ध्यान के अभ्यास के लिए स्थान एवं समय
नियत करना :
दीपमालिका का उल्लासमय पर्व सम्पन्न
हो चुका है | अब ध्यान के अभ्यास के विषय में चर्चा को आगे बढ़ाते हुए बात करते हैं
ध्यान की प्रगाढ़ता के लिए ध्यान के अभ्यास के लिए समय एवं स्थान को नियत करने की |
जो व्यक्ति नियमित रूप से ध्यान का
अभ्यास करता है वह तो किसी भी समय और किसी भी स्थान पर ध्यान एक लिए बैठ सकता है |
किन्तु हममें से अधिकाँश के लिए कुछ मूलभूत बातों पर ध्यान देना आवश्यक है जिससे
कि ध्यान का अभ्यास सरल हो जाए | ध्यान के लिए किसी प्रकार की विशेष अथवा बाह्य और
अप्राकृतिक वस्तुओं की आवश्यकता नहीं होती | आप अपने घर में अथवा किसी भी देश में, किसी भी शहर में, कहीं किसी नदी के किनारे, कहीं किसी पर्वतीय स्थल पर – कहीं भी ध्यान के लिए बैठ सकते हैं | इतना
अवश्य निश्चित कर लें कि जो स्थान आपने ध्यान के लिए चुना है वह अपेक्षाकृत शान्त
हो, कुछ एकान्त में हो, सुविधाजनक हो
और व्यर्थ की वस्तुओं से भरा हुआ न हो | इससे आपको ध्यान के अभ्यास में सहायता
मिलेगी |
श्रेष्ठ तो यही होगा कि अपना कमरा अथवा
घर का एक कोना आप ध्यान के लिए निर्धारित कर लें | इस कोने में वायु का प्रवाह
समुचित हो, व्यर्थ के सामान से भरा हुआ, दुर्गन्धयुक्त अथवा असुविधाजनक न हो |
अर्थात एक स्वच्छ और शान्त स्थान की आपको आवश्यकता है ध्यान के अभ्यास के लिए |
अच्छा होगा यदि यह स्थान आपके जीवन की प्रमुख व्यस्तताओं से अलग हो, रसोई, टेलीविज़न अथवा टेलीफोन से दूर हो, क्योंकि इनके कारण आपके अभ्यास
में विघ्न उपस्थित हो सकता है | कोई ऐसी जगह हो जहाँ दूसरे लोग आपके ध्यान में
व्यवधान न उत्पन्न कर सकें | अपने कार्यालय को भी ध्यान के लिए न चुनें – क्योंकि
वहाँ कार्यालय से सम्बन्धित बहुत सी बातें आपके ध्यान में व्यवधान उत्पन्न करेंगी
| किसी कमरे का एक शान्त और आरामदायक कोना चुन लीजिये | बिस्तर पर बैठकर ध्यान
करने की सलाह आपकी नहीं दी जाएगी, क्योंकि आपके मन में बैठा
हुआ है कि बिस्तर सोने के लिए होता है और यही कारण है कि आपके लिए बिस्तर पर बैठकर
सावधान और जागृत रह पाना कठिन होगा | आप ध्यान का अभ्यास करते करते निद्रा देवी की
गोद में भी जा सकते हैं | आपको ज़मीन पर बैठना है, और यदि
ज़मीन पर बैठने में असुविधा हो तो कुर्सी पर भी बैठ सकते हैं | ज़मीन या कुर्सी पर
बैठने से आपको ध्यान में सहायता मिलेगी |