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कड़वाहट

31 मई 2023

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चित्रा, कोई भी त्यौहार हो बड़े जोर -शोर से तैयारी करती है ,अब तो उसके सुहाग का त्यौहार ''करवा चौथ ''आ रहा है। आज बाजार गयी और नये कपडे ,शृंगार का सामान ,साथ ही बच्चों के कपड़े भी ले आई .बड़े उत्साह से घर का सभी कार्य कर रही है। बेटी के लिए भी उसके 'सिंधारे 'का सामान ले आई। तभी बेटी को फोन लगाया और उसे एक -एक सामान के विषय में बताया और उससे आजकल चलन में क्या है ?कुछ इस तरह की बातें की। चित्रा इतना सब हर वर्ष करती है ,जब बेटी का विवाह नहीं हुआ था ,तब भी दोनों माँ -बेटी बाजार चल देती थीं । वो उसकी बेटी ही नहीं ,उसकी दोस्त जो हो गयी थी ,दोनों ही एक -दूसरे की उम्र और उस समय को घ्यान में रखते हुए ,एक -दूसरे के लिए कपड़े से लेकर साज -सज्जा तक के सामान का ख़्याल रखती थीं।


ये सब रौनक उसकी बेटी के कारण ही आयी। चित्रा हमेशा से ही ऐसी नहीं थी ,वो तो सीधी -सरल थी ,अपने से पहले दूसरों की भावनाओं का ध्यान रखती थी। किन्तु उसकी ज़िंदगी की कुछ कड़वाहट थी ,जो उसे हिला गयी। वो अकेली उस कड़वाहट को पीकर ,उसे साथ लिए जीती रही ,उस कड़वाहट का असर उसने अपने चेहरे पर नहीं आने दिया किन्तु जब भी ''करवा चौथ ;;आती उस कड़वाहट को साथ लाती। 
               आज भी उसे वो दिन रह -रहकर याद आते हैं ,जब उसका विवाह नवीन से हुआ ,न जाने कितने अरमानों को सजाये ,उसने अपनी ससुराल में क़दम रखा। नवीन तो स्वभाव में व्यवहारिक ,हँसमुख होने के साथ ही, अपनी माता जी के नज़दीक ,विवाह से पहले ही माँ ने अपने बेटे से वचन ले लिया था ,या यूँ कहो ,उसे समझा दिया था कि बेटे बहु के आने पर बदल जाते हैं। एक तरह से ये भी कह सकते हैं ,माँ बहु को तो लाना चाहती है किन्तु साथ ही ,अपने को असुरक्षित महसूस करती हैं और बातों ही बातों में बेटे को अप्रत्यक्ष रूप से उसकी होने वाली पत्नी के विरुद्ध करती हैं ,जैसे -अब तो माँ की बातें कहाँ अच्छी लगेंगी ?अब तो कल की आयी बहु ही, सर्वोपरी होगी ,उसकी बातें ही मानी जाएँगी। नवीन की मम्मी भी इसी तरह की बातों से नवीन के मन को टटोलतीं। तब नवीन हंसकर कह देता- देखना मम्मी !मैं नहीं बदलूंगा ,वो भी आपकी सेवा करेगी। नवीन की बातों से उसकी मम्मी संतुष्ट हो जाती। माँ की एक तरफ तो इच्छा होती है कि उसका समय से विवाह हो जाये ,उसका घर बस जाये किन्तु आने वाली बहु पर आधिपत्य जताना चाहती है ,उस बहु की अपनी कोई इच्छा नहीं होनी चाहिए बल्कि सास के इशारों पर चले। जिधर घुमाये उधर घूमे ,जिधर चलाये उधर चले, इससे उसका अहम संतुष्ट होता है। उसकी असुरक्षा की भावना को बल मिलता है किन्तु ये नहीं सोचती कि ये दूसरे घर से आई है ,इसकी भी कुछ भावनायें अथवा इच्छा होंगी। 
              चित्रा की सास भी इसी तरह की ही थी ,उसने नवीन को आने वाली दूसरे घर की लड़की से जुड़ने, नहीं दिया बल्कि ऐसा वातावरण बनाया ताकि उस पर नवीन का विश्वास न बढे ,प्यार करने या उनको नज़दीक आने से पहले ही, घर में किसी न किसी बात पर क्लेश हो जाता। जबरदस्ती चित्रा के काम में कोई न कोई कमी निकालकर उसे अपने बेटे की नजरों में नीचा दिखाने का प्रयत्न करती। नवीन चित्रा के काम और उसकी मेहनत को देखते हुए ,उसे समझाने का प्रयत्न करता ,कहता- जैसा मम्मी कह रही हैं ,उनके अनुसार चलने में क्या जाता है ?तब चित्रा उसे समझाने का प्रयत्न करती, उसे हर परिस्थिति से अवगत कराती ,नवीन उसकी बातें सुनता अवश्य ,किन्तु बाद में परिणाम शून्य ही आता और कहता -जैसा वो कहती हैं ,वही करने में तुम्हारा क्या जाता है ?उसे पता था कि मैं सही हूँ किन्तु मुझे वो बेबस नजर आता और मैं भी उसमें उस इंसान को ढूंढने का प्रयत्न करती जो सही के लिए मेरे साथ खड़ा हो, किन्तु चित्रा ने कभी उसे अपने साथ खड़ा नहीं पाया। उसे लगता ,नवीन प्यार भी करता है या नहीं ,क्योकि उसके किसी भी व्यवहार से नहीं लगता था कि वो उसे प्यार भी करता है। चित्रा ने अपनी माँ से भी कई बार बातें कीं किन्तु वो भी ठहरीं ,पुराने विचारों कीं ,'पुरातन पंथी' ,बोलीं -समाज में चार लोगों को पता चलेगा तो क्या कहेंगे ?मिश्रा जी की बेटी अपनी ससुराल में नहीं टिक पाई। आगे छोटे बहन -भाइयों के रिश्तों में दिक्क़त आयेगी। बर्दाश्त करना सीखो ,धैर्य से काम लो ,सब ठीक ही होगा। 


                इन बातों और व्यवहार से तो चित्रा पहले से ही आहत थी ,अब तो अनाहिता ने भी उसके जीवन में प्रवेश किया। वो उसके पेट में थी ,चित्रा की उन दिनों तबियत खराब रहती ,शरीर के अंदर अजीब सी बेचैनी रहती ,चित्रा नवीन से बोली -मुझे डॉक्टर के दिखा दो ,तो सास ने कुछ नहीं कहा ,तो नवीन भी उसे लेकर नहीं गए ,जब तक की माँ ने नहीं कहा और वो कहती- कि सब काम न करने के चोंचले हैं, जिससे घर का काम न करना पड़े।इसी तरह दिन कट रहे थे। छह माह बीत जाने पर ,अब थोड़ा वो सम्भल रही थी ,तभी त्योहारों के दिन आ गए जिनमें से एक त्यौहार 'करवा चौथ 'भी था। चित्रा की मम्मी ने कहा -ऐसी हालत में व्रत नहीं रखना किन्तु सास ने कहा -क्यों नहीं रखना चाहिए ?सालभर का त्यौहार है ,एक दिन व्रत रख लेगी तो कुछ नहीं होगा। चित्रा ने अपनी माँ की बातों को नजरअंदाज कर ,व्रत रखने का निर्णय लिया ,न रखने पर उसे अंदाजा था कि त्योेहार में ,घर में क्या हो सकता है ?वो क्लेश का कारण नहीं बनना चाहती थी। माँ कहती थी ,कि जब बच्चे का घरवालों को पता चलेगा तो सबके व्यवहार बदल जायेंगे किन्तु चित्रा के साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ ,जैसा कि चलचित्रों में दिखाते हैं ,घर में सभी प्रसन्न होते हैं ,ससुर बहु के लिए, उसके खाने के लिए ,उसके पसंद की चीजें लाते हैं ,पति अपनी पत्नी को ख़ुशी में गोद में उठा लेता है। सास कहती है -बहु, तुम अब ज्यादा काम मत करो ,आराम करो और वो बहु सबकी दुलारी बन जाती है। घर में चारों ओर सकारात्मक वातावरण होता है ,किन्तु ये सब चित्रा के कभी न पूर्ण होने वाले सपने थे। जब उसके घर में पता चला तो सास का एक तीर उसकी तरफ तेजी से आया ,इसे इतनी भी अक़्ल नहीं ,इसे बग़ैर डॉक्टर के पता ही नहीं चला कि ये गर्भवती है ,बेकार में डॉक्टर के पैसे भरवा दिए। पति प्रतिदिन की तरह अपने काम पर ,किसी में कहीं भी कोई बदलाव नहीं था बल्कि सास को कहते सुना -ये कोई अनोखा काम कर रही है ,दुनिया के बच्चे होते हैं। एक दिन तो जब वो सुबह उठी ,सास अपने पति यानि ससुर से कुछ कह रही थी। वो जल्दी से अपने काम निपटाने लगी ,तब ससुर ने नवीन से कहा -भई ?ये कैसे बच्चे होंगे जो सुबह के नाश्ते को भी देर हो गयी।नवीन बोला -रात में इसे थोड़ी दिक्क़त थी इसीलिए देरी से आँख खुली। तब ससुर कहते हैं ,इसके कौन सा अजूबा हो रहा है ?गांव में तो खेतों में बच्चे हो जाते हैं और काम में लगी रहती हैं ,इन्हें इतनी सुविधा मिली है तो नखरे ही हो रहे हैं। घर में एक भी सदस्य ऐसा नहीं जो सास की सोच के विपरीत चला जाये क्योंकि हर कोई गृह क्लेश से बचना चाहता था ,जानते हुए भी कि जो हो रहा है ग़लत है, फिर भी सब चुप थे।   
                एक दिन चित्रा ने परेशान होकर अपनी सास से कह ही दिया ,जब आपको इतनी ही परेशानी थी तो आपको अपने लड़के का विवाह ही नहीं करना चाहिए था।नवीन से मेरे लिए तो वायदा ले लिया कि बहु आकर सेवा करेगी जिन्हें मैं अब भी ठीक से जानती नहीं ,नवीन ने अपनी माँ से कोई वायदा क्यों नहीं लिया? कि मेरी पत्नी से अच्छा व्यवहार करना। सास ने उस समय तो कुछ नहीं कहा और चुपचाप पता नहीं, क्या सोचकर अपने कार्य में लगी रहीं। तीन दिन बाद ''करवा चौथ ''था ,चित्रा के घर से खूब सारा सामान आया ,उसके लिए साड़ी ,शृंगार का सामान इत्यादि। चित्रा भी भूल गयी कि उसकी सास और उसके बीच क्या बात हुई ?रात को उसने मेहँदी लगाई ,सुबह के लिए तैयारी पहले ही करके रख ली थी ,उसके छटवें माह की आख़िरी तारीख़ थी ,डॉक्टर ने उसे ख़ाली पेट रहने के लिए मना किया था। रात के पश्चात उसे भूख लगती थी उसने कुछ न खाकर एक कप चाय माँगी क्योंकि बिना नहाये वो रसोईघर में नहीं घुस सकती थी किन्तु सास ने सुनकर भी ,नहीं सुना। चित्रा को परेशानी हो रही थी ,उसने स्वयं जाकर चाय बना ली। उसे देखकर उसकी सास ने जो शोर मचाया ,वो शब्द आज तक भी उसके कानों में गूंजते हैं। बोलीं -ये देखो ,ये त्यौहार में अशुभ कर दिया ,ये तो मेरे बेटे का बुरा चाहती है ,सुबह से ही चाय गटकने बैठ गयी और जोर -जोर से रोने लगी और कहने लगी -अरे मुझे कहती है, कि बेटे का विवाह क्यों किया ?मैं क्या बुरा चाहूँगी ,मैं तो इन लोगों की दुश्मन हो गयी। ये तो मुझे मिलकर घर से निकाल देना चाहते हैं। मैं किसी को क्या कहूंगी ,मुझे तो दो रोटी खानी हैं ,वो भी ठीक से नहीं मिलतीं। इतना शोर सुनकर ,पति का चेहरा लटक गया , दो दिन से वो भी प्रसन्न नजर आ रहे थे। चित्रा उस चाय को कैसे पी पाती ?वो चाय नाली में गयी। चित्रा ने सास से क्षमा याचना की और वो समझ गयी थी कि ये मौक़े की तलाश में थीं और आज मौका मिल गया , बदला ले लिया। चित्रा ने भरसक प्रयत्न किया कि घर का वातावरण पूर्ववत हो जाये ,किन्तु सास को जब भी लगता कि ये दोनों नजदीक आ रहे हैं ,कुछ न कुछ प्रपंच कर ही डालती। आज भी यही हुआ ,चित्रा ने नवीन को समझाने का प्रयत्न किया किन्तु नवीन ने ये कहकर उस त्यौहार में कड़वाहट घोल दी ''मैं मनाऊँगा ,तेरी'' करवा चौथ '' उस दिन पूरे दिन नवीन बाहर रहा ,माँ ने पहले कुछ खाया और तब चित्रा दिया कोई और परिस्थिति होती तो चित्रा नहीं खाती किन्तु अपने बच्चे के लिए ,खून के से घूंट पीकर रह गयी। रात को भी नवीन ने अपनी माँ के पास ही अपनी चारपाई बिछा ली। 


             पूरी रात चित्रा ने रोते हुए काटी ,ये उसकी दूसरी, ससुराल में पहली ''करवा चौथ ''थी जिसकी कड़वाहट उसे आज तक नहीं भूली। उसके बाद कई ''करवा चौथ ''आई और गयीं किन्तु वो कड़वाहट वो भुलाये नहीं भूलती। हर बरस एक टीस सी उभरती है फिर भी वो अपने रीति -रिवाज़ और संस्कार निभाती है क्योंकि ये रिश्ते हमें बुरे अनुभव अवश्य दे जाते हैं किन्तु ये रिश्ते बुरे नहीं होते वरन उस रिश्ते की गरिमा को न समझने वाला इंसान बुरा होता है। हमारी ज़िंदगी में गिने -चुने रिश्ते ही तो होते हैं ,माता -पिता, भाई -बहन। ससुराल में सास -ससुर और पति ,ननद अथवा देवर। इनमें से कोई भी रिश्ता बुरा नहीं है किन्तु उस रिश्ते को निभाने वाला व्यक्ति, उस रिश्ते के लायक है या नहीं ,ये पहचानना मुश्किल हो जाता है। उसने अपनी बेटी को कभी सास के प्रति भड़काया अथवा उसके विपरीत कुछ नहीं कहा क्योंकि उसका मानना है ,सास रूपी रिश्ते को अथवा किसी भी रिश्ते को पहले से ही हम जाँच -परख नहीं सकते। इसी सोच के चलते उसने अपनी बेटी को विदा किया और परिणामतः उसकी बेटी और बेटी की सास, माँ -बेटी की तरह अपने रिश्ते को निभा रही हैं। ये तो रिश्तों की आपसी समझदारी है कि कौन सा रिश्ता ,कितनी दूर तक जाता है ?ये तो आवश्यक नहीं कि जो कटु अनुभव चित्रा को हुए हों वो सभी को हों। 

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रचनाएँ
प्रेरक कहानियाँ
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ज़िंदगी में अनेक घटनाएँ -दुर्घटनाइयें,होती हैं,ज़िंदगी जाने -अंजाने अनेक परेशानियों से गुजरती है,इस ज़िंदगी में अनेक रिश्ते भी होते हैं जिनसे हमें कुछ न कुछ सीख मिलती है,सीखने की कोई उम्र नहीं होती चाहे कोई छोटा हो या बड़ा। जीवन में हर पल कुछ न कुछ सीख या प्रेरणा मिल ही जाती है कई बार कुछ सोचने को मजबूर जाती हैं ये कहानियाँ,कई बार आईना दिखा जाती हैं,ये कहानियाँ । इन कहानियों में जीवन के अनेक रंग देखने को मिलेंगे,सही या गलत सोचने पर मजबूर हैं ये कहानियाँ!
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बड़ी बहु

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शर्मा जी के बड़े बेटे का विवाह बड़ी धूमधाम से हुआ ,बेटा -बहु दोनों पढ़े -लिखे।लड़की का घर -, परिवार के लोग भी बहुत ही अच्छे हैं। सुंदर होने के साथ -साथ , संस्कारी बहु मिली है ,शर्मा जी के तो जैसे भा

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9 नवम्बर 2022
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प्रातः काल का समय था ,हल्की ठंड भी पड़ रही थी। एक महिला ,अपनी बेटी के संग ,मेरे घर के दरवाज़े पर खड़ी थी। सुबह -सुबह कौन आ गया ?मैंने थोड़ा परेशान होते हुए ,निर्मला को देखने के लिए भेजा। अब मैं

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10 नवम्बर 2022
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वो रात.... वो रात्रि मेरे लिए ही थी ,मेरे लिए ही तो... सभी कार्य हो रहे थे ,सभी मेरे आगे -पीछे घूम रहे थे। उस रात्रि की'' मल्लिका'' मैं ही थी ,कुछ वर्ष पहले ही तो ,मैं अपने' पापा

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दीप्ती अति शीघ्रता से अपनी बिल्डिंग से नीचे आती है ,और गाड़ी में बैठकर चल देती है। आज वो देर से उठी, जिस कारण उसे देरी हो रही थी। वो अपनी गाड़ी को ,अपने दफ़्तर की ओर ,तेज़ गति से दौड़ा रही थी। आज &nbs

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शापित कोई स्थान ,व्यक्ति अथवा कोई वस्तु नहीं होती ,वरन शापित उसका अपना जीवन ही हो जाता है। जिस जीवन को, वो जी रहा है ,उस जीवन को जीते -जी ठीक से नहीं जी पाता। लोग कहते हैं -''ये जीवन अमूल्य है ''&nbsp

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मुक्ति

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मौली अपने दोस्तों संग मस्त थी ,वो अपने दोस्तों के साथ गोवा घूमने जा रही है ,इसीलिये तैयारी में लगी है ,तभी उसके फोन की घंटी बजी। मौली ने नाम देखा और मुँह बनाते हुए ,फ़ोन पर बातें करने लगी -क्या मम्मी ,

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असीमित आकाश

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काम तो प्रतिदिन का है, किन्तु आज रीमा के हाथों में जैसे बिजली लगी है ,वो प्रतिदिन से अधिक फुर्ती से कार्य कर रही है ,वह शीघ्र अति शीघ्र अपना कार्य निपटाने का प्रयत्न कर रही है। हो भी क्यों न ?क्य

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नवलकिशोर जी के मन में ,आज 'तूफान 'मचा है ,बाहरी वातावरण भी उसके सामने कोई मायने नहीं रखता। वो बस यूँ ही चले जा रहे हैं। कुछ समझ नहीं आता ,कहाँ जाएँ ,क्या करें ? दुनिया में देखा जाये ,तो आज के समय में

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हिजाब

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मानिनी कॉलिज में आती है ,आज तरन्नुम ने आने में देर कर दी। मानिनी और तरन्नुम दोनों अच्छी दोस्त हैं। दोनों ही साथ रहती हैं , एक ही कक्षा में ,साथ ही बैठती हैं। जिस दिन एक भ नहीं आती ,दूसरी का मन नही

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गुल्लक

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रेवती अपनी सास की, बड़े मन से सेवा करती थी ,उनकी हर चीज का ध्यान रखती थी ताकि किसी भी प्रकार की उन्हें परेशानी न हो। जब उनकी स्वयं की बहु आ आयीं ,तब भी उनके सम्पूर्ण कार्य स्वयं ही करतीं। उनकी सास यान

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फर्क

7 जून 2023
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इस माह नौचंदी का मेला लगने वाला है, किन्तु किसी को क्या फ़र्क पड़ता है ? जाना तो है नहीं ,जाकर भी क्या करना ,मेले में जाने के लिए भी तो, पैसा ही चाहिए। मेला तो पैसे से है ,पैसे वाल

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घर की याद

8 जून 2023
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पुलकित आँखें खोलकर देखता है ,वो बगीचे की बेंच पर लेटा था। अब उसे सब स्मरण हो जाता है। किस तरह वो अपने मम्मी -पापा से नाराज होकर ,घर से भाग आया ? पुलकित ऐसे ही किसी छोटे -मोटे परिवार से नहीं है। उसके

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मेरे साथ ही क्यों?

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बहु.......... जी माँजी ,कहते हुए ,पारुल तेज गति से उनके समीप आई। तुझसे कितनी बार कहा है ?उस बड़े कमरे की सफाई कर देना ,जब

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टास्क

12 जून 2023
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शादी के बाद उसने ससुराल में कदम रखा ही था ,कि सास के तीखे तेवर और गर्म मिज़ाज उसे कुछ ही दिनों में पता चल गए। उसने देखा कि जिस व्यक्ति से उसका विवाह हुआ है ,वो तो कुछ बोलता ही नहीं। जो चाहता है ,बस

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अधूरापन

14 जून 2023
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सुगंधा पिता के घर में रही ,अरमान तो बहुत थे ,किन्तु पिता के सख़्त कानून के कारण ,न कहीं आना , न कहीं जाना ,इच्छाएँ ,आकाश की अनंत ,ऊंचाइयों को छूना चाहती किन्तु उसका आसमान सीमित था। कुछ तो घर का अनुशा

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मिट्टी के खिलौने

15 जून 2023
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रामदीन कुम्हार ,प्रतिदिन जोहड़ से चिकनी मिटटी लाता और उसे पैरों से रोंद्ता ,जब वो मिटटी बर्तन बनाने लायक हो जाती तो उसे चाक पर रखकर ,बड़े क़रीने से ,सुंदर -सुंदर मिटटी के बर्तन बनाता। ये उसकी कला ही नह

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भाग्य का खेल

16 जून 2023
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आज मैं अपनी डायरी को ज़िंदगी के एक पहलू कहूँ या कुछ और, किन्तु इतना मैं अवश्य जानती हूँ ,उसे हम भाग्य अथवा क़िस्मत कहते है -इनके इशारों पर ही तो ,हमारी ज़िंदगी चलती है। हम सोचते हैं -जो भी कार्य हम कर रह

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माँ

17 जून 2023
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चम्पाकली 'ताई आज बहुत प्रसन्न है क्योकि उनके दो बेटे ,दो ही बहुएं हैं किन्तु ये उनकी प्रसन्नता का कारण नहीं ,उनकी प्रसन्नता का कारण ,उनका दादी बनना है। दोनों बहुएं ही गर्भवती थीं और अब दोनों ही माँ ब

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संगीत प्रेम

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काव्या बहुत ही प्यारी बच्ची है ,मन उसका बहुत ही कोमल है ,सबसे प्रेमपूर्ण व्यवहार करती। दुश्मनी ,लड़ाई क्या होती है ?जैसे वो जानती ही नहीं ,उसे तो सभी अपने ही नजर आते ,छल -कपट से तो उसका दूर -दूर तक वास

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समुद्र तट

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कार्तिक और मोना प्रतिदिन , अपने दफ्तर से आते समय कुछ देर ,समुन्द्र के तट पर बैठकर अपनी दिनभर की थकान मिटाते। मोना जब पहली बार अपने दफ्तर में आई ,तब उसकी सबसे पहले मुलाक़ात कार्तिक से ही हुई। कार्तिक न

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दरार

23 जून 2023
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पार्वती जी ,दुखी परेशान ,अपने कमरे में आती हैं और अपने पलंग पर बैठकर ,गहरी स्वांस भरती हैं और अपनी आँखें बंद कर लेती हैं। मैं कितना भी अच्छा सोच लूँ या कर लूँ ?किन्तु इसे अपना नहीं बना सकती ,ये 'दरा

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पहाड़ी प्रेम

29 जून 2023
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ज्योति...... ओ ज्योति....... ! दूर से आती, मौसी की आवाज सुनाई दी। आई मौसी ! कहकर मैं बंसी से बोली -कल आउंगी तब खेलेंगे ,अब मौसी बुला रही है। बंसी ने हाँ में गर्दन हिलाई और मैं ,दौड़ते हुए मौसी के

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भूतों से बातचीत

1 जुलाई 2023
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नंदिनी जैसे ही , अपनी कक्षा में पहुंची -उसने देखा ,सभी बच्चे ,तुषार की सीट के पास खड़े हैं। ये सब क्या हो रहा है ?सभी बच्चे वहाँ क्या कर रहे हैं ? नंदिनी को देखते ही ,सभी बच्चे दौड़कर अपनी -अपनी सीट पर

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पैसा

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रतनलाल जी ने कितना पैसा कमाया ? रात -दिन एक कर दिया। शानदार कोठी भी बनाई ,बच्चों को महंगे से महंगे स्कूल में पढ़ाया। सबकुछ तो उनके पास है ,किसी चीज की भी कमी नहीं ,पत्नी के पास भी जेवरों की कोई कमी नह

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गड़बड़ घोटाला

3 जुलाई 2023
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मैं प्रतिदिन की तरह ,जब परिवार के सभी सदस्य अपने -अपने काम पर चले जाते ,तब घर की साफ -सफाई और बाहर बगीचे में पानी देना जैसे कार्य करती। एक दिन जब मैं अपने पौधों को पानी दे रही थी ,तभी मैंने देखा ,स्क

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रिश्तेदार जलते हैं!

4 जुलाई 2023
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कितनी ख़ुशी की बात है ?कीर्ति तुमने पढ़ाई पूरी करने के साथ -साथ ,तुम्हारी नौकरी भी लग गयी। एक पार्टी तो अवश्य बनती है। क्या ख़ाक पार्टी बनती है ?तुम सभी दोस्तों को ही पार्टी दूंगी ,मम्मी -पापा के लि

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कीमत, समय की

7 जुलाई 2023
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अतुल बहुत ही बिगड़ैल और अड़ियल है ,देखने में तो वो बहुत जचँता है ,उसे देखेंगे तो कह उठेंगे कि किसी बड़े घर का बेटा हो लेकिन उसका स्वभाव उसकी शक़्ल और व्यक्तित्व से बिल्कुल विपरीत है। वो न ही किसी की बात

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कीमती

9 जुलाई 2023
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राधा जब ,मोहन से मिली ,उसे देखते ही , अपना दिल दे बैठी ,मोहन की हालत भी कुछ ऐसी ही थी। पहली बार दोनों ,राधा की सहेली के घर पर,उसकी जन्मदिन की पार्टी में ,उससे मिली। जितनी खूबसूरत राधा लग रही थी, उतना

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मृत्यु पर विजय

10 जुलाई 2023
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पल -पल मरता है ,इंसान ! जीने की तमन्ना में ! टूटता है ,बिखरता है, जिन्दा रहने की चाह में !खो देता है ,अपनों का साथ ,जीता है स्वांसों में !स्वांसों का ही खेल है , जिन्दा रहने की आस में !कुछ लोग जी

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भूतिया हवेली

12 जुलाई 2023
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श.... श.... श.... श.... आज आपको एक''अज़ीबो ग़रीब प्रेम की '' कहानी सुनाती हूँ। जानते हैं ,ये जो हवेली है ,ठाकुरों की है ,बहुत ही रुआब था। ठाकुर ''बलदेव सिंह '' अपने नाम की तरह ही बलवान ,बुद्धिमान और रौब

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सुरक्षा कवच

14 जुलाई 2023
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माँ 'तुम अब यहाँ ,अकेली क्या करोगी ? अब तुम भी हमारे संग चलकर रहो !अनंत अपनी माँ से बोला। बेटा ! सम्पूर्ण ज़िंदगी इस शहर में बिता दी ,अब इधर -उधर जाकर क्या करूंगी ? जब तू छोटा था ,तब सोचा करती थी

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बदलते रंग

16 जुलाई 2023
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आज घर में खीर -पूरी ,मालपुए दो सब्ज़ियाँ और बूँदी का रायता बना है क्योंकि आज बहुओं का व्रत है ,आज के दिन सुहागन महिलायें अपने पति की लम्बी उम्र ,और अच्छे स्वास्थ के लिए पूजा करती हैं और अपने घर की बड़ी

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वो सुबह!

17 जुलाई 2023
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कितना सुहावना मौसम है ?रंजन अपने बच्चों से कहता है -चलो !आज कहीं घूमने चलते हैं। बाहर हल्की - हल्की बूंदा -बांदी हो रही थी। बच्चे खुश हो जाते हैं और दौड़कर अपनी मम्मी के पास जाते हैं। मम्मी ! पापा कह

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लडाई

19 जुलाई 2023
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श्रेया ,अपने आप से ही , कितना लड़ रही थी ? ये तो वो ही जानती है।अब तो जीवनभर संघर्ष ही करना है। पहले पढ़ाई में संघर्ष किया क्या विषय लेने हैं ,कौन सा स्कूल चुनना है ? स्कूल में भी ,प्रतिशत में नंबर लाने

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सूर्यास्त और हम

20 जुलाई 2023
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रामलाल जी के घर में ,फोन की घंटी बज रही थी ,उनके बेटे की बहु फोन उठाती है और रामलाल जी से कहती है -पापा जी !आपका फोन है। किसका है ? पूछो कौन है ?और क्या कहना चाहता है ?शिरोमणि अंकल हैं ,और आपसे

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धड़कन

21 जुलाई 2023
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पंकज हमेशा अपनी ही चलाता है , किसी की भी नहीं सुनता ,सुमित्रा जी हमेशा ,एक उम्मीद के सहारे आगे बढ़ उसका समर्थन करतीं और कहतीं -पंकज ,अभी बच्चा है ,समझदार हो जायेगा ,तब सब समझने लगेगा ,कहना भी मानेगा कि

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मेन्ढकी

22 जुलाई 2023
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गर्मी से बुरी हालत थी ,नहाते -नहाते भी पसीने आ जाते। खेती पर काम करने वाले भी खेतों से ,वापस आ गए। सभी को ,बरसात की इच्छा हो चली थी। आपस में कहते -न जाने बरसात कब होगी ?यदि शीघ्र ही बरसात नहीं हुई तो

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बरसात

23 जुलाई 2023
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बरसात का मौसम ''आते ही मन झूमने लगता है ,बारिश की ठंडी -ठंडी फुहार तन को ही नहीं ,मन को भी भिगो जाती हैं। चारों तरफ धुली -धुलि सी ,हरियाली ,लगता है जैसे ,प्रकृति ने धानी चुनर ओढ़ ली हो। बच्चों की तो बर

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एक ही गलती

25 जुलाई 2023
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सुधा खिड़की के पास बैठी ,चाय पी रही थी ,तभी उसकी बेटी ने उसे पुकारा ,मम्मी ,मैंने अपना गृहकार्य कर लिया। ठीक है ,जाओ !अब जाकर बाहर बच्चों के साथ खेल लो !ठीक है ,कहकर वो बाहर की तरफ दौड़ी ,तभी सुधा ने उस

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