कुछ तो कोरोना का डर और
कुछ पिछले दिनों समाचारों की सुर्खियाँ बने आत्महत्या के समाचार, कई लोगों के मन में भय बैठ गया कि
पता नहीं हमारे साथ कल क्या होगा | वास्तव में इस महामारी के कारण लोगों की
नौकरियों पर बड़ा दुष्प्रभाव पड़ा है, जिनके अपने व्यवसाय हैं
उनके भी व्यवसाय मंदी की मार झेल रहे हैं | पूरे विश्व में एक प्रकार से उथल पुथल सी
मची हुई है | लोगों ने एक दूसरे से मिलना जुलना बन्द कर दिया है | फोन पर बात हो
जाए तो बहुत | क्योंकि सभी जानते हैं कि भले ही लॉक डाउन खुल गया है, लेकिन हमें अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य के लिए Social
distancing का पालन तो करना ही चाहिए, साथ ही
मास्क और साफ़ सफाई को अपना स्वभाव बना लेना चाहिए | तो इन सारी व्यवस्थाओं के कारण
जो लोग मन से दुर्बल हैं वे लोग वास्तव में डरे हुए हैं | ऐसे में जब किसी की
आत्महत्या के समाचार को देखते सुनते पढ़ते हैं तो और भी अधिक डर जाते हैं | क्योंकि
निराशा और उदासीनता आज बहुतों के मन में घर कर चुकी है | ऐसे में हम जैसे
ज्योतिषियों के पास भी आते हैं सलाह लेने के लिए | तो हमारा उन सभी से यही कहना है
कि सबसे पहले डरना बन्द कीजिए | वो कहावत है न “जो डर गया वो मर गया |” भय तो जीते
जी मर जाने के बराबर होता है | उसी के कारण तरह तरह के निरर्थक और नकारात्मक विचार
मन में आते हैं जो कभी कभी स्वयं को ही नष्ट करने की सीमा तक पहुँच जाते हैं |
मत भूलिए कि ईश्वर के
द्वारा आपके माता पिता के माध्यम से प्राप्त ये जीवन अनमोल है और वास्तव में बहुत सुन्दर
है | इसे प्रेम करना सीखिए और अन्तिम साँस तक पूर्ण रूप से जीवन को जीने का प्रयास
कीजिए | इसके लिए आवश्यक है अपने आप पर विश्वास करना | कभी भी रिजेक्शन यानी
उपेक्षा या तिरस्कार से, असफलताओं से, कष्टों से बचकर भागने का प्रयास मत
कीजिए | क्योंकि इनके बिना तो जीवन का पूर्ण रसास्वादन हो ही नहीं सकता | आप कैसे
दिखाई देते हैं, किस पृष्ठभूमि से आप आते हैं इस सबकी चिंता
मत कीजिए | केवल सकारात्मक भाव से प्रयास करते रहिये | प्रेरणादायक साहित्य का
अध्ययन कीजिए, उत्साहित करने वाले संगीत का श्रवण कीजिए, योग ध्यान का अभ्यास कीजिए | प्रकृति ने हर किसी के लिए कोई न कोई
अर्थपूर्ण योजना बनाई हुई है | ऐसी कोई रात नहीं है जिसके बाद भोर का उजाला न होता
हो | ऐसी कोई समस्या नहीं है जिसका समाधान न हो सकता हो |
ऐसे भी लोग होंगे जो आपसे
भी अधिक कष्टदायी और विषम परिस्थितियों में जीवन यापन कर रहे होंगे | प्रसन्नचित्त
और सकारात्मक बने रहने के लिए तो बहुत से कारण हर किसी के पास होते हैं | तो फिर
किसलिए निराशा या उदासीनता के गहरे कुएं में छलांग लगाना चाहते हैं ? यदि आपका
शरीर पूर्ण रूप से स्वस्थ है, आपके शरीर का हर अंग सुचारु रूप से कार्य कर रहा है तो आपके लिए
उपलब्धियों के बहुत से मार्ग प्रशस्त हो सकते हैं | लेकिन यदि आप ही नहीं रहेंगे
तो उपलब्धियों का सपना किसलिए देखना ?
आवश्यकता है अपने चारों
ओर की वास्तविकताओं को देखने की, समझने की और उनके साथ तादात्म्य स्थापित करने की | ऐसा सोचना कि ये जीवन
तो हमारा अपना है – ये शरीर तो हमारा अपना है - और हम इसके साथ कुछ भी कर सकते हैं
- बहुत बड़ी भूल है | ये जीवन आपका है ही नहीं | ये तो प्रकृति की ऊर्जा है जो आपके
भीतर श्वास लेती है और आपको क्रियाशील बनाए रखती है | जिस पाँच महाभूतों से
निर्मित दस इन्द्रियों से युक्त शरीर में हम निवास करते हैं वो हमें प्रकृति के
पाँच महाभूतों से और अपने माता पिता से प्राप्त हुआ है | हमने इस शरीर को नहीं
बनाया है | साथ ही यह शरीर अलग अलग व्यक्तियों से अलग अलग प्रकार से सम्बन्ध भी
रखता है | किसी के लिए ये सन्तान है तो किसी के लिए माता अथवा पिता, किसी के लिए सहोदर तो किसी के लिए जीवन साथी और किसी के लिए परम मित्र इत्यादि
इत्यादि... जब कोई भी व्यक्ति अपने इस शरीर को नष्ट कर देता है तो वो केवल अपने
आपको ही नष्ट नहीं करता बल्कि इस शरीर के साथ जुड़े हुए सभी सम्बन्धों को भी गहन
वेदना में डाल देता है |
निराशा और भय उत्पन्न
करने वाले समाचारों पर ध्यान मत दीजिये | हमने देखा है सुबह से रात तक लोग मोबाइल
पर कोरोना के समाचार, फिल्म इण्डस्ट्री के समाचार और इसी तरह के अन्य समाचार पढ़ते रहते हैं | अपनी
टी आर पी बढ़ाने के लिए टी वी चैनल्स पर इस तरह के समाचारों को बहस का मुद्दा या
ब्रेकिंग न्यूज़ बनाकर परोसा जाता है | उन लोगों का व्यवसाय ही यही है तो उन्हें
करने दीजिये | आप पर यदि इस सबका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है तो आप ऐसे समाचार मत
देखिये | उस समय में आप कोई अच्छा साहित्य पढ़ सकते हैं अथवा अपनी किसी रूचि को
परिष्कृत कर सकते हैं | साथ ही आपके साथ कोई भी समस्या है उसके विषय में अपने
साथियों के साथ – परिवार के व्यक्तियों के साथ बात कीजिए | कोई न कोई समाधान अवश्य
निकलेगा | बस सकारात्मकता का साथ मत छोड़िये...