कितनी ख़ुशी की बात है ?कीर्ति तुमने पढ़ाई पूरी करने के साथ -साथ ,तुम्हारी नौकरी भी लग गयी। एक पार्टी तो अवश्य बनती है।
क्या ख़ाक पार्टी बनती है ?तुम सभी दोस्तों को ही पार्टी दूंगी ,मम्मी -पापा के लिए कुछ ले जाउंगी।
क्यों ?घर में एक अच्छा सा समारोह रखो ,नाच -गाना होगा जीवन की इतनी बड़ी ख़ुशी ,तुम्हें इतना बड़ा मौका मिला है ,जो हर किसी को नहीं मिलता।
कीर्ति बोली -आजकल इस तरह ढिंढोरा पीटने का समय नहीं रहा है ,जो हमने पढ़ाई की अपनी मेहनत से की ,नौकरी अपनी काबिलियत के दम पर मिली किन्तु कुछ लोगों को तो सुनते ही मिर्ची लग जाएगी।
कौन से कुछ लोग ?जिन्हें तुम्हारी उन्नति से मिर्ची लगेगी।
अरे वही रिश्तेदार ! उन्हें तो जलन होगी ,उन्हें पता चले , तो पहली बात तो खुश नहीं होंगे। मेरी बुआ वो तो सीधे पापा से कहेंगी क्यों इसे नौकरी करा रहा है ? अब बड़ी हो गयी है ,इसका विवाह करने की सोच......
इसमें जलन कहाँ हुई ? तुम्हारे प्रति उनकी चिंता ही तो है ,कि अब विवाह की उम्र हो गयी ,तुम्हारे पापा को तुम्हारा विवाह तो करना ही है ,तो समय रहते काम हो जाये।
तुम समझोगी नहीं ,उनकी बेटी तो पढ़ ही नहीं पाई और मेरी तो नौकरी भी लग गयी ,तब उन्हें जलन तो होगी ही।
ऐसा तुम समझती हो ,क्या तुमने उन्हें कभी किसी से तुम्हारी बुराई करते सुना ,या उनकी बातों से ऐसा लगा।
नहीं ,वैसे तो बड़ी खुश होकर ,दूसरों को बताती हैं ,मेरी भतीजी ने वकालत पास की है और अब नौकरी लग गयी तो चार जगह बताती फिरेंगी ,मेरी भतीजी इतनी होशियार है ,पढ़ते ही नौकरी लग गयी।
तब तो उन्हें तुम पर गर्व होता है ,तभी सबसे कहती हैं ,क्या तुम्हारा कोई रिश्तेदार किसी अच्छी जगह नौकरी कर रहा है ,अच्छा पैसा कमा रहा है ,तब क्या तुम उससे जलती हो ?
नहीं ,हमें तो बताते हुए प्रसन्नता होती है ,कि हमारा रिश्तेदार या हमारे परिवार में भी ,ऐसे लोग हैं।
तब तुम्हें क्यों लगता है ?कि तुम्हारी उन्नति से तुम्हारे रिश्तेदारों को जलन होगी।
मैंने देखा है ,मुँह पर तो कोई कुछ नहीं कहता ,किन्तु अंदर ही अंदर जलते हैं।
आज तक कोई अपने मन को तो समझ नहीं पाया ,हम क्या चाहते हैं ?क्या सोचते हैं ?रिश्तेदारों के मन को कैसे पढ़ लेते हैं ?हो सकता है ,वो लोग ये सोचते हैं ,पढ़ने में तो होशियार है ही ,अब नौकरी भी लग गयी ,क्या मालूम हमसे सीधे मुँह बात भी न करे ?कहीं उसे अपनी पर घमंड हो ,हमसे सीधे मुँह बात न करे। ख़ुशी मिली है ,तो अपने लोगों से बाँटो ,अपने व्यवहार से ये मत जतलाओ ,कि उनकी हमारे सामने कोई हैसियत नहीं ,उन्नति के पश्चात भी सामान्य व्यवहार रखोगे तब उन्हें अपने अंदर हीनभावना महसूस नहीं होगी। उन्हें लगे आज भी तुम उनकी ऐसी ही बेटी हो ,तुम्हारे व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं आया। मैंने कुछ लोगों को ये भी कहते सुना है ,उसने उन्नति क्या कर ली ?वो तो हमें कुछ मानता ही नहीं। धन और पद आता है ,चला जाता है ,रूप -यौवन आता है ,वो भी चला जाता है किन्तु व्यवहार ताउम्र स्मरण रहता है ,वो व्यवहार फिर चाहे अच्छा हो या बुरा। तुम मेरी सहेली हो ,इसीलिए समझा रही हूँ ,ख़ुशी अपनों में अपनों के साथ बाँटोगी तो दूनी हो जाएगी। मैं ये नहीं कहती कि किसी को जलन नहीं होगी ,ये तो इंसानी फ़ितरत है ,कुछ खुश होंगे ,कुछ को अंदर ही अंदर मलाल भी आएगा किन्तु तुम अपने व्यवहार से ये मत जतलाना कि वे तुम्हारे साथ बैठने या बात करने लायक नहीं ,ख़ुशी तुम्हें मिली है ,अपनों मिलकर बांटो !
आज के समय में किसी से भी पूछ लो ,यही एक जुमला सुनने को मिलता है -''रिश्तेदार कोई अपना नहीं ,लोग जलते हैं।'' बुआ ,चाचा ,ताया ,मामा या फिर दोस्त सभी को रहता है कि तुम उन्नति कर रहे हो तो लोग, तुमसे जल रहे हैं ,या जलेंगे उनसे अपनी ख़ुशी भी नहीं बांटते। पहले अपनी ख़ुशी में तो खुश रहना सीखो !
अगले दिन कीर्ति का फोन आया मैडम !शाम को पार्टी में आना है ,जब मैं उसके घर पहुंची ,उसके सभी रिश्तेदार थे ,गाना बज रहा था ,हल्की -फुल्की पार्टी थी जिसमें सभी एक -दूसरे से मिलकर प्रसन्न हो रहे थे ,कह रहे थे -इसने हमारे घर का नाम रोशन किया ,लड़की मिलनसार है ,कीर्ति भी प्रफुल्लित थी ,इसके बहाने से हम लोगों का मिलना भी हो गया। तब मैंने कीर्ति से पूछा -इनमें से तुम्हारे कौन से रिश्तेदार हैं ? जो तुमसे जल रहे हैं। ये सुनकर वो मुस्कुरा दी। रिश्तेदार कैसे भी हों ? किन्तु तुम तो अपनी पहल अच्छी रखो !आज रात्रि उसकी पार्टी में बड़ा मजा आया।