पहला दृश्य
{समय-नौ बजे रात्रि। यजीद, जुहाक, शम्स और कई दरबारी बैठे हुए हैं। शराब की सुराही और प्याला रखा हुआ है।}
यजीद– नगर में मेरी खिलाफ़त का ढिंढोरा पीट दिया गया?
जुहाल– कोई गली, कूचा, नाका, सड़क, मसजिद, बाजार, खानक़ाह ऐसा नहीं है, जहां हमारे ढिंढोरे की आवाज न पहुंची हो। यह आवाज़ वायुमंडल को चीरती हुई हिजाज, यमन, इराक, मक्का-मदीना में गूंज रही है और, उसे सुनकर शत्रुओं के दिल दहल उठे हैं।
यजीद– नक्क़ार्ची को खिलअत दिया जाये।
जुहाक– बहुत खूब अमीर!
यजीद– मेरी बैयत लेने के लिए सबको हुक्म दे दिया गया?
जुहाक– अमीर के हुक्म देने की जरूरत न थी। कल सूर्योदय से पहले सारा शाम बैयत लेने को हाजिर हो जायेगा।
यजीद– (शराब का प्याला पीकर) नबी ने शराब को हराम कहा है। यह इस अमृत-रस के साथ कितना घोर अन्याय है! उस समय के लिये निषेध सर्वथा उचित था, क्योंकि उन दिनों किसी को यह आनंद भोगने का अवकाश न था। पर अब वह हालत नहीं है। तख्त पर बैठे हुए खलीफ़ा के लिए ऐसी नियामत हराम समझने से तो यह कहीं अच्छा है कि वह खलीफ़ा ही न रहे। क्यों जुहाक, कोई कासिद मदीने भेजा गया?
जुहाक– अमीर के हुक्म का इंतजार था।
यजीद– जुहाक, कसम है अल्लाह की; मैं इस विलंब को कभी क्षमा नहीं कर सकता। फौरन कासिद भेजो और वलीद को सख्त ताकीद लिखो कि वह हुसैन से मेरे नाम पर बैयत ले। अगर वह इनकार करें, तो उन्हें कत्ल कर दे। इनमें जरा भी देर न होनी चाहिए।
जुहाक– या मौला! मेरी अर्ज़ है कि हुसैन क़बूल भी कर लें, तो भी उनका जिंदा रहना अबूसिफ़ियान के खानदान के लिये उतना ही घातक है, जितना किसी सर्प को मारकर उसके बच्चे को पालना। हुसैन जरूर दावा करेंगे।
यजीद– जुहाक, क्या तुम समझते हो कि हुसैन कभी मेरी बैयत क़बूल कर सकते हैं? यह मुहाल है, असंभव है। हुसैन कभी मेरी बैयत न लेगा, चाहे उसकी बोटियां काट-काटकर कौवों को खिला दी जाये। अगर तक़दीर पलट सकती है, अगर दरिया का बहाव उलट सकता है, अगर समय की गति रुक जाये पर हुसैन दावा नहीं कर सकता। उसके बैयत लेने का मतलब ही यही है कि उसे इस जहान से रूखसत कर दिया जाये। हुसैन ही मेरा दुश्मन है। मुझे और किसी का खौफ़ नहीं, मैं सारी दुनिया की फ़ौजों से नहीं डरता, मैं डरता हूं इसी निहत्थे हुसैन से। (प्याला भरकर पी जाता है) इसी हुसैन ने मेरी नींद, मेरा आराम हराम कर रखा है। अबूसिफ़ियान की संतान हाशिम के बेटों के सामने सिर न झुकाएगी। खिलाफ़त को मुल्लाओं के हाथों में फिर न जाने देंगे। इन्होंने छोटे-बड़े की तमीज उठा दी। हरएक दहकान समझता है कि मैं खिलाफ़त की मसनद पर बैठने लायक हूं, और अमीरों के दस्तर्खान पर खाने का मुझे हक है। मेरे मरहूम बाप ने इस भ्रांति को बहुत कुछ मिटाया, और आज खलीफ़ा शान व शौकत में दुनिया के किसी ताजदार से शर्मिंदा नहीं हो सकता। जूते सीनेवाले और रूखी रोटियां खाकर खुदा का शुक्रिया अदा करने वाले खलीफों के दिन गए।
जुहाक– खुदा न करे, वह दिन फिर आए।
अब्दुलशम्स– इन हाशिमियों से हमें उस्मान के खून का बदला लेना है।
यजीद– ख़जाना खोल दो और रियाया का दिल अपनी मुट्ठी में कर लो। रुपया खुदा के खौंफ को दिल से दूर कर देता है। सारे शहर की दावत करो। कोई मुज़ायका नहीं, अगर ख़जाना खाली हो जाये। हर एक सिपाही को निहाल कर दो और, अगर रियायतें करने पर भी कोई तुमसे खिंचा रहे, तो उसे कत्ल कर दो। मुझे इस वक्त रुपए की ताकत से धर्म और भक्ति को जीतना है।
{हिंदा का प्रवेश}
यजीद– हिंदा, तुमने इस वक्त कैसे तकलीफ की?
हिंदा– या अमीर! मैं आपकी खिदमत में सिर्फ इसलिए हाज़िर हुई हूं कि आपको इस इरादे से बाज़ रखूं। आपको अमीर मुआविया की कसम, अपने दीन की, अपनी नजात को, अपने ईमान को यों न खराब कीजिए। जिस नवी से आपने इस्लाम की रोशनी पाई, जिसकी जात से आपको यह रुतबा मिला, जिसने आपकी आत्मा को अपने उपदेशों से जगाया, जिसने आपको अज्ञान के गढ्ढे से निकालकर आफ़ताब के पहलू में बिठा दिया, उसी खुदा के भेजे हुए बुजुर्ग के नवासे का खून बहाने के लिए आप आमादा है!
यजीद– हिंदा, खामोश रहो।
हिंदा– कैसे खामोश रहूं। आपको अपनी आंखों से जहन्नुम के गार में गिरते देखकर खामोश नहीं रह सकती। आपको मालूम नहीं रसूल की आत्मा स्वर्ग में बैठी हुई आपके इस अन्याय को देखकर आपको लानत दे रही होगी और, हिसाब के दिन आप अपना मुंह उन्हें न दिखा सकेंगे। क्या नहीं जानते, आप अपनी नजात का दरवाजा बंद कर रहे हैं।
यजीद– हिंदा, ये मजहब की बातें मजहब के लिये हैं, दुनिया के लिये नहीं। मेरे दादा इस्लाम इसलिये कबूल किया था कि इससे उन्हें दौलत और इज्जत हाथ आती थी। नजात के लिये वह इस्लाम पर ईमान नहीं लाए थे, और न मैं ही इस्लाम को नजात का जामिन समझने को तैयार हूं।
हिंदा– अमीर, खुदा के लिये यह कुवाक्य मुंह से न निकालो। आपको मालूम है, इस्लाम ने अरब से अधर्म के अंधेरे को कितनी आसानी से दूर कर दिया। अकेले एक आदमी ने काफ़िरों का निशान मिटा दिया। क्या खुदा की मरजी बिना यह बात हो सकती थी? कभी नहीं। तुम्हें मालूम है कि रसूल हुसैन को कितना प्यार करते थे? हुसैन को वह कंधों पर बिठाते और अपनी नूरानी डाढ़ी को उनके हाथों से नुचवाते थे। जिस माथे को तुम अपने पैरों पर झुकाना चाहती हो, उसके रसूल बोसे लेते थे। हुसैन से दुश्मनी करके तुम अपने हक़ में कांटे बो रहो हो। खिलाफत उसकी है, जिसे पंच दे; यह किसी की मीरास नहीं है। तुम खुद मदीने जाओ, और देखो, कौन किस पर खिलाफ़त का बार रखती है। उसके हाथों पर बैयत लो। अगर कौम तुमको इन रुतबे पर बैठा दे, तो मदीने में रहकर शौक से इस्लाम का खिदमत करो। मगर खुदा के वास्ते यह हंगामा न उठाओ। (जाती है।)
यजीद– सरजून रूमी की बुला लो।
{ सरजून आकर आदाब बजा लाता है। }
यजीद– आपके वालिद मरहूम की खिदमत जितनी वफ़ादारी के साथ की, उसके लिये मैं आपका शुक्रगुजार हूं। मगर इस वक्त मुझे आपकी पहले से कहीं ज्यादा जरूरत है। बसरे की सूबेदारी के लिए आप किसे तजबीज करते हैं?
रूमी– खुदा अमीर, को सलामत रखे। मेरे खयाल में अब्दुल्लाह बिन जियाद से ज्यादा लायक आदमी आपको मुश्किल से मिलेगा। जियाद ने अमीर मुआविया की जो खिदमत की, वह मिटाई नहीं जा सकती। अब्दुल्लाह उसी बाप का बेटा और खानदान का उतना ही सच्चा गुलाम है। उसके पास फ़ौरन कासिद भेज दीजिए।
यजीद– मुझे जियाद के बेटे से शिकायत है कि उसने बसरेवालों के इरादों की मुझे इत्तिला नहीं दी और मुझे यकीन है कि बसरेवाले मुझसे बग़ावत कर जायेंगे।
रूमी– या अमीर, आपका जियाद पर शक करना बेज़ा है। आपके मददगार आपके पास खुद-ब-खुद न आएंगे। वह तलाश करने से, मिन्नत करने से रियासत करने से आएंगे। आप ही आप वे लोग आएंगे, जो आपकी जात से खुद फायदा उठाना चाहते हैं। इस मंसब के लिये जियाद से बेहतर आदमी आपको न मिलेगा।
यजीद– सोचूंगा। (शराब का प्याला उठाता है।) जुहाक! कोई गीत तो सुनाओ। जिसकी मिठास उस फ़िक्र को मिटा दे, जो इस वक्त मेरे दिल और जिगर पर पत्थर की चट्टान की तरह रखी हुई है।
जुहाक– जैसा हुक्म।
{ डफ बजाकर गाता है। }
गाना
सफ़ी थक के बैठे दवा करनेवाले,
उठे हाथ उठाकर दुआ, करनेवाले।
वफ़ा पर हैं। मरते वफ़ा करनेवाले।
ज़फ़ा कर रहे हैं ज़फ़ा करनेवाले।
बचाकर चले खाक से अपना दामन,
लहद पर जो गुजरी हवा करनेवाले।
किसी बात भी तक कायम नहीं है,
ये जालिम, सितमगर, दगा करनेवाले।
तअज्जुब नहीं है, जो अब जहन दे दें,
ये जिच हो गए हैं दवा करनेवाले।
समझ ले कि दुश्वार है राजदारी,
किसी का किसी से गिला करनेवाले
अभी है बुतों को खुदाई का दावा,
खुदा जाने और क्या करनेवाले।