भारत में गुरु शिष्य की परंपरा रही है | किंतु आज के समय में लगभग सभी गुरु बन बैठे है | सबसे पहली बात तो यह है की
गुरु की परिभाषा क्या होगी उसे समझे अर्थात "जो भौतिक सर्व सुख संसाधनों से परे है वही गुरु है | किंतु आज के समय में संपतिवान गुरु बन बैठे है | "प्रसिध्द दार्शनिक अरस्तु के कथानुसार "बच्चे का प्रथम गुरु मां होती है |" अर्थात् जिसने हमे जन्म दिया है वो ही हमारा गुरु है | बाह्य आडम्बर व अन्धविश्वास में न पढकर के अपनी मां व अपने ईश्वर पर ध्यान लगावे |