“हमारा भविष्य एकदम ही अनिश्चित नहीं है, अनिश्चित है कुछ है तो वह है हमारा ज्ञान | हमारा अज्ञान बहुत भारी है | भविष्य में हमें कुछ दिखाई ही नहीं पड़ता, क्योंकि हमारे पास वह दृष्टि है ही नहीं | और क्योंकि हम भविष्य में कुछ देख नहीं पाते इसलिए हम कहते हैं कि भविष्य अनिश्चित है | ज्योतिष वास्तव में एक ऐसी प्रक्रिया है जो हमें अपने भविष्य में देखने की सामर्थ्य प्रदान करती है…” ओशो
Our future is not uncertain at all. The fact is that we do not have enough knowledge to explore. Our ignorance is heavy. We do not see anything in the future because we do not have that vision. And because we cannot see anything in the future, we say that the future is uncertain. Astrology is actually a process that gives us the ability to see in the future.
ओशो का कथन एकदम सही है | ज्योतिष विद्या को सामान्यतः फलित विद्या माना जाता है जिसमें पृथिवी पर एक ज्योतिषी – एक Vedic Astrologer – ग्रहों और नक्षत्रों के शुभाशुभ प्रभावों का अध्ययन करके उसके आधार पर फलकथन करता है | किन्तु ज्योतिष केवल ग्रह नक्षत्रों की अनेक प्रकार से की गई गणनाओं के आधार पर किया गया भविष्यकथन ही नहीं है | यह तो केवल एक पक्ष है ज्योतिष का | वास्तव में मनुष्य की कुण्डली में उसके भूत, वर्तमान और भविष्य का पूरा लेख ा जोखा छिपा होता है |
पृथिवी सौरमण्डल का एक ग्रह है अतः इस पर सूर्य, चन्द्र तथा सौरमण्डल के अन्य ग्रहों का प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है | पृथिवी अपनी विशेष कक्षा में चलती है | इस कक्षा के चारों ओर कुछ तारकदल हैं – जिन्हें राशि राशि कहा जाता है तथा जिनकी संख्या वैदिक ज्योतिष के अनुसार 12 मानी गई है | इन बारह राशियों को पुनः 27 भागों में विभक्त किया गया है – जिन्हें नक्षत्र कहा जाता है | चन्द्रमा अपने उदयकाल में जिस नक्षत्र पर होता है उसे चन्द्रनक्षत्र कहा जाता है और उसी को आधार बनाकर समस्त गणनाएँ की जाती हैं |
ग्रह तथा नक्षत्रों की स्थिति प्रतिक्षण बदलती रहती है | अतः पल पल जो कुछ भी पृथिवी पर घटित होता है उस पर इन सतत भ्रमणशील ग्रह नक्षत्रों का प्रभाव भी विभिन्न प्रकार से ही पड़ता है | इसीलिए ज्योतिष के आधार पर फलकथन करते समय गणितीय सूत्रों का सहारा लिया जाता है | और ये ही गणितीय सूत्र ज्योतिष को एक विज्ञान बनाते हैं |
इस प्रकार ज्योतिष केवल भविष्य की सम्भावित घटनाओं का फलकथन मात्र नहीं है, अपितु एक विज्ञान भी है… और इसीलिए यह हमारे वर्तमान के साथ साथ भूत और भविष्य को भी देखने की सामर्थ्य रखता है… एक सीमा तक…लक्ष्यप्राप्ति के लिएआवश्यकता है इच्छाशक्ति को दृढ़ रखते हुए अपने कर्मों के द्वारा अपने वर्तमान को सशक्त बनाने की… और भविष्य की नींव में हमारा वर्तमान ही तो होता है…