मित्रों, आज
अपने जन्मदिन के अवसर पर अत्यन्त स्नेहशील और पूरी तरह से केयर करने वाले पति डॉ.
दिनेश शर्मा, प्यारी बिटिया स्वस्ति श्री और उसके पति जीत के साथ साथ ढेर सारे
मित्रों ने भी हार्दिक शुभकामनाएँ दीं | सभी का बहुत बहुत धन्यवाद | पर इतने लोगों
का प्यार और साथ मिलने के बाद भी न जाने क्यों पिताजी का अभाव हर पल खटकता रहता है
| बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी मेरे पिता पण्डित यमुना प्रसाद कात्यायन जब तक जीवित
थे मेरे पिता होने के साथ साथ मेरे मार्गदर्शक मित्र, साथ में मस्ती करने वाले सखा, भाई और न जाने क्या क्या
थे | मेरे मुँह से बात निकलने से पहले ही समझ जाते थे क्या चाहती हूँ | यों तो
उनकी याद हर पल बनी रहती है | पर अपना हर जन्मदिवस उनके बिना फीका लगता है | गुरु
पूर्णिमा को सुबह सुबह गुरु पूजा से भी पहले पिताजी हमारे जन्मदिन की पूजा किया
करते थे | ये रचना उन्हें ही समर्पित है...