मंगल का मकर में गोचर
चैत्र कृष्ण
चतुर्दशी यानी रविवार 22 मार्च को दिन में दो बजकर चालीस मिनट के लगभग विष्टि करण और शुभ योग में मंगल
का गोचर अपनी उच्च राशि मकर में होगा | सूर्योदय के समय त्रयोदशी तिथि रहेगी, किन्तु मंगल के गोचर के समय चतुर्दशी तिथि होगी | इस समय मंगल उत्तराषाढ़
नक्षत्र पर होगा | मकर राशि में राश्यधिपति शनि पहले से विराजमान हैं तथा 29 मार्च को अर्द्धरात्र्योत्तर गुरुदेव भी वहीं पहुँच जाएँगे | अपने इस
गोचर के दौरान मंगल सात अप्रैल को श्रवण नक्षत्र तथा पच्चीस अप्रैल को धनिष्ठा
नक्षत्र पर भ्रमण करता हुआ चार मई की रात्रि को आठ बजकर चालीस मिनट के लगभग शनि की
दूसरी राशि कुम्भ में प्रस्थान कर जाएगा | अपनी उच्च राशि में प्रविष्ट होकर मंगल
की दृष्टि स्वयं अपनी मेष राशि पर तथा कर्क और सिंह राशियों पर रहेगी | अर्थात मेष, कर्क, सिंह तथा
मकर राशियाँ इस गोचर के दौरान मंगल से सीधे रूप में प्रभावित रहेंगी | साथ ही, मकर राशि के लिए मंगल चतुर्थेश तथा एकादशेश
है और मंगल की अपनी एक राशि मेष से मकर राशि दशम भाव तथा दूसरी राशि वृश्चिक से
तीसरा भाव बनती है |
ज्योतिष शास्त्र
तथा भारतीय पौराणिक ग्रन्थों में मंगल को भूमि पुत्र कहा जाता है इसलिए मंगल को
भौम के नाम से भी जाना जाता है तथा यह ऊर्जा और जुझारूपन का प्रतीक माना जाता है | मेष तथा वृश्चिक
राशियों का अधिपति मंगल मकर में उच्च का हो जाता है और कर्क इसकी नीच राशि है | सूर्य, चन्द्र व गुरु के साथ इसकी मित्रता है, बुध और केतु के साथ शत्रुता है तथा शुक्र और शनि की राशियों में यह तटस्थ
भाव में रहता है | इसका वर्ण रक्त के समान लाल है तथा इसे
पित्त का कारक माना जाता है | स्वाभाविक क्रूर ग्रह मंगल यदि
शुभ स्थिति में है तो निश्चित रूप से जातक के लिए शुभ फलदायी होता है | वास्तव में यह व्यक्ति को ऊर्जा प्रदान करके जीवन में कठिन से कठिन
परिस्थितियों का भी साहस के साथ सामना करने योग्य बनाता है |
इन्हीं समस्त तथ्यों के आधार पर जानने का प्रयास करते हैं कि मंगल के मकर में
प्रवेश के प्रत्येक राशि पर क्या सम्भावित प्रभाव हो सकते हैं...
किन्तु ध्यान रहे, ये
परिणाम सामान्य यानी Common हैं | किसी
कुण्डली के विस्तृत फलादेश के लिए केवल एक ही ग्रह के गोचर को नहीं देखा जाता
अपितु किसी योग्य Astrologer द्वारा उस कुण्डली का
विभिन्न सूत्रों के आधार पर विस्तृत अध्ययन आवश्यक है |
मेष :
आपका लग्नेश और अष्टमेश आपके दशम भाव में गोचर करेगा तथा वहाँ से आपकी लग्न, चतुर्थ भाव तथा पञ्चम भाव पर उसकी दृष्टियाँ होंगी | आपके कार्य की दृष्टि से तथा आपकी सन्तान के लिए यह गोचर भाग्यवर्द्धक
प्रतीत होता है | आपको अचानक ही किसी ऐसे स्थान से भी कार्य
तथा धन का लाभ हो सकता है जहाँ के विषय में आपने सोचा भी नहीं होगा | कार्य में प्रगति की सम्भावना है | यदि कोई नया
कार्य आरम्भ करना चाहते हैं तो उसके लिए भी समय अनुकूल प्रतीत होता है | आपकी सन्तान की ओर से भी कोई शुभ समाचार इस अवधि में प्राप्त हो सकता है
| किन्तु स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं के कारण कार्य में बाधा भी पड़ सकती है, अतः स्वास्थ्य का ध्यान रखें और प्राणायाम, ध्यान
तथा योग आदि को अपनी दिनचर्या में सम्मिलित करें |
वृषभ :
आपका सप्तमेश और द्वादशेश होकर मंगल का गोचर आपकी कुण्डली के भाग्य स्थान में हो
रहा है तथा वहाँ से आपके बारहवें भाव, तीसरे भाव तथा चतुर्थ भावों पर इसकी
दृष्टियाँ हैं | लाभदायक और लम्बी विदेश यात्राओं
के योग प्रतीत होते हैं | आपके जीवन साथी के लिए भी यह गोचर
अनुकूल फल देने वाला प्रतीत होता है | जिन लोगों का कार्य
विदेशों से सम्बद्ध है उनके लिए लाभ एक अवसर हैं | परिवार
में किसी मंगलकार्य के सम्पन्न होने की भी सम्भावना है | आप इस अवधि में कोई नया
घर भी ख़रीद सकते हैं | साथ ही धार्मिक कार्यों में रूचि में वृद्धि की सम्भावना है
| सम्भव है किसी अस्पताल अथवा धर्म स्थल के लिए आप कुछ धन
दान भी कर दें | साथ ही स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना आवश्यक
है |
मिथुन :
षष्ठेश और एकादशेश होकर मंगल का गोचर आपकी कुण्डली के अष्टम भाव में होने जा रहा
है और वाहन से आपके लाभ स्थान, दूसरे भाव तथा तीसरे
भावों पर इसकी दृष्टियाँ हैं | अचानक ही किसी स्रोत से आर्थिक
लाभ की सम्भावना की जा सकती है | किसी पैतृक सम्पत्ति का लाभ
भी हो सकता है किन्तु सारे Documents को अच्छी तरह जाँच परख
लें | हो सकता है वह सम्पत्ति विवादों में फँसी हुई हो | किसी कोर्ट के माध्यम से आपको लाभ भी हो सकता है | किन्तु
भाई बहनों के साथ किसी प्रकार का क्लेश भी सम्भव है | साथ ही स्वास्थ्य की दृष्टि
से भी समय अधिक अनुकूल नहीं प्रतीत होता | डॉक्टर से नियमित
चेकअप कराते रहें तथा अपने खान पान का ध्यान रखें |
कर्क :
आपके लिए पंचमेश और दशमेश होकर मंगल आपके लिए योगकारक हो जाता है और इस समय इसका गोचर
आपके सप्तम भाव में होने जा रहा है, जहाँ से आपके कर्म स्थान, लग्न और दूसरे भाव पर इसकी दृष्टियाँ हैं | आपके तथा आपके जीवन साथी के
लिए यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है | आप यदि प्रॉपर्टी से सम्बन्धित किसी कार्य से
सम्बद्ध हैं तो आपके लिए यह गोचर अनुकूल फल देने वाला प्रतीत होता है | नौकरी में हैं तो किसी आधिकारिक पड़ पर आपकी पदोन्नति भी हो सकती है | आपकी सन्तान और जीवन साथी के लिए भी यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है | यदि किसी के साथ प्रेम सम्बन्ध हैं तो उनमें अन्तरंगता आने की सम्भावना
है, किन्तु यदि विवाहित हैं तो आपस में मनमुटाव की स्थिति न
आने दें | साथ ही स्वास्थ्य की ओर से सावधान रहने की
आवश्यकता है |
सिंह :
आपका चतुर्थेश और नवमेश होकर मंगल आपके लिए योगकारक बन जाता है तथा इस समय इसका गोचर
आपकी राशि से छठे भाव में हो रहा है, जहाँ से आपके भाग्य स्थान, बारहवें भाव तथा लग्न पर इसकी दृष्टियाँ हैं | कार्य
की दृष्टि से भाग्यवर्द्धक समय प्रतीत होता है | एक ओर जहाँ
आपके उत्साह में वृद्धि के साथ ही आपके कार्यों के समय पर पूर्ण होने की भी सम्भावना
है, वहीं इस अवधि में आपके लिए विदेश यात्राओं के योग भी बन
रहे हैं | पारिवारिक दृष्टि से सम्भव है यह समय अधिक अनुकूल
न रहे, किन्तु यदि कोई कोर्ट केस चल रहा है तो उसका परिणाम
आपके पक्ष में आ सकता है | प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में
लगे लोगों के लिए तथा स्पोर्ट्स से जुड़े लोगों के लिए यह गोचर अनुकूल परिणाम देने
वाला प्रतीत होता है |
कन्या : आपका
तृतीयेश और अष्टमेश मंगल आपके पंचम भाव में गोचर कर रहा है जहाँ से आपके अष्टम भाव, लाभ स्थान तथा बारहवें भावों पर इसकी दृष्टियाँ आ रही हैं | इस अवधि में विदेश यात्राओं में
वृद्धि के संकेत हैं | ये यात्राएँ आपके कार्य के लिए लाभदायक
सिद्ध हो सकती हैं, किन्तु इन यात्राओं के दौरान आपको अपने स्वास्थ्य के प्रति
सावधान रहने की आवश्यकता होगी | आपकी सन्तान के लिए ये गोचर
लाभदायक प्रतीत होता है और उसकी ओर से कोई शुभ समाचार आपको प्राप्त हो सकता है | यदि आपकी सन्तान विवाह योग्य है तो उसके विवाह की भी सम्भावना इस अवधि
में की जा सकती है | साथ ही आपके भाई बहनों के लिए भी ये
गोचर अनुकूल प्रतीत होता है | यदि कहीं प्रेम प्रसंग चल रहा
है तो उसमें सावधान रहने की आवश्यकता है | विवाहित हैं तो
जीवन साथी के प्रति ईमानदार रहें | साथ ही स्वास्थ्य की ओर
से भी सावधान रहने की आवश्यकता है |
तुला :
आपका द्वितीयेश और सप्तमेश होकर मंगल का गोचर आपके चतुर्थ भाव में हो रहा है जहाँ
से आपके सप्तम भाव, दशम भाव तथा एकादश
भावों पर इसकी दृष्टियाँ हैं | आपके तथा आपके जीवन साथी के
लिए यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है | कार्य में उन्नति तथा
आय में वृद्धि के योग हैं | प्रॉपर्टी की ख़रीद फ़रोख्त में
लाभ की सम्भावना की जा सकती है | नौकरी में हैं तो पदोन्नति भी हो सकती है | पॉलिटिक्स से जुड़े लोगों के लिए भी पदलाभ के अवसर प्रतीत होते हैं | किन्तु परिवार में अकारण ही तनाव की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है | अपनी वाणी तथा विचारों पर संयम आवश्यक है | साथ ही स्वस्थ
रहने के लिए खान पान पर भी नियन्त्रण आवश्यक है |
वृश्चिक :
आपका लग्नेश और षष्ठेश होकर मंगल का गोचर आपके तृतीय भाव में हो रहा है और वहाँ से
आपके छठे भाव, भाग्य स्थान तथा कर्म स्थानों पर
इसकी दृष्टियाँ होंगी | यह गोचर उत्साहवर्द्धक तथा कार्य की
दृष्टि से भाग्यवर्द्धक प्रतीत होता है | आपको अपने छोटे भाई
बहनों का सहयोग प्राप्त होता रहने की सम्भावना है |
कार्यस्थल में भी सहकर्मियों का सहयोग प्राप्त होता रह सकता है | इस अवधि में आप हर प्रकार के विरोध को समाप्त करने में सक्षम रहेंगे | साथ ही यदि कोई कोर्ट केस चल रहा होगा तो उसका परिणाम भी आपके पक्ष में आ
सकता है | किन्तु साथ ही स्वास्थ्य की ओर से सावधान रहने की
आवश्यकता है | धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों में वृद्धि
की सम्भावना की जा सकती है |
धनु :
आपकी राशि के लिए मंगल पंचमेश तथा द्वादशेश होकर आपके द्वितीय भाव में गोचर कर रहा
है जहाँ से आपके सन्तान भाव, अष्टम भाव तथा भाग्य
स्थानों पर इसकी दृष्टियाँ हैं | एक ओर जहाँ आर्थिक रूप से
यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है वहीं दूसरी ओर सन्तान से सम्बन्धित किसी समस्या के
कारण या स्वास्थ्य सम्बन्धी किसी समस्या के कारण धन भी अधिक खर्च होने की सम्भावना
है | किन्तु साथ ही आपकी सन्तान के कार्य की दृष्टि से यह
गोचर अनुकूल प्रतीत होता है | यदि आपने अपनी वाणी पर संयम नहीं रखा तो परिवार के
मुखिया अथवा सन्तान के साथ बहस भी हो सकती है जिसके कारण आपको मानसिक तनाव भी हो
सकता है | आपकी सन्तान किसी कार्यवश अथवा उच्च शिक्षा के लिए
कहीं विदेश भी जा सकती है | आप भी सपरिवार विदेश यात्रा की
योजना बना सकते हैं |
मकर :
आपके लिए तो आपकी राशि में ही आपके चतुर्थेश और एकादशेश का गोचर हो रहा है और वहाँ
से इसकी दृष्टियाँ आपके चतुर्थ भाव,
सप्तम भाव तथा अष्टम भाव पर आ रही हैं | मान प्रतिष्ठा में
वृद्धि के योग प्रतीत होते हैं | प्रॉपर्टी अथवा वाहन आदि से
सम्बन्धित किसी व्यवसाय में हैं या किसी प्रकार की कोई इण्डस्ट्री आदि है तो उसमें
भी लाभ की सम्भावना की जा सकती है | आप अपने लिए भी नया घर
खरीद सकते हैं | पार्टनरशिप में जिन लोगों का व्यवसाय है
उनके लिए भी लाभ की सम्भावना है | अविवाहित हैं तो इस अवधि
में जीवन साथी की तलाश भी पूर्ण हो सकती है | किन्तु वाहन
चलाते समय सावधान रहने की आवश्यकता है |
कुम्भ :
आपका तृतीयेश और दशमेश आपके बारहवें भाव में गोचर कर रहा है जहाँ से आपके तीसरे
भाव, छठे भाव तथा सप्तम भावों पर इसकी दृष्टियाँ हैं | कार्य से सम्बन्धित किसी कार्य में पैसा इन्वेस्ट कर सकते हैं अथवा कार्य
से सम्बन्धित खर्चों में वृद्धि हो सकती है | पैसा इन्वेस्ट
करने से पूर्व किसी अनुभवी व्यक्ति से इस विषय में सलाह अवश्य कर लें | छोटे भाई
बहनों के साथ किसी प्रकार का मन मुटाव भी सम्भव है | यदि आपका
कार्य विदेश से सम्बन्धित है तो आपको लाभ की सम्भावना है |
कार्य से सम्बन्धित यात्राओं में वृद्धि के संकेत हैं | जीवन
साथी के साथ व्यर्थ की बहस से बचने का प्रयास करें |
मीन :
द्वितीयेश और भाग्येश का आपके लाभ स्थान में हो रहा है जहाँ से आपके दूसरे भाव, पञ्चम भाव तथा छठे भावों पर इसकी दृष्टियाँ हैं |
आर्थिक दृष्टि से यह गोचर भाग्यवर्द्धक प्रतीत होता है |
रुके हुए कार्य पूर्ण होने की सम्भावना है | कुछ पुरानी
इच्छाओं की पूर्ति भी इस अवधि में हो सकती है | बड़े भाई, मित्रों, सहकर्मियों तथा अधिकारी वर्ग का सहयोग
प्राप्त होता रहेगा | पदोन्नति की भी सम्भावना स अवधि में की
जा सकती है | सन्तान के लिए भी यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है | किसी पुरानी बीमारी के भी ठीक होने की सम्भावना है |
अन्त में, ग्रहों के गोचर अपने नियत समय पर होते ही रहते हैं | सबसे प्रमुख तो व्यक्ति का अपना कर्म होता है | तो, कर्मशील रहते हुए अपने लक्ष्य की ओर हम सभी अग्रसर रहें यही कामना है...