियाँ
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ज़िंदगी में अनेक घटनाएँ -दुर्घटनाइयें,होती हैं,ज़िंदगी जाने -अंजाने अनेक परेशानियों से गुजरती है,इस ज़िंदगी में अनेक रिश्ते भी होते हैं जिनसे हमें कुछ न कुछ सीख मिलती है,सीखने की कोई उम्र नहीं होती चाहे कोई छोटा हो या बड़ा। जीवन में हर पल कुछ न कुछ सीख या प्रेरणा मिल ही जाती है कई बार कुछ सोचने को मजबूर जाती हैं ये कहानियाँ,कई बार आईना दिखा जाती हैं,ये कहानियाँ । इन कहानियों में जीवन के अनेक रंग देखने को मिलेंगे,सही या गलत सोचने पर मजबूर हैं ये कहानियाँ!
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जड़ें

7 नवम्बर 2022
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सुरेश को पढ़ाया -लिखाया ,किसी क़ाबिल बनाने का प्रयत्न किया। वो बाहर गया तो उसे सब बहुत ही अच्छा लगा, बाहर की दुनिया इतनी खूबसूरत है, सब कुछ अच्छा लगता है। उसने अपनी पढ़ाई पूरी की और बाहर ही रहने का फैसला

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बड़ी बहु

8 नवम्बर 2022
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शर्मा जी के बड़े बेटे का विवाह बड़ी धूमधाम से हुआ ,बेटा -बहु दोनों पढ़े -लिखे।लड़की का घर -, परिवार के लोग भी बहुत ही अच्छे हैं। सुंदर होने के साथ -साथ , संस्कारी बहु मिली है ,शर्मा जी के तो जैसे भा

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अनदेखा, अनसुना

9 नवम्बर 2022
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प्रातः काल का समय था ,हल्की ठंड भी पड़ रही थी। एक महिला ,अपनी बेटी के संग ,मेरे घर के दरवाज़े पर खड़ी थी। सुबह -सुबह कौन आ गया ?मैंने थोड़ा परेशान होते हुए ,निर्मला को देखने के लिए भेजा। अब मैं

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वो रात......

10 नवम्बर 2022
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वो रात.... वो रात्रि मेरे लिए ही थी ,मेरे लिए ही तो... सभी कार्य हो रहे थे ,सभी मेरे आगे -पीछे घूम रहे थे। उस रात्रि की'' मल्लिका'' मैं ही थी ,कुछ वर्ष पहले ही तो ,मैं अपने' पापा

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दुःस्वपन

11 नवम्बर 2022
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दीप्ती अति शीघ्रता से अपनी बिल्डिंग से नीचे आती है ,और गाड़ी में बैठकर चल देती है। आज वो देर से उठी, जिस कारण उसे देरी हो रही थी। वो अपनी गाड़ी को ,अपने दफ़्तर की ओर ,तेज़ गति से दौड़ा रही थी। आज &nbs

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शापित जीवन

12 नवम्बर 2022
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शापित कोई स्थान ,व्यक्ति अथवा कोई वस्तु नहीं होती ,वरन शापित उसका अपना जीवन ही हो जाता है। जिस जीवन को, वो जी रहा है ,उस जीवन को जीते -जी ठीक से नहीं जी पाता। लोग कहते हैं -''ये जीवन अमूल्य है ''&nbsp

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हद- बेहद

14 नवम्बर 2022
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गोलियों की बौछार का सामना करते हुए, वो आगे बढ़ रहे थे। दुश्मन भी कम नहीं था ,हम उनके लोगों को मारते ,फिर भी न जाने कहाँ से और बढ़ जाते। क्या हमसे कोई खेल खेल रहे थे ?निश्चित स्थान से ,हम आगे

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मेरे साथ ही क्यों?

15 नवम्बर 2022
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बहु.......... जी माँजी ,कहते हुए ,पारुल तेज गति से उनके समीप आई। तुझसे कितनी बार कहा है ?उस बड़े कमरे की सफाई कर देना ,जब

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देर रात

17 नवम्बर 2022
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तृप्ति ,डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही थी ,मम्मी -पापा की लाड़ली ,मम्मी का सपना था कि बड़ी होकर ,तृप्ति डॉक्टर बने। वो ''दिल ''की डॉक्टर बनना ,चाह रही थी किन्तु एक समय परिस्थिति ऐसी बनी कि वो जच्चा -बच्चा

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लौटा दो!

19 नवम्बर 2022
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मानिनी'' का जब भी देखो , किसी न किसी बात पर'' मेहुल'' से झगड़ा हो ही जाता है।आज भी मेहुल बिना खाना खाये घर से निकल गया। उसने कहा भी ,कि खाना खाकर जाओ !लेकिन मेहुल ने गुस्से में उसकी किसी भी बात पर

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नई उड़ान

22 नवम्बर 2022
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रमा बड़ी बेचैनी से बार -बार मंच की तरफ देख रही थी ,फिर उठकर अंदर की तरफ चली गयी। वहाँ जाकर देखा- सब ठीक है या नहीं, तभी दीपा के कपड़ों की एक डोर खुली नज़र आई ,उसने दीपा को टोका और अपनी स

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जसोदा

24 नवम्बर 2022
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जसोदा पढ़ी -लिखी नौकरी पेशा महिला है ,माँ -बाप ने खूब चाहा कि ये पढ़े न ,और विवाह करके अपना घर बसा ले, किन्तु उसके तो सपने ही अलग थे और वो इस तरह माता -पिता के दबाव में आने वाली भी नहीं थी। उसने तो पहले

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एकांत

24 नवम्बर 2022
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सुबह के पाँच बज चुके थे ,अलार्म बजे जा रहा था। वो अभी और सोना चाहती थी ,लेकिन क्या करे ? मजबूरी है उठना तो है ही ,फिर लेट हो जाउंगी। ये विचार आते ही उसने फुर्ती से अलार्म बंद किया और एकदम

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एक मुलाकात

22 मई 2023
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आज भी वही हुआ ,जिसका डर था , वो लोग चुपचाप चले गए। नंदिनी तो चाहती थी ,कि अभी जबाब मिल जाये ,किन्तु पति ने समझाया , उन्हें अपने घर जाकर सलाह -मशवरा तो करने दो ,एक -दो दिन में जबाब दे देंगे। सुरेश जी

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वो भयानक रात

23 मई 2023
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बड़ी भयावह वो काली अंधियारी रात्रि थी। मैं उस ठंडी सुनसान काली रात्रि को चीरता चला जा रहा था। ठंड भी अपने पूरे जोरों पर थी। दोस्त ने कहा भी था, आज यहीं आराम कर ले। जब इतनी दूर से आया है तो बेटी को विदा

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मुक्ति

30 मई 2023
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मौली अपने दोस्तों संग मस्त थी ,वो अपने दोस्तों के साथ गोवा घूमने जा रही है ,इसीलिये तैयारी में लगी है ,तभी उसके फोन की घंटी बजी। मौली ने नाम देखा और मुँह बनाते हुए ,फ़ोन पर बातें करने लगी -क्या मम्मी ,

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कड़वाहट

31 मई 2023
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चित्रा, कोई भी त्यौहार हो बड़े जोर -शोर से तैयारी करती है ,अब तो उसके सुहाग का त्यौहार ''करवा चौथ ''आ रहा है। आज बाजार गयी और नये कपडे ,शृंगार का सामान ,साथ ही बच्चों के कपड़े भी ले आई .बड़े उत्साह से

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असीमित आकाश

1 जून 2023
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काम तो प्रतिदिन का है, किन्तु आज रीमा के हाथों में जैसे बिजली लगी है ,वो प्रतिदिन से अधिक फुर्ती से कार्य कर रही है ,वह शीघ्र अति शीघ्र अपना कार्य निपटाने का प्रयत्न कर रही है। हो भी क्यों न ?क्य

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तूफान

2 जून 2023
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नवलकिशोर जी के मन में ,आज 'तूफान 'मचा है ,बाहरी वातावरण भी उसके सामने कोई मायने नहीं रखता। वो बस यूँ ही चले जा रहे हैं। कुछ समझ नहीं आता ,कहाँ जाएँ ,क्या करें ? दुनिया में देखा जाये ,तो आज के समय में

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हिजाब

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मानिनी कॉलिज में आती है ,आज तरन्नुम ने आने में देर कर दी। मानिनी और तरन्नुम दोनों अच्छी दोस्त हैं। दोनों ही साथ रहती हैं , एक ही कक्षा में ,साथ ही बैठती हैं। जिस दिन एक भ नहीं आती ,दूसरी का मन नही

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गुल्लक

4 जून 2023
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रेवती अपनी सास की, बड़े मन से सेवा करती थी ,उनकी हर चीज का ध्यान रखती थी ताकि किसी भी प्रकार की उन्हें परेशानी न हो। जब उनकी स्वयं की बहु आ आयीं ,तब भी उनके सम्पूर्ण कार्य स्वयं ही करतीं। उनकी सास यान

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फर्क

7 जून 2023
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इस माह नौचंदी का मेला लगने वाला है, किन्तु किसी को क्या फ़र्क पड़ता है ? जाना तो है नहीं ,जाकर भी क्या करना ,मेले में जाने के लिए भी तो, पैसा ही चाहिए। मेला तो पैसे से है ,पैसे वाल

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घर की याद

8 जून 2023
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पुलकित आँखें खोलकर देखता है ,वो बगीचे की बेंच पर लेटा था। अब उसे सब स्मरण हो जाता है। किस तरह वो अपने मम्मी -पापा से नाराज होकर ,घर से भाग आया ? पुलकित ऐसे ही किसी छोटे -मोटे परिवार से नहीं है। उसके

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मेरे साथ ही क्यों?

10 जून 2023
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बहु.......... जी माँजी ,कहते हुए ,पारुल तेज गति से उनके समीप आई। तुझसे कितनी बार कहा है ?उस बड़े कमरे की सफाई कर देना ,जब

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टास्क

12 जून 2023
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शादी के बाद उसने ससुराल में कदम रखा ही था ,कि सास के तीखे तेवर और गर्म मिज़ाज उसे कुछ ही दिनों में पता चल गए। उसने देखा कि जिस व्यक्ति से उसका विवाह हुआ है ,वो तो कुछ बोलता ही नहीं। जो चाहता है ,बस

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अधूरापन

14 जून 2023
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सुगंधा पिता के घर में रही ,अरमान तो बहुत थे ,किन्तु पिता के सख़्त कानून के कारण ,न कहीं आना , न कहीं जाना ,इच्छाएँ ,आकाश की अनंत ,ऊंचाइयों को छूना चाहती किन्तु उसका आसमान सीमित था। कुछ तो घर का अनुशा

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मिट्टी के खिलौने

15 जून 2023
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रामदीन कुम्हार ,प्रतिदिन जोहड़ से चिकनी मिटटी लाता और उसे पैरों से रोंद्ता ,जब वो मिटटी बर्तन बनाने लायक हो जाती तो उसे चाक पर रखकर ,बड़े क़रीने से ,सुंदर -सुंदर मिटटी के बर्तन बनाता। ये उसकी कला ही नह

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भाग्य का खेल

16 जून 2023
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आज मैं अपनी डायरी को ज़िंदगी के एक पहलू कहूँ या कुछ और, किन्तु इतना मैं अवश्य जानती हूँ ,उसे हम भाग्य अथवा क़िस्मत कहते है -इनके इशारों पर ही तो ,हमारी ज़िंदगी चलती है। हम सोचते हैं -जो भी कार्य हम कर रह

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माँ

17 जून 2023
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चम्पाकली 'ताई आज बहुत प्रसन्न है क्योकि उनके दो बेटे ,दो ही बहुएं हैं किन्तु ये उनकी प्रसन्नता का कारण नहीं ,उनकी प्रसन्नता का कारण ,उनका दादी बनना है। दोनों बहुएं ही गर्भवती थीं और अब दोनों ही माँ ब

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संगीत प्रेम

20 जून 2023
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काव्या बहुत ही प्यारी बच्ची है ,मन उसका बहुत ही कोमल है ,सबसे प्रेमपूर्ण व्यवहार करती। दुश्मनी ,लड़ाई क्या होती है ?जैसे वो जानती ही नहीं ,उसे तो सभी अपने ही नजर आते ,छल -कपट से तो उसका दूर -दूर तक वास

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समुद्र तट

22 जून 2023
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कार्तिक और मोना प्रतिदिन , अपने दफ्तर से आते समय कुछ देर ,समुन्द्र के तट पर बैठकर अपनी दिनभर की थकान मिटाते। मोना जब पहली बार अपने दफ्तर में आई ,तब उसकी सबसे पहले मुलाक़ात कार्तिक से ही हुई। कार्तिक न

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दरार

23 जून 2023
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पार्वती जी ,दुखी परेशान ,अपने कमरे में आती हैं और अपने पलंग पर बैठकर ,गहरी स्वांस भरती हैं और अपनी आँखें बंद कर लेती हैं। मैं कितना भी अच्छा सोच लूँ या कर लूँ ?किन्तु इसे अपना नहीं बना सकती ,ये 'दरा

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पहाड़ी प्रेम

29 जून 2023
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ज्योति...... ओ ज्योति....... ! दूर से आती, मौसी की आवाज सुनाई दी। आई मौसी ! कहकर मैं बंसी से बोली -कल आउंगी तब खेलेंगे ,अब मौसी बुला रही है। बंसी ने हाँ में गर्दन हिलाई और मैं ,दौड़ते हुए मौसी के

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भूतों से बातचीत

1 जुलाई 2023
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नंदिनी जैसे ही , अपनी कक्षा में पहुंची -उसने देखा ,सभी बच्चे ,तुषार की सीट के पास खड़े हैं। ये सब क्या हो रहा है ?सभी बच्चे वहाँ क्या कर रहे हैं ? नंदिनी को देखते ही ,सभी बच्चे दौड़कर अपनी -अपनी सीट पर

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पैसा

2 जुलाई 2023
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रतनलाल जी ने कितना पैसा कमाया ? रात -दिन एक कर दिया। शानदार कोठी भी बनाई ,बच्चों को महंगे से महंगे स्कूल में पढ़ाया। सबकुछ तो उनके पास है ,किसी चीज की भी कमी नहीं ,पत्नी के पास भी जेवरों की कोई कमी नह

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गड़बड़ घोटाला

3 जुलाई 2023
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मैं प्रतिदिन की तरह ,जब परिवार के सभी सदस्य अपने -अपने काम पर चले जाते ,तब घर की साफ -सफाई और बाहर बगीचे में पानी देना जैसे कार्य करती। एक दिन जब मैं अपने पौधों को पानी दे रही थी ,तभी मैंने देखा ,स्क

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रिश्तेदार जलते हैं!

4 जुलाई 2023
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कितनी ख़ुशी की बात है ?कीर्ति तुमने पढ़ाई पूरी करने के साथ -साथ ,तुम्हारी नौकरी भी लग गयी। एक पार्टी तो अवश्य बनती है। क्या ख़ाक पार्टी बनती है ?तुम सभी दोस्तों को ही पार्टी दूंगी ,मम्मी -पापा के लि

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कीमत, समय की

7 जुलाई 2023
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अतुल बहुत ही बिगड़ैल और अड़ियल है ,देखने में तो वो बहुत जचँता है ,उसे देखेंगे तो कह उठेंगे कि किसी बड़े घर का बेटा हो लेकिन उसका स्वभाव उसकी शक़्ल और व्यक्तित्व से बिल्कुल विपरीत है। वो न ही किसी की बात

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कीमती

9 जुलाई 2023
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राधा जब ,मोहन से मिली ,उसे देखते ही , अपना दिल दे बैठी ,मोहन की हालत भी कुछ ऐसी ही थी। पहली बार दोनों ,राधा की सहेली के घर पर,उसकी जन्मदिन की पार्टी में ,उससे मिली। जितनी खूबसूरत राधा लग रही थी, उतना

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मृत्यु पर विजय

10 जुलाई 2023
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पल -पल मरता है ,इंसान ! जीने की तमन्ना में ! टूटता है ,बिखरता है, जिन्दा रहने की चाह में !खो देता है ,अपनों का साथ ,जीता है स्वांसों में !स्वांसों का ही खेल है , जिन्दा रहने की आस में !कुछ लोग जी

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भूतिया हवेली

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श.... श.... श.... श.... आज आपको एक''अज़ीबो ग़रीब प्रेम की '' कहानी सुनाती हूँ। जानते हैं ,ये जो हवेली है ,ठाकुरों की है ,बहुत ही रुआब था। ठाकुर ''बलदेव सिंह '' अपने नाम की तरह ही बलवान ,बुद्धिमान और रौब

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सुरक्षा कवच

14 जुलाई 2023
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माँ 'तुम अब यहाँ ,अकेली क्या करोगी ? अब तुम भी हमारे संग चलकर रहो !अनंत अपनी माँ से बोला। बेटा ! सम्पूर्ण ज़िंदगी इस शहर में बिता दी ,अब इधर -उधर जाकर क्या करूंगी ? जब तू छोटा था ,तब सोचा करती थी

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बदलते रंग

16 जुलाई 2023
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आज घर में खीर -पूरी ,मालपुए दो सब्ज़ियाँ और बूँदी का रायता बना है क्योंकि आज बहुओं का व्रत है ,आज के दिन सुहागन महिलायें अपने पति की लम्बी उम्र ,और अच्छे स्वास्थ के लिए पूजा करती हैं और अपने घर की बड़ी

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वो सुबह!

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कितना सुहावना मौसम है ?रंजन अपने बच्चों से कहता है -चलो !आज कहीं घूमने चलते हैं। बाहर हल्की - हल्की बूंदा -बांदी हो रही थी। बच्चे खुश हो जाते हैं और दौड़कर अपनी मम्मी के पास जाते हैं। मम्मी ! पापा कह

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लडाई

19 जुलाई 2023
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श्रेया ,अपने आप से ही , कितना लड़ रही थी ? ये तो वो ही जानती है।अब तो जीवनभर संघर्ष ही करना है। पहले पढ़ाई में संघर्ष किया क्या विषय लेने हैं ,कौन सा स्कूल चुनना है ? स्कूल में भी ,प्रतिशत में नंबर लाने

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सूर्यास्त और हम

20 जुलाई 2023
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रामलाल जी के घर में ,फोन की घंटी बज रही थी ,उनके बेटे की बहु फोन उठाती है और रामलाल जी से कहती है -पापा जी !आपका फोन है। किसका है ? पूछो कौन है ?और क्या कहना चाहता है ?शिरोमणि अंकल हैं ,और आपसे

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धड़कन

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पंकज हमेशा अपनी ही चलाता है , किसी की भी नहीं सुनता ,सुमित्रा जी हमेशा ,एक उम्मीद के सहारे आगे बढ़ उसका समर्थन करतीं और कहतीं -पंकज ,अभी बच्चा है ,समझदार हो जायेगा ,तब सब समझने लगेगा ,कहना भी मानेगा कि

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मेन्ढकी

22 जुलाई 2023
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गर्मी से बुरी हालत थी ,नहाते -नहाते भी पसीने आ जाते। खेती पर काम करने वाले भी खेतों से ,वापस आ गए। सभी को ,बरसात की इच्छा हो चली थी। आपस में कहते -न जाने बरसात कब होगी ?यदि शीघ्र ही बरसात नहीं हुई तो

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बरसात

23 जुलाई 2023
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बरसात का मौसम ''आते ही मन झूमने लगता है ,बारिश की ठंडी -ठंडी फुहार तन को ही नहीं ,मन को भी भिगो जाती हैं। चारों तरफ धुली -धुलि सी ,हरियाली ,लगता है जैसे ,प्रकृति ने धानी चुनर ओढ़ ली हो। बच्चों की तो बर

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एक ही गलती

25 जुलाई 2023
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सुधा खिड़की के पास बैठी ,चाय पी रही थी ,तभी उसकी बेटी ने उसे पुकारा ,मम्मी ,मैंने अपना गृहकार्य कर लिया। ठीक है ,जाओ !अब जाकर बाहर बच्चों के साथ खेल लो !ठीक है ,कहकर वो बाहर की तरफ दौड़ी ,तभी सुधा ने उस

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