जेठ की गर्मी, तपा महीना, अंग अंग से बहे पसीना |
घाम घमकता, ताप धधकता, मुश्किल कैसा हुआ है जीना ||
ताप कृत्तिका से लेकर अब चढ़ा रोहिणी पर है सूरज |
आग उगलता, नहीं पिघलता, सबका मुश्किल हुआ है जीना ||
कोल्ड ड्रिंक का बोल है बाला, ठण्डाई का खेल निराला |
भल्ले दही नहीं, गोल गप्पों का ठण्डा पानी पीना ||
ताल तलैया सूख चुकी हैं, हरियाली हम काट चुके हैं |
गोरैया अब नहीं फुदकती, भूल चुकी है खाना पीना ||
आँगन में अब पेड़ लगाएँ, लगे हुए जो, उन्हें बचाएँ |
गोरैया को पास बुलाएँ, देकर उसको ठण्डा पानी ||
तेज़ है गर्मी, पेड़ तले अब आओ भरकर रख दें पानी |
प्यासे पंछी की हमकों है मिल जुल कर अब प्यास बुझानी ||
जेठ की गर्मी, तपा महीना, अंग अंग से बहे पसीना |
घाम घमकता, ताप धधकता, मुश्किल कैसा हुआ है जीना ||
ताप कृत्तिका से लेकर अब चढ़ा रोहिणी पर है सूरज |
आग उगलता, नहीं पिघलता, सबका मुश्किल हुआ है जीना ||
कोल्ड ड्रिंक का बोल है बाला, ठण्डाई का खेल निराला |
भल्ले दही नहीं, गोल गप्पों का ठण्डा पानी पीना ||
ताल तलैया सूख चुकी हैं, हरियाली हम काट चुके हैं |
गोरैया अब नहीं फुदकती, भूल चुकी है खाना पीना ||
आँगन में अब पेड़ लगाएँ, लगे हुए जो, उन्हें बचाएँ |
गोरैया को पास बुलाएँ, देकर उसको ठण्डा पानी ||
तेज़ है गर्मी, पेड़ तले अब आओ भरकर रख दें पानी |
प्यासे पंछी की हमकों है मिल जुल कर अब प्यास बुझानी ||