हिन्दी पञ्चांग
सोमवार, 5 नवम्बर 2018 – नई दिल्ली
विरोधकृत विक्रम सम्वत 2075 / दक्षिणायन
सूर्योदय
: 06:35 पर तुला में / स्वाति नक्षत्र
सूर्यास्त
: 17:33 पर
चन्द्र राशि : कन्या
चन्द्र नक्षत्र : हस्त 20:36 तक, तत्पश्चात चित्रा
तिथि : कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी 23:47 तक, तत्पश्चात कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी / धन्वन्तरी
त्रयोदशी / सोम प्रदोष
करण : गर 12:34 तक,
तत्पश्चात वणिज 23:47 तक, तत्पश्चात विष्टि
योग : विषकुम्भ 22:11 तक,
तत्पश्चात प्रीति
राहुकाल : 08:01 से 09:22
यमगंड : 17:43 से 12:03
गुलिका : 13:26 से 14:47
अभिजित मुहूर्त : 11:43 से 12:26
अन्य :
शुक्र तुला में वक्री
विशेष : धन्वन्तरी त्रयोदशी – दीपावली से दो दिन पूर्व कार्तिक
कृष्ण त्रयोदशी को मनाया जाने वाला ये पर्व सागर मन्थन के दौरान कुम्भ से भगवती
लक्ष्मी के अवतरण के प्रतीकस्वरूप मनाया जाता है | इसीलिए इसे धनतेरस के नाम से भी
जाना जाता है | साथ ही आज देवों के वैद्य तथा आयुर्वेद के जनक माने जाने वाले
महर्षि धन्वन्तरी का जन्म दिवस भी मनाया जाता है | इसीलिए इस पर्व का नाम धन्वन्तरी
त्रयोदशी है | आज के दिन कुछ भी नया खरीदने की प्रथा है | साथ ही आज के दिन पञ्चदेवों
– विघ्नहर्ता गणेश, धन की दात्री देवी
लक्ष्मी, तथा त्रिदेव – ब्रह्मा,
विष्णु, महेश – की पूजा अर्चना का भी विधान है | ज्योतिषियों
के अनुसार स्थिर लग्न में, विशेष रूप से वृषभ और सिंह लग्नों में यदि आज के दिन
कुछ नया खरीदा जाए तो वह शुभ होता है | किन्तु तुला लग्न को भी उतना ही शुभ मानते
हैं – विशेष रूप से जिस प्रकार इस समय चल रह है – शुक्र तुला में चल रहा है –
वक्री है, किन्तु स्वराशिगत है | आज सूर्योदय से लेकर 07:34
तक तुला लग्न हैं उसके बाद 09:52 तक स्थिर लग्न वृश्चिक रहेगी, फिर दोपहर में एक बजे से तीन बजकर छह मिनट तक स्थिर लग्न कुम्भ रहेगी, और अन्त में सायं छह बजकर सात मिनट से रात्रि आठ बजकर दो मिनट तक सबसे
शुभ लग्न वृषभ रहेगी | लेकिन हमारा स्वयं का ऐसा मानना है कि आज दिन में किसी भी
समय अपनी सुविधानुसार खरीदारी की जा सकती है – क्योंकि एक तो त्रयोदशी जया तिथि है,
दूसरे, सारे ही दिन क्रमशः हस्त और चित्रा नक्षत्र तथा
विषकुम्भ और प्रीति योग बने रहेंगे | इस दिन पूजा के लिए विशेष मन्त्र है: “देवान कृशान सुरसंघनि पीडितांगान, दृष्ट्वा
दयालुरमृतं विपरीतु कामः, पायोधिमन्थनविधौ प्रकटौ भवधो, धन्वन्तरि:
स भगवानवतात सदा नः | ॐ धन्वन्तरि देवाय नमः ध्यानार्थे अक्षतपुष्पाणि समर्पयामि |”